राजनीति विज्ञान की परम्परागत एवं आधुनिक परिभाषा |Traditional and Modern Definitions of Political Science

राजनीति विज्ञान की परम्परागत एवं आधुनिक परिभाषा

राजनीति विज्ञान की परम्परागत एवं आधुनिक परिभाषा |Traditional and Modern Definitions of Political Science


 

1 राजनीति विज्ञान की परम्परागत परिभाषा:

 

परम्परागत दृष्टिकोण से दी गयी परिभाषाओं में विभिन्न पाश्चात्य विचारकों ने राजनीति विज्ञान के अध्ययन का मुख्य क्षेत्र राज्य व सरकार को माना गया है। इन विद्वानों की परिभाषाओं का अध्ययन निम्नांकित तीन रूपों में किया जा सकता है:

 

1. राज्य के अध्ययन के रूप में

 

गार्नर के अनुसार- 

'राजनीति विज्ञान का प्रारम्भ व अन्त राज्य से ही होता है। '

 

ब्लंटश्ली ने लिखा है

राजनीति विज्ञान वह विज्ञान है जिसका संबंध राज्य से है और जो यह समझाने का प्रयत्न करता है कि राज्य के आधारभूत तत्व क्या हैंउसका आवश्यक स्वरूप क्या हैउसकी किन विविध रूपों में अभिव्यक्ति होती है तथा उसका विकास कैसा हुआ है। "

 

गैरीज ने राजनीति विज्ञान को परिभाषित करते हुए लिखा है कि

 “राजनीति विज्ञान राज्य के उदभवविकास उद्देश्य तथा राज्य की समस्त समस्याओं का उल्लेख करता है।"

 

जैम्स के अनुसार-

 "राजनीति विज्ञान राज्य का विज्ञान है। "

 

डॉ0 जकारिया के शब्दों में- 

“राजनीति विज्ञान व्यवस्थित रूप से उन आधारभूत सिद्धान्तों का निरूपण करता हैजिनके अनुसार समष्टि रूप में राज्य को संगठित किया जाता है और प्रभुसत्ता का प्रयोग किया जाता है।"

 

2. सरकार के अध्ययन के रूप में

 

राजनीति विज्ञान के कुछ विचारकों ने राजनीति विज्ञान को सरकार का अध्ययन माना है। उनके मतानुसार राज्य तो अर्मूत संस्था हैयदि उसे समझना है तो उसके मूर्तरूप सरकार को ही समझना होगा। सीलेंजेम्सलीकॉक इसी श्रेणी के विद्वान हैं। उल्लेखनीय है कि सरकार के अध्ययन के रूप में राजनीति - विज्ञान का आरम्भ अमेरिका में हुआ।

 

सीले के अनुसार-राजनीति विज्ञान उसी प्रकार सरकार के तत्वों का अनुसंधान करता है जैसे सम्पत्ति शास्त्र सम्पत्ति काजीव विज्ञान जीवन काबीजगणित अंको का तथा ज्यामितिशास्त्र स्थान एवं लम्बाई चौडाई का करता है।" -

 

लीकॉक ने लिखा है कि राजनीति विज्ञान सरकार से संबंधित विधा है।

 

3. राज्य और सरकार दोनों के अध्ययन के रूप में:

 

राजनीति विज्ञान के कुछ विद्वानों का मत है कि राजनीति विज्ञानराज्य और सरकार दोनों का अध्ययन है। इनके मतानुसार एक के बगैर दूसरे की कल्पना नही की जा सकतीक्योंकि राज्य को अभिव्यक्ति के लिए सरकार की और सरकार के अस्तित्व की संकल्पना के लिए राज्य की उपस्थिति अनिवार्य है। पॉल जैनेटगिलक्राइस्टगैटिलडिमॉकप्रो०आर्शीवादमलॉस्की आदि विद्वानों ने इसी मत का समर्थन किया है।

 

गिलक्राइस्ट के 'अनुसार- 

 “राजनीति विज्ञान वस्तुतः राज्य और सरकार की सामान्य समस्याओं का अध्ययन करता है।"

 

डिमॉक ने भी राजनीति विज्ञान को इसी प्रकार परिभाषित करते हुए लिखा है कि 

राजनीति विज्ञान का संबंध राज्य तथा उसके साधन सरकार से है।

 

आशीर्वादम् के अनुसार,

 “राजनीति विज्ञान राज्य और शासन दोनों का ही विज्ञान है।"

 

पॉल जैनेट के अनुसार,

 “राजनीतिशास्त्रसमाजशास्त्र का वह भाग हैजिसमें राज्य के आधार और सरकार के सिद्धान्त का विचार किया जाता है। "

 

राजनीति विज्ञान की उपर्युक्त सभी परम्परागत परिभाषाओं का विश्लेषण करने पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि राजनीति विज्ञान की उपर्युक्त सभी परिभाषाएँ अपूर्ण हैं क्योंकि इनमें मानवीय तत्व की उपेक्षा की गयी है। राज्य और सरकार के अध्ययन में मानवीय तत्व सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। व्यक्ति के जीवन को अत्यधिक प्रभावित करने के कारण ही राजनीति विज्ञान में राज्य और सरकार का अध्ययन किया जाता है। मानवीय तत्व के अध्ययन के बिना राजनीति विज्ञान का अध्ययन नितान्त औपचारिकनिर्जीव तथा संस्थागत ही माना जायेगा।

 

हरमन हैलन के अनुसार,

 “राजनीति विज्ञान के सम्पूर्ण स्वरूप का निर्धारण उसकी मानव विषयक मौलिक मान्यताओं द्वारा ही होता है। "

 

2 राजनीति विज्ञान की आधुनिक परिभाषा

 

परम्परागत राजनीति विज्ञान या तो स्वतंत्रतासमतान्याय जैसे राजनीतिक विचारों पर बल देता हैया राज्यसरकारकानून इत्यादि जैसी राजनीतिक संस्थाओं पर। लेकिन 20वीं शताब्दी में राजनीति विज्ञान की सबसे प्रमुख प्रवृत्ति रहीव्यवहारवादजिसने परम्परागत राजनीति विज्ञान को आधुनिक राजनीति विज्ञान के मार्ग में आगे बढ़ाया। ग्राहम वालास0एफ0 डहलबैंटलेमैक्सवेयरचार्ल्स मेरियमजार्ज कैटलिनहैरोल्ड लास्वेलडेविड ईस्टन आदि व्यवहारवादियों ने 'राज्यएवं अन्य संस्थाओं मात्र के अध्ययन के बजाय राजनीतिक व्यवस्थामानव व्यवहार एवं राजनीतिक प्रक्रियाओं के अध्ययन पर बल दिया। राजनीतिक संस्थाओं के पीछे कार्य कर रही प्रभावशाली शक्तियों पर प्रकाश डालने का इन्होंने प्रयास किया। फलतः राजनीतिक अध्ययन का रूख संस्थात्मक और संगठनात्मक दृष्टिकोण से हटकर लोगों की राजनीतिक गतिविधियोंदिशाप्रेरणा और आचरण पर केन्द्रित हो गया। विचारों के अध्ययन का स्थान तथ्यों और प्रमाणों के अध्ययन ने ले लिया तथा राजनीति विज्ञान को आधुनिक लेखकों ने शक्तिसत्ताप्रभाव का अध्ययन बताया।

कुछ परिभाषाएँ निम्न प्रकार हैं

 

केटलिन के अनुसार,

 “राजनीति विज्ञान शक्ति का विज्ञान है। “

 

डेविड ईस्टन के अनुसार

राजनीति विज्ञान समाज में मूल्यों का सत्तात्मक वितरण है।“ लासवैल और केपलान के अनुसार, “एक आनुभाविक खोज के रूप में राजनीति विज्ञान शक्ति निर्धारण और सहभागिता का अध्ययन है।"

 

डॉ0 हसजार और स्टीवेन्सन के अनुसार

राजनीतिशास्त्र अध्ययन का वह क्षेत्र है जो प्रमुखतया शक्ति सम्बन्धों का अध्ययन करता है। इन शक्ति सम्बन्धों के कुछ प्रमुख रूप हैंव्यक्तियों में परस्परव्यक्ति और राज्य के मध्य शक्ति सम्बन्ध और राज्यों में परस्पर शक्ति सम्बन्ध | "

 

रॉबर्ट ए0 डहल के अनुसार

राजनीति विज्ञान का शक्तिनियम व सत्ता से सम्बन्ध है । "

 

आलमण्ड तथा पावेल के अनुसार

आधुनिक राजनीति विज्ञान में हम राजनीतिक व्यवस्था अध्ययन और विश्लेषण करते हैं। “

 

उपरोक्त राजनीति विज्ञान सम्बन्धी परम्परावादी और आधुनिक परिभाषाओं के विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि वर्तमान में यह केवल राज्य अथवा सरकार से सम्बन्धित विज्ञान नहींबल्कि मनुष्य के राजनीतिक व्यवहारराजनीतिक क्रियाओं व प्रक्रियाओंशक्तिसत्ता तथा मानव समूहों की अन्तःक्रियाओं का विज्ञान है।

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