वैज्ञानिक प्रबंध की तकनीकें | वैज्ञानिक प्रबंध की आलोचनायें |Techniques and criticism Scientific Management

वैज्ञानिक प्रबंध की तकनीकें , वैज्ञानिक प्रबंध की आलोचनायें

Techniques and criticism Scientific Management


वैज्ञानिक प्रबंध की तकनीकें (Techniques of Scientific Management):

 

टेलर तथा उसके अनुयायियों ने वैज्ञानिक प्रबंध की कई नई तकनीकों का विकास किया था । इनमें से कुछ निम्नलिखित है:

 

1) क्रियात्मक फोरमैनशिप (Functional foremanship): 

टेलर ने क्रियात्मक संगठन को वैज्ञानिक प्रबंध का आधार माना है। उन्होंने इस प्रारूप को क्रियात्मक फोरमैनशिप का नाम दिया है। यह प्रारूप विशिष्टीकरण एवं श्रम विभाजन के सिद्धांत पर आधारित है। इसमें किसी संगठन में कार्यात्मक विशेषज्ञों का सदस्यों से प्रत्यक्ष संपर्क होता है तथा प्रत्येक सदस्य को कई विशेषज्ञों से आदेश एवं निर्देश प्राप्त करने होते हैं। इस प्रारूप में प्रत्येक कार्य को छोटे-छोटे भागों में बांटकर प्रत्येक कार्य के लिये एक विशिष्ट फोरमैन नियुक्त किया जाता है जो कि उस क्रिया में विशेषज्ञ होता है।

 

II) प्रमापीकरण (Standardisation): 

टेलर ने प्रबंधकों को यह सुझाव दिया कि यंत्रोंउपकरणोंसामग्रीकार्यविधियोंकार्यदशाओंसंसाधनों आदि सभी के प्रमाप निर्धारित कर दिए जाने चाहिये। ये प्रमाप वैज्ञानिक अनुसंधानोंप्रयोगों व अवलोकनों के आधार पर निश्चित किये जाने चाहिये प्रमापीकरण के द्वारा अनावश्यक अपव्यय को रोका जा सकता है तथा उत्पादन के लागत में कमी और उत्पाद की किस्म में सुधार किया जा सकता है।

 

III) प्रेरणात्मक मजदूरी प्रणाली (Incentive wage system): 

टेलर ने यह सुझाव दिया कि श्रमिकों को उनकी क्षमता एवं प्रयासों के आधार पर पारिश्रमिक दिया जाना चाहिये। उन्होंने श्रमिकों को अधिक कार्य करने की प्रेरणा देने के लिये विभेदात्मक मजदूरी प्रणाली का प्रतिपादन किया । इस पद्धति के अनुसार के निर्धारित समय में प्रमापित कार्य पूरा करने करने वाले सदस्यों को प्रति इकाई ऊँची दर से मजदूरी दी जाती है तथा जो सदस्य निर्धारित समय में प्रमापित कार्य को पूरा नहीं कर पाते नहीं कर हैंउन्हें प्रति इकाई नीची दर से मजदूरी दी जाती है। यह प्रणाली योग्य सदस्यों को अधिक मजदूरी प्रदान करती है तथा अकुशल सदस्यों को कुशल बनने की प्रेरणा देती है।

 

IV) श्रमिकों का वैज्ञानिक चुनाव एवं प्रशिक्षण (Scientific selection and training of workers): 

टेलर का यह मत है कि कार्य के अनुसार ही सदस्यों का चयन किया जाना चाहिये ताकि सही कार्य पर सही व्यक्ति की नियुक्ति की जा सके। सदस्यों के वैज्ञानिक चयन के लिये मनोवैज्ञानिक एवं व्यावसायिक परीक्षण रखे जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त कार्य के प्रति उनकी रूचियोग्यताप्रवृतिव्यक्तित्व आदि की भी जाँच की जा सकती है। वैज्ञानिक विधि से चयनित सदस्यों की कार्यक्षमता अधिक होने के साथ साथ उसके कार्य का पर्यवेक्षण करने की आवश्यकता भी नहीं होगी। इतना ही नहीं अच्छे परिणामों की प्राप्ति के लिये सदस्यों को कार्य पर नियुक्त करने से पहले आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये

 

V) कार्य का वैज्ञानिक वितरण (Scientific allocation of work) : 

टेलर का यह मत था की जब तक कार्य का उचित वितरण नहीं किया जायेगा तब तक उस संगठन की क्षमता में वृद्धि नहीं की जा सकती है। उन्होंने सदस्यों की रूचि और योग्यता को ध्यान में रख कर सही व्यक्ति को सही कार्य देने की वकालत किया । कार्य का वैज्ञानिक वितरण नहीं होने से एक ओर जहाँ लक्ष्य प्राप्ति में बाधा पहुँचती है वहीँ दूसरी ओर सदस्यों में कार्य के प्रति उदासीनताअरुचिअनुपस्थिति व अन्य समस्यायें उत्त्पन्न हो जाती हैं। इसके अतिरिक्त सदस्यों की कार्य कुशलता पर प्रभाव पड़ने से उसके पारिश्रमिक में कटौती हो जाती है। अतः टेलर ने कार्यों के वैज्ञानिक वितरण पर बल दिया।

 

VI) यन्त्र व सामग्री का वैज्ञानिक चयन (Scientific allocation tools and materials): 

टेलर का यह मत था की जब तक उपयुक्त किस्म के यंत्र या सामग्री उपलब्ध न हो सकें तब तक कोई भी सदस्य दक्षता पूर्वक कार्य नहीं कर सकता है। अतः प्रबंधकों को चाहिये कि वे प्रयोग में लायी जाने वाली सामग्री के पहले से ही प्रमाप निर्धारित कर लें तथा उसी के अनुसार सामग्री का क्रय करें।

 

VII) नियंत्रण की सामूहिक विचारधारा (Collective concept of control):

 टेलर ने प्रबंधकों नियंत्रण की सामूहिक विचारधारा प्रदान की। इसके अंतर्गत किसी संगत में यांत्रिक नियंत्रण पर जोर ना देकर संवेदनशील एवं बौद्धिक नियन्त्रण पर जोर दिया जाता है । इस पद्धति में सदस्यों एवं प्रबंधको दोनों आवश्यकताओं की पर ध्यान दिया जाता है।

 

VIII) कुशल लागत लेखा प्रणाली (Efficient costing system): 

कुशल लागत लेखा प्रणाली वैज्ञानिक प्रबंध का एक महत्वपूर्ण अंग है इसके द्वारा किसी कार्य को करने में जो लागत आता है उससे सम्बन्धित लागतों का अनुमान लगाया जाना चाहिये। ऐसा करने से सामग्रीसमयमशीन आदि के अपव्ययों को रोका जा सकता है है

 

वैज्ञानिक प्रबंध की आलोचनायें (Criticisms of Scientific Management ):

 

टेलर के वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांतों ने प्रशासन के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी तथा औद्योगिक समस्याओं के निराकरण में अमूल्य योगदान दिया हैं। फिर भी टेलर के सिद्धांत आलोचनाओं से अछूते नहीं रहे। वैज्ञानिक प्रबंध की निम्नलिखित बिदूओं पर आलोचना की गयीं हैं-

 

(1) यह सिर्फ कारखाना स्तर पर उत्पादन पर बल देता है तथा किसी संगठन के प्रशासकीय ढांचा के सम्बन्ध में कोई मंतव्य नहीं देता है।

 

II) यह मानवीय पक्ष की अवहेलना करता है इसके अनुसार श्रमिक/ सदस्य सिर्फ एक मशीन है जिनका उद्देश्य उत्पादन करना है।

 

III) इसमें मानवीय अभिप्रेरणाओं की व्याख्या सिर्फ आर्थिक लाभ के सन्दर्भ में की गयी है यह सिद्धांत श्रमिकों/सदस्यों के सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक पहलूओं की अवहेलना करता है ।

 

IV) यह प्रशासनिक तानाशाही को जन्म देता है क्योंकि समस्त नियोजन का कार्य प्रशासकों / प्रबंधकों द्वारा ही किया जायेगा तथा श्रमिक/ कर्मचारी सिर्फ उनके आदेशों के अनुसार कार्य करेंगे।

 

V) कार्य विधियोंकार्य माप तथा मजदूरी दर का वैज्ञानिक ढंग से सही-सही मापन नहीं किया जा सकता है।

 

VI) टेलर की मानसिक क्रांति के सिद्धांत के अनुसार सभी औद्योगिक समस्याओं का निपटारा नियोक्ता तथा श्रमिकों के बीच आपस में विचार विमर्श द्वारा होगा। ऐसे में श्रम संगठनों की शक्ति कम होती जायेगी। VII) इस सिद्धांत की आलोचना प्रबंधकों द्वारा भी की गयी क्योंकि इसे लागू किये जाने से उनका दायित्व और काम- ये दोनों ही बढ़ गये। साथ ही वैज्ञानिक प्रणाली अपनाने से उनकी निर्णय प्रक्रिया पर अंकुश लग गया।

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