राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2024 : इतिहास उद्देश्य महत्व | National Consumer Day in Hindi
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2024 : इतिहास उद्देश्य महत्व
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2024 : इतिहास उद्देश्य महत्व
- देश में उपभोक्ताओं के महत्त्व, उनके अधिकारों और दायित्त्वों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये प्रतिवर्ष 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है।
- भारत की एक बड़ी आबादी अशिक्षित है, जो अपने अधिकारों एवं कर्त्तव्यों के प्रति अनभिज्ञ है, लेकिन उपभोक्ता अधिकारों के मामले में शिक्षित लोग भी अपने अधिकारों के प्रति उदासीन नज़र आते हैं। इसी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये प्रतिवर्ष इस दिवस का आयोजन किया जाता है।
- वर्ष 1986 में इसी दिन राष्ट्रपति ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को मंज़ूरी दी थी। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का प्राथमिक उद्देश्य उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रकार के शोषण जैसे दोषयुक्त सामान, असंतोषजनक सेवाओं और अनुचित व्यापार प्रथाओं के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करना है।
- वर्ष 2020 के लिये इस दिवस का थीम ‘सतत् उपभोक्ता’ है। यह थीम वैश्विक स्वास्थ्य संकट, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान आदि से निपटने के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
- ज्ञात हो कि वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता दिवस प्रतिवर्ष 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का आयोजन किया जाता है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के बारे में:
उत्पाद दायित्त्व (Product Liability):
यदि किसी उत्पाद या सेवा
में दोष पाया जाता है तो उत्पाद निर्माता/विक्रेता या सेवा प्रदाता को क्षतिपूर्ति
के लिये ज़िम्मेदार माना जाएगा। विधेयक के अनुसार, किसी उत्पाद में निम्नलिखित आधारों पर दोष हो
सकता है:
त्रि-स्तरीय अर्ध-न्यायिक तंत्र:
अधिनियम उपभोक्ता विवादों
के निवारण के लिये एक त्रि-स्तरीय अर्ध-न्यायिक तंत्र जैसे ज़िला आयोग, राज्य आयोग और
राष्ट्रीय आयोग की घोषणा करता है।
शिकायत का समयबद्ध निपटान:
अधिनियम में कहा गया है कि
प्रत्येक शिकायत का यथासंभव शीघ्र निपटारा किया जाएगा।
यदि वस्तुओं के विश्लेषण या परीक्षण की आवश्यकता नहीं है तो
विरोधी पक्ष द्वारा नोटिस प्राप्त होने की तारीख से 3 महीने की अवधि
के भीतर और यदि वस्तुओं के विश्लेषण या परीक्षण की आवश्यकता है तो विरोधी पक्ष
द्वारा नोटिस प्राप्त होने की तारीख से 5 महीने की अवधि के भीतर शिकायत पर निर्णय लेने का प्रयास
किया जाएगा।
इलेक्ट्रॉनिक रूप से शिकायत दर्ज करना: अधिनियम उपभोक्ताओं
को इलेक्ट्रॉनिक रूप से शिकायत दर्ज करने का विकल्प भी प्रदान करता है।
उपभोक्ताओं को अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करने में सुविधा
हेतु केंद्र सरकार ने ‘ई-दाखिल’ पोर्टल की
स्थापना की है।
मध्यस्थता मार्ग:
अधिनियम में दोनों पक्षों की सहमति से
मध्यस्थता के लिये उपभोक्ता विवादों का संदर्भ भी शामिल है।
इससे न केवल विवाद में शामिल पक्षों के समय और धन की बचत
होगी, बल्कि लंबित
मामलों को कम करने में भी मदद मिलेगी
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