विश्व पैंगोलिन दिवस : इतिहास उद्देश्य महत्व | World Pangolin day 2023
विश्व पैंगोलिन दिवस : इतिहास उद्देश्य महत्व
विश्व पैंगोलिन दिवस प्रतिवर्ष फरवरी माह के तीसरे शनिवार को
पैंगोलिन के महत्त्व और वैश्विक स्तर पर इसकी मौजूदा स्थिति को लेकर जागरूकता बढ़ाने हेतु प्रतिवर्ष फरवरी माह के तीसरे शनिवार को विश्व पैंगोलिन दिवस के रूप में मनाया जाता है। पैंगोलिन एक विशाल चींटीखोर (Anteater) स्तनपायी है, जिसकी पीठ पर शल्कनुमा संरचना बनी होती है। ये इस विशेषता वाले एकमात्र ज्ञात स्तनधारी हैं।
पैंगोलिन पृथ्वी पर सबसे अधिक अवैध रूप से तस्करी किये जाने वाले स्तनधारी जीव हैं, आँकड़ों की मानें तो प्रतिवर्ष 200,000 से अधिक पैंगोलिन का शिकार किया जाता है और उनकी अवैध रूप से तस्करी की जाती है। इनका वज़न लगभग 3 पाउंड से लेकर 75 पाउंड तक हो सकता है। वर्तमान में पैंगोलिन की केवल आठ प्रजातियाँ मौजूद हैं, हालाँकि अतीत में विलुप्त हो चुकी कई प्रजातियों के जीवाश्मों की खोज की गई है। इसमें से चार प्रजातियाँ उप-सहारा अफ्रीका और चार प्रजातियाँ एशिया में पाई जाती हैं। कीटभक्षी-पैंगोलिन रात्रिचर होते हैं और इनका आहार मुख्य रूप से चीटियाँ तथा दीमक होते हैं, जिन्हें वे अपनी लंबी जीभ का उपयोग कर पकड़ लेते हैं।
पैंगोलिन की आठ प्रजातियों में से भारतीय पैंगोलिन (Manis Crassicaudata) और चीनी पैंगोलिन (Manis Pentadactyla) भारत में पाए जाते हैं। भारतीय पैंगोलिन एक विशाल एंटीटर है जो पीठ पर 11-13 पंक्तियों की धारियो वाले आवरण से ढका होता है। भारतीय पैंगोलिन की पूँछ के निचले हिस्से पर एक टर्मिनल स्केल भी मौज़ूद होता है, जो चीनी पैंगोलिन में अनुपस्थित होता है। भारतीय पैंगोलिन व्यापक रूप से शुष्क क्षेत्रों, उच्च हिमालय एवं पूर्वोत्तर को छोड़कर शेष भारत में पाया जाता है। यह प्रजाति बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका में भी पाई जाती है। चीनी पैंगोलिन पूर्वी नेपाल में हिमालय की तलहटी क्षेत्र में, भूटान, उत्तरी भारत, उत्तर-पूर्वी बांग्लादेश और दक्षिणी चीन में पाया जाता है।
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