चन्द्रगुप्त मौर्य ऐतिहासिक व्यक्तित्व के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी | Chandragupta Maurya Important GK Fact in Hindi
चन्द्रगुप्त मौर्य ऐतिहासिक व्यक्तित्व के बारे में जानकारी Chandragupta Maurya Important GK Fact in Hindi
चन्द्रगुप्त मौर्य ऐतिहासिक व्यक्तित्व के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी (322-298 BC)
चन्द्रगुप्त मौर्य, मौर्य वंश के प्रथम राजा और संस्थापक थे. इनकी माता का नाम मूर था जिस का संस्कृत में अर्थ मौर्य है इसीलिए इस वंश का नाम मौर्य वंश पड़ गया. चन्द्रगुप्त मौर्य की उत्पत्ति के सम्बन्ध में अनेक विद्वानों ने अलग-अलग मत प्रकट किए हैं. जस्टिन और यूनानी विद्वानों ने 'सेण्ड्रोकोट्टस' के नाम से उसका उल्लेख किया है. विलियम जोन्स पहले विद्वान् थे जिन्होंने सिद्ध किया कि 'सेण्ड्रोकोट्टस' ही चन्द्रगुप्त मौर्य था.
चन्द्रगुप्त मौर्य ऐतिहासिक व्यक्तित्व के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
- 'चन्द्रगुप्त' नाम का उल्लेख रूद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख में मिलता है.
- सेल्यूकस ने अपने दूत मेगस्थनीज को चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा. इसने INDICA नामक पुस्तक लिखी.
- चन्द्रगुप्त मौर्य के समय की मुद्रा पंचमार्क या आहत सिक्के.
- विद्वानों के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य केवल 25 वर्ष का था जब उसने नन्दा के राजा धाना नन्द को पराजित कर पाटलिपुत्र पर कब्जा कर लिया था.
- सबसे पहले इसने अपनी शक्तियाँ भारत गंगा के मैदानों में स्थापित की और बाद में वह पश्चिमी उत्तर की तरफ बढ़ गया.
- चन्द्रगुप्त ने शीघ्र ही पंजाब के पूरे प्रांत पर विजय प्राप्त की.
- सेल्यूकस निकेटर अलेक्जेंडर के यूनानी अधिकारी ने उत्तर के दूरत्तम में कुछजमीन पर अपनी पकड़ बना ली.
- अतः, चन्द्रगुप्त मौर्य को उसके खिलाफ एक लम्बा युद्ध करना पड़ा और अंत में 305 BC के लगभग उसे हरा दिया और एक संधि पर हस्ताक्षर किए गए.
- इस संधि के अनुसार, सेल्यूकस निकेटर ने सिंधु के पार के क्षेत्र सौंपे नामतः आरिया (हृदय), अर्कोजिया (कंधार), गेड्रोसिया (बलूचिस्तान) और परोपनिशे (काबुल) मौर्य साम्राज्य को दे दिया गया और बदले में चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस को 500 हाथी भेंट स्वरूप दिए.
- सेल्यूकस ने अपनी पुत्री भी मौर्य राज कुमार को दे दी या यह माना जाता है कि चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस की पुत्री (यूनानी मकेदोनियन राजकुमारी) से विवाह किया ताकि इस गठबंधन को पक्का कर लिया जाए "इस तरह उसने सिंधु प्रांत पर नियंत्रण पा लिया जिसका कुछ भाग अब आधुनिक अफगानिस्तान' में है. बाद में चन्द्रगुप्त मौर्य मध्य भारत की तरफ चला गया और नर्मदा नदी के उत्तर प्रांत पर कब्जा कर लिया.
- इस संधि के अलावा, सेल्यूकस ने मगस्थेनेस को चन्द्रगुप्त मौर्य और दैमकोस को बिन्दुसार के सभा में यूनानी दूत बनाकर भेजा. चन्द्रगुप्त ने अपने जीवन के अंत में जैन धर्म को अपना लिया और अपने पुत्र बिन्दुसार के लिए राजगद्दी छोड़ दी.
- बाद में चन्द्रगुप्त, भद्रबाहु के नेतृत्व में जैन संतों के साथ मैसूर के निकट सवना बेलगोला चले गए और अपने आप को भूखा रखकर जैन प्रथा के अनुसार मृत्यु (संथारा) प्राप्त की.
- चन्द्रगुप्त मौर्य के शत्रुओं के विरोध में चाणक्य की चली गई चालें उनके नाटक मुद्राराछस में मिलती हैं. जिसकी रचना विशाखादत्त ने की.
- रुद्रदामन के गिरनार अभिलेख से ज्ञात होता है कि मौर्य ने सौराष्ट्र तक का प्रदेश जीतकर सीधा प्रशासन अपने हाथ में लिया था. इसी प्रदेश में पुष्यगुप्त चन्द्रगुप्त का राज्यपाल था और यहीं पर सुदर्शन झील का निर्माण कराया था.
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