विश्व डाक दिवस 2024 : थीम (विषय ) इतिहास उद्देश्य महत्व |World Postal Day Details in Hindi

विश्व डाक दिवस 2024 : इतिहास उद्देश्य महत्व

विश्व डाक दिवस 2022 : थीम (विषय ) इतिहास उद्देश्य महत्व |World Postal Day Details in Hindi



विश्व डाक दिवस 2024 : इतिहास उद्देश्य महत्व

  • विश्व भर में प्रतिवर्ष 9 अक्तूबर को विश्व डाक दिवसका आयोजन किया जाता है। 
  • विश्व डाक दिवस का उद्देश्य विश्व भर में लोगों के दैनिक जीवन, व्यापार और सामाजिक तथा आर्थिक विकास में डाक की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। 
  • विश्व डाक दिवस का आयोजन वर्ष 1874 में स्विट्ज़रलैंड की राजधानी बर्नमें यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन’ (UPU) की स्थापना की याद में मनाया जाता है। 
  • वर्ष 1969 में टोक्यो (जापान) में आयोजित यूनिवर्सल पोस्टल यूनियनकाॅन्ग्रेस द्वारा इसे विश्व डाक दिवसके रूप में घोषित किया गया था। यूनिवर्सल पोस्टल यूनियनएक वैश्विक संचार क्रांति पर केंद्रित है जिसका उद्देश्य दुनिया भर में लोगों के मध्य पत्र व्यवहार की संस्कृति विकसित करना है।
  • भारत में सर्वप्रथम वर्ष 1541 में शेरशाह सूरी ने बंगाल और सिंध के बीच (2000 मील की दूरी के लिये) घोड़ों के माध्यम से डाक सेवा की शुरुआत की थी। 
  • वर्ष 1766 में रॉबर्ट क्लाइव ने एक नियमित डाक प्रणाली की स्थापना की। 
  • भारत वर्ष 1876 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन’ (UPU) में शामिल हुआ।


विश्व डाक दिवस 2023 : थीम (विषय )

The theme for World Post Office Day 2023 is “Together for Trust: Collaborating for a Safe and Connected Future.” 


विश्व डाक दिवस 2022 : थीम (विषय )

  • विश्व डाक दिवस 2022 : थीम (विषय ) प्लानेट फॉर पोस्ट रखी गयी है . 
  • Theme for 2022: "Post for Planet"

भारतीय डाक

  • भारतीय डाक के रूप में पहचाने जाने वाला भारत सरकार का डाक विभाग (DoP) बीते 150 वर्षों से देश में सुव्यवस्थित संचार प्रणाली के तौर पर कार्य कर रहा है और इसने देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • 1,55,531 डाकघरों के साथ भारत के डाक विभाग (DoP) के पास विश्व का व्यापक डाक नेटवर्क मौजूद है।

कार्य

  • भारतीय डाक का मूल कार्य डाक वितरित करना है, इसके अलावा यह लघु बचत योजनाओं के तहत जमा स्वीकार करने, पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस (PLI) और ग्रामीण डाक जीवन बीमा (RPLI) के तहत जीवन बीमा कवर प्रदान करने तथा बिल संग्रह, प्रपत्रों की बिक्री  सेवाएँ प्रदान करने का कार्य भी करता है।
  • डाक विभाग (DoP), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के तहत मज़दूरी और वृद्धावस्था पेंशन भुगतान जैसे नागरिक सेवाओं को आम नागरिकों तक पहुँचाकर भारत सरकार के लिये एक एजेंट के तौर पर कार्य करता है।
  • 19वीं सदी के आरंभिक दशकों में भारत के संदर्भ में ब्रिटिश नीति बदलने लगी थी। अब ब्रिटिश हित व्यापारिक पूंजीवाद के बजाए औद्योगिक पूंजीवाद से परिचालित होने लगे थे। ब्रिटेन के नवोदित पूंजीवादी वर्ग की लालसा थी कि भारत का विकास ब्रिटिश वस्तुओं के बाजार के रूप में हो। राष्ट्रवादी इतिहासकारों ने डाक, तार, टेलीग्राम एवं रेलवे के विकास को उपर्युक्त संदर्भ में देखा।

विश्व डाक दिवस का इतिहास ( History of Post Day)

9 अक्टूबर, 1874 को जनरल पोस्टल यूनियन (General Postal Union) का गठन किया गया। इसके गठन के लिए स्विट्जरलैंड के बर्न शहर में 22 देशों ने एक संधि पर हस्ताक्षर किए थे। यह संधि 1 जुलाई, 1875 को लागू हुई, हालांकि 1 अप्रैल 1879 को जनरल पोस्टल यूनियन का नाम बदलकर यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (Universal Postal Union) कर दिया गया। गौरतलब है कि यूपीयू की स्थापना से पहले सभी देशों को एक दूसरे के यहाँ चिट्ठी भेजने के लिए द्विपक्षीय या बहुपक्षीय संधि करनी पड़ती थी। डाक भेजने वाले को हर चरण और रास्ते में पड़ने वाले हर देश के लिए अलग से शुल्क चुकाना होता था। इस परेशानी को दूर करने के लिए 1863 में अंतर्राष्ट्रीय पोस्टल काँग्रेस की बैठक बुलाई गई। इसके बाद यूपीयू के गठन का फैसला किया गया। इस यूनियन की स्थापना से वैश्विक संचार क्रांति की शुरूआत हुई। 1969 में जापान के टोक्यो (Tokyo) में आयोजित यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन काँग्रेस (Universal Postal Union Congress) में 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के रूप में मानने की घोषणा की गई। गौरतलब है कि उस दौर में कहा गया कि 9 अक्टूबर का दिन अंतर्राष्ट्रीय पत्रों के लिए पूरी दुनिया में मुक्त प्रवाह का रास्ता खोलने की एक कोशिश है। 

यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) 1948 में संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी बन गई। यूपीयू का संविधान 1964 की वियना पोस्टल काँग्रेस में स्वीकार किया गया जो 1966 से लागू हुआ। वर्तमान में यूपीयू के 192 सदस्य देश हैं। यह एजेंसी विश्व डाक दिवस पर हर साल पोस्टल जारी करने के अलावा कई और कार्यक्रम आयोजित करती है। साथ ही एजेंसी डाक व्यवस्था से जुड़ी वैश्विक दिक्कतों को दूर करने के लिए लगातार कोशिशें भी करती रहती है। 

एक दिलचस्प पहलू यह है कि भारत में हर वर्ष 10 अक्टूबर को राष्ट्रीय डाक दिवस भी मनाया जाता है। भारत 1 जुलाई, 1876 को यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बना था। उस वक्त भारत एशिया का पहला देश था जिसे इसकी सदस्यता मिली थी।

 

भारतीय डाक प्रणाली का इतिहास 

  • 200 वर्षों से ज्यादा पुरानी भारतीय डाक दुनिया की डाक प्रणालियों में अव्वल है। पूरी दुनिया में या तो डाकघर बंद हो रहे हैं या संचार क्रांति के कारण सिमट रहे हैं, लेकिन भारतीय डाक का लगातार विस्तार हो रहा है। आज भी ये पूरे देश की संचार व्यवस्था की धड़कन बनी हुई है। 
  • विदित हो कि भारत में जब ईस्ट इंडिया कंपनी आई तो उसने विश्वसनीय संचार व्यवस्था के तहत नियमित हरकारों (संदेशवाहकों) को सेवा में रखा। आधुनिक डाक व्यवस्था की शुरूआत 18वीं सदी से पहले हुई। 
  • 1766 में लॉर्ड क्लाइव ने पहली बार डाक व्यवस्था शुरू की थी। डाक व्यवस्था का विकास वारेन हेस्टिंग्स ने 1774 में कलकत्ता जीपीओ की स्थापना करके किया। इसके बाद मद्रास जनरल पोस्ट ऑफिस, 1786 और बंबई जनरल पोस्ट ऑफिस 1793 में अस्तित्व में आए। 
  • उस वक्त के डाकघरों में एकरूपता लाने के लिए भारतीय डाकघर अधिनियम, 1837 बनाया गया। इस अधिनियम के तहत डाक व्यवस्था के एकाधिकार की पहल हुई। इस अधिनियम से तीनों प्रेसीडेंसी-कलकत्ता, मद्रास और बंबई में सभी डाक संगठनों को आपस में मिलाकर देश स्तर पर एक अखिल भारतीय डाक सेवा बनाने की शुरूआत की गई। डाक व्यवस्था को सुचारु बनाने की दिशा में 1854 का पोस्ट ऑफिस अधिनियम मील का पत्थर साबित हुआ। इसने डाक प्रणाली का स्वरूप ही बदल दिया, अर्थात सामान्य शब्दों में कहें तो भारत में वर्तमान डाक प्रणाली का मुख्य आधार यही कानून बना। इस कानून ने समूची डाक प्रणाली में सुधार किया। इसके जरिए भारत के ब्रिटिश क्षेत्रें में डाक धुलाई का एकाधिकार भारतीय डाकघरों को दिया गया। उसी वर्ष रेल डाक सेवा की भी शुरूआत की गई और भारत से ब्रिटेन और चीन के लिए समुद्री डाक सेवा शुरू की गई। 
  • 1 जुलाई 1852 को सिंध (पाकिस्तान) में ही डाक मोहर बनी। इसके दो वर्ष बाद यानी अक्टूबर 1854 में आधा आना, एक आना और चार आने के टिकट की बिक्री भी शुरू हुई। इन टिकटों पर रानी विक्टोरिया की तस्वीरें थीं। अंग्रेजों ने जब आधुनिक डाक व्यवस्था 1854 में खड़ी की तो सालाना एक करोड़ बीस लाख चिट्ठियों की आवाजाही थी जो बढ़ते-बढ़ते 1550 करोड़ तक पहुँच गई थी। उस वक्त देश कई हिस्सों में बंटा था और ये राजवाड़े की मर्जी पर निर्भर करता था कि वो डाक सेवा लागू करना चाहते हैं या नहीं। लेकिन धीरे-धीरे डाक की अहमियत को सभी ने समझा और इसका विस्तार या नेटवर्क बढ़ने लगा। 1926 में नासिक में डाक टिकटों की छपाई का काम जब शुरू हुआ तो भारतीय डाक को नई ऊर्जा मिली। 21 नवंबर, 1947 को आजाद भारत का पहला डाक टिकट जारी किया गया। इसके बाद कई वर्षों तक भारतीय डाक और भारतीय समाज एक दूसरे के भीतर इस कदर घुल-मिल गए कि एक के बगैर दूसरे की कल्पना भी मुश्किल नजर आने लगी। 
  • गौरतलब है कि आजादी के वक्त देश में कुल 23,344 डाकघर थे, इनमें 19,184 ग्रामीण इलाकों और 4,160 शहरी क्षेत्रें में विद्यमान थे। वर्तमान में देश में डाकघरों का विशाल नेटवर्क मौजूद है। भारत में कुल 1 लाख 55 हजार 531 डाकघर हैं। गाँवों में इसका ढाँचा बहुत मजबूत है और करीब 90 फीसदी डाकघर गांवों में ही मौजूद हैं। भारत के कुल डाकघरों में ग्रामीण डाकघर 1,39,067 है, औसतन 21.56 वर्ग किमी के क्षेत्र में एक डाकघर है। एक डाकघर औसतन 7753 व्यक्तियों को सेवा दे रहा है। विदित हो कि भारतीय डाक में विभागीय कर्मचारियों की संख्या 1.84 लाख है, जबकि ग्रामीण डाक सेवकों की संख्या करीब 2.5 लाख है। 
  • वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो भले ही संचार क्रांति के बाद देश में व्यक्तिगत चिट्ठियाँ कम हुईं हों, लेकिन अभी भी सालाना करीब 635 करोड़ डाक सामग्रियाँ आ रही हैं जिनमें 568 करोड़ सामान्य चिट्ठियाँ हैं। भारत में शायद ही ऐसा कोई नागरिक हो जिसका इस संस्थान से कोई वास्ता न पड़ा हो, चाहे वह डाक, बैंकिंग सेवा, जीवन बीमा, मनी ऑर्डर, हो या फिर पोस्टल ऑर्डर, रिटेल सेवाएँ, स्पीड पोस्ट, मनरेगा की मजदूरी, पीपीएफ (Public Provident fund) और एनएससी (National Saving Certificate) हो। भारतीय डाक की सेवा सभी ने कभी न कभी जरूर ली है।

 

डाक सुधारों की दिशा में उठाये गए कदम

आजादी के कई वर्षों बाद तक डाक विभाग के कंधों पर देश के सूचना और संचार तंत्र का सबसे बड़ा जिम्मा था, इसके बावजूद शुरूआती दौर में यह विभाग सरकारी उपेक्षा का शिकार बना रहा। हालांकि जैसे-जैसे संचार क्षेत्र की अहमियत बढ़ती गई, सरकार को डाक सुधारों की दिशा में काम करने पर मजबूर होना पड़ा। सरकार द्वारा डाक सुधारों की दिशा में उठाये गए कदमों को निम्न बिन्दुओं के अंतर्गत समझा जा सकता है-

 

  • तेज डाक वितरण के जरिए 1972 में पोस्टल इंडेक्स नंबर (Postal Index Number) यानी पिन कोड की शुरूआत की गई। संचार की बढ़ती अहमियत की वजह से 1985 में डाक और दूरसंचार विभाग को अलग-अलग कर दिया गया। इसके ठीक एक वर्ष बाद 1986 में स्पीड पोस्ट (Speed Post) सेवा की शुरूआत की गई।
  • इसके बाद 1994 में मेट्रो, राजधानी, व्यापार चैनल, ईपीएस और वीसैट के जरिए मनी ऑर्डर भेजा जाने लगा।
  • हाल ही में केन्द्र सरकार ने डाक विभाग को मजबूत बनाने के लिए अनेक कदम उठाये हैं। इनमें आईटी आधुनिकीकरण परियोजना, सेवा में सुधार के लिए प्रोजेक्ट ऐरो (Project Arrow) और नेटवर्क सुधार के लिए डाक नेटवर्क का सर्वाधिक उपयोग योजना (एमएनओपी) और चिट्ठियों की तेज छटनी के लिए स्वचालित डाक प्रोसेसिंग केन्द्र अहम हैं।
  • सभी प्रकार के पत्र, स्पीड पोस्ट, रजिस्ट्री और पार्सल के साथ-साथ मनी ऑर्डर के लिए ट्रैक (Track) और ट्रैस (Trace) सुविधा का भी विस्तार किया गया है।
  • सरकार के मुताबिक 27,215 डाकघरों, डाक कार्यालयों और प्रशासनिक कार्यालयों को देश व्यापी वाइड एरिया नेटवर्क या वैन (Wide Area Network-WAN) से जोड़ा गया है।
  • सरकार ने निजी कंपनियों से प्रतिस्पर्द्धा करने के लिए एक्सप्रेस पार्सल, बिजनेस पार्सल, कैश ऑन डिलीवरी, ऑनलाइन मनी ट्रांसफर सेवा, इंस्टेंट मनी ऑर्डर और ई-ग्रीटिंग जैसी नई सेवाएँ भी शुरू की हैं।
  • हाल ही में सरकार ने मोबाइल यूजर्स के लिए मोबाइल ऐप भी शुरू किया है।
  • डाक विभाग को और ज्यादा सुलभ बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 1 सितंबर 2018 को इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (India Post Payments Bank-IPPB) की शुरूआत की। आपका बैंक आपके द्वारके नारे से शुरू हुआ आइपीपीबी आज देश के दूर दराज के ग्रामीण इलाकों तक पहुँच चुका है। वर्तमान में आइपीपीबी खातों की संख्या एक करोड़ से ज्यादा हो गई है और इससे डाकघर बचत के 20 करोड़ बैंक खातों को भी जोड़ा जा रहा है।
  • आइपीपीबी की एक खूबी यह भी है कि इसके खातों से पीएलआई, आरपीएलआई, सुकन्या समृद्धि खाता, पीपीएफ और रिकरिंग डिपॉजिट के साथ दूसरी स्कीमों में डिजिटल भुगतान हो रहा है।
  • डाक विभाग ने चुनिंदा शहरों में जीआईएस (Geographic Information Systems) मैपिंग के जरिए डाक वितरण की पहल भी शुरू की है। डाक विभाग आज म्युचुअल फंड (Mutual Fund) की रिटेलिंग, डाक जीवन बीमा और बैंकिंग क्षेत्र तक अपने पैर पसार चुका है।

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