विश्व सुनामी जागरूकता दिवस 2023 : इतिहास उद्देश्य महत्व |Tsunami awareness day in Hindi
विश्व सुनामी जागरूकता दिवस 2023 : इतिहास उद्देश्य महत्व
विश्व सुनामी जागरूकता दिवस 5 नवंबर
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक वर्ष 5 नवंबर को ‘विश्व सुनामी जागरूकता दिवस’ का आयोजन किया जाता है, जिसका उद्देश्य आम लोगों को सुनामी जैसी घातक आपदा के बारे में जागरूक करना है।
- संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस घातक आपदा के कारण पिछली एक सदी में लाखों लोगों की मृत्यु हुई है।
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, ‘सुनामी’ (Tsunami) शब्द की उत्पत्ति जापान से हुई है, जहाँ ‘सु’ (Tsu) शब्द का अर्थ है ‘बंदरगाह’ (Harbour) और ‘नामी’ (Nami) का अर्थ है ‘लहर’ (Waves)। प्रायः तीव्र भूकंप के दौरान समुद्री प्लेट कई मीटर तक खिसक जाती है, फलस्वरूप समुद्री सतह पर ज़बरदस्त उथल-पुथल मचती है और इस कारण सागर की सतह पर जल बड़ी-बड़ी लहरों के रूप में उठता है।
- यद्यपि महासागरों में ये बहुत कम ऊँचाई की होती हैं, किंतु जैसे-जैसे ये किनारों की ओर बढ़ती हैं तो इनकी ऊँचाई और तीव्रता बढ़ती जाती है। यही तीव्र और ऊँची लहरें धरातल पर सुनामी कहलाती हैं।
- वर्ष 2004 में हिंद महासागर में आई सबसे घातक सुनामी के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 5 नवंबर को विश्व सुनामी जागरूकता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था।
सुनामी शब्द का अर्थ
- सुनामी एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ है हार्बर वेव। सुनामी तथा ज्वार से उत्पन्न लहरों को कभी-कभी एक ही समझ लिया जाता है, लेकिन उनका दैनिक महासागरीय ज्वार से कोई संबंध नहीं है।
- अधिकांश सुनामी, भूकंपों (रिक्टर स्केल पर 6.5 से अधिक परिमाण के) के कारण उत्पन्न होती हैं, हालाँकि सुनामी ज्वालामुखी प्रस्फुटन, भूस्खलन, परमाणु विस्फोट के कारण भी उत्पन्न हो सकती है।
भारत की सुनामी के प्रति सुभेद्यता:
भारतीय तट की सुनामी के
प्रति सुभेद्यता की पहचान ऐतिहासिक सुनामी एवं भूकंप की आवृति, उनके परिमाण, प्लेटो में भ्रंश की
सापेक्ष स्थिति और सुनामी मॉडलिंग द्वारा की गई है।
भारत के पूर्वी तथा
पश्चिमी तटों एवं द्वीप क्षेत्रों सहित निम्नलिखित पाँच संभावित सुनामी उत्पत्ति
क्षेत्रों की पहचान की गई है:
- अंडमान-निकोबार एवं
सुमात्रा द्वीप आर्क;
- इंडो-बर्मीज़ जोन;
- नैसेंट सीमा (मध्य हिंद
महासागर में);
- चागोस द्वीपसमूह;
- मकरान अभिवाहित (Subduction) क्षेत्र।
भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र
(Indian National Centre for Ocean
Information Services-INCOIS)
- INCOIS, भारतीय सुनामी प्रारंभिक चेतावनी केंद्र (Indian Tsunami Early Warning Centre- ITEWC) की भारत को सुनामी संबंधित सलाह/सूचना देने हेतु नोडल एजेंसी है।
- INCOIS की स्थापना वर्ष 1999 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी और यह पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन की एक इकाई है।
- INCOIS, UNESCO-IOC द्वारा सौंपी गई ज़िम्मेदारी वाले सुनामी सेवा प्रदाताओं के रूप में, हिंद महासागर क्षेत्र (25 देशों) को सुनामी संबंधी सलाह/सूचना भी प्रदान करता है।
- लोगों में सुनामी संबंधी जागरूकता के लिये, INCOIS नियमित रूप से तटीय राज्यों और ज़िला स्तरीय आपदा प्रबंधन अधिकारियों (Disaster Management Officials- DMOs) के लिये, सुनामी मानक संचालन प्रक्रिया (Tsunami Standard Operating Procedure- SOP) कार्यशालाओं, प्रशिक्षण सत्रों और सेमिनारों का आयोजन करता है।
- ITEWC और ICG/IOTWMS के समन्वय से INCOIS में आईओवेव सुनामी मॉक अभ्यास का भी आयोजन किया जाता है।
- इसके अलावा आपात स्थितियों से निपटने की क्षमताओं को मज़बूती प्रदान करने के लिये वैकल्पिक वर्षों में गृह मंत्रालय, NDMA तथा राज्य आपदा प्रबंधन एजेंसियों (State Disaster Management Agencies- SDMA) के समन्वय से राष्ट्रीय स्तर पर मॉक अभ्यास का आयोजन किया जाता है।
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