शैक्षिक प्रशासन एवं प्रबंधन का अर्थ परिभाषा एवं विशेषताएँ | Educational Management in Hindi
शैक्षिक प्रशासन एवं प्रबंधन का अर्थ परिभाषा एवं विशेषताएँ
शैक्षिक प्रबंध (Educational Management):
यहाँ शैक्षिक प्रबंध की अवधारणा पर प्रकाश डालने से पूर्व
प्रबंध शब्द को समझना नितांत आवश्यक है । प्रबंध मनुष्य की सभी क्रियाओं में
अंतर्व्याप्त है । यह सभी प्रकार की सामूहिक और संगठित क्रियाओं को एकीकृत करने की
शक्ति है । जब दो या दो से अधिक व्यक्ति अपने सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति के
लिये सामूहिक प्रयास करते हैं तब उनकी क्रियाओं व प्रयासों को समन्वित किया जाता
है। इसके अतिरिक्त संसाधनों को इस तरह से संगठित और उपयोग करना पड़ता है कि
अनुकूलतम परिणामों की प्राप्ति हो सके । पूर्वनिर्धारित उद्देश्यों प्राप्ति के
लिये मानवीय प्रयासों और संसाधनों को एकीकृत करके उन्हें कार्यात्मक एवं फलदायक
बनाने की प्रक्रिया ही प्रबंध कहा जाता है। यह संगठनात्मक जीवन की आधारभूत, समन्वयकारी एवं
जीवन उत्प्रेरक प्रक्रिया है । जैसे-जैसे संगठित क्रियाओं के क्षेत्र, आकार और जटिलता
में वृद्धि होती है वैसे वैसे प्रबंध कार्य की महता बढती है प्रत्येक शिक्षण
संस्थान एक संगठन के रूप में कार्य करता है जिसका उद्देश्य छात्रों के व्यक्तित्व
का चहुँमुखी विकास करना होता है। यह संगठन जिन तत्वों से मिलकर बना होता है, वे चार प्रकार के
होतें हैं:
भौतिक(Physical): इसके अंतर्गत
विद्यालय भवन, फर्नीचर, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, वर्क शॉप, खेल का मैदान, छात्रावास, श्रव्य दृश्य
सामग्री आदि सभी आतें हैं।
मानवीय (Human ) : इसके अंतर्गत
छात्र, शिक्षक, प्रधानाचार्य /
प्राचार्य, प्रबंध कमिटी के
सदस्य, शिक्षा विभाग के
अधिकारी, प्रसिद्ध
शिक्षाविद् विद्यालय पर्यवेक्षक आदि शामिल हैं।
वित्तीय (Financial): यह किसी शैक्षणिक
संस्था के वित्तीय मुद्दों जैसे विद्यालय/कॉलेज की फीस, अनुदान तथा कोष
से सम्बंधित होता है।
सैद्धांतिक (Theoretical): शैक्षणिक संस्था
को चलने हेतु अन्य तत्व जैसे- समय सारणी, अनुशासन, पाठ्य सहगामी क्रियायें, नियम, सिद्धांत आदि इसके अंतर्गत आतें हैं ।
शैक्षिक प्रबंध यह शक्ति है जो इन चार प्रकार के तत्वों के बीच तालमेल बैठा कर शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति की दिशा में उस संगठन को अग्रसर करता है। शैक्षिक संगठन को नीचे दिये गये चित्र की सहायता से समझा जा सकता है -
शैक्षिक प्रशासन एवं प्रबंधन परिभाषायें
हैरोल्ड कंटज: औपचारिक रूप से संगठित वर्गों के साथ तथा
उनके द्वारा कार्य करवाने की कला का नाम ही प्रबंध है।
जेम्स एल लुंडी प्रबंध मुख्यतः विशिष्ट उद्देश्यों की
प्राप्ति के लिये दूसरों के प्रयत्नों को नियोजित, समन्वित, प्रेरित और नियंत्रित करने का कार्य है। ग्लुड़क: प्रबंध से
आशय किसी संस्था के मानवीय और भौतिक संसाधनों के प्रभावपूर्ण प्रयोग से है
जार्ज टेरी: प्रबंध लोगों से कार्य करने की कला है।
हेनरी फेयोल: प्रबंध करने से आशय पूर्वानुमान लगाने एवं
योजना बनाने, संगठन की
व्यवस्था करने, निर्देश देने, समन्वय करने तथा
नियंत्रण करने से है।
उपर्युक्त परिभाषाओं के विश्लेषण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि प्रबंध वह विशिष्ट प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत सामूहिक प्रयासों की सहायता से मानवीय और भौतिक संसाधनों का उपयोग करके संगठनात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति की जाती हैं। इसका क्षेत्र काफी व्यापक है तथा इसमें नियोजन, निर्देशन, अभिप्रेरण, समन्वय तथा नियंत्रण आदि कार्य शामिल हैं। दूसरी ओर, शैक्षिक प्रबंध एक संकीर्ण अवधारणा है यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा प्रबंधक अन्य लोगों के साथ सहयोग और समन्वय का वातावरण बनाते हुये शिक्षण संस्थान में निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु शैक्षिक एवं सह शैक्षिक क्रियाओं व गतिविधियों संगठन एवं संचालन करता है। इसकी विशेषतायें निम्नलिखित हैं:
1) गत्यात्मक
प्रक्रिया (Dynamic
Process) : शैक्षिक प्रबंध एक गत्यात्मक प्रक्रिया है क्योंकि यह समय, परिस्थितियों और
वातावरण के अनुसार ढलती एवं बदलती रहती है।
2) अनवरत प्रक्रिया (Continuous Process): यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो अनवरत रूप से चलती है। पूर्व निर्धारित शैक्षणिक उद्देश्यों की प्राप्ति के बाद भी यह प्रक्रिया चलती रहती है।
3) संगठित प्रक्रिया Organized Process) : यह एक संगठित प्रक्रिया इस लिये है क्योंकि इसमें शैक्षणिक उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु व्यक्तियों का समूह एक जुट होकर कार्य करता है।
4) उद्देश्यों की विद्यमानता (Existence of Objectives) : शैक्षिक प्रबंध शैक्षणिक संगठन के उद्देश्यों से जुड़ी हुई प्रक्रिया है उद्देश्य उन गन्तव्यों को निर्देशित करतें है जिन्हें शैक्षणिक संगठन द्वारा प्राप्त किया जाना है।
5) संसाधनों के बीच
सम्बन्ध ( Relationship
among resources): शैक्षिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये प्रबंधक के
सम्मुख सभी संसाधनों को उपलब्ध करवाया जाता है। वह अपने ज्ञान और अनुभव का प्रयोग
करते हुये इनके बीच संबंधों की स्थापना करता है और वांछित परिणाम की प्राप्ति करता
है ।
6) सामाजिक
प्रक्रिया (Social
Process): शैक्षिक प्रबंध एक सामाजिक प्रक्रिया है क्योंकि इसमें
मानवीय संसाधन की विशिष्ट भूमिका होती है। प्रबंधक मानवीय संसाधनों को वांछित
परिणामों की प्राप्ति की दिशा में क्रियाशील बनाता है।
7) सार्वभौमिक प्रक्रिया (Universal Process): शैक्षिक प्रबंध की प्रक्रिया के तत्व- नियोजन, संगठन, नियुक्तिकरण, निर्देशन और नियंत्रण - ये सभी किसी भी भी देश व संस्कृति की शैक्षणिक संस्थाओं में कमोवेश देखे जा सकतें हैं।
8) अंतर-विषयक उपागम
(Interdisciplinary
Approach) : यद्धपि शैक्षिक प्रबंध ज्ञान की नवीन शाखा के रूप अपना
अस्तित्व बनाने हेतु प्रयासरत है परन्तु इसके सिद्धांत और अवधारणायें व्यवसायिक
प्रबंध और मनोविज्ञान से ग्रहण किये गयें हैं।
9) अधिकार सत्ता (Authority): प्रबंध एक अधिकार
सत्ता की प्रणाली है। प्रबंधक ही किसी शैक्षणिक संस्था में कार्य निष्पादन हेतु
आदेश - निर्देश देतें हैं,
नियम - विनियम
बनातें हैं तथा कार्य प्रगति का मूल्यांकन करतें हैं ।
10) अदृश्य कौशल (Intangible skill): कुछ विद्वानों ने
इसके स्वरुप को अमूर्त और अस्पृश्य बताया है। उनका मत है कि किसी संगठन में प्रबंध
कि जानकारी उसके द्वारा प्राप्त किये गये परिणामों से होती है ।
11) संयोगिक प्रकृति (Contingent Nature): शैक्षणिक वातावरण सदैव ही बाह्य वातावरण से प्रभावित होता है । यही कारण है कि शैक्षिक प्रबंध की विधियाँ, तकनीक और सिद्धांत- ये तीनों ही परिस्थितियों और वातावरण के अनुसार परिवर्तित होतें रहतें है ।
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