बजट उत्पत्ति, अर्थ, महत्व, सिद्धान्त तथा प्रकार |Budget Evolution, Meaning, Significance, Principles, Types in Hindi

 बजट : उत्पत्ति, अर्थ, महत्व, सिद्धान्त तथा प्रकार 

(Budget : Evolution, Meaning, Significance, Principles, Types)

बजट : उत्पत्ति, अर्थ, महत्व, सिद्धान्त तथा प्रकार  (Budget : Evolution, Meaning, Significance, Principles, Types)


 बजट : उत्पत्ति, अर्थ, महत्व, सिद्धान्त तथा प्रकार

वित्त प्रशासन किसी भी प्रशासकीय व्यवस्था का अभिन्न अंग माना जाता है। सरकार के कार्यक्रमों, परियोजनाओं को प्रभावशाली रूप से लागू करने के लिए प्रशासन काफी हद तक वित्तीय प्रबन्ध की गुणवत्ता पर निर्भर करता है । राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सरकार की साख वित्त प्रशासन पर निर्भर करती है। प्रजातन्त्र, समाजवाद, उदारवाद आदि अवधारणाओं को वित्त प्रशासन ही अर्थ प्रदान करता है। लॉयड जार्ज ने तो सरकार को ही वित्त मान लिया है। कौटिल्य ने कहा है कि सभी उद्यम वित्त पर निर्भर करते हैं इसलिए सर्वाधिक ध्यान सार्वजनिक कोष पर रखना चाहिए। आधुनिक युग में सरकार के व्यय से असाधारण वृद्धि होने के कारण यह आवश्यक हो गया है कि श्रेष्ठ वित्तीय सिद्धान्त, उपकरण तथा पद्धति एवं प्रक्रिया का विकास किया जाए ताकि धन का सदुपयोग हो सके और अपव्यय, व्यर्थता, फिजूलखर्ची, धोखाधड़ी, दोहरापन और घपलों को रोका जा सके। भारत जैसे विकासशील देशों में वित्त प्रशासन आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण का कार्य भी करता है।

 

एम. जे. के. थावराज ने वित्त प्रशासन की तुलना शरीर की रक्त संचार व्यवस्था से की है। जिस प्रकार संचार व्यवस्था रक्त को संचालित एवं नियंत्रित करता है, उसी प्रकार वित्त प्रशासन भी प्रशासन के शरीर में धन द्वारा प्रत्येक अंग को जीवन शक्ति पहुँचाकर जीवित रखता है तथा उसकी कार्यक्षमता बढ़ाता है। "उनके अनुसार वित्त प्रशासन उस व्यवस्था से संबंधित है जो संस्थाओं को सुरक्षित रखने तथा उनकी वृद्धि करने के लिए आवश्यक धन के साधनों को उत्पन्न, नियन्त्रित तथा वितरित करता है।" इस प्रकार वित्त प्रशासन अब प्रशासकीय व्यवस्था का सहभागी बन गया है। इसके मुख्य अभिकरणों में (i) विधानपालिका (ii) कार्यपालिका (iii) योजना आयोग और (iv) लेखा परीक्षा आदि शामिल हैं। वित्त प्रशासन मुख्यतया बजट के माध्यम से कार्य करता है।

 

बजट क्या होता है (Budget) 

  • बजट प्रशासन का एक महत्त्वपूर्ण उपकरण है। इसे वित्तीय प्रशासन का केन्द्र बिन्दु माना जाता है। यह कार्यपालिका पर व्यवस्थापिका द्वारा नियंत्रण करने का प्रभावशाली साधन है। इससे राज्य की वित्तीय अवस्था का ज्ञान होता है तथा सरकार की आय और व्यय सम्बन्धी नीति का पता चलता है। यह कुशल राजस्व प्रबन्ध का आधार है। 


  • समाज विज्ञान विश्वकोश (Encyclopaedia of Social Sciences) के अनुसार, "बजट प्रणाली का वास्तविक महत्त्व इस कारण है कि यह किसी सरकार के वित्तीय मामलों में क्रमबद्ध प्रशासन की व्यवस्था करता है। राजस्व सम्बन्धी प्रबन्ध में अनेक क्रियाओं की एक विस्तार श्रृंखला रहती है, जैसे राजस्व तथा व्यय का अनुमान, राजस्व तथा विनियोग अधिनियमों का लेखा प्रशिक्षण तथा प्रतिवेदन। इन क्रियाओं का संचालन वर्णन डब्ल्यू एफ. विलोबी ने इस प्रकार किया है, "पहले तो एक निश्चित समय प्रायः एक वर्ष के लिए सरकारी प्रशासन को चलाने के लिए जिन व्ययों की आवश्यकता होती है, उनका अनुमान लगाया जाता है, और इन व्ययों की पूर्ति के लिए धन के प्रबन्ध सम्बन्धी प्रस्ताव होते हैं। इन अनुमान के आधार पर राजस्व तथा विनियोग अधिनियम पारित किये जाते हैं, जो स्वीकृत कार्यों के लिए वैद्य अधिकार प्रदान करते हैं। इसके आधार पर विभिन्न कार्यरत विभागों द्वारा राजस्व एवं विनियोग खाते खोले जाते हैं और इस प्रकार स्वीकृत धन का व्यय प्रारम्भ होता है। लेखा परीक्षण तथा लेखा विभाग यह देखने के लिए इन लेखों की जाँच करता है कि वे ठीक हैं या नहीं, वास्तविक तथ्यों से संगति रखते हैं या नहीं और विधि के सभी प्रावधानों के अनुरूप हैं या नहीं। इसके बाद इन लेखाओं से प्राप्त सूचनाओं का सारांश निकाला जाता है और प्रतिवेदनों के रूप में उनको प्रकाशित किया जाता है। अन्त में इसके आधार पर अगले वर्ष के लिए नए अनुमान तैयार किए जाते हैं, और फिर वही चक्र पुनः आरम्भ हो जाता है। इस प्रक्रिया में बजट ही वह तन्त्र है, जिसके द्वारा एक ही समय में कई क्रियायें पारस्परिक रूप से सम्बद्ध की जाती हैं, और उनकी तुलना तथा परीक्षा की जाती है। इस प्रकार बजट राजस्वों तथा व्ययों का अनुमान मात्र न होकर कुछ और अधिक होता है। यह एक प्रतिवेदन, एक अनुमान तथा प्रस्ताव, एक प्रलेख होता है जिसके माध्यम से कार्यपालिका, जो प्रशासन के संचालन के लिए उत्तरदायी सत्ता है, संसद के सामने विगत वर्ष की कार्यप्रणाली का लेखा जोखा, सरकारी कोष की वर्तमान स्थिति और आने वाले वित्तीय वर्ष के कार्यक्रमों के लिए आय व्यय के प्रस्ताव पेश करती है। अतः बजट कार्य सम्बन्धी एक योजना है। वह आगामी वित्तीय वर्ष के लिए मुख्य कार्यपालिका के कार्यक्रम को प्रतिबिम्बित तथा स्पष्ट करता है। यह सरकार के राजस्व तथा व्यय के विवरण मात्र से कहीं अधिक व्यापक वस्तु है। इसके मुख्य कार्यों में नियन्त्रण, प्रबन्धन, नियोजन, समन्वय आदि शामिल हैं । हूवर कमीशन ने बजट को सार्वजनिक नीति के नट और बोल्ट बताया है।

 

बजट के प्रकार (Types of Budget)

 

बजट को मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रकारों में उल्लेखित कर सकते हैं:

 

1. परम्परागत बजट (Traditional / Line - Item Budget) 

2. निष्पादन बजट (Peformance Budget) 

3. कार्यक्रम बजट (Programme Budget) 

4. शून्य आधारित बजट (Zero Base Budget) 

5. परिणाम बजट ( Outcome Budget)

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