समाचार समितियों का प्रबन्ध एवं संगठन |Management and organization of news committees
समाचार समितियों का प्रबन्ध एवं संगठन
समाचार समितियों का प्रबन्ध एवं संगठन
समाचार समितियां मीडिया के समाचार स्रोतों में से महत्वपूर्ण स्रोत हैं। जिनके माध्यम से सभी प्रकार के समाचार तो मिलते ही हैं साथ ही विश्वसनीयता व तथ्यात्मक समाचारों की प्राप्ति भी होती है। समिति की सेवायें लिए बिना एक अच्छा समाचार पत्र का प्रकाशन व सफल संचालन होना असंभव कार्य है। सन् 1977 में समाचार समितियों पर कुलदीप नैयर की अध्यक्षता में गठित समिति ने कहा था- समाचार समिति वह माध्यम है जो कि प्रेस यानि समाचार पत्र की संरचना व विषय-वस्तु को सूचित करे।"
समाचार समितियों की सेवायें सिर्फ समाचार पत्रों तक ही सीमित नहीं हैं वरन् रेडियो और दूरदर्शन के समाचार बुलेटिन भी इसके अभाव में तैयार होना कठिन है।
आज विश्व के अधिकांश राष्ट्रों में समाचार समितियों की स्थापना की जा चुकी है। कुछ अविकसित राष्ट्र ऐसे भी हैं जहां ऐसी कोई व्यवस्था अभी पनप नहीं सकी है। समाचार समितियों की स्थापना के पीछे मुख्य उद्देश्य पूर्व तथा निष्पक्ष समाचार प्रसारित करना होता है लेकिन यह उद्देश्य उन्हीं राष्ट्रों में पूरा हो सकता है जहां अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की छूट हो । यदि किसी राष्ट्र की शासन व्यवस्था में यह अभिव्यक्ति की आजादी नहीं दी गई है तो उन राष्ट्रों की सरकार इन समितियों के माध्यम से उन्हीं समाचारों को प्रसारित करने की अनुमति देती है जो उनके अनुकूल हाते हैं। वहां समाचरों पर प्रायः सेन्सर की तलवार लटकी रहती है। अतः प्रत्येक देश के कानूनी प्रावधानों और संवैधानिक स्थिति के आधार पर उन देशों की समाचार समितियों को कार्य करने की स्वतन्त्रता दी जाती है।
सामान्यतः समाचार समितियां तीन प्रकार की हो सकती हैं-
1. सामान्य निजी व्यापारिक समिति ।
2. सहकारिता के आधार पर अथवा प्रेस या समाचार माध्यमों द्वारा नियन्त्रित समिति ।
3. विशेष स्तर की समिति
समाचार समिति के सफल संचालन व सफल प्रबन्ध के लिए इसके संगठन को तीन विभागों में बांटा गया है-
1. सम्पादकीय विभाग
2. संचार विभाग\
3. प्रशासनिक विभाग
1. सम्पादकीय विभाग
समाचार-पत्रों की भांति समाचार समितियों में भी संवाददाताओं का व्यापक जाल फैला रहता है। समाचार-पत्रों की अपेक्षा समाचार समितियों के संवाददाताओं का यह जाल अत्यन्त व्यापक और विशाल होता है। समाचार समिति का संवाददाता भी अपनी बीट के समाचार संकलित करता है। प्रमुख नगरों में समाचार समिति के न्यूज ब्यूरो होते हैं, जिनका मुखिया ब्यूरो चीफ कहलाता है। इसी ब्यूरो चीफ के निर्देशन में न्यूज ब्यूरो कार्य करता है। सभी संवाददाता भी ब्यूरो चीफ के निर्देश पर कार्य करते हैं। दिल्ली जैसी राजधानियों में ब्यूरो दो समूहों में कार्य करता है- एक समूह केन्द्रीय सरकार के विभिन्न मन्त्रालयों को कवर करता है तो दूसरा दिन प्रतिदिन की घटनाओं को पूरा ब्यूरो एक टीम की भांति कार्य करता है। संवाददाताओं के कार्य एक-दूसरे से परिवर्तित भी होते रहते हैं।
विदेशी समाचार समितियों से प्राप्त समाचारों का सम्पादन भी यहीं किया जाता है।आजकल जब पत्रकारिता में विशेषीकरण की प्रवृति बढ़ती जा रही है तब वहीं समाचार संकलन में भी यही प्रवृत्ति आती जा रही है तथा विशेषीकृत समाचारों का यथा- आर्थिक, वाणिज्य, अपराध, खेल, विज्ञान आदि समाचारों का महत्व बढ़ता जा रहा है। कुछ समितियां आर्थिक आदि समाचारों के लिए विशेष सेवाएं भी प्रदान करती हैं। उदाहरणार्थ जहां पी०टी०आई० साप्ताहिक विदेशी फीचर सेवा तथा पाक्षिक आर्थिक व विज्ञान आदि सेवाओं का संचालन करती है। वहीं यू0एन0आई0, एनर्जी सेवा, कृषि सेवा आदि का संचालन भी करती है।
रिपोर्टिंग के अतिरिक्त समाचार समितियों में डेस्क की व्यवस्था होती है जहां रिपोर्टिंग से प्राप्त कॉपी का सम्पादन किया जाता है। उपलब्ध सामग्री के आधार पर समाचार तैयार कर उसे ग्राहकों को प्रेषित किया जाता है। शाखा कार्यालयों से प्राप्त समाचारों का भी यहां सम्पादन किया जाता है। यहां सम्पादक, समाचार सम्पादक तथा उप-सम्पादकों आदि की पूरी टीम होती है जो अपने कार्य को सुचारू रूप से सम्पन्न करती है। सम्पादक जहां नीति निर्धारण करता है वहीं जिन समाचारों में सम्पादकीय निर्णय की आवश्यकता होती है वहां वह उचित निर्देश भी जारी करता है। सम्पादकीय नेतृत्व और निर्देशन में पूरी टीम काम करती है। समाचार सम्पादक सम्पादन के सारे कार्य की देख-रेख करता है।
2. संचार एवं प्रशासनिक विभाग
इस विभाग का मुखिया चीफ इन्जीनियर होता है। तकनीकी - कर्मचारियों के साथ यह समिति के पूरे नेटवर्क तथा उपकरणों से उचित रख-रखाव का ध्यान रखता है। समिति की तमनीकी आवश्यकताओं का अनुमान तथा पूर्ति के लिए प्रयास भी यह विभाग करता है।
समाचार समितियों में महाप्रबन्धक ही प्रायः सम्पादक होता है। सम्पादकीय, तकनीकी तथा प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर वह नियन्त्रण रखता है। महाप्रबन्धक अपने कार्यों के लिए निदेशक मण्डल के प्रति उत्तरदायी होता है। निदेशक मण्डल का ही कोई सदस्य समान्यतः चेयरमेन बनता है ।
प्रबन्धक सामान्यतः क्षेत्रीय अथवा राज्य के ब्यूरो का प्रधान होता है। राज्यों तथा क्षेत्रीय आवश्कताओं के अनुरूप डेस्क, रिपोर्टिंग, प्रशासनिक तथा तकनीकी कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है।
अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1. समाचार समितियों का क्या कार्य है?
प्रश्न 2. समाचार समितियों के संगठन को कितने भागों में बांटा गया है?
प्रश्न 3. किन्ही दो भारतीय समाचार समितियों के नाम बताइए।
प्रश्न 4. क्या समाचार पत्रों की तरह समाचार समितियों का संगठन भी जटिल होता है?
Post a Comment