लोथल ऐतिहासिक स्थल के बारे में जानकारी (Lothal History Fact in Hindi)
लोथल ऐतिहासिक स्थल के बारे में जानकारी
लोथल अहमदाबाद जिले के ढोलका तालुका के सरगवाला गाँव में स्थित एक प्राचीन टीला है. लोथल शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'मृतकों का स्थान इस स्थल की खुदाई डॉ. एस. आर. राव ने 1955-62 ने हड़प्पा शहर (लगभग 2500-1900 ईसा पूर्व) के कई संरचनात्मक अवशेषों का पता लगाया.
गुजरात के पुरातात्विक स्थल लोथल में देश का पहला नैशनल मैरीटाइम हैरिटेज म्यूजियम कॉम्प्लेक्स बनने जा रहा है. इसके लिए सरकार ने ₹ 498 करोड़ की राशि दी है. केन्द्र सरकार की सागरमाला परियोजना के तहत बनने वाले म्यूजियम में ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया भी अहम भूमिका निभा रहा है. लोथल दुनिया का सबसे पहला बंदरगाह था, जो लगभग ढाई हजार साल पहले अस्तित्व में आया था. इसके ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए ही सरकार ने देश का मैरीटाइम हैरिटेज कॉम्प्लेक्स यहाँ बनाने का फैसला किया. इस हैरिटेज कॉम्प्लेक्स का पहला चरण जुलाई 2023 तक पूरा हो जाएगा.
लोथल ऐतिहासिक स्थल प्रमुख तथ्य ( Lothal Fact in Hindi)
लोथल से करीब 4,500 साल पहले समुद्री व्यापार बड़े स्तर पर होता था. 1954-55 ई. में यहाँ पर खोदाई हुई थी. यह खोदाई रंगनाथ राव के नेतृत्व में की गई, जिसमे समुद्री व्यापार के प्रमाण मिले थे.
खोदाई में लोथल बन्दरगाह मिला था. लोथल बन्दरगाह में मिस्र तथा मेसोपोटामिया से बड़े व्यापारिक जहाज आते जाते थे. यहाँ से मोती व कीमती गहने पश्चिम एशिया और अफ्रीका आदि में भेजे जाते थे.
मोहनजोदड़ो की तरह लोथल का भी अर्थ है, मुर्दों का टीला. लोथल खंभात की खाड़ी के पास भोगावो और साबरमती नदियों के बीच स्थित है.
सबसे पहले एक आयताकार बेसिन, जिसे डॉकयार्ड कहा जाता था, दिखाई देता है. 218 मीटर लम्बा और 37 मीटर चौड़ा यह बेसिन चारों तरफ से पक्की ईंटों से घिरा हुआ है. इसमें स्लूस गेट और इनलेट ( Sluice Gate & Inlet) के लिए जगह छोड़ी गई है.
पूरी बस्ती को एक गढ़ या एक्रोपोलिस और निचले शहर में विभाजित किया गया था, जो पश्चिमी तरफ 13 मीटर मोटी मिट्टी की ईंट की दीवार से बाढ़ से सुरक्षित थे. प्रमुख एक्रोपोलिस में रहते थे, जहाँ 3 मीटर ऊँचे प्लेटफार्मों पर मकान बनाए गए थे और सभी पवित्र सुविधाओं सहित पक्के स्नानघर, भूमिगत नालियाँ और पीने योग्य पानी के लिए एक कुआं प्रदान किया गया था.
निचला शहर दो क्षेत्रों में विभाजित था. मुख्य वाणिज्यिक केन्द्र जिसमें शिल्पकार रहते थे और अन्य आवासीय क्षेत्र है. सबसे उत्कृष्ट अवशेष एक बड़े टैंक हैं जिसे डॉक और गोदाम के रूप में पहचाना जाता है.
शौचालय और लोटे जैसे जार मिलने से यह पता चलता है कि स्वच्छता पर पर्याप्त जोर दिया जाता था.
इसके बाद एक प्राचीन कुआँ और एक भंडारगृह के अवशेष देखने को मिलते हैं. ऐसा लगता है जैसे यह शहर का ऊपरी हिस्सा या नगरकोट (Citadel) है.
लोथल की खोदाई में तराजू मिला था. इससे भी यह प्रमाण मिलता है की सिंधु घाटी सभ्यता व्यापारिक सभ्यता थी. सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का मुख्य भोजन गेहूँ और जौ था. उस दौर के लोग मीठे के लिए शहद खाया करते थे.
हड़प्पासमुद्रीव्यापारकाप्रमुखकेन्द्रथालोथलयहाँपरअर्द्धकीमतीरत्नों, टेराकोटा, सोने आदि से बने मनके मोती सुमेर (आधुनिक इराक), बहरीन और ईरान जैसे क्षेत्रों में भी लोकप्रिय थे.
लोथल में मनके मोती बनाने वाले बेहद कुशल थे. यहाँ आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के संग्रहालय में लोथल में मिले मोती मनके रखे गए हैं.
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