अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस , गरीबी क्या होती है ?
अंतर्राष्ट्रीय गरीबी
उन्मूलन दिवस 17 अक्तूबर
प्रतिवर्ष 17 अक्तूबर को
‘अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस’ का आयोजन किया जाता है। यह दिवस गरीबी में
जीवनयापन करने के लिये मज़बूर लोगों के संघर्षों को मान्यता देने का एक साधन है।
गौरतलब है कि 17 अक्तूबर, 1987 को गरीबी, भूख एवं हिंसा के
पीड़ितों को सम्मानित करने हेतु पेरिस के ‘ट्रोकाडेरो’ में एकत्र हुए लोगों द्वारा
‘गरीबी’ को मानवाधिकारों के उल्लंघन के रूप में घोषित किया गया था। साथ ही इसी दिन
वर्ष 1948 में
‘मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा’ पर भी हस्ताक्षर किये गए थे। इसके पश्चात्
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने22 दिसंबर, 1992 को ‘संकल्प-47/196’ को अपनाकर 17 अक्तूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस’ के रूप में
घोषित किया।
गरीबी क्या होती है ?
गरीबी को एक ऐसी स्थिति
के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें व्यक्ति जीवन के निर्वाह के लिये बुनियादी
आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ होता है। इन बुनियादी आवश्यकताओं में शामिल
हैं- भोजन, वस्त्र और घर।
चरम गरीबी अंततः मृत्यु
की ओर ले जाती है। भारत में उपभोग और आय दोनों के आधार पर गरीबी के स्तर का आकलन
किया जाता है।
उपभोग की गणना उस धन के
आधार पर की जाती है जो एक परिवार द्वारा आवश्यक वस्तुओं पर खर्च किया जाता है और
आय की गणना उस परिवार द्वारा अर्जित आय के अनुसार की जाती है।
एक और महत्त्वपूर्ण
अवधारणा जिसका उल्लेख किया जाना ज़रूरी है, वह है गरीबी रेखा की अवधारणा। यह गरीबी रेखा भारत में गरीबी
के मापन के लिये एक बेंचमार्क का काम करती है।
गरीबी रेखा को आय के उस
अनुमानित न्यूनतम स्तर के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो परिवार को जीवन की
मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम हो।
2014 तक गरीबी रेखा का
निर्धारण ग्रामीण इलाकों में 32 रुपए प्रतिदिन और कस्बों तथा शहरों में 47 रुपए प्रतिदिन के हिसाब
से निर्धारित की गई थी।
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