अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस 2023 : इतिहास उद्देश्य महत्व | International Day of Disabled Persons 2023
अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस 2023 : इतिहास उद्देश्य महत्व
अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस 2023 : इतिहास उद्देश्य महत्व
समाज के सभी
क्षेत्रों में विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देने के
उद्देश्य से प्रतिवर्ष ‘अंतर्राष्ट्रीय
दिव्यांगजन दिवस’ का आयोजन किया
जाता है। सर्वप्रथम संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1981 को ‘विकलांगजनों के
लिये अंतर्राष्ट्रीय वर्ष’
घोषित किया था।
इसके पश्चात् 1983-92 के दशक को ‘विकलांगजनों के
लिये अंतर्राष्ट्रीय दशक’
घोषित किया गया।
वर्ष 1992 में संयुक्त
राष्ट्र महासभा द्वारा प्रतिवर्ष 3 दिसंबर को ‘विश्व विकलांगता दिवस’ के रूप में मनाने की शुरुआत की गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्व की 15.3% आबादी
किसी-न-किसी प्रकार की अशक्तता से पीड़ित है। इस प्रकार यह विश्व का सबसे बड़ा ‘अदृश्य
अल्पसंख्यक समूह’ है। 2011 की जनगणना के
अनुसार, भारत की कुल
जनसंख्या का मात्र 2.21% ही विकलांगता से
पीड़ित है। इस दिवस को मनाने का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्देश्य अशक्त-जनों की अक्षमता
के मुद्दों पर समाज में लोगों की जागरूकता, समझ और संवेदनशीलता को बढ़ावा देना है। इसके अतिरिक्त यह
विकलांगजनों के आत्म-सम्मान, कल्याण और आजीविका की सुरक्षा सुनिश्चित करने में उनकी
सहायता पर भी ज़ोर देता है।
अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस महत्वपूर्ण अधिकारी
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1981 को ‘विकलांगजनों के लिये अंतर्राष्ट्रीय वर्ष’ घोषित किया था।
- उसके बाद 1983-92 के दशक को को ‘विकलांगजनों के लिये अंतर्राष्ट्रीय दशक’ घोषित किया गया।
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 1992 से प्रतिवर्ष 3 दिसंबर को ‘विश्व विकलांगता दिवस’ के रूप में मनाने की शुरुआत की गई।
विश्व विकलांगता दिवस मनाने का उद्देश्य
इस दिवस को मनाने
का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्देश्य अशक्त जनों की अक्षमता के मुद्दों को लेकर समाज में
लोगों की जागरूकता, समझ और
संवेदनशीलता को बढ़ावा देना है।
विकलांग जनों के
आत्म-सम्मान, कल्याण और
आजीविका की सुरक्षा सुनिश्चित करने में उनकी सहायता करना।
आधुनिक समाज में
अशक्त जनों के साथ हो रहे हर प्रकार के भेद-भाव को समाप्त करना।
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