दैमाबाद ऐतिहासिक स्थल के बारे में जानकारी | Daimabad History Fact in Hindi
दैमाबाद ऐतिहासिक स्थल के बारे में जानकारी
दैमाबाद ऐतिहासिक स्थल के बारे में जानकारी
दैमाबाद महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में
गोदावरी नदी की सहायक नदी प्रवरा की घाटी में स्थित है. यह सिन्धु सभ्यता का अंतिम
दक्षिणी स्थल है. दैमाबाद से उत्तर- हड़प्पा के बाद के ताम्र पाषाणयुगीन जीवन-यापन
के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं. दैमाबाद का स्थान इसलिए विशेष महत्व है क्योंकि
महाराष्ट्र के आद्य इतिहास सम्बन्धी जीवन-यापन का आधारभूत अनुक्रम यहीं से प्राप्त
हुआ है.
दैमाबाद महत्वपूर्ण तथ्य - Daimabad History Fact in Hindi
- दैमाबाद का सबसे प्रारम्भिक काल ऐसे सांस्कृतिक स्तर का प्रतिनिधित्व करता है, जिस पर कुछ विद्वानों के अनुसार सिंधु सभ्यता का कुछ प्रभाव लक्षित होता है, विशेषतः उसके परवर्ती चरण का, जो पश्चिमी भारत में पाया गया है.
- दूसरे कालखण्ड का सम्बन्ध दक्षिण में पाई गई है, जिसे जोर्वे संस्कृति कहा जाता है, जो ठेठ महाराष्ट्र की संस्कृति है. साधारणतः इस संस्कृति की तिथि ईसा पूर्व 1400 और 1000 के बीच निर्धारित की जाती है.
- दैमाबाद के घर वर्गाकार, आयताकार या वृत्ताकार होते थे दीवारें मिट्टी और गारा मिलाकर बनाई जाती थी. और उसमें लकड़ी के डण्डों की टेक दी जाती थी. मृद्भाण्ड के डिजाइन बहुधा ज्यामितीय है. जिनमें तिरछी समानांतर रेखाओं का प्रयोग किया गया है.
- टोंटीदार नलीवाले लाल तल पर काले डिजाइन वाले मृद्भाण्ड प्रचलित थे. अल्पमूल्य रत्न भी मिले हैं. लघु-अश्मों के अतिरिक्त ताम्र की एक सूई, टूटा हुआ चाकू व कुल्हाड़ी के भाग मिले हैं. एक कुत्ते व कूबड़दार साँड की मूर्तियाँ भी प्राप्त हुई हैं.
- दैमाबाद में ताँबे की 4 वस्तुएँ मिली हैं.. रथ चलाते हुए मनुष्य, साँड़, गेंडे और हाथी की आकृतियाँ, जिनमें प्रत्येक ठोस धातु की बनी हैं. उनका वजन कई किलो है, परन्तु ये वस्तुएं उत्खनित स्तरीकृत सन्दर्भ की हैं, इसमें संदेह है.
- कालखण्ड दैमाबाद के प्रथम कालखण्ड में बस्तियों के बीच ही शवाधान मिले, जिनके सिर उत्तर दिशा की ओर था. कालखण्ड द्वितीय में भी विस्तारित शवाधान उत्तर-दक्षिण दिशा में रखे गये थे. शिशु अस्थि कलशों में दफनाए जाते थे.
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