विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 12 जून : इतिहास उद्देश्य महत्व
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस : इतिहास उद्देश्य महत्व
प्रत्येक वर्ष 12 जून को विश्व भर में ‘विश्व बाल श्रम निषेध दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम जनमानस को बाल श्रम के विरुद्ध जागरूक करना और इसके उन्मूलन के लिये आवश्यक कार्यवाही एवं प्रयासों को बढ़ावा देना है।
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ (ILO) द्वारा वर्ष 2002 में की गई थी। इस दिवस की शुरुआत प्रायः बाल श्रम को समाप्त करने हेतु विभिन्न देशों की सरकार को एक साथ एक मंच पर लाने और इस प्रथा को खत्म करने की दिशा में किये जा रहे प्रयासों के प्रति लोगों को अवगत करने के उद्देश्य से की गई थी।
वर्ष 2021 में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की थीम ‘एक्ट नाउ: इंड चाइल्ड लेबर' थी। संयुक्त राष्ट्र (UN) के मुताबिक, वर्तमान में विश्व भर में लगभग 218 मिलियन बच्चे बाल श्रम में संलग्न हैं। उनमें से आधे से अधिक बाल श्रम के सबसे खराब रूपों जैसे- खतरनाक वातावरण में कार्य, गुलामी, ज़बरन श्रम, मादक पदार्थों की तस्करी और वेश्यावृत्ति आदि में संलग्न हैं, इसके अलावा कई बच्चे सशस्त्र संघर्ष में भी शामिल हैं।
वैश्विक महामारी के कारण दुनिया भर में बाल श्रम में महत्त्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई है, ऐसे में बाल श्रम के उन्मूलन के लिये किये गए विभिन्न प्रयास भी कमज़ोर हो गए हैं। इस चुनौतीपूर्ण समस्या को हल करने हेतु सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों, नागरिक समाज को एक साथ आने और सहयोगात्मक प्रयास करने की आवश्यकता है।
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