होशंगशाह की उपलब्धियाँ |Achievements of Hoshangshah
होशंगशाह की उपलब्धियाँ
होशंगशाह की उपलब्धियाँ
निःसन्देह होशंगशाह मालवा के गोरी सुल्तानों में सर्वश्रेष्ठ था उसका मालवा की सल्तनत में वही स्थान है जो इल्तुतमिश का दिल्ली सल्तनत में है। मालवा के अव्यवस्थित राज्य को संगठित करने का श्रेय होशंगशाह को है। मध्यकालीन मालवा के इतिहास में वह महमूद खिलजी का अग्रगामी था । उसने अविश्रान्त युद्धों के द्वारा मालवा की सीमाओं को सुरक्षित कर दिया था। जिसके फलस्वरूप महमूद खिलजी ने मालवा के राज्य को साम्राज्य का रूप दिया ।
होशंगशाह ने मालवा की आन्तरिक व्यवस्था और प्रशासन का पुनर्गठन किया। उसने राजपूतों को जागीरें प्रदान कर उनका सहयोग प्राप्त किया। प्रशासन की सुगमता के लिए उसने राज्य को उज्जैन, चन्देरी, भेलसा, मन्दसौर, रायसेन, होशंगाबाद और बीजागढ़ आदि में विभाजित कर क्षेत्रीय सरकारें बनाई ये माण्डू के अधीन थीं।
होशंगशाह ने अपने समकालीन मुसलमान शासकों की धार्मिक नीति के विपरीत उदार धार्मिक नीति अपनाई। उसने बहुसंख्यक जनता की धार्मिक भावनाओं को देवालयों को ध्वस्त कर कभी भी ठेस नहीं पहुँचायी। उसने हिन्दुओं और जैनों को राज्य में उच्च पद प्रदान किये। इसके अभिलेख सम्बन्धी प्रमाण हैं।
होशंगशाह में रचनात्मक और निर्माणकारी प्रतिभा का बाहुल्य था वह मालवा का प्रथम सुल्तान था जिसने शुद्ध सोने, चाँदी और ताँबे के सिक्के प्रचलित किये। होशंगशाह को स्थान से बहुत प्रेम था। उसने अपने जीवनकाल में अनेक सुन्दर भवनों का निर्माण करवाया। माण्डू नगर का निर्माण उसके मस्तिष्क की योजना थी। माण्डू में जहाज महल, हिण्डोला महल आदि का निर्माण करवाया
होशंगशाह ने मालवा में शिक्षा को प्रोत्साहन देकर अनेक विद्वानों को संरक्षण प्रदान किया। उसने माण्डू में मदरसे की स्थापना भी की। भारत के कई भागों से विद्वान और धार्मिक व्यक्ति मालवा आये । अनेक सूफी सन्तों ने माण्डू को अपना निवास स्थान बनाया। होशंगशाह ने सांस्कृतिक गतिविधियों को पुनर्जीवित कर मालवा के जनजीवन में नई आशा का संचार किया ।
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