राष्ट्रीय दुग्ध दिवस 2024 : इतिहास उद्देश्य महत्व | National Milk Day Details in Hindi
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस 2024 : इतिहास उद्देश्य महत्व
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस 2024: इतिहास उद्देश्य महत्व
- भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन के जन्मदिन को ‘राष्ट्रीय दुग्ध दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2014 में 26 नवंबर के दिन भारतीय डेयरी एसोसिएशन (IDA) ने पहली बार यह दिवस मनाने की पहल की थी। ध्यातव्य है कि डॉ. वर्गीज कुरियन के मार्गदर्शन में ही भारत में कई महत्त्वपूर्ण संस्थाओं जैसे- गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड आदि का गठन किया गया।
- वर्ष 1970 में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि तथा ग्रामीण क्षेत्र की आय बढ़ाने को दृष्टि में रखते हुए ‘ऑपरेशन फ्लड’ की शुरुआत की गई। दुग्ध उत्पादन में उत्तर प्रदेश देश का अग्रणी राज्य है, जबकि गुजरात स्थित ‘अमूल’ देश की सबसे बड़ी दुग्ध सहकारी संस्था है। यह दिवस इस तथ्य को उजागर करने के लिये मनाया जाता है कि किस प्रकार डेयरी एक अरब लोगों की आजीविका का एक प्रमुख साधन है।
- भारत बीते कुछ वर्षों में 150 मिलियन टन से अधिक दुग्ध उत्पादन के साथ विश्व में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। जहाँ एक ओर वर्ष 1955 में भारत का मक्खन आयात 500 टन था, वहीं वर्ष 1975 तक दूध एवं दूध उत्पादों का सभी प्रकार का आयात लगभग शून्य हो गया, क्योंकि इस समय तक भारत दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया था।
भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन
- उन्हें 'भारत में श्वेत क्रांति के जनक' के रूप में जाना जाता है।
- वह अपने 'ऑपरेशन फ्लड' के लिये काफी प्रसिद्ध हैं, जिसे दुनिया के सबसे बड़े कृषि कार्यक्रम के रूप में जाना जाता है।
- उन्होंने विभिन्न किसानों और श्रमिकों द्वारा चलाए जा रहे 30 संस्थानों की स्थापना की।
- उन्होंने ‘अमूल ब्रांड’ की स्थापना और सफलता में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उन्ही के प्रयासों के परिणामस्वरूप भारत वर्ष 1998 में अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दूध का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया था।
- उन्होंने ‘दिल्ली दूध योजना’ के प्रबंधन में भी मदद की और कीमतों में सुधार किया। उन्होंने भारत को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनने में भी मदद की।
- उन्हें ‘रेमन मैग्सेसे पुरस्कार’ (1963), ‘कृषि रत्न’ (1986) और ‘विश्व खाद्य पुरस्कार’ (1989) सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
- वह भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार- पद्मश्री (1965), पद्मभूषण (1966) और पद्मविभूषण (1999) के प्राप्तकर्त्ता भी हैं।
ऑपरेशन फ्लड:
ऑपरेशन फ्लड का उद्देश्य:
- इसे 13 जनवरी, 1970 को लॉन्च किया गया था। यह विश्व का सबसे बड़ा डेयरी विकास कार्यक्रम था।
- 30 वर्षों के भीतर ऑपरेशन फ्लड ने भारत में प्रति व्यक्ति दूध उत्पादन को दोगुना करने में मदद की, जिससे डेयरी फार्मिंग भारत का सबसे बड़ा आत्मनिर्भर ग्रामीण रोज़गार उत्पन्न करने वाला क्षेत्र बन गया।
- ऑपरेशन फ्लड ने किसानों को उनके द्वारा उत्पन्न संसाधनों पर सीधा नियंत्रण प्रदान किया , जिससे उन्हें अपने स्वयं के विकास को निर्देशित करने में मदद मिली। इससे न केवल बड़े पैमाने पर उत्पादन हुआ, बल्कि इसे अब ‘श्वेत क्रांति’ (White Revolution) के रूप में भी जाना जाता है।
श्वेत क्रांति के चरण:
चरण I (1970-1980):
इस चरण को विश्व खाद्य
कार्यक्रम के माध्यम से यूरोपीय संघ द्वारा दान किये गए बटर आयल और स्किम्ड मिल्क
पाउडर की बिक्री से प्राप्त धन से वित्तपोषित किया गया था।
चरण II (1981 से 1985):
इस चरण के दौरान
दुग्धशालाओं की संख्या 18 से बढ़कर 136 हो गई, दूध की दुकानों का
विस्तार लगभग 290 शहरी बाज़ारों
में किया गया, एक आत्मनिर्भर
प्रणाली स्थापित की गई जिसमें 43,000 ग्राम सहकारी समितियों के 42,50,000 दूध उत्पादक शामिल थे।
चरण III (1985-1996):
इस चरण में डेयरी
सहकारी समितियों का विस्तार कर उन्हें सक्षम बनाया गया और कार्यक्रम को अंतिम रूप
प्रदान किया गया। इसने दूध की बढ़ती मात्रा की खरीद और बाज़ार के लिये आवश्यक
बुनियादी ढांँचे को भी मज़बूत किया।
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