चम्पारण ऐतिहासिक स्थल की जानकारी एवं महत्वपूर्ण तथ्य| Champaran Historic Place GK and Fact in Hindi
चम्पारण ऐतिहासिक स्थल की जानकारी एवं महत्वपूर्ण तथ्य Champaran Historic Place GK and Fact in Hindi
चम्पारण ऐतिहासिक स्थल की जानकारी
चम्पारण बिहार प्रान्त का एक जिला था. अब पूर्वी चम्पारण और पश्चिमी चम्पारण नाम के दो जिले हैं. भारत और नेपाल की सीमा से लगा यह क्षेत्र स्वाधीनता संग्राम के दौरान काफी सक्रिय रहा है. महात्मा गांधी ने अपनी मशाल यहीं से अंग्रेजों के खिलाफ नील आंदोलन से जलाई थी. बेतिया पश्चिमी चम्पारण का जिला मुख्यालय है और मोतिहारी पूर्वी चम्पारण का. चम्पारण से 35 किलोमीटर दूर दक्षिण साहेबगंज- चकिया मार्ग पर लाल छपरा चौक के पास अवस्थित है प्राचीन ऐतिहासिक स्थल केसरिया यहाँ एक वृहद् बौद्धकालीन स्तूप है जिसे केसरिया स्तूप के नाम से जाना जाता है.
चम्पारण ऐतिहासिक स्थल प्रमुख तथ्य
- ऐतिहासिक दृष्टिकोण से पश्चिमी चंपारण एवं पूर्वी चम्पारण एक है. चम्पारण का बाल्मीकीनगर देवी सीता की शरणस्थली होने से अति पवित्र है वहीं दूसरी ओर गांधीजी का प्रथम सत्याग्रह भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास का अमूल्य पन्ना है. राजा जनक के समय यह तिरहुत प्रदेश का अंग था, जो बाद में छठी सदी ईसापूर्व में वैशाली के साम्राज्य का हिस्सा बन गया. अजातशत्रु के द्वारा वैशाली को जीते जाने के बाद यह मौर्य वंश, कण्व वंश, शुंग वंश, कुषाण वंश तथा गुप्त वंश के अधीन रहा.
- सन् 750 से 1155 के बीच पाल वंश का चम्पारण पर शासन रहा.
- इसके बाद मिथिला सहित समूचा चम्पारण प्रदेश सिमराँव के राजा नरसिंहदेव के अधीन हो गया.
- बाद में सन् 1213 से 1227 ईस्वी के बीच बंगाल के गयासुद्दीन एवाज ने नरसिंह देव को हराकर मुस्लिम शासन स्थापित किया.
- मुसलमानों के अधीन होने पर तथा उसके बाद भी यहाँ स्थानीय क्षत्रपों का सीधा शासन रहा.
- मुगल काल के बाद के चम्पारण का इतिहास बेतिया राज का उदय एवं अस्त से जुड़ा है.
- बादशाह शाहजहाँ के समय उज्जैन सिंह और गज सिंह ने बेतिया राज की नींव डाली. मुगलों के कमजोर होने पर बेतिया राज महत्वपूर्ण बन गया और शानो-शौकत के लिए अच्छी ख्याति अर्जित की.
- 1763 ईस्वी में यहाँ के राजा धुरुम सिंह के समय बेतिया राज अंग्रेजों के अधीन काम करने लगा.
- इसके अंतिम राजा हरेन्द्र किशोर सिंह के कोई पुत्र न होने से 1897 में इसका नियंत्रण न्यायिक संरक्षण में चलने लगा, जो अब तक कायम है.
- हरेन्द्र किशोर सिंह की दूसरी रानी जानकी कुँवर के अनुरोध पर 1910 में बेतिया महल की मरम्मत कराई गई थी.
- बेतिया राज की शान का प्रतीक यह महल आज यह शहर के मध्य में इसके गौरव का प्रतीक बनकर खड़ा है.
- उत्तर प्रदेश और नेपाल की सीमा से लगा यह क्षेत्र भारत के स्वाधीनता संग्राम के दौरान काफी सक्रिय रहा है.
- स्वतंत्रता आन्दोलन के समय चम्पारण के ही एक रैयत श्री राजकुमार शुक्ल के आमंत्रण पर महात्मा गांधी अप्रैल 1917 में मोतिहारी आए और नील की खेती से त्रस्त किसानों को उनका अधिकार दिलाया.
- अंग्रेजों के समय 1866 में चम्पारण को स्वतंत्र इकाई बनाया था. प्रशासनिक सुविधा के लिए 1972 में इसका विभाजन कर पूर्वी चम्पारण और पश्चिमी चम्पारण बना दिए गए.
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