ध्रुवीय ज्योति और चुंबकीय तूफान |मौसम और जलवायु |Polar flame and magnetic storm

 ध्रुवीय ज्योति और चुंबकीय तूफान , मौसम और जलवायु 

ध्रुवीय ज्योति और चुंबकीय तूफान |मौसम और जलवायु |Polar flame and magnetic storm


ध्रुवीय ज्योति और चुंबकीय तूफान 

  • ध्रुवीय ज्योति उच्च अक्षांशीय ध्रुवीय तथा उपध्रुवीय प्रदेशों की एक महत्वपूर्ण हैं घटना है। उच्च अंक्षाशों में रात में आकाश में रंग बिरंगा प्रकाश नजर आता है। यह प्रकाश कभी-कभी घूमती हुई प्रकाश किरणों के रूप में भी देखा जाता है। इसकी उत्पत्ति सूर्य से आने वाले आवेशित कणों के पृथ्वी की ओर आने के कारण र चुंबकीय क्षेत्र में 100 कि.मी. ऊंचाई पर होती है । यह लक्षण सौर कलंकों की अधिकता की अवधि में अधिक प्रबल होता है। 
  • सौर कलंक सूर्य के तल पर पाए जाने वाले धब्बों को कहते हैं । इन धब्बों का 11 सालों का एक चक्र होता है। जब सूर्य के तल पर उपस्थित धब्बे अत्यधिक बड़े होते हैं तथा इनकी संख्या अधिकतम होती है तब ध्रुवीय ज्योतिउत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में उच्च अक्षांशों पर दिखाई देती है। जो ध्रुवीय ज्योति उत्तरी गोलार्द्ध में दिखाई देती हैं उन्हें Aurora Borea lis कहते हैं। इसके विपरीत दक्षिणी गोलार्द्ध में इन्हें Aurora Australis कहते हैं । 

  • ध्रुवीय ज्योति का सौर गतिविधियों के साथ व्युत्क्रम संबंध है। ध्रुवीय ज्योतिध्रुवों से 20° तक के क्षेत्रों जैसे उत्तरी कनाडाउत्तरी रूस और ग्रीनलैंड में दिखाई देती हैं। जब सौर पवनें सूर्य में उपस्थित धब्बों से निकलने वाले उच्च ऊर्जा कणों को लेकर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं तो ये कण चुंबकीय मंडल को पार करके वैन ऐलन विकिरण पेटी में प्रवेश करते हैं। अधिक ऊर्जा वाले इन कणों की काफी मात्रा चुंबकीय ध्रुवीय धरातल के वायुमंडल में समाप्त हो जाती हैं। इन कणों का गैसों के अणुओं के साथ टकराव होने पर विद्युत चुम्बकीय विकिरण उत्सर्जित होने से ध्रुवीय ज्योति की उत्पत्ति होती है ।

 

  • चुंबकीय तुफानों से अर्थ है पृथ्वी के चुंबकत्व में कुछ तीव्र तथा अस्थाई परिवर्तनों का होना। इनकी उत्पत्ति का संबंध सौर कलंकों तथा सूर्य की क्रियाशीलता के साथ माना जाता है । इन परिस्थितियों में ध्रुवीय प्रकाश भी अधिक तीव्र होते हैं। ये तूफान पृथ्वी पर दूरसंचार तथा चुंबकीय सर्वेक्षण में भी बाधा डालते हैं। सौर स्थिरांक में आने वाले इन परिवर्तनों के कारण धरातल पर प्राप्त सौर ऊर्जा की मात्रा में 5 प्रतिशत तक परिवर्तन देखने को मिलता है।

 

मौसम और जलवायु 

  • मौसम किसी निश्चित समय एवं स्थान पर वायुमंडलीय परिस्थितियों का योग है। मौसम के मूल तत्व हैं तापमानआर्द्रता और पवनें । अतः समय-समय पर इनमें परिवर्तन होने के कारण मौसम में भी परिवर्तन होता रहता है । अर्थात मौसम समय और स्थान विशिष्ट होता है। 
  • किसी प्रदेश अथवा क्षेत्र की जलवायु से अभिप्राय उस क्षेत्र में दीर्घकाल में कुल या औसत मौसमी परिस्थितियां हैं। जलवायु लंबी अवधि जैसे 50 या 100 सालों की औसत परिस्थितियों पर आधारित होती है । किसी स्थान की जलवायु तब तक समान रहती है जब तक वहां के तापमानआर्द्रता एवं वर्षण में समुचित परिवर्तन नहीं होता अतः जलवायु किसी क्षेत्र में लंबी समयावधि में हुए वायुमंडलीय परिस्थितियों से संबंधित है जबकि मौसमसमय और स्थान से संबंधित होता है ।

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