अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस 2024: इतिहास उदेश्य महत्व |International Snow Leopard Day 2024
अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस 2024: इतिहास उदेश्य महत्व
अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस 2024: इतिहास उदेश्य महत्व
- हिम तेंदुओं के प्रवास क्षेत्र के संरक्षण को बढ़ावा देने हेतु प्रतिवर्ष 23 अक्तूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस’ का आयोजन किया जाता है। वर्ष 2013 की ‘बिश्केक घोषणा’ (Bishkek Declaration) के तहत 23 अक्तूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस’ के रूप में अधिसूचित किया गया था।
- वर्ष 2013 में 12 ‘स्नो लेपर्ड’ रेंज देशों (अफगानिस्तान, भूटान, चीन, भारत, कज़ाखस्तान, किर्गिज गणराज्य, मंगोलिया, नेपाल, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान) द्वारा बिश्केक घोषणा पर हस्ताक्षर किये गए थे। साथ ही इस अवसर पर ‘वैश्विक हिम तेंदुआ और पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण’ (GSLEP) कार्यक्रम की शुरुआत भी की गई थी।
- हिम तेंदुए का वैज्ञानिक नाम ‘पैंथेरा अनकिया’ (Panthera Uncia) है। हिम तेंदुआ या ‘स्नो लेपर्ड’ को ‘पहाड़ों का भूत’ (Ghost of the Mountains) भी कहा जाता है, क्योंकि इनके संकोची स्वभाव और खाल के रंग के कारण इन्हें बर्फीले वातावरण में देखना बहुत ही मुश्किल होता है।
- हिम तेंदुए उत्तरी और मध्य एशिया के ऊँचे पहाड़ों (हिमालय क्षेत्र सहित) के विशाल क्षेत्र में रहते हैं। हिम तेंदुए को IUCN रेड लिस्ट में सुभेद्य (Vulnerable) की सूची में रखा गया है।
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के तहत हिम तेंदुए का शिकार करने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
हिम तेंदुआ के बारे में जानकारी
- वैज्ञानिक नाम:
पैंथेरा अनकिया (Panthera
Uncia)
- शीर्ष शिकारी: हिम तेंदुआ खाद्य शृंखला में शीर्ष शिकारी के रूप में अपनी स्थिति के कारण पहाड़ के पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के एक संकेतक के रूप में कार्य करता है।
- हिम तेंदुए को IUCN की विश्व संरक्षण प्रजातियों की रेड लिस्ट में सूचीबद्ध किया गया है।
- इसके अलावा यह लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) के परिशिष्ट-I में भी सूचीबद्ध है।
- यह भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की अनुसूची-I में सूचीबद्ध है।
- मध्य एशिया के पहाड़ी परिदृश्य में उनका एक विशाल लेकिन खंडित वितरण है, जो हिमालय के विभिन्न हिस्सों जैसे- लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम को कवर करता है।
- भारत सरकार ने हिम तेंदुए की पहचान उच्च हिमालय की एक प्रमुख प्रजाति के रूप में की है।
- भारत वर्ष 2013 से वैश्विक हिम तेंदुआ एवं पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण (GSLEP) कार्यक्रम का हिस्सा है।
- हिमाल संरक्षक: यह अक्तूबर 2020 में हिम तेंदुओं की रक्षा के लिये शुरू किया गया एक सामुदायिक स्वयंसेवक कार्यक्रम है।
- वर्ष 2019 में ‘स्नो लेपर्ड पॉपुलेशन असेसमेंट’ पर फर्स्ट नेशनल प्रोटोकॉल भी लॉन्च किया गया, जो इसकी आबादी की निगरानी के लिये बहुत उपयोगी है।
सिक्योर हिमालय:
- वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF) के तहत संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने ऊँचाई पर स्थित जैवविविधता के संरक्षण और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र पर स्थानीय समुदायों की निर्भरता को कम करने के लिये इस परियोजना का वित्तपोषण किया।
हिम तेंदुआ परियोजना:
- यह परियोजना वर्ष 2009 में हिम तेंदुओं और उनके निवास स्थान के संरक्षण के लिये एक समावेशी एवं सहभागी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने हेतु शुरू की गई थी।
- हिम तेंदुआ संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम पद्मजा नायडू हिमालयन ज़ूलॉजिकल पार्क, दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल में शुरू किया गया है।
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