राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस 2023 : इतिहास उद्देश्य महत्व | National Civil Service Day 2023 in Hindi

 

राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस 2023 : इतिहास उद्देश्य महत्व 
 National Civil Service Day 2023 in Hindi 

राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस 2023 : इतिहास उद्देश्य महत्व | National Civil Service Day 2023 in Hindi


राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस 2022 : इतिहास उद्देश्य महत्व

 

राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस कब मनाया जाता है ?

  • प्रत्येक वर्ष 21 अप्रैल को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस का आयोजन किया जाता है।

राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस का पहली बार आयोजन कब किया गया था ?

  • सिविल सेवा दिवस को पहली बार दिल्ली के विज्ञान भवन में 21 अप्रैल2006 को मनाया गया था। 

सिविल सेवकों को 'भारत का स्टील फ्रेम' (Steel Frame of India)  किसने कहा था ?

  • 21 अप्रैल1947 को स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने दिल्ली के मेटकाॅफ हाउस में प्रशासनिक सेवा के प्रोबेशनरी अधिकारियों को पहली बार संबोधित करते हुए सिविल सेवकों को 'भारत का स्टील फ्रेम' (Steel Frame of India) कहा था। 

राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस के बारे में जानकारी 

  • लोक प्रशासन में संलग्न अधिकारियों के कार्य के महत्त्व को रेखांकित करने के लिये प्रत्येक वर्ष 21 अप्रैल को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस का आयोजन किया जाता है। साथ ही यह दिवस सिविल सेवकों को बदलते समय की चुनौतियों के साथ भविष्य के बारे में आत्मनिरीक्षण एवं सोचने का अवसर प्रदान करता है। 
  • ज्ञात हो कि 21 अप्रैल1947 को स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने दिल्ली के मेटकाॅफ हाउस में प्रशासनिक सेवा के प्रोबेशनरी अधिकारियों को पहली बार संबोधित करते हुए सिविल सेवकों को 'भारत का स्टील फ्रेम' (Steel Frame of India) कहा था। 
  • सिविल सेवा दिवस को पहली बार दिल्ली के विज्ञान भवन में 21 अप्रैल2006 को मनाया गया था। ब्रिटिश काल में सिविल सेवा’ शब्द का प्रयोग ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की प्रशासनिक नौकरियों में शामिल नागरिक कर्मचारियों के लिये किया जाता था। भारत में चार्ल्स कॉर्नवॉलिस को सिविल सेवाओं के जनक के रूप में जाना जाता है।

सिविल सेवाओं का इतिहास 

 

  • प्राचीन भारत में यद्यपि आधुनिक अर्थ एवं आयाम वाली सिविल सेवा के स्पष्ट उदाहरण नहीं मिलते फिर भी तत्कालीन परिस्थितियों के अनुरूप सिविल सेवाओं का गठन किया गया था। मौर्य प्रशासन में सिविल सेवाओं का संकेत मिलता हैजिसमें अध्यक्ष’, ‘राजुक’, ‘पण्याध्यक्ष’, ‘सीताध्यक्ष’ जैसे सिविल सेवा अधिकारी महत्त्वपूर्ण भूमिका में थे। मुगल काल के दौरान अकबर ने एक भूमि राजस्व प्रणाली प्रारंभ की जिसके कार्यान्वयन के लिये नए पदों का सृजन किया गया।


  • भारत में सिविल सेवा के वर्तमान ढाँचे की शुरुआत लार्ड कार्नवालिस द्वारा की गई। कार्नवालिस ने इन सेवाओं को पेशेवर सेवाओं में परिवर्तित कर ब्रिटिश साम्राज्य की नीतियों को कार्यान्वित करने का उपकरण बनाया। 1857 में मैकाले समिति की सिफारिशों के आधार पर सिविल सेवाओं में चयन के लिये प्रतियोगी परीक्षा को लागू किया गया।
  • स्वतंत्रता के बाद भारतीय सिविल सेवाओं को भारतीय लोकतांत्रिक एवं कल्याणकारी राज्य के आदर्शों को लागू करने का साधन बनाया गया। इन सेवाओं ने स्टील फ्रेम’ की तरह कार्य करते हुए भारतीय एकताअखंडता और संप्रभुता को अक्षुण्ण बनाने का कार्य किया।
  • वर्तमान में भारतीय सेवाओं की प्रकृति विनियामक के स्थान पर समन्वयक की हो गई है। सुशासन की बढ़ती मांगोंसिटिज़न चार्टरसूचना का अधिकारअधिकारों के प्रति जागरूकतासेवा प्रदाता राज्य की अवधारणा आदि स्थितियों ने सिविल सेवाओं की तटस्थतानिष्पक्षतावस्तुनिष्ठता और दक्षता में वृद्धि कर उसे समाजिक-आर्थिक न्याय की दिशा में उन्मुख किया है।


लोकतंत्र में सिविल सेवाओं की भूमिका

 

  • सिविल सेवा का सर्वप्रमुख कार्य राजनीतिक कार्यपालिका द्वारा निर्मित नीतियों को कार्यान्वित करना है।
  • सिविल सेवक राजनीतिक कार्यपालिका को नीति-निर्माण में परामर्श और तकनीकी सहायता प्रदान कर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • राजनीतिक कार्यपालिका अथवा मंत्रियों द्वारा अपने कई अधिकारों का सिविल सेवकों को प्रत्यायोजन (delegation) कर दिया जाता है। अतः इन पर सिविल सेवक नियम और विनियम तैयार करते हैं।
  • इस प्रकारसिविल सेवक भारत में सामाजिक समानता व आर्थिक विकास जैसे कल्याणकारी लक्ष्यों तथा नीति निदेशक तत्त्वों में उल्लिखित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये मुख्य उपकरण सिद्ध हुए हैं जिससे भारत एक सशक्त एवं मज़बूत लोकतंत्र के रूप में उभरा है।
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