विज्ञापन एजेंसियां |विज्ञापन एजेंसी के कार्य | Advertising agencies in Hindi
विज्ञापन एजेंसियां , Advertising agencies in Hindi
विज्ञापन एजेंसियां :
विज्ञापन व्यवसाय तीन मुख्य आधारों पर खड़ा है। विज्ञापनदाता, जनसंचार माध्यम तथा विज्ञापन एजेंसियाँ । विज्ञापन एजेंसियों ने विज्ञापन व्यवसाय को व्यवस्थित रूप दिया है। उपभोक्ता संबंधी ज्ञान के विशेषज्ञ के रूप में विज्ञापन एजेंसियों ने मुख्य रूप से अपनी भूमिका निभाई है। विज्ञापन कर्म में रचनाशीलता और माध्यमों पर ध्यान केंद्रित करते हुए पूरे उपभोक्ता कार्यक्रमों को संगठित रूप देने का प्रयास भी विज्ञापन एजेंसियों ने ही किया है, इसीलिए विज्ञापन एजेंसियों को विज्ञापन विशेषज्ञों का संगठन' माना जाता है। विलियम जे स्टांटेन के अनुसार- "विज्ञापन एजेंसी एक स्वतंत्र कंपनी है, जो सामान्यतः विज्ञापन और विशेषतः विज्ञापन को विशिष्ट सेवाएँ प्रदान करने के लिए स्थापित की जाती है।" एक अन्य परिभाषा के अनुसार विज्ञापन एजेंसी एक स्वतंत्र व्यवसाय है जो व्यावसायिक विशेषज्ञों द्वारा संचालित होता है। यह व्यवसाय विज्ञापन की योजना, उसकी तैयारी और उसके प्रसार से संबंधित सृजनात्मक और व्यावसायिक सेवाएं उपलब्ध कराता है।
जी.बी. गाइल्स के अनुसार विज्ञापन एजेंसियां, विज्ञापन नियोजन, निर्माण एवं प्रस्तुतीकरण कार्यों की विशेषज्ञ होती हैं, जो विज्ञापनकर्ता और माध्यम मालिकों के बीच मध्यस्थ का कार्य भी करती हैं' .
आज राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने उत्पादों के विज्ञापन हेतु तथा सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएँ अपनी योजनाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए एवं जनहित में विज्ञापन एजेंसियों की सेवाएँ लेती हैं। बाजार उपभोक्ता और मीडिया के बीच अपनी समन्वयात्मक भूमिका निभाते हुए विज्ञापन एजेंसियाँ अपना व्यावसायिक जाल फैला रही हैं लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में चुनावी माहौल में लगभग हर पार्टी विज्ञापन के लिए इनकी व्यावसायिक रणनीति का आश्रय लेती है। ये विज्ञापन एजेंसियाँ इनके लिए विज्ञापन बनाने से लेकर माध्यम चयन तक की जिम्मेदारी निभाती हैं। विज्ञापन एजेंसियों का कार्य-व्यापार दो तरह से चलता है। कुछ विज्ञापन एजेंसियाँ स्वतंत्र रूप से अपनी सेवाएँ उपलब्ध कराती हैं। किसी भी व्यापारिक कंपनी के लिए विज्ञापन तैयार करती हैं। दूसरे किस्म की विज्ञापन एजेंसियाँ या कंपनियाँ केवल किसी विशेश संस्थान के 'विज्ञापन विभाग के रूप में अपना कार्य-व्यापार चलाती हैं।
विज्ञापन एजेंसी के कार्य
विज्ञापन एजेंसी के कार्य का दायरा बहुत सीमित नहीं है। एक विज्ञापन एजेंसी की कार्य-प्रणाली अनेक विभागों और अनेक चरणों से होकर गुजरती है। यद्यपि विज्ञापन एजेंसियाँ अपने आकार-प्रकार, स्टॉक और विशेषज्ञता के आधार पर अपने कार्यकी परिधि और कार्यक्षेत्र को विस्तार देती हैं; लेकिन मुख्यतः विज्ञापन निर्माण से लेकर विभिन माध्यमों में उसे प्रचारित-प्रसारित करने की भी व्यवस्था विज्ञापन एजेंसी के कार्य फलक में आती है। एक विज्ञापन एजेंसी के निम्नलिखित कार्य होते हैं-
- विपणन योजना बनाना
- ग्राहकों को ढूँढ़ना ।
- बाजार सर्वेक्षण करना ।
- उपभोक्ता स्थिति का सर्वेक्षण ।
- विज्ञापन निर्माण ।
- मीडिया चयन करना ।
- बिक्री वृद्धि या विक्रय प्रभाव की जाँच
किसी भी विज्ञापन एजेंसी के कार्य की शुरुआत उसकी विपणन नीति से शुरू होती है। अपनी विपणन नीति बनाने के लिए उसे विपणन अनुसंधान की प्रक्रिया बनानी होती है। विज्ञापन एजेंसी चलाने में बहुत पूँजी लगती है। यदि विज्ञापन अभियान को बुद्धिमत्ता के साथ और वैज्ञानिक तरीके से न चलाया जाए तो संस्थान और उत्पाद अथवा सेवा का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है। विपणन नीति के तहत विज्ञापन की रणनीति का अनुसंधान करना पड़ता है। इसके अंतर्गत विज्ञापन से संबंधित महत्वपूर्ण सूचनाएँ तथा व्यवस्थित जानकारी एकत्र की जाती है।
ग्राहकों की खोज विज्ञापन एजेंसी का महत्वपूर्ण कार्य है। बड़ी व्यापारिक कंपनियों या बड़े संस्थानों के विज्ञापनदाता ही किसी विज्ञापन एजेंसी को सफल बनाते हैं। अगर किसी विज्ञापन एजेंसी के ग्राहक कम होते जाएँ तो वह बाजार की प्रतिस्पर्धा में खड़ी नहीं रह सकती, इसलिए विज्ञापन एजेंसियों को प्रतिस्पर्धात्मक स्तर पर उत्पादकों अथवा विज्ञापकों को अपने विज्ञापन प्रतिनिधियों की विशिष्टता की जानकारी देकर अपने लिए विज्ञापनदाता अथवा ग्राहक ढूँढने की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ती है। विज्ञापन एजेंसियों को कोशिश करनी चाहिए कि वे ऐसे ग्राहकों को तलाश कर सकें, जिनके उत्पाद उत्कृष्ट हों, जो विज्ञापन संबंधी योजनाओं के बारे में प्रोफेशनल दृष्टिकोण को समझ सकती हों। ग्राहकों की अथवा विज्ञापनदाताओं की खोज के दो मुख्य तरीके हो सकते हैं-
- विज्ञापन द्वारा
- व्यक्तिगत संपर्क द्वारा
विज्ञापन एजेंसियां विज्ञापन के द्वारा भी अपने लिए विज्ञापनदाता जुटाने का प्रयास कर सकती हैं। व्यक्तिगत संपर्क से भी विज्ञापनदाताओं को अपनी एजेंसी की कार्य-क्षमताओं का परिचय देकर एजेंसी के लिए विज्ञापन कार्य जुटाया जा सकता है। अधिकतर विज्ञापन एजेंसियाँ अथवा समाचार पत्र आदि के विज्ञापन विभाग आजकल व्यक्तिगत संपर्क को प्राथमिकता देने लगे हैं। व्यक्तिगत संपर्क साधने का कार्य विशेष तौर पर कुछ व्यक्तियों को सौंप दिया जाता है। कई कंपनियों में उन्हें 'कंपनी एक्जीक्यूटिव कहा जाता है। ये कंपनी एक्जीक्यूटिव' विज्ञापनदाता कंपनियों या व्यक्तियों से सीधा संपर्क स्थापित कर उन्हें अपनी एजेंसी की सेवाओं की उत्कृष्टता तथा उसके सृजनात्मक कौशल की जानकारी देकर एजेंसी के लिए विज्ञापन जुटाते हैं। एक विज्ञापन एजेंसी को केवल नए ग्राहकों की ही खोज नहीं करनी पड़ती है, बल्कि उन्हें अपने पुराने ग्राहकों को भी स्थायी ग्राहक बनाने की मुहिम भी साथ-साथ चलानी पड़ती है। लगातार उनके संपर्क में रहना पड़ता है।
विज्ञापन एजेंसियों को विज्ञापन निर्माण के लिए बाजार का सर्वेक्षण भी करना पड़ता है इसमें उन्हें उत्पाद की बाजार में स्थिति, उत्पाद के संबंध में उपभोक्ता की छवि ब्रांड के प्रति लोगों की निष्ठा, प्रतियोगी ब्रांड की स्थिति आदि संबंधित जानकारियाँ जुटानी पड़ती हैं।
उपभोक्ताओं की रुचियों- अरुचियों तथा प्राथमिकताओं आदि के संबंध में उपलब्ध जानकारियाँ विज्ञापन निर्माण में मददगार होती हैं। अतः विज्ञापन एजेंसियों को उपभोक्ता संबंधी इन जानकारियों के लिए उपभोक्ताओं का सर्वेक्षण करना पड़ता है।
विज्ञापन निर्माण या विज्ञापन सृजन एजेंसी के रचनात्मक विकास का अति महत्वपूर्ण कार्य है। एजेंसियों में संप्रेषण क्षमता में दक्ष तथा फाइन आर्ट्स जैसे डिजाइनिंग पैकेजों की जानकारी रखनेवाले रचनाकार विज्ञापन की संदेश रचना को ऐसी कलाकारी से विशिष्ट ढंग से अभिव्यक्त करते हैं कि पाठक या दर्शक विज्ञापन के मोहक रूप के आकर्षण में बँध जाए। विज्ञापन निर्माण रचनात्मक लेखन क्षमता व जबरदस्त आनुवादिक सोच एवं विचार जैसे गुणों से संपन्न व्यक्तियों के द्वारा संपन्न किया जाता है। विज्ञापन निर्माण कई चरणों में पूरा होता है।
विज्ञापन निर्माण के लिए पहले रफ ले आउट तैयार किए जाते हैं, फिर विज्ञापन की कलात्मक प्रस्तुति के लिए जिन चित्रों का प्रयोग करना है उनकी खोज की जाती है। यदि पर्सनैलिटी अपील का प्रयोग करना है तो मॉडल का चुनाव किया जाता है। यदि विज्ञापन दृश्य माध्यम के लिए है तो दृश्यों का संकलन किया जाता है। ग्राफिक्स की मदद से उसका ले आउट तैयार किया जाता है। विज्ञापन सृजन का दूसरा चरण विज्ञापन की संदेश रचना का निर्माण करना है। विज्ञापन में प्रयुक्त पाठ्य सामग्री शीर्षक उपशीर्षक, बॉडी, उपसंहार, पंचलाइन, नारा आदि तैयार करने का काम कॉपी राइटर करते हैं। विज्ञापन सृजन के लिए जरूरी है कि कॉपी राइटर को उत्पाद के आकार-प्रकार, डिजाइन, पैकेज, स्टाइल, रंग आदि की जानकारी होनी चाहिए। कंपनी के द्वारा उत्पाद संदर्भित शोध के दौरान उपलब्ध जानकारियाँ भी उसके पास होनी चाहिए। तभी वह इन सब तथ्यों को केंद्र में रखकर अपनी सृजनात्मक क्षमता से आकर्षक कॉपी अपील की संरचना कर सकेगा। विज्ञापन सामग्री के निर्माण में लक्ष्य समूह को ध्यान में रखना भी बहुत जरूरी है। उसी के अनुरूप भाषा तथा टाइपोग्राफी का चयन किया जाता है।
विज्ञापन एजेंसी को विज्ञापन के लिए मीडिया प्लानिंग का पूरा कार्य भार अपने ऊपर लेना पड़ता है। उसे विज्ञापन की आर्थिक सामर्थ्य के अनुसार अर्थात् उसके विज्ञापन बजट के अनुसार ही मीडिया का चयन करना पड़ता है। मीडिया चयन में कुछ तत्वों की स्पष्ट जानकारी बहुत मददगार साबित होती है। जैसे विज्ञापन लक्ष्य समूह में कौन-कौन लोग शामिल हैं यानी विशिष्ट उपभोक्ता वर्ग की पहचान करनी पड़ती है। लक्ष्य समूह का क्षेत्रफल क्या है? यानी किस भौगोलिक सीमा में उत्पाद का विज्ञापन पहुँचाना है? विज्ञापन प्रसारण अल्पकालीन होगा या दीर्घकालीन ? मीडिया चयन के भी कुछ महत्वपूर्ण आधार होते हैं, जैसे जिस माध्यम को हम विज्ञापन प्रकाशन या प्रसारण के लिए चुन रहे हैं उसकी विशेषताएँ क्या हैं? वांछित लक्ष्य समूह के बीच यह माध्यम कितना प्रभावी होगा। उदाहरण के लिए यदि किसी सुदूर गाँव या पिछड़े इलाके में, जहां अधिसंख्य लोग निरक्षर हैं, हमें विज्ञापन पहुंचाना है, तो उसका माध्यम समाचार पत्र या पत्रिकाएँ नहीं होंगी। हमें इसके लिए रेडियो जैसे माध्यम का चयन करना पड़ेगा।
अनेक विज्ञापन एजेंसियाँ अपनी कार्य क्षमता को विकसित करने के लिए तथा अपने ग्राहकों को पूर्ण संतुष्टि देने के उद्देश्य से विक्रय प्रभावों की जांच करवाती हैं। कई कंपनियां अलग से ऐसे विभाग खोल लेती हैं जो अपने उत्पादकों को बाजार सर्वेक्षण, बिक्री संवर्द्धन तथा जनसंपर्क जैसी सेवाएँ भी उपलब्ध कराता है। स्वयं भी विज्ञापन एजेंसी अपने विज्ञापन की प्रभावोत्पादकता की जांच कराती रहती हैं। विक्रय प्रभाव को आंकने के लिए दो क्षेत्रों का चयन किया जाता है। एक क्षेत्र, जहां पर निश्चित समय सीमा में विज्ञापन दिया गया, इसे 'परीक्षण क्षेत्र' कहा जाता है। दूसरा क्षेत्र, जहां विज्ञापन नहीं दिया गया, इसे नियंत्रित क्षेत्र कहा जाता है। एक निश्चित समय सीमा के बाद दोनों जगहों पर होने वाली बिक्री के अनुपात से विक्रय प्रभाव को आंका जाता है।
अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1. विज्ञापन व्यवसाय के तीन आधार क्या हैं ?
प्रश्न 2. विलियम जे. स्टांटेन के मतानुसार विज्ञापन एजेंसी की क्या परिभाषा है ?
प्रश्न 3. विज्ञापन एजेंसी के मुख्य कार्य क्या हैं ? प्रश्न 4. विज्ञापन दाता की खोज के दो तरीके कौन से हैं ?
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