प्रबन्धन विज्ञान है या कला |प्रबन्ध कला से क्या तात्पर्य है? Management science or art in Hindi

प्रबन्धन विज्ञान है या कला

प्रबन्धन विज्ञान है या कला |प्रबन्ध कला से क्या तात्पर्य है?  Management science or art in Hindi

प्रबन्धन विज्ञान है या कला : 

विज्ञान का शाब्दिक अर्थ है वि+ज्ञान अर्थात् विशेष ज्ञान विज्ञान में तथ्यों और आकंड़ों का विशेष महत्व होता है। विज्ञान का विद्यार्थी तथ्यों और आंकड़ों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करता हैप्रयोग करता है तथा उन पर आधारित निष्कर्ष प्रस्तुत करता है। इन निष्कर्षो की जांच पुनः प्रयोगों द्वारा की जा सकती है। इस प्रकार विज्ञान सिद्धान्त तथा नियम तय करता है।

 

प्रबन्धन भी एक प्रकार से विकासशील विज्ञान है। प्रबन्धन के इस व्यवस्थित विकास से आज इस शाखा के भी कुछ निश्चित सिद्धान्तनियम और तत्व निर्धारित कर दिए गए हैं जो विज्ञान की भांति सर्वत्र लागू किए जा सकते हैं। ये सिद्धान्त प्रत्येक मानवीय गतिविधि लाभदायक अथवा अलाभदायक संगठनों द्वारा संचालित होते हैं। भौतिक शास्त्ररसायन शास्त्र अथवा जीव विज्ञान की भांति प्रबन्धन विज्ञान शुद्ध विज्ञान की शाखा तो नहीं है किन्तु इसे हम व्यावहारिक विज्ञान की महत्वपूर्ण शखा मान सकते हैं क्योंकि अन्ततः यह मानवीय गतिविधियों से ही जुड़ती है। विज्ञान की भांति प्रबन्धन में यह आवश्यक नहीं कि उन सिद्धान्तों को लागू करने पर अपेक्षित परिणाम प्रकट हों। मानवीय व्यवहार परिवर्तनशील होता है और इसी मानवीय व्यवहार के साथ प्रबन्ध जुड़ा हुआ है अतः निश्चित घोषणा करना कठिन कार्य है।

 

मानवीय व्यवहार यांत्रिकी के नियमों से संचालित नहीं होता है। यह अत्यन्त गतिशील है लेकिन फिर भी ज्ञान का सैद्धान्तिक आधार किसी भी कार्य की उचित क्रियान्विति के लिए आवश्यक है। विज्ञान एवं कला एक-दूसरे के पूरक हैं।

 

कला ज्ञान के व्यावहारिक उपयोग को प्रकट करती है। ज्ञान तथा प्रयोगों से कला अधिक पुष्ट होती है। कला मात्र ज्ञान पर आधारित नहीं है वरन् वह अन्तर्ज्ञानप्रेरणा एवं अन्य अनेक व्यक्तिनिष्ठ गुणों पर निर्भर करती है। कला हमें कार्य करने की प्रयुक्ति बताती है। तथा विज्ञान यह बताता है कि क्या कार्य करना है।

 

प्रबन्धक में वैज्ञानिक एवं कलाकार दोनों के व्यक्तित्व का अंश होता है। वैज्ञानिक के रूप में जहां वह प्रबन्धन के स्थापित सिद्धान्त एवं दर्शन पर विश्वास करता है तथा नए ज्ञान व सिद्धान्तों एवं प्रबन्धन के विचारों को विकसित करता है वहीं कलाकार के रूप में वह अपने निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु लिए गए निर्णय एवं कार्यों के लिए अपने अनुभवअन्तर्ज्ञान एवं निर्णय पर निर्भर करता है। इस प्रकार प्रबन्धन में विज्ञान एवं कला दोनों के ही तत्वों का समावेश है और प्रबन्धन की तुलना सामाजिक विज्ञान से की जा सकती है।


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