November important Days With Details in Hindi | November Days in Hindi

 November important Days With Details in Hindi

November important Days With Details in Hindi | November Days in Hindi



विश्व सुनामी जागरुकता दिवस

विश्व सुनामी जागरुकता दिवस प्रत्येक वर्ष 5 नवंबर को मनाया जाता है। बार-बार सुनामी के कड़वे अनुभवों के कारण जापान को इस दिवस को शुरू करने का श्रेय दिया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में इसने सुनामी की पूर्व चेतावनी, सार्वजनिक कार्रवाई के साथ ही भविष्य के प्रभावों को कम करने के लिये आपदा के बाद बेहतर निर्माण जैसे कुछ क्षेत्रों में प्रमुख रूप से विशेषज्ञता हासिल की है। संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को सुनामी के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिये नामित किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जब सुनामी की चेतावनी लोगों तक पहुँचे तो समुदाय बिना किसी भय के निर्णायक रूप से कार्य करें। 22 दिसंबर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र ने संकल्प 70/23 के माध्यम से 5 नवंबर को विश्व सुनामी जागरुकता दिवस के रूप में नामित किया। वर्ष 2021 में विश्व सुनामी जागरुकता दिवस "सेंडाई सेवन अभियान" लक्ष्य को बढ़ावा देता है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक वर्तमान ढाँचे के कार्यान्वयन के लिये अपने राष्ट्रीय कार्यों के पूरक हेतु पर्याप्त और स्थायी समर्थन के माध्यम से विकासशील देशों के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाना है। विश्व सुनामी जागरुकता दिवस 2022 का उद्देश्य शुरुआती चेतावनी प्रणालियों तक पहुँच बढ़ाकर वैश्विक स्तर पर सुनामी के खतरे को कम करना है

 राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस

देश में प्रत्येक वर्ष 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस (National Cancer Awareness Day) मनाया जाता है ताकि जानलेवा बीमारी से लड़ने के लिये शुरुआती कैंसर का पता लगाने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके। मैरी क्यूरी की जयंती के अवसर पर 7 नवंबर का दिन राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस के रुप में चुना गया था। कैंसर की स्थिति में शरीर की कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं। कैंसर भारत सहित दुनिया भर में जीर्ण एवं गैर-संचारी रोगों (Non-Communicable Diseases- NCD) की वजह से होने वाली मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। भारत में राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (National Pharmaceutical Pricing Authority- NPPA) ने कैंसर  की दवाओं को अधिक किफायती बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।


शिशु सुरक्षा दिवस

शिशु सुरक्षा दिवस प्रतिवर्ष 7 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों में शिशुओं की सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। भारत में शिशु मृत्यु दर कई देशों की तुलना में अधिक है, स्वास्थ्य संबंधी देखभाल की कमी के कारण यह समस्या और भी गंभीर होती जा रही है। विश्व भर में नवजात शिशुओं की उचित सुरक्षा एवं बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण बहुत सारे बच्चों की मृत्यु हो जाती है। विभिन्न देशों की सरकारों ने इस समस्या से निपटने के लिये अनेक योजनाएँ लागू की हैं। भारत में इसी संदर्भ में शिशु के साथ-साथ माँ के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा जननी सुरक्षा योजना शुरू की गई है। साथ ही इससे संबंधित अन्य योजनाएँ भी कार्यान्वित की जा रही हैं, जैसे- सुकन्या समृद्धि योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन आदि। इन सभी योजनाओं  का मूल उद्देश्य शिशु-मातृ मृत्यु दर में कमी लाना, उनके स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार करना, शिशुओं  के लिये नियमित टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध कराना आदि हैं।


उत्तराखंड स्थापना दिवस

प्राकृतिक संपदा और नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण उत्तराखंड राज्य का गठन 9 नवंबर, 2000 को भारत के 27वें राज्य के रूप में किया गया था। देशवासियों की आस्था की प्रतीक पवित्र नदी गंगा का उद्गम स्थल तथा धार्मिक पर्यटन स्थलों, मंदिरों और नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण प्रकृति की गोद मे बसा वर्तमान उत्तराखंड राज्य पहले आगरा एवं अवध संयुक्त प्रांत का हिस्सा था। यह प्रांत वर्ष 1902 में अस्तित्त्व में आया और वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से को अलग करके उत्तराखंड बनाया गया। हिमालय की तलहटी में स्थिित उत्तराखंड राज्या की अंतर्राष्ट्रीेय सीमाएँ उत्तर में चीन (तिब्बंत) और पूर्व में नेपाल से मिलती हैं। इसके उत्तर-पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश है। यह प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध राज्य है। देहरादून यहाँ की राजधानी है। यहाँ मुख्य तौर पर हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा का प्रयोग किया जाता है, जबकि गढ़वाली और कुमाऊँनी यहाँ की स्थाहनीय बोलियाँ हैं।


राष्ट्रीय  विधिक सेवा दिवस

प्रत्येक वर्ष 9 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस (National Legal Services Day-NLSD) मनाया जाता है। राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस (NLSD) की शुरुआत वर्ष 1995 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समाज के गरीब एवं कमज़ोर वर्गों को सहायता व समर्थन प्रदान करने के लिये की गई थी। इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य सभी के लिये न्याय सुनिश्चित करने हेतु लोगों को कानून के बारे में  जागरूक करना, साथ ही समाज के गरीब एवं कमज़ोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता व सलाह प्रदान करना है। भारतीय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 को भारतीय संसद द्वारा 9 नवंबर, 1995 को लागू किया गया था। इसलिये 9 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवसके रूप में चिह्नित किया गया है। ‘NALSA’ का गठन समाज के कमज़ोर वर्गों को नि:शुल्क कानूनी सेवाएँ प्रदान करने और विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के उद्देश्य से किया गया है। भारत का मुख्य न्यायाधीश ‘NALSA’ का मुख्य संरक्षक होता है और भारत के सर्वोच्च न्यायालय का द्वितीय वरिष्ठ न्यायाधीश प्राधिकरण का कार्यकारी अध्यक्ष होता है। 

 

परिवहन दिवस

भारत में प्रतिवर्ष 10 नवंबर को परिवहन दिवस मनाया जाता है। यह दिवस यातायात नियमों और दुर्घटनाओं,  निजी वाहनों के उपयोग के परिणामों, सार्वजनिक परिवहन का सख्ती के साथ उपयोग किये जाने की  आवश्यकता, परिवहन क्षेत्र के विकास एवं इस संबंध में जागरूक करने के लिये मनाया जाता है। भारत के कई राज्यों में प्रदूषण के घटने-बढ़ने की समस्या भी इस दिवस का केंद्रीय बिंदु है। एक समय ऐसा भी था जब यातायात  के इतने साधन नहीं थे, वाहंनों की संख्या बेहद कम थी, लेकिन आज समय और परस्थिति दोनों  में बदलाव आया है। आवागमन के साधन व सुविधाओं में वृद्धि से देश में जहाँ एक ओर विकास के नए युग का सूत्रपात हुआ है, वही इनकी वजह से पर्यावरण को भारी क्षति भी पहुंची है। विज्ञान एवं विकास में समन्वय स्थापित कर सुगम, सुरक्षित व प्रदूषण रहित परिवहन व्यवस्था सुनिश्चित की जा सकती है।


राष्ट्रीय शिक्षा दिवस- मौलाना अबुल कलाम आज़ाद

भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती के अवसर पर प्रत्येक वर्ष 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। अबुल कलाम आज़ाद विद्वान, शिक्षाविद् और स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने स्वतंत्र भारत की शिक्षा प्रणाली के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को मरणोपरांत वर्ष 1992 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। मौलाना आज़ाद ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) और स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान किया। उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE), भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR), साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी एवं वैज्ञानिक औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की स्थापना में भी भूमिका निभाई। पहले राष्ट्रीय शिक्षा दिवस समारोह का उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने 11 नवंबर, 2008 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में किया था, इसके साथ ही केंद्र सरकार ने 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।


विश्व विज्ञान दिवस

समाज में विज्ञान की महत्त्वपूर्ण भूमिका और वैज्ञानिक मुद्दों पर बहस में आम जनता को संलग्न करने के साथ दैनिक जीवन में विज्ञान की प्रासंगिकता को रेखांकित करने तथा शांति व विकास हेतु प्रत्येक वर्ष 10 नवंबर को विश्व विज्ञान दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2022 के लिये इस दिवस की थीम "सतत विकास के लिये बुनियादी विज्ञान" रखी गई है। सर्वप्रथम 10 नवंबर, 2002 को यूनेस्को (UNESCO) के तत्त्वावधान में दुनिया भर में मनाया गया यह दिवस वर्ष 1999 में बुडापेस्ट में विज्ञान विषय पर आयोजित विश्व सम्मेलन का परिणाम है। इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को विज्ञान के विकास से अवगत कराने और  पृथ्वी को लेकर हमारी समझ को व्यापक बनाने में विज्ञान की भूमिका  पर प्रकाश डालना है।


राष्ट्रीय पक्षी दिवस

राष्ट्रीय पक्षी दिवस प्रतिवर्ष '12 नवंबर' को मनाया जाता है। 12 नवंबर डॉ. सलीम अली का जन्म दिवस है, वे विश्वविख्यात पक्षी विशेषज्ञ एवं प्रकृतिवादी थे। वे भारत के ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारत भर में व्यवस्थित रूप से पक्षी सर्वेक्षण का आयोजन किया और पक्षियों पर लिखी उनकी किताबों ने भारत में पक्षी-विज्ञान के विकास में काफी मदद की। भारत में इन्हें "पक्षी मानव" के नाम से भी जाना जाता था। पक्षी विशेषज्ञ सलीम अली के जन्म दिवस को 'भारत सरकार' द्वारा राष्ट्रीय पक्षी दिवस घोषित किया गया है। सलीम अली ने पक्षियों से संबंधित अनेक पुस्तकें लिखी थीं, 'बर्ड्स ऑफ़ इंडिया' इनमें सबसे लोकप्रिय पुस्तक है। डाक विभाग ने इनकी स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया है। वर्ष 1958 में सलीम अली को 'पद्मभूषण' तथा वर्ष 1976 में 'पद्मविभूषण' से सम्मानित किया गया था।


विश्व मधुमेह दिवस

विश्व मधुमेह दिवस प्रतिवर्ष 14 नवंबर को मनाया जाता है। यह एक गैर-संचारी रोग है जिसका कारण अग्न्याशय द्वारा पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करना अथवा शरीर द्वारा उत्पादित इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाना है। इसके दो प्रकार हैं: टाइप-1 मधुमेह और टाइप-2 मधुमेह।टाइप-2 मधुमेह का मुख्य कारण मोटापा और व्यायाम की कमी है। भारत में मधुमेह एक बढ़ती हुई चुनौती है, जिसकी अनुमानित 8.7% आबादी 20 और 70 वर्ष के आयु वर्ग की है। मधुमेह और अन्य गैर-संचारी रोगों के प्रमुख कारकों में बढ़ता शहरीकरण, असंतुलित जीवन-शैली, अस्वास्थ्यकर आहार आदि हैं। वैश्विक स्तर पर देखें तो विश्व में लगभग 6% आबादी अर्थात् 420 मिलियन से अधिक लोग टाइप-1 या टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित हैं। इंसुलिन अग्न्याशय द्वारा स्रावित एक पेप्टाइड हार्मोन है जो सेलुलर ग्लूकोज़ बढाने, कार्बोहाइड्रेट, लिपिड, प्रोटीन मेटाबॉलिज़्म को विनियमित करने तथा कोशिका विभाजन एवं विकास को बढ़ावा देकर सामान्य रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। वर्ष 2010 में कैंसर, मधुमेह, हृदय रोगों एवं स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिये शुरू किया गया राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS) का उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल के विभिन्न स्तरों पर मधुमेह के निदान तथा लागत प्रभावी उपचार में सहायता करना है।


झारखंड राज्य गठन दिवस

15 नंवबर, 2000 को भारत संघ के 28वें राज्य के रूप में झारखंड का निर्माण हुआ। झारखंड राज्य आदिवासियों की गृहभूमि है। झारखंड में मुख्य रूप से छोटा नागपुर पठार और संथाल परगना के वन क्षेत्र शामिल हैं। यहाँ की अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक परंपराएँ हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात 'झारखंड मुक्ति मोर्चा' ने नियमित रूप से आंदोलन किया, जिस कारण सरकार ने वर्ष 1995 में 'झारखंड क्षेत्र परिषद' की स्थापना की और इसके पश्चात् यह राज्य पूर्णत: अस्तित्त्व में आया। बाबूलाल मरांडी झारखंड राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे। इन्होंने वर्ष 2006 में भारतीय जनता पार्टी छोड़कर 'झारखंड विकास मोर्चा' की स्थापना की थी। झारखंड भारत का एक प्रमुख राज्य है जो गंगा के मैदानी भाग के दक्षिण में है। झारखंड राज्य में बहुत बड़ी संख्या में घने वन हैं जहाँ अनेकों वनस्पतियाँ पाई जाती हैं, यही कारण है कि राज्य का नाम झारखंड पड़ा है। संपूर्ण भारत में वनों के अनुपात में यह प्रदेश एक अग्रणी राज्य माना जाता है तथा वन्यजीवों के संरक्षण के लिये मशहूर है। 'झारखंड' का शाब्दिक अर्थ है- "वन का क्षेत्र"। झारखंड के पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़, उत्तर में बिहार तथा दक्षिण में ओडिशा है। औद्योगिक नगरी राँची इसकी राजधानी है। इस प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में धनबाद, बोकारो एवं जमशेदपुर शामिल हैं तथा वर्तमान समय में झारखंड राज्य के कुल ज़िलों की संख्या 24 है।


नवजात शिशु दिवस (सप्ताह)

नवजात शिशु देखभाल सप्ताह देश में प्रतिवर्ष 15 से 21 नवंबर मनाया जाता है। इस सप्ताह को मानने का उद्देश्य बच्चे की उत्तरजीविता और विकास के लिये नवजात शिशु की देखभाल के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। बच्चे की उत्तरजीविता के लिये नवजात काल की अवधि (जीवन के पहले अठाईस दिन) महत्त्वपूर्ण होते है, क्योंकि इस अवधि में बाल्यवस्था के दौरान किसी अन्य अवधि की तुलना में मृत्यु का जोखिम अधिक होता है। आजीवन स्वास्थ्य और विकास के लिये जीवन का पहला महीना आधारभूत अवधि है। स्वस्थ शिशु स्वस्थ वयस्कों में विकसित होते है, जो कि अपने समुदायों और समाजों की उन्नति एवं विकास में योगदान करते हैं। प्रतिवर्ष 26 लाख बच्चे जीवन के पहले सप्ताह में मृत्यु को प्राप्त हो जाते है तथा इसके अतिरिक्त प्रतिवर्ष 2.6 मिलियन बच्चे मृत जन्म लेते हैं। भारत में वर्ष 2013 में 0.75 लाख नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई, हालाँकि नवजात शिशु मृत्यु दर (NMR) वर्ष 2000 में प्रति 1000 जीवित जन्मों में 44 से घटकर वर्ष 2013 में प्रति 1000 जीवित जन्मों में 28 की गिरावट आई है। यदि हम वर्ष 2035 तक पाँच वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों की मृत्यु दर 1000 जन्में बच्चों में 20 या उससे कम करना चाहते है, तो विशिष्ट प्रयास करने होगें। नवजात मृत्यु के मुख्य कारण हैं: अपरिपक्वता, जन्म के दौरान जटिलताएँ, गंभीर संक्रमण। सभी नवजात शिशुओं में बीमारी के ज़ोखिम को कम और उनकी वृद्धि बढ़ाने एवं विकास के लिये आवश्यक नवजात शिशु देखभाल की आवश्यकता होती है।


राष्ट्रीय प्रेस दिवस

भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना के उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष 16 नवंबर को पूरे भारत में राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है।

यह पहली बार वर्ष 1966 में भारतीय प्रेस परिषद अधिनियम, 1965 के तहत पहले प्रेस आयोग की सिफारिशों पर स्थापित किया गया था, जिसका दोहरा उद्देश्य भारत में समाचार पत्रों और समाचार एजेंसियों के मानकों को बनाए रखने एवं इसमें सुधार कर प्रेस की स्वतंत्रता को संरक्षित करना था।

अर्द्ध-न्यायिक स्वायत्त प्राधिकरण के रूप में इसे वर्ष 1979 में संसद के एक अधिनियम, प्रेस परिषद अधिनियम, 1978 के तहत फिर से स्थापित किया गया था।

भारतीय प्रेस परिषद एकमात्र निकाय है जो प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा के अपने कर्त्तव्य में राज्य के उपकरणों पर भी अधिकार का प्रयोग करता है।

 यह परिषद एक कॉर्पोरेट निकाय है जिसमें एक अध्यक्ष और 28 सदस्य होते हैं।

इसमें सभापति का चयन लोकसभा के अध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति और परिषद के 28 सदस्यों द्वारा आपस में चुने गए सदस्यों द्वारा किया जाता है।


राष्ट्रीय मिरगी दिवस

भारत में राष्ट्रीय मिरगी/अपस्मार दिवस मिरगी के विषय में जागरूकता फैलाने के लिये प्रतिवर्ष 17 नवंबर को मनाया जाता है। मिरगी मस्तिष्क का एक क्रोनिक रोग है, जिसे दौरा पड़ने के रूप में पहचाना जाता है और इसका कारण किसी व्यक्ति को न्यूरॉन्स (मस्तिष्क की कोशिकाओं) में अचानक असामान्य एवं अत्यधिक विद्युत का संचार होना है, परिणामस्वरूप व्यक्ति मूर्छित हो जाता है। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है तथा इस रोग से पीड़ित हर उम्र के व्यक्ति की परेशानियाँ अलग-अलग हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार विश्व भर में लगभग पचास लाख लोग मिरगी से पीड़ित है, जिसमें से अस्सी प्रतिशत लोग विकासशील देशों के हैं। मिरगी का उपचार संभव है, भारत में लगभग दस लाख लोग मिरगी से पीड़ित है। मिरगी के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं: अचानक लड़खड़ाना (हाथ-पाँव में अनियंत्रित झटके लगना), बेहोशी, हाथ व पैरों या चेहरे की मांसपेशियों में जकड़न आदि। मिरगी के कारण मस्तिष्क की क्षति जैसे कि जन्मपूर्व एवं प्रसवकालीन चोट, जन्मजात असामान्यता, मस्तिष्क में संक्रमण, स्ट्रोक एवं ब्रेन ट्यूमर, सिर में चोट/दुर्घटना। बचपन के दौरान लंबे समय तक तेज़ बुखार से पीड़ित होना। मिरगी से पीड़ित रोगियों को चिकित्सक की सलाह के अनुसार नियमित रूप से दवाओं का सेवन करना चाहिये,  रोगियों को किसी भी तरह की अन्य दवाओं का सेवन करते समय उन दवाओं के संभावित दुष्प्रभावों या किसी भी तरह की अन्य जटिलताओं से बचने के लिये चिकित्सक से परामर्श करना चाहिये, शराब का सेवन नहीं करना चाहिये क्योंकि शराब का सेवन दौरा पड़ने की संभावना को बढ़ाता है।

 

विश्व शौचालय दिवस

लोगों को स्वस्थ रखने और स्थायी स्वच्छता के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने हेतु प्रत्येक वर्ष 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस मनाया जाता है।

वर्ष 2022 की थीम: "अदृश्य को दृश्य बनाना" (Making the invisible visible)

विश्व शौचालय दिवस वर्ष 2013 से प्रतिवर्ष मनाया जाता है।

यह वैश्विक स्वच्छता संकट से निपटने और सतत् विकास लक्ष्य (SDG) 6: 2030 तक सभी के लिये स्वच्छता और जल हासिल करने हेतु कार्रवाई करने के बारे में है।


विश्व दूरदर्शन दिवस

विश्व दूरदर्शन दिवस  प्रतिवर्ष 21 नवंबर को मनाया जाता है। दूरदर्शन (टेलीविज़न) के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 1996 में इस दिवस को मनाए जाने पुष्टि की गई थी। इसका उद्देश्य प्रमुख आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए पूरे विश्व के ज्ञान में वृद्धि करना है। वर्तमान समय में यह मीडिया की सबसे प्रमुख ताकत है। यूनेस्को ने टेलीविज़न को संचार और सूचना के एक महत्त्वपूर्ण साधन के रूप में पहचाना है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 17 दिसंबर, 1996 को 21 नवंबर की तिथि को विश्व दूरदर्शन दिवस के रूप घोषित किया था। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1996 में 21 और 22 नवंबर को विश्व के प्रथम टेलीविज़न फोरम का आयोजन किया था। इसमें टेलीविज़न के विश्व पर पड़ने वाले प्रभाव के संदर्भ में चर्चा की गई। साथ ही इस तथ्य पर भी चर्चा की गई कि विश्व की दिशा और दशा परिवर्तित करने में इसका क्या योगदान है। विश्व की राजनीति पर टेलीविज़न के प्रभाव और इसकी उपस्थिति को किसी भी रूप में इनकार नहीं किया जा सकता है। वर्तमान में यह मनोरंजन एवं ज्ञान के प्रमुख स्रोतों में से एक है लेकिन साथ में यह भी माना जा रहा है कि इसके नकारात्मक प्रभाव भी दृष्टिगत हो रहे हैं। अतः इसके नकारात्मक प्रभाव को रोकने और प्रसारण संबंधी आवश्यक नियम के लिये कुछ क़ानूनी प्रतिबंध भी आरोपित किये जाने की आवश्यकता है।

विश्व बाल दिवस

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने आज विश्व बाल दिवस पर नई दिल्ली में बाल कल्याण समितियों के लिये प्रशिक्षण मॉड्यूल और गो होम एंड री-यूनाइट पोर्टल का शुभारंभ किया। कार्यक्रम का उद्देश्य देश में किशोर न्याय नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये बाल कल्याण समितियों एवं ज़िला बाल संरक्षण इकाइयों के सदस्यों तथा अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करना है। बाल कल्याण समितियांँ बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हालाँकि भारत में देश में बाल संरक्षण के लिये किशोर न्यारय नियमों में एकरूपता की आवश्य्कता है। विश्व बाल दिवस विश्व में बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और कल्याण के लिये 20 नवंबर को मनाया जाता है। यह सबसे पहले वर्ष 1954 में मनाया गया था। इसी तिथि पर वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा बाल अधिकारों के लिये अभिसमय अपनाया गया था।


अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस

महिलाओं पर होने वाली हिंसा को रोकने के लिये प्रतिवर्ष 25 नवंबर को विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस’ (International Day for the Elimination of Violence against Women) मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकना और महिलाओं को उनके बुनियादी मानवाधिकारों एवं लैंगिक समानता के विषय में जागरूक करना है। महिला अधिकार कार्यकर्त्ताओं द्वारा वर्ष 1981 से प्रतिवर्ष 25 नवंबर को लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ लड़ने हेतु इस दिवस का आयोजन किया जाता है। 07 फरवरी, 2000 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक संकल्प पारित किया, जिसमें 25 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवसके रूप में नामित किया गया। इस दिवस का आयोजन मिराबाई बहनों’ (डोमिनिकन गणराज्य की तीन राजनीतिक कार्यकर्त्ता) के सम्मान में किया जाता है, जिन्हें वर्ष 1960 में देश के शासक राफेल ट्रुजिलोके आदेश पर बेरहमी से मार दिया गया था। भारत में लैंगिक समानता (gender equality) का सिद्धांत भारतीय संविधान में निहित है,साथ ही महिलाओं को लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किये जाने (अनुच्छेद 15) और विधि के समक्ष समान संरक्षण (अनुच्छेद 14) का मूल अधिकार प्राप्त है। महिला सशक्तीकरण से संबंधित प्रमुख सरकारी योजनाएँ इस प्रकार हैं: बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र योजना।


राष्ट्रीय दुग्ध दिवस

भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज़ कुरियन के जन्मदिन को राष्ट्रीय दुग्ध दिवसके रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2014 में 26 नवंबर के दिन भारतीय डेयरी एसोसिएशन (IDA) ने पहली बार यह दिवस मनाने की पहल की थी। ध्यातव्य है कि डॉ. वर्गीज़ कुरियन के मार्गदर्शन में ही भारत में कई महत्त्वपूर्ण संस्थाओं जैसे- गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का गठन किया गया। वर्ष 1970 में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि तथा ग्रामीण क्षेत्र की आय बढ़ाने को ध्यान में रखते हुए ऑपरेशन फ्लडकी शुरुआत की गई। डॉ. कुरियन ने किसानों और श्रमिकों द्वारा चलाए जा रहे कई संस्थानों की स्थापना के अतिरिक्तर लोकप्रिय डेयरी ब्रांड अमूल की स्थापना एवं सफलता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत 22 प्रतिशत वैश्विक उत्पादन के साथ दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है। इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, पाकिस्तान और ब्राज़ील का स्थान है। यह दिवस इस तथ्य को उजागर करने के लिये मनाया जाता है कि किस प्रकार डेयरी एक अरब लोगों की आजीविका का एक प्रमुख साधन है। भारत बीते कुछ वर्षों में 150 मिलियन टन से अधिक दुग्ध उत्पादन के साथ विश्व में दुग्ध का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। जहाँ एक ओर वर्ष 1955 में भारत का मक्खन आयात 500 टन था, वहीं वर्ष 1975 तक दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों का सभी प्रकार का आयात लगभग शून्य हो गया, क्योंकि इस समय तक भारत दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया था। इस वर्ष आज़ादी का अमृत महोत्सव पहल के तहत केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड परिसर में एक समारोह का आयोजन भी किया।


अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस

जगुआर के लिये बढ़ते खतरों और उसके अस्तित्त्व के संरक्षण के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण प्रयासों के बारे में जागरूकता बढ़ाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस मनाने की शुरुआत हुई। यह प्रतिवर्ष 29 नवंबर को मनाया जाता है। जैव विविधता संरक्षण, सतत् विकास और मध्य एवं दक्षिण अमेरिका की सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक के रूप में अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस मनाया जाता है। यह अमेरिका का सबसे बड़ा वाइल्ड कैट है। राष्ट्रीय प्राणी उद्यान, नई दिल्ली (दिल्ली चिड़ियाघर) ने 29 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस मनाया। इसके अंतर्गत राष्ट्रीय प्राणी उद्यान द्वारा जू-वॉक और बिग कैट्स एवं जगुआर पर एक्सपर्ट से बातचीत जैसी कई गतिविधियों का आयोजन किया गया। इस दिवस का लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के व्यापक प्रयासों के हिस्से के रूप में जगुआर कॉरिडोर और उनके आवासों के संरक्षण की ज़रूरत पर ध्यान आकर्षित करना है। जगुआर (पैंथेरा ओंका) को अक्सर तेंदुआ समझ लिया जाता है लेकिन उनके शरीर पर बने धब्बों के कारण आसानी से अंतर किया जा सकता है। वैसे इस प्रजाति के कई कैट्स पानी से दूर रहते हैं लेकिन जगुआर अच्छे से तैर सकते हैं। इन्हें पनामा नहर में तैरने के लिये भी जाना जाता है।

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