सोपारा ऐतिहासिक स्थल की जानकारी एवं महत्वपूर्ण तथ्य | Sopara Historic Place GK and Fact in Hindi

सोपारा ऐतिहासिक स्थल की जानकारी एवं महत्वपूर्ण तथ्य 

सोपारा ऐतिहासिक स्थल की जानकारी एवं महत्वपूर्ण तथ्य | Sopara Historic Place GK and Fact in Hindi
 

सोपारा ऐतिहासिक स्थल की जानकारी 

महाराष्ट्र के थाणे (थाना) जिले में स्थित यह स्थल प्राचीनकाल में पश्चिमी भारत का प्रसिद्ध बंदरगाह था. इसका नाम शूपारक भी मिलता है. वर्तमान में सोपारा नालासोपारा नामक उपनगर के पास स्थित है.

 

सोपारा ऐतिहासिक स्थल प्रमुख तथ्य

 

  • प्राचीनकाल में यह भारत के पश्चिमी तट का सबसे बड़ा नगर था जहाँ से मेसोपोटामिया, मिस्र, कोच्चि, अरब तथा पूर्वी अफ्रीका में व्यापार होता था. 
  • इसका प्राचीन नाम थूर्पारक है. 
  • महाभारत में इस स्थान का उल्लेख मिलता है. 
  • मौर्य शासक अशोक का एक शिलालेख यहाँ से मिला है. 
  • सोपारा का अभिलेख भारतीय ब्राह्मी लिपि में है, इसी ब्राह्मी से वर्तमान देवनागरी लिपि का विकास हुआ है. 
  • जबकि अशोक के अन्य अभिलेख जैसे शहबाजगढ़ी तथा मनसेहरा के अभिलेखों ब्राह्मी में न होकर खरोष्ठी में हैं.
  • सोपारा स्तूप में बुद्ध और साथ में एक अन्य बौद्ध भिक्षु की मूर्ति भी मिलती है. 
  • प्राचीन अपरानता राज्य की राजधानी होने का भी गौरव सोपारा को प्राप्त है. 
  • बौद्ध साहित्य 'महावंश' में उल्लेख है कि श्रीलंका के प्रथम राजा, विजय ने 'सप्पारका' से श्रीलंका के लिए समुद्र मार्ग से प्रस्थान किया था. प्राचीनकाल में सोपारा से नानेघाट, नासिक, महेश्वर होते हुए एक व्यापार मार्ग उज्जैन तक आता था. इस बात की पुष्टि नानेघाट में सातवाहन वंशीय राजाओं के शिलालेख से होती है, जो मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद हावी हो गए थे. सोपारा इनके आधीन आ गया था. 
  • शक सातवाहन युग में इस नगर का व्यापारिक महत्व बहुत अधिक बढ़ गया था. दिव्यावदान में इसे वाणिज्य का बाड़ केन्द्र बताया गया है, जहाँ व्यापारी अपने माल के साथ भरे रहते थे. यहाँ से जहाज में बैठकर लंका तथा सुवर्णभूमि तक पहुँचा जाता था. 
  • यहाँ से श्रावस्ती को एक सीधा मार्ग जाता था. सोपारा की मंडी कल्यान थी. यूनानी रोमन लेखकों ने भी इस बंदरगाह की महत्ता का संकेत दिया है. यहाँ से सौदागर यूनान तथा रोम आते-जाते थे.
  • पेरीप्लस से पता चलता है कि भृगुकच्छ तथा सोपारा में व्यापारिक जहाजों को उतारने के लिए होड़ लगी रहती थी. यदि कोई विदेशी जहाज सोपारा पहुँचता था, तो उसे भृगुकच्छ के रक्षक बलपूर्वक वहाँ ले जाते थे. 
  • अरब सागर का तटवर्ती बंदरगाह होने के कारण सोपारा पश्चिमी देशों को जाने का प्रमुख केन्द्र बन गया था.

No comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.