ग्यारहवां वित्त आयोग की प्रमुख सिफारिशें | Eleventh Finance Commission in Hindi
ग्यारहवां वित्त आयोग की प्रमुख सिफारिशें
ग्यारहवां वित्त आयोग की प्रमुख सिफारिशें
2000-2005 अवधि के लिए प्रो. ए. एम. खुसरो की अध्यक्षता वाले 11वें वित्त आयोग ने तीन चरणों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, अंतरिम रिपोर्ट 15 जनवरी, 2000 को अन्तिम रिपोर्ट 7 जुलाई, 2000 को एवं पूरक रिपोर्ट 31 अगस्त, 2000 को आयोग द्वारा राष्ट्रपति को प्रस्तुत की गई। 7 जुलाई 2000 आयोग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट की सिफारिशें सरकार द्वारा संसद में 27 जुलाई, 2000 को प्रस्तुत की गई।
आयोग की प्रमुख सिफारिशें निम्नलिखित हैं :
- 2000-2001 से 2004-2005 की अवधि में निबल केन्द्रीय कर राजस्व के 29.5 प्रतिशल भाग का राज्यों को हस्तान्तरण
- राज्यों को हस्तान्तरित की जाने वाली राजस्व राशि की अधिकतम सीमा केन्द्र के सकल कर एवं गैर-कर राजस्व का 37.5 प्रतिशत।
- स्थानीय निकायों के लिए प्रतिवर्ष 2000 करोड़ रूपए का केन्द्रीय अनुमान जिसमें 1600 करोड़ रूपये ग्रामीण निकायों के लिए व 400 करोड़ रूपये शहरी निकायों के लिए ।
- आतंकवादी गतिविधियों से निपटने के लिए पंजाब को दिए गए विशेष ऋणों का पुनर्भुगतान 2005 तक निलम्बित ।
- सेवाओं को व्यापक तौर पर कर के दायरे में लाने के साथ-साथ सेवा कर को समवर्ती सूची में शामिल करने का सुझाव
- राजकोष पर पेंशन का भार कम करने के उपाय तलाशने का सुझाव। इस संबंध में सेनाओं से सेनानिवृत्त लोगों को अन्य सरकारी विभागों में नियुक्त करने का सुझाव (क्योंकि पेंशन राशि का एक बड़ा भाग रक्षा क्षेत्र पर व्यय होता है।
- राजकोषीय घाटों को सीमित रखने के लिए बजटीय प्रणाली व बजट पर नियंत्रण का सुझाव
- नेशनल फंड फॉर कैलेमिटी रिलीफ (NECR) के स्थान पर एक नये नेशनल कैलेमिटी कंटिजेंसी फंड (NCCF) की स्थापना का सुझाव
- केन्द्रीय करों के राजस्व का राज्यों को हस्तांतरण के संदर्भ में आयोग का कहना है कि विभाजनीय केन्द्रीय करों एंव शुल्कों के शुद्ध राजस्व का 28% राज्यों को हस्तांतरित किया जाए और चीनी, तंबाकू एव टैक्सटाइल पर राज्यों द्वारा बिक्री कर न लगाए जाने के एवज में केन्द्रीय कर राजस्व का एक 1.5% भाग ( इस प्रकार कुल 29.5% भाग) राज्यों को हस्तांतरित किया जाए।
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