नेतृत्व का मापन एवं कार्य ||नेतृत्व मापन केउपकरण |Measurement and Functions of Leadership
नेतृत्व का मापन एवं कार्य ,नेतृत्व मापन के उपकरण
नेतृत्व का मापन प्रस्तावना
शैक्षिक प्रशासन
के क्षेत्र में उच्च अधिकारियों अथवा नेता द्वारा आधिनस्थ अथवा सहकर्मियों के हृदय
को जीतने वाला, उनका सहयोग व परामर्श, पुरस्कार दण्ड
देने, अनुशासन बनाये रखने वाला व्यावहार व्यक्तिक अथवा अर्जित गुण, परिस्थितियों पर
आधारित होता है, शैक्षिक नेतृत्व कहा जाता है। सामाजिक परिवर्तन के अनुकूल
शिक्षा के विकास, सामूहिक कार्यक्रम में समन्वय, शिक्षा में निय
जन एवं संलग्नता की सफलता हेतु शैक्षिक नेतृत्व अत्यन्त आवश्यक है। शिक्षा के
क्षेत्र में निरन्तर उन्नति, विकास, विद्यालय की
प्रगति हेतु एक कुशल नेता की आवश्यकता होती है। एक शैक्षिक नेता सामाजिकता, सामाजिक जागरुकता
बनाये रखने, सामाजिक विशेश्ताओं के अनुकूल विद्यालय की व्यवस्था करने, उच्च शैक्षिक
प्रबन्धहेतुत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिक्षा के क्षेत्र में विद्यालय प्रबन्धन
में प्रबन्धक अथवा प्रधानाचार्य एवं कक्षा स्तर पर अध्यापक नेता की भूमिका निभाता
है।
किसी भी शैक्षिक
संस्था में नेतृत्व संस्थागत लक्ष्य की प्राप्ति हेतु कार्य परिवेश को इस प्रकार
निश्चित करता है कि प्रधानाचार्य, शिक्षक, गैर-शिक्षण त्तर
कर्मचारी एवं छात्र सभी शैक्षिक संस्था के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु तत्पर हो कर
कार्य करते हैं। चूँकि एक शैक्षिक संस्था के उत्थान से समाज का उत्थान जुड़ा होता
है अतः शैक्षिक नेता का उत्तरदायित्व बहुत अधिक जटिल एवं महत्वपूर्ण होता है।
शैक्षिक संस्था के प्रबन्ध में शैक्षिक नेतृत्व निहित है तथा शैक्षिक नेतृत्व में
संस्थागत लक्ष्य को प्राप्त करने के दक्ष एवं प्रभावशाली तरीके निहित होते हैं।
नेतृत्व का मापन
किसी शैक्षिक
संस्थान की सफलता, उसके छात्रों की शैक्षिक तथा अन्य क्षेत्रो में
उपलब्धि एवं कर्मचारिय/शिक्षक का व्यावसायिक विकास, उनकी
कार्यसंतुष्टि, कार्य समर्पण, निष्ठा आदि
संस्थागत नेतृत्व पर आधारित होता है। इसके अतिरिक्त उपयुक्त शिक्षण अधिगम वातावरण
का निर्माण भी कुशल नेतृत्व पर निर्भर करता है। अतः एक संस्था के सफल प्रदर्शन के
लिए कुशल व प्रतिभाशाली नेतृत्व आवश्यक होता है तथा नेतृत्व को बेहतर बनाने के
लिये नेतृत्व मापन की आवश्यकता होती है जो संस्था में उच्च अधिकारियों
शिक्षको/कर्मचारियों तथा स्वयं द्वारा किया जाता है।
नेतृत्व मापन
द्वारा ही शैक्षिक नेता का व्यक्तिगत विकास संभव हो पाता है क्यूँकि मापन द्वारा
उनके कार्य- व्यवहार के कमजोर पक्ष की पहचानकर उपयुक्त प्रशिक्षण एवं विकास
कार्यक्रम द्वारा व्यवसायिक विकास के अवसर दिये जा सकते हैं। प्रोन्नति संबंधी निर्णय
लेने में तथा संस्था में उपयुक्त कार्यसंस्कृति के वातावरण को विकसित करने के लिए
भी नेतृत्व मापन की मदद ली जाती है। संस्था में नवाचार लागू करने में उपलब्ध
संसाधन के छात्र हित हेतु अधिकतम उपयोग हेतु, छात्र एवं
अभिभावक / समाज की आकांक्षाओं व अपेक्षाओं को संतुष्ट करने के लिए भी नेतृत्व मापन
आवश्यक होता है।
नेतृत्व गुणों, शैलियों, व्यवहारो आदि सभी
के अध्ययन के पश्चात् नेतृत्व के मापन का अध्ययन भी आवश्यक है। गुणो, शैलियों, व्यवहारों की
पहचान भी मापन द्वारा ही होती है। नेतृत्व के मापन के माध्यम से नेतृत्व के गुणदोषों
आदि का ज्ञान प्राप्त होता है, विभिन्न शैलियों की विशेषताएँ ज्ञात होती हैं
और साथ ही संगठन के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु किस प्रकार के नेतृत्व की
आवश्यकता होती है इसका उत्तर भी प्राप्त हो जाता है। नेतृत्व मापन या मूल्यांकन
द्वारा ही नेतृत्व प्रशिक्षण का कार्य सफलता पूर्वक सम्पन्न किया जा सकता है
क्योंकि इसके द्वारा ही उन प्रभावी शैलियों तथा व्यवहारों का ज्ञान प्राप्त होता
है जो किसी नेता को परिस्थिति विशेष में प्रभावशाली नेतृत्व प्रदान करने लायक
बनाती है।
नेतृत्व मापन के कार्य-
नेतृत्व मापन के
मुख्य रुप से तीन कार्य है-
1. कर्मचारियों / अधीनस्थ का प्रबंधन जिससे उनके समय, समस्या एवं कोशल का बेहतर उपयोग संस्थागत उद्देश्य की प्राप्ति हेतु किया जा सके।
2. अधीनस्थ का व्यावसायिक विकास करना ।
3. संस्था का
विकास करना ।
नेतृत्व मापन का
इतिहास उतना ही प्राचीन है जितना कि नेतृत्व का प्रारंभिक काल से ही अपेक्षाकृत
सरल विधियों जैसे कि उच्च अधिकारियों द्वारा प्रेक्षण, व्यवहार जाँचसूची, मूल्यांकन आदि के
द्वारा नेतृत्व के कार्य कर्तव्य तथा प्रोन्नति का निश्चित किया जाता था। परंतु
उक्त विधियाँ नेतृत्व मापन के क्षेत्र में विश्वसनीय एवं वैध नहीं थी। अतः अधिक
विश्वसनीय, वैध तथा व्यापक मापन विधियों की आवश्यकता महसूस की गई जो
अधिक विस्तृत रूप में नेतृत्व को मापन करें। नेता के गुण, व्यवहार, परिस्थिति, छात्र- उपलब्धि, नेतृत्व
कार्यविधियाँ आदि कुछ बिंदू है जिनके आधार पर नेतृत्व का मापन किया जाता है।
नेतृत्व मापन
हेतु सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न उभरता है कि आखिरकार नेतृत्व के किन पक्षों का मापन
किया जाये ओर किन पक्ष का नहीं? सामान्यतः मापन उपकरण नेतृत्व व्यवहार तथा
कार्य के मापित करने के बदले नेतृत्व गुण के मापने पर आधारित होते हैं। विशेष रूप
से शैक्षिक संस्थाओं में छात्र-अधिगम, अभिभावक तथा
छात्र संतुष्टि, विद्यालय- समुदाय संबंध आदि कुछ ऐसे बिन्दु हैं जिन पर
नेतृत्व मापन को केन्द्रीकृत होना चाहिए।
शैक्षिक
संस्थानों में शैक्षिक नेता (प्रशासक) से की जानेवाली कार्य अपेक्षाओं एवं उसके
द्वारा किये गये कार्यों के मापन हेतु प्रयास सदियों से जारी है। शैक्षिक नेतृत्व
की विभिन्न परिभाषाओं तथा सिद्धान्त के आधार पर नेतृत्व को 1930 से 1950 तक
मुख्यतया उपहार माना गया जिसके लिए कुछ आवश्यक गुण महत्वपूर्ण हैं।
अतः मुख्यतया नेतृत्व मापन की शुरुआत गुण सिद्धान्त से मानी जाती है। अन्य नेतृत्व सिद्धान्त जैसे- व्यवहारात्मक सिद्धान्त, परिस्थितियात्मक अथवा स्थितिपरक सिद्धान्त तथा कुछ नवीन सिद्धान्त जैसे कि रूपान्तरकारी नेतृत्व सिद्धान्त (Transformational Leadership Theory), मूल्य आधारित नेतृत्व (Value Based) सिद्धान्त के द्वारा भी नेतृत्व को स्पष्ट करने की कोशिश की गई है। किन्तु अब तक नेतृत्व का कोई एक सर्वसम्मान सिद्धान्त नहीं होने से नेतृत्व मापन की भी कोई एक सर्वमान्य विधि विकसित नहीं हो पायी है। नेतृत्व मापन के उपकरण तथा विधियाँ संबंधित नेतृत्व सिद्धान्त पर आधारित हते हैं। विभिन्न सिद्धान्त के अंतर्गत नेतृत्व के विभिन्न पक्ष का अध्ययन किया जाता है।
नेतृत्व के क्षेत्र में कई सिद्धान्त प्रचलित है जैसे-
1. गुण सिद्धान्त
2. व्यवहारात्मक सिद्धान्त
3. परिस्थितिनात्मक या स्थितिपरक सिद्धान्त
4. सामाजिक विनिमय सिद्धान्त
5. रुपान्तरण सिद्धान्त
6. मूल्य आधारित
सिद्धान्त, आदि ।
नेतृत्व
सिद्धान्त के तहत किसी संस्था में नेतृत्व का मापन इस तथ्य पर निर्भर करता है कि
नेतृत्व संबंधी दिन पक्षों का मापन किया जाता है। नेतृत्व सामान्यतया पर्यवेक्षको
व प्रशासको के नेतृत्व व्यवहार / गुण / कोशल/क्रिया पर आधारित होता है
नेतृत्व के
विभिन्न सिद्धान्त के लिए प्रश्नावली, चुनाव नामांकन, कोटिक्रम (Ranking),
नेतृत्व व्यवहार
मापन/प्रेक्षण, पूर्व नेतृत्व व्यवहार मापने आदि विधिय का प्रयोग शिक्षा
जगत में किया जाता रहा है। उपर्युक्त विधियों द्वारा नेतृत्व का मापन विभिन्न
सिद्धांतों के अंतर्गत निम्न पक्ष / बिन्दुओं पर किया जाता है-
• नेता एवं अधिनस्थ के गुण
• नेता एवं अधिनस्थ का व्यवहार
• परिस्थितियाँ
• नेता एवं अधिनस्थ की अन्तक्रिया
• करिश्मा तथा अन्य पक्ष
नेतृत्व मापन के उपलब्ध उपकरण नेतृत्व क्षेत्र में कार्य की शुरुआत करने वाल प्रारंभिक नेताओं / प्रशासको के नेतृत्व का मापन करने के साथ ही शिक्षा क्षेत्र में स्थापित नेताओं के नेतृत्व के मापन कार्य भी करते हैं।
नेतृत्व के मापन हेतु रेटिंग स्केल, प्रश्नावली, अनुसूची आदि कई उपकरनो को प्रयोग में लाया जाता है।
नेतृत्व मापन हेतु प्रयुक्त कुछ उपकरण निम्न हैं:
1 नेतृत्व कौशल अनुसूची
नेतृत्व कौशल
अनुसूची का निर्माण Karnes and Chauvin ने 1985 में किया
था। नेतृत्व अनुसूची का प्रयोग छात्रो के नेतृत्व कौशल एवं क्षमताओं को मापने हेतु
किया जाता है जिससे विद्यालय एवं समाज छात्र की नेतृत्व प्रतिभा के बारे में जान
कर भविष्य में उन्हें कुशल नेतृत्व के अवसर तथा क्ष प्रदान कर उनके विकास में
योगदान दे सके। इस अनुसूची में 125 नेतृत्व संबंधी कथनो का लिकर्ट मापनी पर मापन
छात्र तथा अध्यापको द्वारा किया जाता है। उक्त 125 कथन नेतृत्व के नो पक्ष नेतृत्व
के आधार, लिखित सम्प्रेषण, वाक क्षमता, मूल्य स्पष्टता, निर्णयन कौशल, समूह गतिकी कौशल, समस्या समाधान
कौशल, व्यक्तिगत विकास कौशल, नियोजन कौशल से
संबंधित होते हैं। इस अनुसूची के द्वारा नेतृत्व मापन से नेतृत्व प्रशिक्षण
कार्यक्रमो की गुणवत्ता जाँचने में तथा नेतृत्व में छात्र निर्धारण में सहायता
मिलती है।
2 कम वरीयता
प्राप्त कर्मचारी पैमाना Least Prefered Coworker Scale
इस पैमाना के
द्वारा नेतृत्व का कार्य आधारित तथा संबंध शैलिओं का विश्लेषण कर नेतृत्व का मापन
किया जाता है। प्रासंगिकता सिद्धान्त पर आधारित यह 8 पद द्विध्रुवीय विश्लेषण
पैमाना जाँच करता है कि नेतृत्व/प्रशासक किस संस्थागत कर्मचारी के साथ कार्य करने
में कठिनाई का अनुभव करता है। इस स्केल पर उच्च अंक दर्शाते हैं कि नेता व्यक्तिगत
संबंध को वरीयता देते हैं, जबकि कम अंक उत्पादन व कार्य कर बल देते हैं।
3 नेता सदस्य विनिमय उपकरण Leader Member Exchange Instrument
नेता सदस्य
विनिमय उपकरण किसी संस्था के मध्य एवं निम्न प्रबंध स्तर पर नेता एवं आधीनस्थ तथा
स्वयं अधिनस्थ के मध्य सामाजिक संबंध का विश्लेषण करने के लिए उपयोग में लाया जाता
है कि वे दोनों पक्ष एक-दूसरे की अपेक्षाओं को किस स्तर तक सन्तुष्ट करते हैं। यह
उपकरण सामाजिक विनिमय सिद्धान्त पर आधारित है जिसमें सात पदों पर नेता एवं आधिनस्थ
/ सदस्य के संबंध की जाँच आधीनस्थ द्वारा दिये गये जवाबो से होती है। वस्तुतः यह
उपकरण उच्च प्रबंध स्तर पर कार्य नहीं करता है। यह उपकरण उच्च तनाव युक्त संस्था
वातावरण के लिए भी उपयुक्त नहीं होता है क्यूँकि नियम कठोरता एवं तनाव युक्त
संस्था में नेता आधीनस्थ सामाजिक संबंध को प्रभावित करते हैं। यह पदानुक्रम (Hierarchical)
संस्थागत संरचना
के लिए उपयुक्त है न कि समतल (Flat ) संस्थागत संरचना के लिए।
3 बहुकारक नेतृत्व प्रश्नावली
बहूकारक नेतृत्व प्रश्नावली का निर्माण Bass and Avolio ने 1985 में किया था। नवीन करिश्माई / नवीन नेतृत्व सिद्धान्त जैसे-मूल्य आधारित नेतृत्व सिद्धान्त, रूपान्तरण नेतृत्व सिद्धान्त आदि पर आधारित है। पाँच- पद लिकर्ट पैमाने पर आधारित यह उपकरण नेतृत्व के गुणों तथा इन गुणों के आधिनस्थन पर को अधीनस्थ द्वारा प्राप्त उत्तरों से जाँचना है। यह उपकरण विभिन्न नेतृत्व शैलियों जैसे रूपान्तरण (tranformational), अहस्तक्षेपी (laissez faire) आदि का किसी नेता के कार्य प्रदर्शन में अध्ययन करता है। शैक्षिक तथा अन्य संस्थाओं जहाँ नेतृत्व अधीनस्थ के कार्य-व्यवहार तथा प्रदर्शन को प्रभावित करता है इस उपकरण को प्रयोग में लाया जा सकता है किंतु नौकरशाही वातावरण (beaurocratic environment) वाली संस्थाओं जहाँ नियम व संरचना प्रमुख होते हैं तथा नेतृत्व का अधीनस्थ पर कम प्रभाव पड़ता है, इस उपकरण का प्रयोग उचित नहीं होता है।
5 नेतृत्व व्यवहार वर्णन प्रश्नावली (द लीडर बिहेवियर ड्रिस्क्रिपशन क्वैश्चनायर LBDQ):
LBDQ स्टेट यूनिवर्सिटी में हेम्फिल एवं कून्स द्वारा निर्मित किया गया। यह उपकरण समूह के सदस्यों द्वारा नेतृत्व व्यवहार के दो आयाम इनिशियेटिंग स्ट्रक्चर ( IS ) एवं कन्सीडरेशन (C) पर नेता के व्यवहार को परिभाषित करता है। इसमें प्रत्येक आयाम के 15 कथनो को पंच बिन्दू पैमाने। Always, After, Occasionally, Seldem, Never पर मापित किया जाता है। यहाँ कन्सीडरेशन के तहत नेता एवं अधीनस्थों के मध्य सम्मान, विश्वास, दोस्ती एवं गर्मजोशी पूर्ण संबंधो को स्थान मिलता है। जहाँ नेता ओपचारिक एवं समाजवादी नहीं होता है एवं वह अधीनस्थों से सहानभूति रखता है। इनिशियटिंग स्ट्रक्चर के तहत नियम आधारित संस्थागत संरचना, सम्प्रेषण एवं कार्य करने के तरीको से नेतृत्व अपने अधीनस्थों से कार्य पूर्ण करवाता है। शोध में ज्ञात हुआ है कि इन दोनो में से किसी एक आयाम पर उच्च अंक प्राप्त करने वाले नेता को अधीनस्थों तथा उच्च अधिकारियों द्वारा पूर्ण नहीं माना जाता है। किसी नेता के व्यवहार में इन दोनों आयामों का मेल महत्वपूर्ण होता है। इस उपकरण के द्वारा निम्नलिखित चार प्रबन्धकीय शैलियों का ज्ञान होत है-
1. हाई इनिशियेटिंग स्ट्रक्चर, हाई कन्सीडरेशन HIS, HC
2. लो इनिशियेटिंग स्ट्रक्चर, हाई कन्सीडरेशन LIS, HC
3. लो इनिशियेटिंग स्ट्रक्चर, लो कन्सीडरेशन LIS, LC
4. हाई
इनिशियेटिंग स्ट्रक्चर, लो कन्सीडरेशन HIS LC
नेतृत्व अभिमत प्रश्नावली (द लीडर ओपिनियन क्वेश्चनायर LOQ):
इस उपकरण में दो
मुख्य तत्वों स्ट्रक्चर एवं कन्सीड्रेशन पर नेता के गुणों का मापन 40 कथनों में
पंच बिन्दू पैमाने पर किया जाता है। इस उपकरण का विकास साइन्स रिसर्च एसोसिएट्स, शिकागो द्वारा
1960 में किया गया। इसमें अंकों का विस्तार शून्य से चार तक होता है।
पर्यवेक्षकीय व्यवहार वण्रन प्रश्नावली (सुपरवाइज़री बिहेवियर ड्रिस्क्रिप्शन SBD ) :
यह उपकरण उच्च
अधिकारियों के व्यावहारों का निम्न आधिनस्थों द्वारा प्रेक्षण का मापन करता है।
इसको इ0ए0 फ्लैशमैन द्वारा A leader behaviour description for industry के नाम से
स्टौगडिल (एडीटेड) की Leader Behaviour : Its description &
measurement में प्रकाशित किया गया। यह 48 कथनों की प्रश्नावली है जो
इनिशियेटिंग स्ट्रक्चर एवं कन्सीड्रेशन दो आयामों पर नेतृत्व का मापन करती है।
उक्त 48 कथनों का पंच बिन्दू पैमाने पर (0 से 4) मापन किया जाता है।
नेतृत्व प्रभावशीलता तथा अनुकूलता वर्णन प्रश्नावली (लीडर इफेक्टिवनेस एण्ड एडैपटेबिलिटी ड्रिस्क्रिप्शन LEAD):
इस उपकरण का विकास हरसे तथा ब्लेडचार्ड द्वारा
1978 में किया गया। यह नेतृत्व व्यावहार के तीन पक्षों नेतृत्व शैली, नेतृत्व शैली का
विस्तार एवं शैली अनुकूलनशीलता का मापन करता है। यह उपकरण स्थितिजन्य नेतृत्व
सिद्धान्त पर आधारित है। यह आधिनस्थ कर्मचारियों पर यह जानने के लिए प्रशासित किया
जाता है कि वे प्रबन्धक की नेतृत्व शैली का प्रेक्षण किस प्रकार करते हैं। इसमें
12 कथन होते हैं। प्रत्येक परिस्थिति के लिए चार विकल्प होते हैं जिनमें से एक
प्रबन्धक को चुनना होता है।
नेतृत्व क्रियाएँ अनुसूची-
नेतृत्व अनुसूची का निर्माण Pisner & kouzes ने 1993 में किया था। इस अनुसूची में पंचपदीय लिकर्ट पैमाने पर 30 पदों द्वारा पाँच नेतृत्व क्रियाओं का मापन किया जाता है। इन पंच नेतृत्व क्रियाओं में प्रक्रिया को चुनोती देना, सम्मिलित दृष्टिकोण को प्रेरित करना, ओरों को कार्य करने के लिए तैयार करना/ क्षमताएँ विकसित करना, प्रतिदर्शन देना, प्रोत्साहन देना सम्मिलित है।
LP3I-Self नेता स्वयं LPI-Obsever
अधिनस्थों की
प्रतिक्रिया को मापित करता है । इस अनुसूची का उद्देश्य संस्था में वास्तविक
नेतृत्व व्यवहार का मापन हता है। साथ ही तथा रुपान्तरण नेतृत्व शैलियों में अन्तर
ज्ञान करने का कार्य भी यह अनुसूची करती है।
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