अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस कब और क्यों मनाया जाता है | International Forest Day GK in Hindi

 

अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस 21 मार्च  

(International Forest Day 21 March in Hindi) 

अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस  कब और क्यों मनाया जाता है | International Forest Day GK in Hindi



अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस  कब और क्यों मनाया जाता है 


अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस कब मनाया जाता है ?

  • 21 मार्चको वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस का आयोजन किया जाता है ।


अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस मनाने की घोषणा कब की गयी थी ?

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2012 में 21 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस (IDF) के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी। 

अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस का उद्देश्य क्या है ?

  • इस दिवस का उद्देश्य वनों के महत्त्व और योगदान के बारे में विभिन्न समुदायों में जन-जागरूकता पैदा करना है। 

अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस पर क्या किया जाता है ?

  • इस दिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष सरकारी तंत्र और निजी संगठन मिलकर लोगों को वनों के महत्त्व और पर्यावरण तथा अर्थव्यवस्था में उनकी भूमिका के बारे में जागरूक करते हैं। 

अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस का आयोजन किसके द्वारा किया जाता है ?

  • इस दिवस का आयोजन संयुक्त राष्ट्र वन फोरम (UNFF) और संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (UNFAO) द्वारा किया जाता है। 


अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस 2022 की थीम  IDF Theme 2022

  • अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस 2022 की थीम "वन और टिकाऊ उत्पादन एवं खपत" (Forests and Sustainable Production and Consumption) है।


अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस 2021 की थीम 

  • वर्ष 2021 के लिये इस दिवस की थीम है- वन रेस्टोरेशन: ए पाथ टू रिकवरी एंड वेल-बीइंग। इस वर्ष की थीम इस बात पर ज़ोर देती है कि वनों की बहाली और सतत् प्रबंधन किस प्रकार जलवायु परिवर्तन एवं जैव विविधता के संकट से मुकाबला करने में मददगार साबित हो सकते हैं। स्वतंत्रता के बाद से भारत की आबादी में तीन गुना वृद्धि दर्ज की गई हैहालाँकि इसके बावजूद भारत के कुल भूमि क्षेत्र के पाँचवें हिस्से पर वन मौजूद हैं।


वनों का  क्या महत्त्व है :

वन पृथ्वी के एक-तिहाई भू-क्षेत्र को कवर करते हैं तथा विभिन्न पर्यावरणीय लाभ प्रदान करते हैं, जिसमें जल विज्ञान चक्र के संतुलन को बनाए रखने, जलवायु विनियमन में योगदान और जैव विविधता के संरक्षण में उनकी प्राथमिक भूमिका शामिल है।

पारिस्थितिक दृष्टिकोण के अलावा आर्थिक दृष्टिकोण से अध्ययन का भी यह निष्कर्ष निकालता है कि वन संसाधन देश के आर्थिक विकास में योगदान कर सकते हैं और इसलिये विभिन्न कृषि एवं वानिकी से संबंधित गतिविधियों के लिये वन आवरण को बनाए रखना आवश्यक है।

वन कई लोगों की आजीविका का समर्थन करते हुए 86 मिलियन से अधिक रोज़गार प्रदान करते हैं।

पृथ्वी पर हर किसी का जंगलों से किसी-न-किसी रूप में संपर्क रहा है। इसमें ऐसे समुदाय शामिल हैं जो अपने जीवन और आजीविका के लिये प्रत्यक्ष तौर पर इन पारिस्थितिक तंत्रों पर निर्भर हैं या ऐसे समुदाय जो इन जंगलों से प्राप्त उत्पादों पर निर्भर हैं।

वनों का सतत् प्रबंधन और संसाधनों का उपयोग जलवायु परिवर्तन को रोकने तथा वर्तमान एवं भविष्य की पीढ़ियों की समृद्धि व कल्याण में योगदान देने हेतु महत्त्वपूर्ण हैं। वन गरीबी उन्मूलन की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण हैं।

इन अमूल्य पर्यावरणीय, आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य लाभों के बावजूद वैश्विक स्तर पर वनों की कटाई खतरनाक दर से जारी है।

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठनका अनुमान है कि वर्ष 2015 और वर्ष 2020 के बीच विश्व स्तर पर प्रत्येक पाँच वर्ष में 10 मिलियन हेक्टेयर भूमि को साफ किया गया। ग्लोबल फॉरेस्ट वॉचके अनुसार, भारत ने अकेले वर्ष 2020 में प्राकृतिक वन का 132 हेक्टेयर क्षेत्र खो दिया।

एक अन्य अध्ययन के अनुसार, अमेज़न के जंगलों ने कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को अवशोषित करने के बजाय इसका उत्सर्जन करना शुरू कर दिया है।

भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2021 महत्वपूर्ण जानकारी

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