विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस (विश्व पुस्तक दिवस)2023 : इतिहास उद्देश्य महत्व |World book & copyright day 2023 in Hindi
विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस 2023 : इतिहास उद्देश्य महत्व
World book & copyright day 2023 in Hindi
विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस 2023 : इतिहास उद्देश्य महत्व
विश्व पुस्तक दिवस’ (‘विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस’ ) का आयोजन कब किया जाता है ?
- प्रतिवर्ष 23 अप्रैल को ‘विश्व पुस्तक दिवस’ अर्थात् ‘विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस’ का आयोजन किया जाता है।
23 अप्रैल को ‘विश्व पुस्तक दिवस क्यों मनाया जाता है ?
- 23 अप्रैल की तारीख का इस लिहाज़ से भी काफी महत्त्व है कि इसी दिन विश्व के कई प्रसिद्ध लेखकों का या तो जन्म हुआ था या उनकी मृत्यु हुई थी। उदाहरण के तौर पर विलियम शेक्सपियर, जोसेप प्ला और इंका गार्सिलसो डे ला वेगा ने 23 अप्रैल को अंतिम साँस ली थी, जबकि इसी दिन मैनुएल मेजिया वाल्लीजो, हालडोर लाक्सनेस और मौरिस ड्रून का जन्म हुआ था।
विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस के बारे में जानकारी
- विश्व भर में प्रतिवर्ष 23 अप्रैल को ‘विश्व पुस्तक दिवस’ अर्थात् ‘विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस’ का आयोजन किया जाता
है।
- विश्व पुस्तक दिवस का आयोजन मुख्य तौर पर पुस्तकों को पढ़ने
और प्रकाशन तथा कॉपीराइट के महत्त्व को रेखांकित करने और उन्हें बढ़ावा देने
के लिये किया जाता है।
- ध्यातव्य है कि वर्ष 1995 में पेरिस में आयोजित यूनेस्को के
सम्मेलन के दौरान 23 अप्रैल को ‘विश्व पुस्तक और
कॉपीराइट दिवस’ (विश्व पुस्तक दिवस) के रूप में आयोजित करने का निर्णय लिया
गया था।
- 23 अप्रैल की तारीख का इस लिहाज़ से भी काफी महत्त्व है कि इसी
दिन विश्व के कई प्रसिद्ध लेखकों का या तो जन्म हुआ था या उनकी मृत्यु हुई
थी। उदाहरण के तौर पर विलियम शेक्सपियर, जोसेप प्ला और इंका
गार्सिलसो डे ला वेगा ने 23 अप्रैल को अंतिम साँस ली थी, जबकि इसी दिन मैनुएल
मेजिया वाल्लीजो, हालडोर लाक्सनेस और मौरिस ड्रून का जन्म हुआ था।
- यूनेस्को हर वर्ष इस मौके पर कार्यक्रमों का आयोजन करता है। किताबी दुनिया में कॉपीराइट एक अहम मुद्दा है, इसलिये विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर इस मुद्दे पर भी ज़ोर दिया जाता है।
- जॉर्जिया की राजधानी ‘त्बिलिसी’ (Tbilisi) को वर्ष 2021 के लिये ‘वर्ल्ड बुक कैपिटल’ (World Book Capital) के तौर पर चुना गया था।
- Guadalajara (Mexico) को वर्ष 2022 के लिये ‘वर्ल्ड बुक कैपिटल’ (World Book Capital) के तौर पर चुना गया है।
‘वर्ल्ड बुक कैपिटल’ World Book Capital List
- Antwerp (Belgium) for 2004
- Montreal (Canada) for 2005
- Turin (Italy) for 2006
- Bogota (Colombia) for 2007
- Amsterdam (The Netherlands) for 2008,
- Beirut (Lebanon) for 2009
- Ljubljana (Slovenia) for 2010
- Buenos Aires (Argentina) for 2011
- Yerevan (Armenia) for 2012)
- Bangkok (Thailand) for 2013
- Port Harcourt (Nigeria) in 2014
- Incheon (Republic of Korea) in 2015
- Wroclaw (Poland) in 2016
- Conakry (Republic of Guinea) in 2017
- Athens (Greece) in 2018
- Sharjah (United Arab Emirates) in 2019
- Kuala Lumpur (Malaysia) in 2020
- Tbilisi (Georgia) in 2021
- Guadalajara (Mexico) in 2022.
बौद्धिक संपदा अधिकार किसे कहते हैं ?
- व्यक्तियों को उनके बौद्धिक सृजन के परिप्रेक्ष्य में प्रदान किये जाने वाले अधिकार ही बौद्धिक संपदा अधिकार कहलाते हैं। वस्तुतः ऐसा समझा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी प्रकार का बौद्धिक सृजन (जैसे साहित्यिक कृति की रचना, शोध, आविष्कार आदि) करता है तो सर्वप्रथम इस पर उसी व्यक्ति का अनन्य अधिकार होना चाहिये। चूँकि यह अधिकार बौद्धिक सृजन के लिये ही दिया जाता है, अतः इसे बौद्धिक संपदा अधिकार की संज्ञा दी जाती है।
बौद्धिक संपदा से अभिप्राय है-
- नैतिक और वाणिज्यिक रूप से मूल्यवान बौद्धिक सृजन। बौद्धिक संपदा अधिकार प्रदान किये जाने का यह अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिये कि अमुक बौद्धिक सृजन पर केवल और केवल उसके सृजनकर्त्ता का सदा-सर्वदा के लिये अधिकार हो जाएगा। यहाँ पर ये बताना आवश्यक है कि बौद्धिक संपदा अधिकार एक निश्चित समयावधि और एक निर्धारित भौगोलिक क्षेत्र के मद्देनज़र दिये जाते हैं।
- बौद्धिक संपदा अधिकार दिये जाने का मूल उद्देश्य मानवीय बौद्धिक सृजनशीलता को प्रोत्साहन देना है। बौद्धिक संपदा अधिकारों का क्षेत्र व्यापक होने के कारण यह आवश्यक समझा गया कि क्षेत्र विशेष के लिये उसके संगत अधिकारों एवं संबद्ध नियमों आदि की व्यवस्था की जाए।
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन
- यह संयुक्त राष्ट्र की सबसे पुराने अभिकरणों में से एक है।
- इसका गठन वर्ष 1967 में रचनात्मक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और विश्व में बौद्धिक संपदा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये किया गया था।
- इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
- संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश इसके सदस्य बन सकते हैं, लेकिन यह बाध्यकारी नहीं है।
- वर्तमान में 193 देश इस संगठन के सदस्य हैं।
- भारत वर्ष 1975 में इस संगठन का सदस्य बना था।
बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रकार
कॉपीराइट की जानकारी
- कॉपीराइट अधिकार के अंतर्गत किताबें, चित्रकला, मूर्तिकला, सिनेमा, संगीत, कंप्यूटर प्रोग्राम, डाटाबेस, विज्ञापन, मानचित्र और तकनीकी चित्रांकन को सम्मिलित किया जाता है।
- कॉपीराइट के अंतर्गत दो प्रकार के अधिकार दिये जाते हैं: (क) आर्थिक अधिकार: इसके तहत व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति द्वारा उसकी कृति का उपयोग करने के बदले वित्तीय पारितोषिक दिया जाता है। (ख) नैतिक अधिकार: इसके तहत लेखक/रचनाकार के गैर-आर्थिक हितों का संरक्षण किया जाता है।
कॉपीलेफ्ट:
- इसके अंतर्गत कृतित्व की पुनः रचना करने, उसे अपनाने या वितरित करने की अनुमति दी जाती है तथा इस कार्य के लिये लेखक/रचनाकार द्वारा लाइसेंस दिया जाता है।
पेटेंट
- जब कोई आविष्कार होता है तब आविष्कारकर्त्ता को उसके लिये दिया जाने वाला अनन्य अधिकार पेटेंट कहलाता है। एक बार पेटेंट अधिकार मिलने पर इसकी अवधि पेटेंट दर्ज़ की तिथि से 20 वर्षों के लिये होती है।
- आविष्कार पूरे विश्व में कहीं भी सार्वजनिक न हुआ हो, आविष्कार ऐसा हो जो पहले से ही उपलब्ध किसी उत्पाद या प्रक्रिया में प्रगति को इंगित न कर रहा हो तथा वह आविष्कार व्यावहारिक अनुप्रयोग के योग्य होना चाहिये, ये सभी मानदंड पेटेंट करवाने हेतु आवश्यक हैं।
- ऐसे आविष्कार (जो आक्रामक, अनैतिक या असामाजिक छवि को उकसाते हों तथा ऐसे आविष्कार जो मानव या जीव-जंतुओं में रोगों के लक्षण जानने के लिये प्रयुक्त होते हों) को पेटेंट का दर्जा नहीं मिलेगा।
ट्रेडमार्क
- एक ऐसा चिन्ह जिससे किसी एक उद्यम की वस्तुओं और सेवाओं को दूसरे उद्यम की वस्तुओं और सेवाओं से पृथक किया जा सके, ट्रेडमार्क कहलाता है।
- ट्रेडमार्क एक शब्द या शब्दों के समूह, अक्षरों या संख्याओं के समूह के रूप में हो सकता है। यह चित्र, चिन्ह, त्रिविमीय चिन्ह जैसे संगीतमय ध्वनि या विशिष्ट प्रकार के रंग के रूप में हो सकता है।
औद्योगिक डिज़ाइन
- भारत में डिज़ाइन अधिनियम, 2000 के अनुसार, ‘डिज़ाइन’ से अभिप्राय है- आकार, अनुक्रम, विन्यास, प्रारूप या अलंकरण, रेखाओं या वर्णों का संघटन जिसे किसी ऐसी वस्तु पर प्रयुक्त किया जाए जो या तो द्वितीय रूप में या त्रिविमीय रूप में अथवा दोनों में हो।
भौगोलिक संकेतक
- भौगोलिक संकेतक से अभिप्राय उत्पादों पर प्रयुक्त चिह्न से है। इन उत्पादों का विशिष्ट भौगोलिक मूल स्थान होता है और उस मूल स्थान से संबद्ध होने के कारण ही इनमें विशिष्ट गुणवत्ता पाई जाती है।
- विभिन्न कृषि उत्पादों, खाद्य पदार्थों, मदिरापेय, हस्तशिल्प को भौगोलिक संकेतक का दर्जा दिया जाता है। तिरुपति के लड्डू, कश्मीरी केसर, कश्मीरी पश्मीना आदि भौगोलिक संकेतक के कुछ उदाहरण हैं।
- भारत में वस्तुओं का भौगोलिक संकेतक अधिनियम, 1999 बनाया गया है। यह अधिनियम वर्ष 2003 से लागू हुआ। इस अधिनियम के आधार पर भौगोलिक संकेतक टैग यह सुनिश्चित करता है कि पंजीकृत उपयोगकर्त्ता के अतिरिक्त अन्य कोई भी उस प्रचलित उत्पाद के नाम का उपयोग नहीं कर सकता है।
- वर्ष 2015 में भारत सरकार द्वारा प्रारंभ की गई ‘उस्ताद योजना’ के माध्यम से शिल्पकारों के परंपरागत कौशल का उन्नयन किया जाएगा। उदाहरण के लिये बनारसी साड़ी एक भौगोलिक संकेतक है। अतः उस्ताद योजना से जुड़े बनारसी साड़ी के शिल्पकारों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण की अपेक्षा की जा
बौद्धिक संपदा के संरक्षण हेतु किये गए सरकार के प्रयास
पेटेंट अधिनियम 1970 और पेटेंट (संशोधन) अधिनियम, 2005:
- भारत में सर्वप्रथम वर्ष 1911 में भारतीय पेटेंट और डिज़ाइन अधिनियम बनाया गया था। पुनः स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1970 में पेटेंट अधिनियम बना और इसे वर्ष 1972 से लागू किया गया। इस अधिनियम में पेटेंट (संशोधन) अधिनियम, 2002 और पेटेंट (संशोधन) अधिनियम, 2005 द्वारा संशोधन किये गए। इस संशोधन के अनुसार, ‘प्रोडक्ट पेटेंट’ का विस्तार तकनीक के सभी क्षेत्रों तक किया गया। उदाहरणस्वरुप- खाद्य पदार्थ, दवा निर्माण सामग्री आदि के क्षेत्र में इसे विस्तृत किया गया।
ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999:
- भारत में ट्रेडमार्क के लिये ट्रेडमार्क एक्ट, 1999 बनाया गया है। ट्रेडमार्क एक्ट में शब्द, चिन्ह, ध्वनि, रंग, वस्तु का आकार इत्यादि शामिल किया जाता है।
कॉपीराइट अधिनियम, 1957:
- वर्ष 1957 में कॉपीराइट अधिनियम बनाकर, बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा के लिये इस कानून को देशभर में लागू किया गया।
वस्तुओं का भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999:
- यह कानून सुनिश्चित करता है कि पंजीकृत उपयोगकर्त्ता के अतिरिक्त अन्य कोई भी उस प्रचलित उत्पाद के नाम का उपयोग न कर सके।
डिज़ाइन अधिनियम, 2000:
- सभी प्रकार की औद्योगिक डिज़ाइन को संरक्षण प्रदान करता है।
राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति, 2016:
12 मई, 2016 को भारत सरकार ने राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति को मंज़ूरी दी
थी। इस अधिकार नीति के जरिये भारत में बौद्धिक संपदा को संरक्षण और प्रोत्साहन
दिया जाता है। इस नीति के तहत सात लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं-
- समाज के सभी वर्गों में बौद्धिक संपदा अधिकारों के आर्थिक-सामाजिक और सांस्कृतिक लाभों के प्रति जागरूकता पैदा करना।
- बौद्धिक संपदा अधिकारों के सृजन को बढ़ावा देना।
- मज़बूत और प्रभावशाली बौद्धिक संपदा अधिकार नियमों को अपनाना ताकि बौद्धिक संपदा के हकदार और लोकहित के बीच संतुलन कायम हो सके।
- सेवा आधारित बौद्धिक संपदा अधिकार प्रशासन को आधुनिक और मज़बूत बनाना।
- व्यवसायीकरण के जरिये बौद्धिक संपदा अधिकारों का मूल्य निर्धारण।
- बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघनों का मुकाबला करने के लिये प्रवर्तन और न्यायिक व्यवस्था को मज़बूत बनाना।
- मानव संसाधनों संस्थानों की शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसंधान क्षमताओं को मजबूत बनाना और बौद्धिक संपदा अधिकारों में कौशल निर्माण करना।
बौद्धिक संपदा के संरक्षण में अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय
- औद्योगिक संपदा के संरक्षण जुड़ा पेरिस कंवेन्शन (1883): इसमें ट्रेडमार्क, औद्योगिक डिज़ाइन आविष्कार के पेटेंट शामिल हैं।
साहित्यिक और कलात्मक कामों के संरक्षण के लिये बर्न कंवेन्शन (1886):
- इसमें उपन्यास, लघु कथाएँ, नाटक, गाने, ओपेरा, संगीत, ड्राइंग, पेंटिंग, मूर्तिकला और वास्तुशिल्प शामिल हैं।
मराकेश संधि (2013):
- इस संधि के मुताबिक किसी किताब को ब्रेल लिपि में छापे जाने पर इसे बौद्धिक संपदा का उल्लंघन नहीं माना जाएगा। इस संधि को अपनाने वाला भारत पहला देश है।
DMCA क्या है ?
डिजिटल मिलेनियम कॉपीराइट एक्ट:
- यह अमेरिका में पारित एक कानून है और इंटरनेट पर बौद्धिक संपदा (Intellectual Property- IP) को मान्यता देने वाले विश्व के पहले कानूनों में से एक है।
- DMCA, विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) के सदस्य देशों द्वारा वर्ष 1996 में हस्ताक्षरित दो संधियों के कार्यान्वयन की देख-रेख करता है।
- कोई भी सामग्री निर्माता जो यह मानता है कि उसकी मूल सामग्री को किसी भी रूप में किसी उपयोगकर्त्ता या वेबसाइट द्वारा बिना प्राधिकरण के कॉपी किया गया है, अपनी बौद्धिक संपदा की चोरी या उल्लंघन का हवाला देते हुए एक आवेदन दायर कर सकता है।
- फेसबुक, इंस्टाग्राम या ट्विटर जैसे सोशल मीडिया बिचौलियों के मामले में सामग्री निर्माता सीधे मंच से संपर्क कर सकते हैं और मूल निर्माता होने का प्रमाण दे सकते हैं।
- चूँकि ये कंपनियाँ उन देशों में काम करती हैं जो WIPO संधि की हस्ताक्षरकर्त्ता हैं, वे वैध और कानूनी DMCA टेकडाउन नोटिस (Takedown Notice) प्राप्त होने पर उक्त सामग्री को हटाने हेतु बाध्य हैं।
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