नवें वित्त आयोग का गठन एवं सिफारिशें | 9th Finance Commission in Hindi
नवें वित्त आयोग का गठन एवं सिफारिशें
वित्त आयोग के योगदान का वर्णन नवें वित्त आयोग की सिफारिशों के वर्णन के बिना अधूरा रह जायेगा। अतः हम इन सिफारिशों के सम्बन्ध में कुछ कहना आवश्यक समझते हैं :
नवें वित्त आयोग का गठन
- नवें वित्त आयोग का गठन श्री एन. के. पी. सालवे (N.K.P. Salve) की अध्यक्षता में जून, 1987 में हुआ। इस आयोग के अन्य सदस्य थे न्यायमूर्ति अब्दुल सत्तार कुरैशी, डॉ० राजा चल्लैहा, श्री लालथारीवाला, तथा श्री महेश प्रसाद ।
- नवें वित्त आयोग के विचार के विषय पहले सभी वित्त आयोगों की अपेक्षा अधिक विस्तृत थे।
- इस आयोग को अतिरिक्त शुल्कों को पट्टे पर देने तथा इस शुल्क के अंश को राज्यों में वितरित करने के लिये सूत्र विकसित करने के लिये कहा गया।
- पंचवर्षीय योजना से संबंधित सिफारिशों को वित्त आयोग की सिफारिशों से समान अवधि का बनाने के लिये, नवें वित्त आयोग को अपने प्रतिवेदन को दो भागों में देने के लिए कहा गया। पहले भाग में 1989-90 वर्ष के लिये सिफारिश हों। दूसरे भाग में आठवीं पंचवर्षीय योजना ( 1990-95 ) के सम्बन्ध में सिफारिशें हो।
- आयोग द्वारा विचारणीय विषयों में यह भी सम्मिलित किया गया कि 31 मार्च, 1989 तक राज्यों की ऋण की स्थिति को निर्धारित किया जाये तथा केन्द्र की वित्तीय आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर इस स्थिति में सुधार के पग भी सुझाये जायें।
- आयोग ने अपने प्रथम प्रतिवेदन में कहा कि हम अपने राजस्व तथा व्यय की दर को इस प्रकार लक्ष्य बनायेंगे कि 1994-95 के अन्त तक राजस्व का घाटा पूरा हो जाए। इस राजस्व के घाटे को विभिन्न चरणों में पूरा किया जायेगा। इसे राजस्व व्यय के अनुपात को कम करके तथा राजस्व अनुपात में वृद्धि करके पूरा किया जायेगा ।
- नवें वित्त आयोग ने यह सिफारिश की कि राजस्व को बढ़ाया जाना चाहिए तथा व्यय में कटौती की जानी चाहिए। राज्यों को और अधिक कर लगाने की शक्तियाँ दी जानी चाहिए। नवें वित्त आयोग ने राज्यों में करों से प्राप्त राजस्व के बंटवारे के लिए निर्धनता की रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या को ध्यान में रखा। इससे पहले वाले आयोग राज्यों के अंश को निर्धारित करने के लिए राष्ट्रीय औसत से पिछड़ेपन का निर्धारण करते थे। किन्तु इस आयोग ने एक बहुत ही तर्कसंगत मानदण्ड चुना है।
- आयोग ने नशाबन्दी अपनाने वाले राज्यों के लिए राजस्व में आने वाली कमी के कुछ अंश को पूरा करने के लिए केन्द्र से ध्यान देने की सिफारिश भी की है। नवें वित्त आयोग ने कहा कि विशेष योजनाओं को बनाते समय राज्यों को राजस्व बढ़ाने के निर्णय की ओर भी ध्यान देना चाहिए। आयोग ने यह बात सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को विकसित करने के सम्बन्ध में कही है। आयोग ने कहा है कि राज्यों को अपने राजस्व को बढ़ाने के सम्बन्ध में भी पग उठाने चाहिए। उन्हें अपने बोझ को अन्य राज्यों के लोगों पर डालने के प्रयत्न नहीं करने चाहिए।
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