इलेक्ट्रानिक मीडिया के विभिन्न विभागों की कार्यशैली |Working style of different departments of electronic media
इलेक्ट्रानिक मीडिया के विभिन्न विभागों की कार्यशैली
इलेक्ट्रानिक मीडिया के विभिन्न विभागों की कार्यशैली
इलेक्ट्रानिक मीडिया तेजी का मीडिया है। इसीलिए किसी भी न्यूज चैनल की सफलता उसकी टीम के तालमेल और उसके कार्य करने की क्षमता पर निर्भर करती है। प्राप्त हर न्यूज चैनल की कार्य प्रणाली एक दूसरे से थोड़ी-बहुत अलग होती है। लेकिन मोटे तौर पर इनपुट और आउटपुट विभागों का कार्य सभी चैनलों में एक सा ही होता है। क्षेत्रीय चैनलों और राष्ट्रीय चैनलों की कार्य प्रणाली में भी थोड़ा बहुत अन्तर होता है। कार्य प्रणाली में चैनल की टैक्नालाजी, उसकी मशीनरी व उपकरणों के स्तर के कारण भी कुछ अन्तर होते हैं।
1 इनपुट विभाग की कार्यशैली :
आप जान चुके हैं कि इनपुट विभाग न्यूज चैनल के लिए आँख कान की तरह है। कोई न्यूज चैनल कितना तेज, कितना प्रभावशाली और कितना लोकप्रिय होगा इसकी बड़ी जिम्मेदारी इनपुट विभाग की होती है। इनपुट विभाग न्यूज चैनल के लिए खबरें जुटाता है। यह खबरें देश भर में कहीं भी घट रही हो सकती हैं। देश-विदेश की हर महत्वपूर्ण खबर वक्त पर न्यूज चैनल में आ जाय यह जिम्मेदारी भी न्यूज चैनल के इनपुट विभाग की होती हैं। इसके लिए इनपुट विभाग को विभिन्न न्यूज एजेंसियों, दूसरे न्यूज चैनलों, अपने स्थानीय संवाददाताओं और अपने प्रसार क्षेत्र के एक- एक संवाददाता और स्ट्रिंगर से सम्पर्क बनाए रखना होता है। प्रायः हर चैनल में इनपुट विभाग को दो स्तरों पर कार्य करना होता है।
1. रोजाना की योजना और
2. आकस्मिक खबरों के प्रस्तुतीकरण की योजना
रोजाना की योजना के तहत इनपुट विभाग सभी पूर्व निर्धारित खबरों और अपने संवाददाताओं द्वारा की जाने वाले खास खबरों के लिए योजना बनाता है, प्रायः सभी चैनलों में पहले दिन शाम को ही अगले दिन के लिए खबरों की योजना बना ली जाती है। इसके लिए इनपुट विभाग में असाहन मेंट डेस्क अपने सभी संवाददाताओं से डेप्लान (कहीं इसे फारवर्ड प्लान कहते हैं) मांगती है। इस डे प्लान में सभी संवाददाता अपने-अपने स्टोरी आइडिया भेजते हैं। साइनमेंट डेस्क इन सभी स्टोरी आइडियाज को सूचीबद्ध करके चैनल के प्रमुख लोगों के साथ होने वाली बैठक में इसे प्रस्तुत करती है। चैनल मुख्यालय के स्थानीय संवाददाताओं के साथ-साथ आउटस्टेशन ब्यूरो के सभी संवाददाताओं से प्राप्त स्टोरी आइडियाज पर विचार विमर्श करके इस
बैठक में जिन-जिन आइडियाज को स्वीकृत कर लिया जाता है उनकी जानकारी सम्बद्ध संवाददाता को दे दी जाती है, ताकि वह अपनी खबर के लिए जरूरी तैयारी शुरू कर सके। कई बार बैठक में वरिष्ठ लोगों द्वारा भी किसी खबर के बारे में निर्णय किया जाता है तो इसके बारे में भी सम्बद्ध लोगों को जरूरी सूचना दे दी जाती है।
खबरों के बारे में सूचना के साथ-साथ खबरों के चैनल मुख्यालय तक पहुँचने के सम्मावित समय (इटीए) को भी नोट किया जाता है। जिससे यह पता चल सके कि कौन सी खबर किस न्यूज बुलेटिन में शामिल की जा सकती है। पूर्व निर्धारित खबरों के लिए ओवी वैन भेजने की व्यवस्था या टीम आदि भेजने की व्यवस्था या टीम आदि भेजने के पहले ही कर ली जाती है। डेप्लान तय हो जाने के बाद अहसानमेंट डेस्क को दिन भर इन खबरों की निगरानी करनी पड़ती है। रिपोर्टर से लगातार संपर्क में रहना पड़ता है। रूजरत पड़ने पर फोनो लाइव प्रसारण के लिए भी व्यवस्था करनी पड़ती है। पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के मामले में एसाहनमेंट डेस्क प्रतिस्पर्धी चैनलों पर लगातार निगरानी रखती है ताकि किसी खबर का कोई महत्वपूर्ण पक्ष उसके चैनल में आने से छूट न जाए ।
मगर आकस्मिक खबरों के लिए यह व्यवस्था पूरी तरह बदल जाती है। आकस्मिक खबरें ही इनपुट डेस्क के कार्य का सही मूल्यांकन करती हैं। अचानक किसी घटना दुर्घटना की स्थिति में, किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के बिना असाहनमेंट डेस्क को काम करना पड़ता है। उसे सबसे पहले घटना की सूचना मिलने पर अपने संवाददाता या अन्य विश्वसनीय स्त्रोत से उसकी पुष्टि करनी होती है। फिर आउटपुट डेस्क से सम्पर्क करके खबर को ब्रेकिंग न्यूज के तौर पर प्रस्तुत करने के लिए बताना होता है। इसी के साथ उसे अपने संवाददाताओं, ओबी वैन आदि को घटना स्थल के लिए रवाना करना होता है फोनो, लाइव आदि की व्यवस्था करनी होती है और लाइब्रेरी या रैफरेंस से सम्पर्क करके घटना से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य और दृश्य आदि का इन्जाम करना होता है। एसाइनमेंट को ही डेस्क कोआर्डिनेटर से संपर्क करके घटना से जुड़े महत्वपूर्ण व्यक्तियों, विशेषज्ञों आदि से भी संपर्क करना होता है। यह सारा कार्य बहुत तेजी से करना होता है और इस तेजी में यह भी ध्यान रखना होता है कि कहीं कोई चूक न हो जाए या कोई गलत तथ्य न चला जाए। इस प्रारम्भिक कार्य के बाद इनपुट को घटना के बवरेज के लिए भावी योजना बनानी पड़ती है, जिस पर चैनल के सभी वरिष्ठ लोग मिल जुल कर अंतिम फैसला करते हैं।
2 आउटपुट विभाग की कार्यशैली :
आउटपुट विभाग की मुख्य जिम्मेदारी खबरों के प्रस्तुततिकरण और प्रसारण की होती है। सामान्य स्थितियों आउटपुट विभाग डे प्लान के अनुसार अपने पास उपलब्ध खबरों को तैयार करवाकर उन्हे पूर्व निर्धारित समय पर प्रसारित करवाने का कार्य करता है। आकस्मिक घटनाओं वाली स्थितियों में आउटपुट को भी अधिक सक्रिय होकर कार्य करना होता है क्योंकि उस समय खबरों की प्रस्तुति ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। सामान्य स्थितियों में आउटपुट डेस्क अपने पास उपलब्ध खबरों के बारे में यह फैसला भी करता है कि कौन-कौन सी खबरें किस बुलेटिन में प्रसारित होंगी। इसके बाद किसी बुलेटिन में इन खबरों का कम तथा तय किया जाता है जिसे रन डाउन कहते हैं।
आउटपुट ही खबरो को तैयार करवाता है। कापी एडीटर के जरिए उनकी स्किप्ट को अंतिम रूप देता है। उनका वीडियो संपादन करवाता है और जरूरत पड़ने पर उनके लिए ग्राफिक्स और अन्य रेखांकन करवाता है। आउटपुट डेस्क ही दर्शकों की रूचि और टीआरपी के तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर खबरों और कार्यक्रमों का समय निर्धारित करता है।
प्रायः हर शिफ्ट के शुरू होने पर आउटपुट हैड अपने सहकर्मियों के साथ बैठक करता है। इस बैठक के बाद हर बुलेटिन के लिए तय खबरों और कार्यक्रमों की सूची बुलेटिन प्रोड्यूसरों को सौंप दी जाती है। बुलेटिन प्रोड्यूसर अपने-अपने बुलेटिन के लिए रन डाऊन तैयार करते रहते हैं। तैयार खबरें जब प्रस्तुतिकरण के लिए तैयार हो जाती हैं तो आउटपुट डेस्क का पैनल प्रोड्यूसर उन खबरों के बारे में एंकर्स से तालमेल करता रहता है। बुलेटिन के प्रस्तुत होते समय भी किसी अप्रत्याशित घटना या किसी फोनो या लाइव आदि की स्थिति में पैनल प्रोड्यूसर का काम होता है कि वह इनपुट आदि से सूचनाएं प्राप्त कर उन्हें एंकर तक पहुँचाता रहे। कई बार एंकर को सवाल बताने का काम भी पैनल प्रोड्यूसर ही करते हैं। एंकर का प्रदर्शन कैसा हो यह भी काफी हद तक आउटपुट के ही जिम्मे होता है। ख़बरों के प्रसारण के समय आउटपुट डेस्क का हर काम होता है कि वो एंकर को समाचार से जुड़े प्रश्न या खबर से जुड़े तथ्यों की जानकारी टेली प्रान्टर के जरिए या पैनल प्रोड्यूसर के जरिए इयर पीस के द्वारा होते रहें। नियमित समाचार बुलेटिन के प्रसारण के समय अचानक कोई घटना दुर्घटना की खबर को जाने पर आउटपुट ही एंकर को सभी जानकारियाँ उपलब्ध कराता रहता है। आउटपुट डेस्क इनपुट डेस्क, से तालमेल कर एंकर को घटना के क्षण प्रतिक्षण की जानकारी देते रहते हैं।
आउटपुट की कार्यशैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा चैनल के कार्यक्रमों और बुलेटिनो का स्वरूप तय करना भी होता है। आउटपुट प्रमुख डिस्ट्रीब्यूशन और मार्केट रिसर्च विभागों से तालमेल रख कर टीआरपी आदि आँकड़ों का अध्ययन भी करता रहता है। इन आंकड़ों व अन्य जानकारी के आधार पर यह पता किया जाता है कि दर्शक किस समय में किस तरह के कार्यक्रम या खबरें अधिक पसन्द करते हैं। इसके आधार पर फिर हर चैनल अपने कार्यक्रमों और बुलेटिनों में जरूरी बदलाव करते हैं।
आपको पहले ही बताया जा चुका है कि कई चैनलों में तकनीकी कार्य आउटपुट विभाग के जिम्मे होता है, जबकि कई चैनलों में यह कार्य ईपी स्तर के तकनीकी प्रमुख के अधीन होता है। यह तकनीकी कार्य मुख्य रूप से खबरों के निर्माण व प्रसारण से जुड़ा होता है।
3 अन्य विभागों की कार्यशैली :
किसी भी न्यूज चैनल के अन्य विभागों में टैक्निकल विभाग सबसे मुख्य होता है। प्रायः इस विभाग के अधीन चार मुख्य कार्यक्षेत्र होते हैं।
- खबरों की तैयारी यानी कैमरे और ओबी वेन आदि की व्यवस्था ।
- खबरों का निर्माण यानी वीडियो सम्पादन, ग्राफिक्स और एनीमेशन आदि का इन्तजाम
- खबरों का प्रसारण यानी स्टूडियो और पीसीआर आदि की व्यवस्था ।
टैक्निकल विभाग कैमरों की व्यवस्था सुचारू बनाए रखता है। हर शूट से लौटने के बाद कैमरा व अन्य उपकरणों की जाँच की जाती है। कैमरे में खराबी आने पर उन्हें तत्काल ठीक कराया जाता है अथवा नए कैमरों की व्यवस्था की जाती है। ओबी वैन के उपकरणों की भी नियमित जाँच की जाती है। यह ऐसी जिम्मेदारी का कार्य है कि इसमें अनियमितता होने से खबरें हासिल करना मुश्किल हो सकता है।
खबरों के निर्माण में मुख्यतः वीडियो एडीटिंग का कार्य होता है। इसके लिए चीफ वीडियो एडीटर अपने उपलब्ध साथियों को उनकी क्षमता के अनुसार कार्य बांटता है। कुछ वीडियो एडीटर सामान्य न्यूज बुलेटिन की खबरें तैयार करते हैं तो कुछ को विशेष कार्यक्रमों के लिए अलग रखा जाता है। कुछ चैनलों में संवाददाता आउटपुट से जुड़े पत्रकार भी वीडियो संपादन का कार्य करते हैं। वीडियो संपादन के समय तैयार स्क्रिप्ट, वीडियो फुटेज, ग्राफिक्स और खबरें के वायस ओवर आदि की जरूरत होती है। वीडियो संपादन से जुड़े प्रोड्यूसर को इन सारी चीजों की व्यवस्था देखनी होती है। खबरों को अलग रूप देने के लिए ग्राफिक्स एवं एनीमेशन की व्यवस्था भी की जाती है।
खबरें तैयार हो जाने के बाद उनके प्रसारण की बारी आती है। इस कार्य में स्टूडियो और पी सी आर तथा एम सी आर आदि की भूमिका होती है। तैयार खबरें रन डाऊन के जरिए पीसीआर, (प्रोड्यूशन कंट्रोल रूम) में पहुंचती है और वहीं एंकर द्वारा पढ़े गए अंश, विजन मिक्सर मशीन के जरिए खबरों के संपादित अंशों के साथ जोड़े जाते हैं। पीसीआर को एमसीआर (मास्टर कंट्रोल रूम) से विज्ञापन, प्रोमो आदि भी मिलते रहते हैं। बाद में यह खबरे एम सी आर में भेज दी जाती है और एम सी आर से उन खबरों का प्रसारण होता है। पीसीआर में अनेक मानीटर लगे होते हैं और विजन मिक्सर, साउण्ड मिक्सर आदि यंत्र भी पीसीआर से ही एंकर को टेली प्राम्टर यंत्र के जरिए खबरें पढ़ने को मिलती हैं। पीसीआर में फोनो करने की व्यवस्था और टिकर पर समाचार प्रस्तुत करने की व्यवस्था भी होती है।
टैक्निकल विभाग का एक महत्वपूर्ण कार्य खबरों का प्रवाह बनाए रखना भी है। आम तौर पर इनपुट में बाहरी ब्यूरो से खबरें लीजलाइन या उपग्रह संचार के जरिए पहुंचती हैं। आजकल इटरनेट के जरिए भी खबरें खूब भेजी जाने लगी हैं। इन सारी व्यवस्थाओं को खराबी रहित बनाए रखने का कार्य तकनीकी विभाग करता है। आजकल न्यूज चैनल का पूरा आंतरिक संचार न्यूजरूम ऑटोमेशन के तहत पूर्णतः स्वचालित हो गया है। इस व्यवस्था में अब अलग-अलग साफ्टवेयरों की मदद से अलग-अलग चैनल अपना कार्य करने लगे हैं। इस व्यवस्था के कारण चैनल में वीडियो फुटेज पहुँचते ही उसे इनजस्ट कर लिया जाता है और एक पहचान (आईडी) दे दी जाती है। इसके बाद इस फुटेज को चैनल के दफ्तर के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति अपने कम्प्यूटर पर देख सकता है। इसी तरह स्क्रिप्ट भी हर जगह देखी जा सकती है। इससे खबरों की निगरानी व उनके स्तर में सुधार करना आसान हो गया है। इस व्यवस्था को सही-सही बनाए रखना भी टैक्निकल विभाग का ही कार्य है और इसी तरह खबरों के प्रसारण से जुड़े उपग्रह प्रसारण तंत्र को ठीक-ठाक रखना भी ।
चैनल के वितरण विभाग को भी लगातार चैनल के प्रसारण पर नजर रखनी पड़ती है । यह विभाग सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों और टीआरपी केन्द्रो में चैनल के निर्बाध और सही स्थान पर प्रसारण की निगरानी रखता है। विभाग प्रमुख पूरे प्रसारण क्षेत्र में फैले प्रतिनिधियों से संपर्क रखता हैं और किसी क्षेत्र या शहर में प्रसारण बाधित होते पर पर उसे तुरन्त नियमित कराने की व्यवस्था करता है। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी होता है क्योंकि अगर प्रसारण को दर्शक देख ही नहीं पाएंगे तो सारी मेहनत बेकार हो जाएगी।
इसी तरह रिसर्च और मार्केटिंग विभाग भी दर्शकों की रूचि और उनके रूझान पर लगातार नजर बनाए रखता है और उसमें बदलाव के अनुसार चैनल के स्वरूप में बदलाव की योजनाएं बनाता रहता है। वर्तमान में इस विभाग की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। किसी-किसी चैनल में गेस्ट कोआर्डिनेशन का एक अलग विभाग होता है। यह विभाग चैनल के विभिन्न कार्यक्रमों के लिए विशेषज्ञों और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों को निर्धारित समय पर चैनल मुख्यालय में रिकार्डिंग या सजीव प्रसारण के लिए बुलवाने की व्यवस्था करता है। किसी खास हस्ती के लिए किसी खास कार्यक्रम या प्रमोशनल कार्यक्रमों के लिए फिल्म कलाकारों या खिलाड़ियों आदि के स्टूडियो आने का इन्तजाम भी यही विभाग करता है।
अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1. खबरें समय पर मिल जाएं इसकी जिम्मेदारी किसकी होती है?
प्रश्न 2. खबरें समय से प्राप्त करने के लिए क्या जरूरी है?
प्रश्न 3. इनपुट विभाग का कार्य किन दो स्तरों पर बंटा होता है?
प्रश्न 4. स्टोरी आइडिया क्या होता है?
प्रश्न 5. गैस्ट कोआर्डिनेटर क्या कार्य करता है?
प्रश्न 6. डे प्लान क्या होता है?
प्रश्न 7. रन डाऊन कौन बनाता है?
प्रश्न 8. स्किप्ट को अंतिम रूप कौन देता है?
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