परिणाम बजट |परिणाम बजट के चरण | Outcome Budget Details in Hindi

परिणाम बजट ( Outcome Budget)

परिणाम बजट |परिणाम बजट के चरण | Outcome Budget Details in Hindi
 

आउटकम बजट या परिणाम बजट

आउटकम बजट या परिणाम बजट सरकारी स्कीमों से जुड़ी अव्यवस्था को समाप्त करने की कार्ययोजना है। यह सरकारी विभागों की परियोजनाओं में देरी के लिए संसाधनों के दुरुपयोग के लिए जवाबदेही निश्चित करने की रणनीति है। यह मंत्रालयों के व्यक्तिगत व्ययपूर्व बजटों का संकलन है। यह उन विभागों की नकेल कसने वाली व्यवस्था है जो साल में सिर्फ बजट राशि के आबंटन के समय सक्रिय होते हैं और फिर पैसा हजम काम खत्म वाली अजगरी निद्रा में लीन हो जाते हैं। आउटकम बजट उस भविष्य की ओर बढ़ाया गया कदम हैजिसमें किसी प्रधानमंत्री को यह शर्मनाक स्वीकारोक्ति न जारी करनी पड़े कि केन्द्र से चले एक रुपये में सिर्फ 15 पैसे आम आदमी तक पहुँच पाते हैं। इसमें मुख्य ध्यान-

 

(i) योजनाओं तथा कार्यक्रमों के क्रियान्वयन पर दिया गया है। 

(ii) यदि कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में देरी होती है और लागत बढ़ने से हानि होती है तो उत्तरदायित्व तय करने के लिए व्यवस्था पर बल दिया जाए। 

(iii) पुराने कार्यक्रमों को अनिश्चित समय के लिए जारी नहीं रखा जा सकता और उनकी हर वर्ष स्वतन्त्र तथा गहन जाँच पड़ताल होनी चाहिए। वर्ष के अन्त में एक प्रश्न पूछा जाना चाहिए कि "क्या प्राप्त किया गया है?"

 

इस प्रकार आउटकम बजट विभिन्न मन्त्रालयों तथा विभागों की सफलताओं का रिपोर्ट कार्ड है। यह एक विधि है जिसके द्वारा- 

(i) पैसे के प्रवाह को निर्देशित किया जा सके।

(ii) स्कीमों के क्रियान्वयन पर नजर रखी जाए। 

(iii) स्कीम के वास्तविक परिणाम पर नजर रखी जाए।

 

भारत में संयुक्त प्रगतिशील सरकार ( UPA) का बहुचर्चित परिणाम बजट वित्तमंत्री पी. चिदंबरम द्वारा पहली बार संसद में 25 अगस्त2005 को प्रस्तुत किया गया। इस बजट में अलग-अलग मंत्रालयों के वित्तीय व्ययों की जानकारी देते हुए बताया गया कि किस मंत्रालय में कौन से मद पर कितना व्यय किया और क्या लक्ष्य प्राप्त किया। 751 पृष्ठीय इस दस्तावेज में 44 मंत्रालयों के 61 विभागों को सम्मिलित किया गया। रक्षाविदेश और संसदीय कार्य सहित नौ मंत्रालयों और विभागों की लगभग सभी योजनाओं का विवरण इस दस्तावेज में है। इसके अंतर्गत केन्द्रीय मंत्रालयों से लिखित प्रतिबद्धता ले ली गई है कि वह बजट राशि को वर्ष के दौरान किन परियोजनाओं और कार्यक्रमों पर खर्च करेंगे और हर तिमाही के बाद उस परियोजना का कितना हिस्सा पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। दूसरे शब्दों मेंमंत्रालय पहले की तरह अप्रैल में आबंटित बजट राशि लेकर आराम नहीं फरमा सकेंगे। ऐसा नहीं होगा कि वित्त वर्ष पूरा हो जाए और मंत्रालय अपने हिस्से की 80 प्रतिशत राशि का उपयोग ही न कर पाएंजैसा कि कई मंत्रालयों से शिकायत रही है। जो मंत्रालय निकम्मा साबित होगाउसे सजा के तौर पर अगले वित्त वर्ष में कम बजट धनराशि मिलेगी। उसकी सुस्ती और अक्षमता को दर्ज किया जाएगा। जिम्मेवार विभाग प्रमुखों के स्थानान्तरण होंगे। पूरे साल के दौरान योजना आयोग इस बात की निगरानी करेगा कि कौन सा मंत्रालय अपने खुद के निर्धारित लक्ष्यों पर खरा उतर रहा है और कौन नहीं।

 

परिणाम बजट के चरण (Steps of Outcome Budget) 

इसके मुख्य चरण इस प्रकार हैं:

 

(i) इसके अन्तर्गत हर साल की तरह फरवरी में आम बजट आएगाजिसमें अगले साल के लिए राज्यों और मंत्रालयों को संसाधन बंटेगे। 

(ii) फिर दूसरे आयाम के तौर पर मई-जून में आउटकम बजट आएगाजिसमें मंत्रालय लिखकर बतायेंगे कि वे साल के दौरान उस आवंटित बजट राशि द्वारा कौन कौन सी परियोजनाओं को किस समय मेंकितना पूरा करेंगे। 

(iii) फिर वित्तवर्ष के अंत में निष्पादन बजट पेश होगाजिसमें समीक्षा की जाएगी कि लक्ष्यों को किस हद तक पाया जा सका। इस त्रिआयामी ढांचे के अन्तर्गत परिणाम वितरणपारदर्शिता और सदपयोग के श्रेष्ठ प्रतिफल दिये जा सकेंगेऐसा माना जा रहा है।

 

परिणाम बजट की शुरुआत कृषि मंत्रालय की समीक्षा से की गई है। कृषि हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है किन्तु दसवीं पंचवर्षीय योजना की मध्यावधि समीक्षा हो या सरकार का वार्षिक आर्थिक सर्वेक्षणकृषि क्षेत्र का विस्तार ऋणात्मक नजर आता है। कृषि की उत्पादकता कम हो रही है। निवेशक की आर्थिक दुर्दशा ने वैज्ञानिक कृषि उत्पादन को ऋणात्मक दिशा में भेज दिया है। ऐसे में कृषि मंत्रालय का बजट समय से खर्च होना चाहिए जिससे उत्पादकता बढ़े किन्तु क्षेत्र की व्यय सम्बन्धी उदासीनता कष्टप्रद है। यदि वर्ष के अन्तिम महीने में ही सभी राशि खर्च होनी है तो वार्षिक उत्पादन के सकारात्मक परिणाम नहीं आयेंगे। इसी प्रकार एयर इंडिया के लिए पुराने विमानों का नवीनीकरण और नए की खरीद और इसी तर्ज पर इंडियन एयरलाइंस के लिए भी 468.74 करोड़ एवं 911.73 करोड़ रुपये के प्रावधान किए गए हैं किंतु आगे कहा गया कि 50 विमानों की खरीद के लिए सरकार का अनुमोदन 2005-06 तक मिल जाने की आशा है। बजट व्यवस्था होने के बावजूद आवश्यक विमानों की खरीद करने में सरकारी अनुमति मिलने में इतना विलंब है तो निर्धारित पैसे भी समय सीमा में कैसे खर्च हो सकते हैंपरिणाम बजट केवल प्रशासनिक नहीं राजनीतिक निर्णय होने में विलंब की ओर संकेत करता है।

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