Current Affairs Summary May 2023 in Hindi | समसामयिकी सारांश मई 2023
Current Affairs Summary May 2023 in Hindi
Current Affairs Summary May 2023 in Hindi
रवि वर्मा की अधूरी पेंटिंग
औपनिवेशिक काल के दौरान पारंपरिक
भारतीय कला में क्रांति लाने वाले महान भारतीय कलाकार राजा रवि वर्मा की एक अधूरी
पेंटिंग जल्द ही सार्वजनिक की जाएगी। वर्ष 1906
में अपनी मृत्यु से पहले रवि वर्मा द्वारा बनाई गई 'पारसी लेडी'
नाम की पेंटिंग उनकी आखिरी कृति है। यह
पेंटिंग अद्वितीय है क्योंकि यह दादा साहेब फाल्के के साथ रवि वर्मा के जुड़ाव की
एक झलक प्रदर्शित करती है,
जिन्होंने उस समय उनके लिये काम किया
था। रवि वर्मा ने फाल्के को एक बड़ी राशि दी, जिन्होंने
बाद में पहली गहन भारतीय फीचर फिल्म, राजा
हरिश्चंद्र बनाकर हेतु ख्याति प्राप्त की। किलिमनूर पैलेस ट्रस्ट पेंटिंग का मालिक
है एवं उसने रवि वर्मा की 175वीं जयंती के अवसर पर एक अन्य पेंटिंग
के साथ इसका अनावरण करने का फैसला किया है जिसे अभी तक प्रदर्शित नहीं किया गया
है। इस पैलेस ने एक कला पुनर्स्थापक एस. माधन की मदद से पेंटिंग को उसके मूल रूप
में बहाल किया है, इन्होंने पेंटिंग पर जमा हुई पुरानी
वार्निश की परतों तथा गंदगी को हटाने का काम किया। राजा रवि वर्मा का जन्म 29 अप्रैल, 1848 को हुआ, जो एक भारतीय चित्रकार थे, जिन्हें हिंदू देवी-देवताओं के पश्चिमी, शास्त्रीय प्रतिनिधित्त्व हेतु जाना
जाता था। उन्होंने शाही चित्रकार रामास्वामी नायडू से जलरंगों का प्रशिक्षण
प्राप्त किया एवं अपने जीवनकाल में लगभग 7,000
चित्र बनाए। वर्मा की लिथोग्राफिक प्रेस की महारत ने उनके काम को दूर-दूर तक
विस्तारित करने में मदद की,
साथ ही उन्हें वर्ष 1904 में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा
कैसर-ए-हिंद स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। वर्ष 2013 में बुध ग्रह पर एक क्रेटर उनके
सम्मान में नामित किया गया था।
हेट स्पीच पर प्रथिमिकी दर्ज करने के आदेश
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सभी
राज्यों को हेट स्पीच की घटनाओं पर स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज करने और
शिकायत दर्ज होने की प्रतीक्षा किये बिना अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही
शुरू करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153A (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच
वैमनश्य को बढ़ावा देना),
153B (आरोप, राष्ट्रीय एकता के प्रतिकूल दावे), 505 (सार्वजनिक अनिष्ट), 295A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के
इरादे से जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) सहित विशिष्ट दंड प्रावधानों के तहत हेट
स्पीच के अपराधियों की पहचान करने एवं कार्रवाई करने की आवश्यकता पर बल दिया।
न्यायालय ने अक्तूबर 2022 में इसी तरह का एक आदेश पारित किया
था। हालाँकि यह तर्क दिया गया था कि हेट स्पीच से निपटने की आड़ में अभिव्यक्ति की
स्वतंत्रता का गला नहीं घोंटा जाना चाहिये और न्यायालय का मानना है संविधान भारत
को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में देखता है जिसमें व्यक्ति की गरिमा एवं एकता
तथा देश की अखंडता भी सुनिश्चित होनी चाहिये।
वाटर फिक्स्चर के लिये स्टार रेटिंग
सिस्टम
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) तथा अमृत 2.0 के मिशन निदेशक ने प्लंबेक्स इंडिया 2023 में घोषणा की कि भारत सरकार जल दक्षता
को बढ़ावा देने के लिये वाटर फिक्स्चर एक स्टार रेटिंग प्रणाली शुरू करने की
प्रक्रिया में है। बिजली के उपकरणों की तरह, भारत
टैप की छत्रछाया में इन वाटर फिक्स्चर को उनकी दक्षता के आधार पर 3, 4 या 5 स्टार की रेटिंग दी जाएगी।
इन मानकों को अपनाने और बढ़ावा देने के
लिये इंडियन प्लंबिंग एसोसिएशन (IPA) और
निर्माताओं को शामिल किया गया है। पहल में पहले ही देखा गया है कि औसतन 30% से अधिक जल बचाया जा सकता है। IPA ने इस वर्ष अकेले 10,000 करोड़ लीटर जल बचाने हेतु प्रतिबद्धता
व्यक्त की है, सरकार से भविष्य में निविदाएँ देते समय
कम प्रवाह वाले फिक्स्चर को प्राथमिकता देने का आग्रह किया गया है।
भारत के मुख्य क्षेत्र का धीमा विकास
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आँकड़ों
के अनुसार, भारत के आठ प्रमुख क्षेत्रों के
उत्पादन में मार्च 2023 में 3.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो
पाँच महीनों में सबसे कम है। उच्च मुद्रास्फीति, उधार प्रभाव,
बढ़ती ब्याज और बढ़ी हुई आर्थिक
अनिश्चितता के साथ-साथ मांग में कमी जैसे कारकों ने घरेलू मांग को प्रभावित किया
है, जिसके परिणामस्वरूप विकास दर धीमी हुई
है। भारत में मुख्य क्षेत्रों में आठ उद्योग शामिल हैं जिनका समग्र आर्थिक और
औद्योगिक गतिविधियों पर बड़ा प्रभाव है। इसमें कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, स्टील, सीमेंट एवं बिजली शामिल हैं। इन
उद्योगों का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में
संयुक्त भार 40.27 प्रतिशत है जो अर्थव्यवस्था में
विभिन्न उद्योग समूहों की विकास दर को मापता है। मुख्य क्षेत्र अर्थव्यवस्था के
पूंजी आधार और बुनियादी ढाँचे का प्रतिनिधित्त्व करता है। इन उद्योगों का प्रदर्शन
अन्य क्षेत्रों को भी प्रभावित करता है।
स्टारबेरी-सेंस का सफल परीक्षण लॉन्च
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation-
ISRO/इसरो) ने हाल ही
में PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (POEM) पर लगे स्टारबेरी-सेंस (StarBerrySense) नामक कम लागत वाले स्टार सेंसर को
लॉन्च किया, जिसने अपने पहले अंतरिक्ष परीक्षण के
दौरान अच्छा प्रदर्शन किया है। स्टारबेरी-सेंस एक कम लागत वाला सेंसर है जिसे किसी
अंतरिक्षयान के दृश्य क्षेत्र में तारों की पहचान करके उसके उन्मुखीकरण की त्वरित
गणना करने हेतु डिज़ाइन किया गया है। भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (Indian Institute of Astrophysics-
IIA) में स्पेस
पेलोड्स ग्रुप द्वारा विकसित StarBerrySense रास्पबेरी
पाई मिनीकंप्यूटर के तहत बनाया गया है, जो
लागत प्रभावी एवं निर्माण में सरल है। POEM इसरो
की एक अद्वितीय पहल है जो वैज्ञानिक प्रयोगों हेतु PSLV के चौथे चरण का उपयोग कक्षीय मंच के रूप में करता है। स्टारबेरी-सेंस
परीक्षण के प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि यह अंतरिक्ष में कठिन
परिस्थितियों का सामना करते हुए अपेक्षित रूप से कार्य कर रहा है, जो निर्दिष्ट दिशा का सटीक आकलन करने
में सक्षम इमेजिंग उपकरण तथा ऑनबोर्ड सॉफ्टवेर के साथ काम कर रहा है।
युगांडा ने LGBTQ विरोधी विधेयक पारित किया
युगांडा की संसद ने विश्व के सबसे सख्त
LGBTQ विरोधी विधेयकों में से एक पारित कर
दिया है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय आलोचना के बावजूद सबसे कठोर उपायों को बरकरार रखा
गया है। इस कानून में तथाकथित "गंभीर समलैंगिकता" के लिये मौत की सज़ा और
समलैंगिकता को बढ़ावा देने के लिये 20
वर्षों की सज़ा के प्रावधान शामिल हैं। मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं का कहना है कि इस
कानून के अनुसार LGBTQ नागरिक समुदायों की वकालत करना भी
अपराध माना जा सकता है। विधेयक में समलैंगिक लोगों के "पुनर्वास" के
उपाय भी शामिल हैं। इस कानून में संशोधन किया गया ताकि लोगों को समलैंगिक गतिविधि
के विषय में तभी सूचित करने की आवश्यकता है जब इसमें कोई अल्पव्यस्क शामिल हो, केवल LGBTQ समुदाय के सदस्य के रूप में पहचान किया जाना अवैध नहीं है। हालाँकि
कार्यकर्त्ताओं ने इस संशोधन को "बेकार" कहकर खारिज कर दिया है। इस
विधेयक को अब राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिलना शेष है।
राष्ट्रीय विनिर्माण नवाचार सर्वेक्षण
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और
संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित राष्ट्रीय
विनिर्माण नवाचार सर्वेक्षण (NMIS) वर्ष
2021-22 के अनुसार, कर्नाटक भारत में सबसे नवीन राज्य के
रूप में उभरा है। सर्वेक्षण में पाया गया कि तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में नवोन्मेषी
व्यवसायों की हिस्सेदारी सबसे अधिक थी, जबकि
ओडिशा, बिहार और झारखंड की हिस्सेदारी सबसे कम
थी। सर्वेक्षण ने विनिर्माण व्यवसायों में नवाचार प्रक्रियाओं, परिणामों एवं बाधाओं की जाँच की तथा
नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का भी अध्ययन किया जो इन व्यवसायों में नवाचार परिणामों
को प्रभावित करता है। अध्ययन से पता चला है कि सर्वेक्षण में शामिल लगभग तीन-चौथाई
व्यवसायों ने वित्तीय वर्ष 2017-2020 की
सर्वेक्षण अवधि के दौरान कोई नवीन उत्पाद या व्यवसाय प्रक्रिया हेतु नवाचार नहीं
किया। नवाचार के लिये सबसे बड़ी बाधाएँ आंतरिक धन की कमी, उच्च नवाचार लागत और बाहरी स्रोतों से
वित्तपोषण की कमी थी।
बिहान मेला
बिहान मेला ओडिशा में कोंध जनजाति
द्वारा मनाया जाने वाला बीज उत्सव है। किसानों द्वारा खरीफ फसलों, जिसमें धान, बाजरा, मक्का और ज्वार की संकर तथा देशी किस्में शामिल हैं, की कटाई के साथ ही इस उत्सव की तैयारी
शुरू हो जाती है। महिलाएँ इस त्योहार का संचालन करती हैं एवं सावधानी पूर्वक
स्वदेशी किस्मों के बीजों को इकट्ठा कर उन्हें मिट्टी के बर्तनों में जमा करती
हैं। इसके बाद दिसंबर में एक निर्दिष्ट दिन वे इन बर्तनों को लाल और सफेद
रूपांकनों से सजाकर एक बाँस की टोकरी में रखती हैं तथा इसे सिर पर रखकर उस गाँव
में ले जाती हैं जहाँ मेले का आयोजन किया जाना है। इस दौरान ढोल और अन्य पारंपरिक
वाद्य यंत्र बजाते हुए पुरुष भी शामिल होते हैं।
हरित क्रांति के बाद क्षेत्र के
किसानों ने देशी फसलों और किस्मों को उगाना छोड़ दिया है जो स्वाभाविक रूप से
कीटों के लिये प्रतिरोधी हैं तथा क्षेत्र की जलवायु के लिये अनुकूल हैं, इस प्रकार किसानों को मिश्रित फसल जैसी
खेती के अपने पारंपरिक तरीकों पर लौटने में मदद करने हेतु बीज उत्सव की शुरुआत की
गई थी। स्वदेशी बीजों तक पहुँच को आसान बनाने के लिये एक बीज बैंक की भी स्थापना
की गई है जो एक साधारण सिद्धांत पर काम करता है: कोंध जनजातीय गाँवों से स्वदेशी
बीजों को इकट्ठा और संरक्षित करना तथा उन्हें किसानों को उधार स्वरूप उपलब्ध
कराना। यह बैंक सभी कोंध किसानों को सेवा प्रदान करता है। कोंध (अनुसूचित जनजाति)
ओडिशा राज्य का सबसे बड़ा जनजातीय समूह है। यह समूह प्रकृति के साथ सद्भाव पर
केंद्रित अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, साहसी
मार्शल परंपराओं और स्वदेशी मूल्यों के लिये जाना जाता है। कोंध लोग कुई भाषा (Kui Language) बोलते हैं, यह उड़िया लिपि में लिखी जाती है।
समलैंगिक जोड़ों के जीवन को आसान
बनाएगी सरकार
केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित
किया कि वह बैंकिंग, बीमा आदि जैसे क्षेत्रों में अपने
दैनिक जीवन में समलैंगिक जोड़ों द्वारा सामना की जाने वाली "वास्तविक, मानवीय चिंताओं" का निदान करने
हेतु प्रशासनिक उपायों पर विचार करने के लिये कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक
समिति बनाने को तैयार है। सर्वोच्च न्यायालय ने सुझाव दिया है कि समलैंगिक जोड़े
इसे ऑल-ऑर-नॉन दृष्टिकोण के बजाय भविष्य में सुधार की नींव के रूप में देखें।
हालाँकि याचिकाकर्त्ता कानूनी रूप से समलैंगिक विवाह को मान्यता देने हेतु
न्यायालय से न्यायिक घोषणा की मांग कर रहे हैं, यह
तर्क देते हुए कि विवाह एक रिश्ते को अर्थ, उद्देश्य
और पहचान देता है। न्यायालय ने कहा कि भले ही यह समलैंगिक विवाह को मान्यता दे, इन संबंधों से उत्पन्न होने वाली
मानवीय चिंताओं को दूर करने हेतु प्रशासनिक एवं विधायी परिवर्तनों की अभी भी
आवश्यकता होगी। सरकार इन मानवीय चिंताओं को दूर करने हेतु तैयार है लेकिन समलैंगिक
संबंधों को विवाह का दर्जा देने के लिये अनिच्छुक है।
अंग दान और प्रत्यारोपण निर्देश
पुस्तिका
भारत में राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण
संगठन (National Organ
and Tissue Transplant Organisation- NOTTO) अस्पतालों में अंग दान और प्रत्यारोपण
कार्यक्रमों को बेहतर ढंग से लागू करने के लिये प्रत्यारोपण समन्वयकों के
प्रशिक्षण के लिये एक प्रत्यारोपण मैनुअल/निर्देश पुस्तिका तथा मानक प्रक्रिया विकसित
कर रहा है। NOTTO ने समन्वय, प्रशिक्षण एवं मानव संसाधन/लेखा के
लिये वर्टिकल भी बनाए हैं। भारत सरकार ने अंगदान करने वाले केंद्र सरकार के
कर्मचारियों को कल्याणकारी उपाय के रूप में 42
दिनों तक का विशेष आकस्मिक अवकाश प्रदान किया है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण
मंत्रालय ने बताया कि देश में अंग प्रत्यारोपण की संख्या वर्ष 2013 में 5,000 से बढ़कर वर्ष 2022
में 15,000 से अधिक हो गई है, इसका प्रमुख कारण राष्ट्रीय, राज्य तथा क्षेत्रीय स्तर पर अंग एवं
ऊतक प्रत्यारोपण संगठनों के नेटवर्क के माध्यम से बेहतर समन्वय है। वर्ष 2016 में 930 मृतक दाताओं से प्राप्त 2,265
अंगों का प्रत्यारोपण हेतु उपयोग किया गया था, जबकि
वर्ष 2022 में 904 मृत दाताओं से प्राप्त 2,765
अंगों का उपयोग किया गया।
RVNL को नवरत्न का दर्जा
RVNL को नवरत्न का दर्जा प्रदान कर इसे अधिक
परिचालन स्वतंत्रता, वित्तीय स्वायत्तता और शक्तियों का
प्रत्यायोजन प्रदान किया गया है। रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL), रेल मंत्रालय के तहत केंद्रीय
सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम,
को नवरत्न का दर्जा दिया गया है। इस
कंपनी को वर्ष 2003 में नवरत्न की सूची में शामिल किया
गया था, जिसे रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं
को लागू करने और विशेष प्रयोजन वाहनों (SPV) के
लिये अतिरिक्त बजटीय संसाधन जुटाने के लिये स्थापित किया गया था। RVNL ने 2005 में परिचालन शुरू किया और वर्ष 2013
में इसे मिनी-रत्न का दर्जा दिया गया। RVNL रेल
परियोजना के विकास एवं कार्यों के निष्पादन, परियोजना
विशिष्ट SPV बनाने तथा संचालन एवं रखरखाव हेतु
संबंधित क्षेत्रीय रेलवे को पूरी की गई रेलवे परियोजनाओं को सौंपने के लिये
ज़िम्मेदार है। RVNL को नवरत्न का दर्जा प्रदान करने से इसे
अधिक परिचालन स्वतंत्रता,
वित्तीय स्वायत्तता और शक्तियों का
प्रत्यायोजन प्रदान किया गया है। नवरत्न का दर्जा भारत सरकार द्वारा चुनिंदा
सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (PSEs) को
दी गई एक मान्यता है, जिनके पास वित्तीय और परिचालन
स्वायत्तता है। यह स्थिति PSEs
को केंद्र सरकार से बिना किसी अनुमोदन
के 1000 करोड़ रुपए तक का निवेश करने में
सक्षम बनाती है, जिससे वे निर्णय लेने, कार्मिक प्रबंधन और संयुक्त उपक्रमों
में अधिक लचीलापन ला सकें।
मेटावेलेंट बॉन्डिंग
जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड
साइंटिफिक रिसर्च, बंगलूरू के वैज्ञानिकों की एक टीम ने
ठोस पदार्थों में एक नए प्रकार के रासायनिक बंधन की खोज की है जिसे मेटावैलेंट
बॉन्डिंग कहा जाता है। इसमें धातुओं में मौजूद बॉन्डिंग और ग्लास में पाए जाने
वाले बॉन्डिंग दोनों के गुण होते हैं, जो
रसायन विज्ञान में शास्त्रीय ऑक्टेट नियम की अवहेलना करता है। मेटावैलेंट बॉन्डिंग
का उपयोग क्वांटम सामग्री में थर्मोइलेक्ट्रिक प्रदर्शन को अनुकूलित करने और
अपशिष्ट गर्मी को कुशलता से बिजली में बदलने के लिये किया जा सकता है। उन्होंने
जाँच के लिये एक प्रसिद्ध टोपोलॉजिकल इंसुलेटर TlBiSe2 को चुना तथा उत्कृष्ट विद्युत गुणों वाली सामग्रियों की खोज ने
उन्हें क्वांटम सामग्रियों की ओर आकर्षित किया। उन्होंने बताया कि TlBiSe2 मेटावैलेंट बॉन्डिंग को प्रदर्शित
करता है, जो जालीय कतरनी (lattice shearing) के माध्यम से आंतरिक रूप से बिखरने
वाले फोनोंस के एक नए तरीके की सुविधा प्रदान करता है। तर्कसंगत रासायनिक
डिज़ाइनिंग द्वारा उन्होंने क्वांटम सामग्री में दिलचस्प उभरते गुणों को महसूस किया
है, जो हरित ऊर्जा उत्पादन के लिये
उत्कृष्ट संभावनाएँ दर्शाता है और भारत के नए लॉन्च किये गए क्वांटम मिशन को एक नई
दिशा प्रशस्त कर सकता है।
3D प्रिंटिंग का उपयोग
तीन-आयामी (3D) प्रिंटिंग तकनीक के उपयोग द्वारा
सर्जरी के दौरान तंत्रिका नली बनाने हेतु स्मार्ट जेल शीट ट्यूब में स्वतः रोल हो
सकती है, जिससे सर्जरी की जटिलता कम हो जाती है
एवं शीघ्र तंत्रिका रिकवरी सुनिश्चित होती है। 3D प्रिंटिंग में आभासी मॉडल खंड को डिज़ाइन सॉफ्टवेयर का उपयोग करके
निर्मित किया जाता है और खंड को सामग्री के परत-दर-परत निक्षेपण द्वारा 3D प्रिंटर का उपयोग करके बनाया जाता है।
निर्माण के बाद सक्रियण आधारित मांग पर 3D मुद्रित
भागों को आकार परिवर्तन से गुज़रना पड़ सकता है। ऐसी प्रौद्योगिकियों को अब व्यापक
रूप से चार विमीय (4D) प्रिंटिंग के रूप में जाना जाता है, जहाँ समय (Time) अतिरिक्त आयाम है। इस तरह के 4D-प्रिंटिंग भागों का उपयोग अभी तक
चिकित्सा में नहीं किया गया है। इस तरह की उभरती प्रौद्योगिकियाँ चिकित्सा उपकरणों
की एक नई पीढ़ी हेतु मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं, इनका उपयोग सर्जन आने वाले वर्षों में नसों और कई अन्य ऊतकों को ठीक
करने के लिये सर्जरी के दौरान कर सकते हैं। वे सर्जरी की कम जटिलता, न्यूनतम-इनवेसिव प्रक्रियाओं और त्वरित
उपचार जैसे लाभ प्रदान कर सकते हैं।
एकथा हार्बर
हाल ही में भारत और मालदीव ने उथुरु
थिला फाल्हु (UTF) एटोल (माले से कुछ मील दूर
उत्तर-पश्चिम में) के सिफवारु में मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) के तटरक्षक बल के लिये एक बंदरगाह- 'एकथा हार्बर' का निर्माण शुरू कर अपने बढ़ते रक्षा
सहयोग में एक बड़ा कदम उठाया है। तटरक्षक बल का विकास भारत की सबसे बड़ी अनुदान
सहायता परियोजनाओं में से एक है। UTF हार्बर
प्रोजेक्ट की घोषणा वर्ष 2021 में की गई थी। मालदीव हिंद महासागर
क्षेत्र (IOR) में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों
में से एक है और नई दिल्ली IOR में
अपने प्रभाव का विस्तार करने के चीन के प्रयासों के बीच रक्षा और सुरक्षा के
क्षेत्रों सहित माले के साथ संबंधों का विस्तार करने की मांग कर रहा है।
वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज़
जेल में बंद तीन महिला पत्रकारों- ईरान
की निलोफर हमीदी, इलाहेह मोहम्मदी और नरगिस मोहम्मदी को
सच्चाई एवं जवाबदेही के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिये यूनेस्को वर्ल्ड प्रेस
फ्रीडम प्राइज़ 2023 से सम्मानित किया गया है। विश्व प्रेस
स्वतंत्रता दिवस प्रतिवर्ष 3 मई
को मनाया जाता है। यूनेस्को के पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विश्व भर के
पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का जनादेश है। विश्व स्तर पर महिला पत्रकारों
और मीडियाकर्मियों को बढ़ते हमलों का सामना करना पड़ता है, चाहे वास्तविक जीवन में हो या ऑनलाइन, जिसमें पत्रकारों को कलंकित करना, अभद्र भाषा, ट्रोलिंग, शारीरिक हमला, बलात्कार तथा यहाँ तक कि हत्या भी
शामिल है। एजेंसी उनकी सुरक्षा की हिमायती है और उनके द्वारा किये गए अच्छे
प्रयासों की पहचान करने एवं इन हमलों का सामना करने के उद्देश्य से सिफारिशों को
साझा करने के लिये भागीदारों के साथ सहयोग करती है। यूनेस्को/गिलर्मो कैनो वर्ल्ड
प्रेस फ्रीडम प्राइज़ की स्थापना वर्ष 1997
में की गई थी। यह प्रतिवर्ष किसी ऐसे व्यक्ति, संगठन
या संस्था को दिया जाता है जिसने प्रेस की स्वतंत्रता में उत्कृष्ट योगदान दिया
हो।
आसियान-भारत समुद्री अभ्यास 2023
भारत-आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई
राष्ट्र संघ) सैन्य सहयोग का विस्तार करने के लिये पहला आसियान-भारत समुद्री
अभ्यास (AIME-2023) आयोजित किया जा रहा है। अभ्यास का
बंदरगाह चरण 02 से 04 मई, 2023 तक सिंगापुर में हुआ और दक्षिण चीन
सागर में समुद्री चरण 07 से 08 मई, 2023 तक आयोजित किया जाएगा। AIME 2023 भारतीय नौसेना एवं आसियान नौसेनाओं को
एक साथ मिलकर काम करने तथा समुद्री क्षेत्र में निर्बाध संचालन करने का अवसर
प्रदान करेगा। INS दिल्ली, भारत का पहला स्वदेश निर्मित निर्देशित मिसाइल विध्वंसक और INS सतपुड़ा, एक स्वदेश निर्मित निर्देशित मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट भारतीय नौसेना
के पूर्वी बेड़े का हिस्सा हैं। दोनों अंतर्राष्ट्रीय समुद्री रक्षा प्रदर्शनी (IMDEX-23) और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा
सम्मेलन (IMSC) में भी भाग लेंगे जो सिंगापुर द्वारा
होस्ट किया जाएगा।
वाशिंगटन घोषणा
दक्षिण कोरिया और अमेरिका द्वारा
हस्ताक्षरित वाशिंगटन घोषणा का उद्देश्य उत्तर कोरिया की क्षेत्रीय आक्रामकता के
खिलाफ दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करना है। ह्वासोंग-8 ठोस-ईंधन अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक
मिसाइल (ICBM) के उत्तर कोरिया के सफल प्रक्षेपण को
देखते हुए इस समझौते में कोरियाई प्रायद्वीप में एक अमेरिकी परमाणु बैलिस्टिक
पनडुब्बी को तैनात करने, एक परमाणु सलाहकार समूह का निर्माण
करने और दक्षिण कोरिया के परमाणु क्षेत्र में हो रही प्रगति के विषय में जानकारी
प्रदान करने की रूपरेखा दी गई है। हालाँकि दक्षिण कोरिया ने अप्रसार संधि के प्रति
अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की है कि वह अपनी परमाणु क्षमताओं को विस्तारित
करने का उपक्रम नहीं करेगा। वैश्विक परमाणु हथियारों के उत्पादन को सीमित करने की
चिंता को लेकर अमेरिका दक्षिण कोरिया को अपना परमाणु शस्त्रागार बनाने की अनुमति
देने में अनिच्छुक रहा है। हालाँकि यह वादा कि अमेरिका और उसके परमाणु हथियार अपने
साथी देशों की रक्षा करेंगे, अप्रसार
के बड़े उद्देश्य के अनुरूप है। चीन और उत्तर कोरिया ने समझौते की आलोचना की है, अधिकांश दक्षिण कोरियाई अपने स्वयं के
परमाणु शस्त्रागार को एक निवारक के रूप में विकसित करना चाहते हैं। दक्षिण कोरियाई
जनता को अमेरिकी सहायता पर संदेह है।
विश्व फुफ्फुसीय उच्च रक्तचाप दिवस
विश्व फुफ्फुसीय उच्च रक्तचाप दिवस (World Pulmonary Hypertension Day) 5 मई को मनाया जाने वाला एक वार्षिक
आयोजन है, जो पल्मोनरी हाइपरटेंशन (PH) के संदर्भ में जागरूकता बढ़ाने और इस
स्थिति से पीड़ित लोगों को सहयोग करने हेतु मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत वर्ष 2012 में मैड्रिड, स्पेन में हुई थी, जहाँ रोगी संघों, रोग संगठनों एवं वैज्ञानिक समुदायों को
एक साथ लाने हेतु एक कार्यक्रम तथा वैज्ञानिक संगोष्ठी आयोजित की गई थी। 5 मई को इसलिये चुना गया क्योंकि यह
ज़हरीले रेपसीड तेल के कारण होने वाले फुफ्फुसीय उच्च रक्तचाप से स्पेन में मरने
वाले पहले बच्चे की याद दिलाता है। इस वर्ष विश्व फुफ्फुसीय उच्च रक्तचाप दिवस 2023 की थीम "टुगेदर वी आर
स्ट्रांगर" है, जो जागरूकता बढ़ाने, रोगियों एवं उनके परिवारों का सहयोग
करने तथा देखभाल और उपचार तक पहुँच बढ़ाने का समर्थन करने हेतु एक-साथ आने के
महत्त्व पर ज़ोर देती है। PH
एक प्रकार का उच्च रक्तचाप है जो
फेफड़ों तथा हृदय के दाहिने हिस्से की धमनियों को प्रभावित करता है। PH विभिन्न कारकों के कारण हो सकता है, जिसमें आनुवंशिकी, कुछ चिकित्सीय स्थितियाँ और विषाक्त
पदार्थों के संपर्क में आना शामिल है। PH के
लक्षणों में साँस की तकलीफ,
थकान, सीने में दर्द एवं बेहोशी शामिल हो सकते हैं।
मोचा चक्रवात
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने एक चेतावनी जारी की है कि 6 मई, 2023 के आसपास बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व क्षेत्र के ऊपर एक
चक्रवाती परिसंचरण विकसित होने की संभावना है। मौसम के प्रारूप के आधार पर IMD के प्रारंभिक विश्लेषण के अनुसार, चक्रवात संभावित रूप से 'गंभीर चक्रवाती तूफान' में बदल सकता है। यह इस वर्ष बनने वाला
पहला चक्रवात होगा और लाल सागर तट पर स्थित येमिनी शहर मोचा (मोखा) के आधार पर यमन
द्वारा प्रस्तावित चक्रवात को मोचा नाम दिया जाएगा। इस चक्रवात का नामकरण विश्व
मौसम विज्ञान संगठन (WMO)
द्वारा जारी किये गए आदेश के अनुसार
किया गया था, जिसमें कहा गया है कि प्रत्येक चक्रवात
का नाम ऐसे उदाहरणों में भ्रम से बचने के लिये रखा जाना चाहिये जहाँ एक स्थान पर
कई प्रणालियाँ संचालित होती हैं। चक्रवात एक मौसमी परिघटना है जो निम्न दाब केंद्र
और इसके चारों ओर परिसंचरण वाली तेज़ पवनों की विशेषता है। यह बाढ़, तूफान और भूस्खलन का कारण बन सकता है, जिसके परिणामस्वरूप जीवन और परिसंपत्ति
की क्षति हो सकती है। स्थान और मौसम की स्थिति के आधार पर चक्रवातों को
उष्णकटिबंधीय चक्रवात, अत्यधिक उष्णकटिबंधीय चक्रवात और
ध्रुवीय निम्नदाब पेटियों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
विश्व बैंक का नया अध्यक्ष
विश्व बैंक ने घोषणा की है कि 2 जून, 2023 से शुरू होने वाले पाँच वर्ष के कार्यकाल के लिये अजय बंगा को संगठन
के नए अध्यक्ष के रूप में चुना गया है। विश्व बैंक के नए अध्यक्ष के लिये चयन
प्रक्रिया पारदर्शी और योग्यता आधारित है, जिससे
किसी को भी पद के लिये प्रस्तावित की जाने वाली बैंक की राष्ट्रीय सदस्यता की
अनुमति मिलती है। विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष होने के अतिरिक्त बंगा इंटरनेशनल
बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (IBRD) के कार्यकारी निदेशक मंडल के अध्यक्ष तथा अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA), अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC), बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (MIGA) एवं निवेश विवादों के निपटान के लिये
अंतर्राष्ट्रीय केंद्र की प्रशासनिक परिषद (ICSID) के निदेशक मंडल के पदेन अध्यक्ष के रूप में भी काम करेंगे।
उन्नत हल्का हेलीकाप्टर ध्रुव
8 मार्च, 2023 को नौसेना के ALH-MkIII के
समुद्र में खो जाने के बाद एक तटरक्षक ALH के
साथ घटना के बाद तीनों रक्षा सेवाओं एवं तटरक्षक बल ने अपने ALH बेड़े को रोक दिया। उन्नत हल्का
हेलीकाप्टर (Advanced
Light Helicopter- ALH) ध्रुव
एक मल्टी-रोल, ट्विन-इंजन, यूटिलिटी और उन्नत हल्का हेलीकॉप्टर है
जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा
डिज़ाइन एवं विकसित किया गया है। ALH ध्रुव
के प्रमुख संस्करण हैं:
- Mk-I
- MK-II & Mk-III
- MK-III समुद्री भूमिका (नौसेना/तट रक्षक)
- MK-IV सशस्त्र संस्करण
ध्रुव MkIII आधुनिक निगरानी रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल उपकरणों से युक्त है, जो उन्हें दिन एवं रात दोनों समय में
लंबी दूरी की खोज तथा बचाव करने के अलावा समुद्री टोही की भूमिका निभाने में सक्षम
बनाता है। विशेष अभियान क्षमताओं के अलावा ALH MK III में कांस्टेबुलरी मिशनों को पूरा करने हेतु भारी मशीन गन भी लगाया
गया है।
परमाणु ऊर्जा में विदेशी निवेश
नीति आयोग द्वारा स्थापित एक सरकारी
पैनल ने सिफारिश की है कि भारत को परमाणु ऊर्जा उद्योग में विदेशी निवेश पर
प्रतिबंध हटा देना चाहिये और घरेलू निजी कंपनियों की भागीदारी बढ़ानी चाहिये। भारत
के परमाणु ऊर्जा अधिनियम 1962 के तहत सरकार परमाणु ऊर्जा स्टेशनों
को विकसित करने और चलाने में एक केंद्रीय भूमिका निभाती है। घरेलू निजी कंपनियों
को घटकों की आपूर्ति करके और उन्हें बनाने में मदद करके "जूनियर इक्विटी पार्टनर्स"
के रूप में भाग लेने की अनुमति है। वर्तमान में भारत परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में
विदेशी निवेश की अनुमति नहीं देता है और राज्य द्वारा संचालित न्यूक्लियर पावर
कॉर्प ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL)
तथा भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम भारत
में केवल दो परमाणु ऊर्जा जनरेटर हैं। पैनल ने अधिनियम और भारत की विदेशी निवेश
नीतियों में बदलाव की सिफारिश की है ताकि घरेलू तथा विदेशी दोनों निजी कंपनियाँ
सार्वजनिक कंपनियों द्वारा परमाणु ऊर्जा उत्पादन का पूरक बन सकें। इसका उद्देश्य
कार्बन उत्सर्जन को कम करना है एवं परमाणु ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करना है
क्योंकि यह सौर ऊर्जा के विपरीत 24/7
ऊर्जा की आपूर्ति कर सकता है। परमाणु ऊर्जा उत्पादन कुल उत्पादन का 3 प्रतिशत है, जबकि कोयले का हिस्सा लगभग 75 प्रतिशत है। भारत परमाणु सुरक्षा पर
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का हस्ताक्षरकर्त्ता है और उसे यह सुनिश्चित करना होगा
कि निजी कंपनियाँ मानकों का पालन करें।
मालचा महल
दिल्ली पर्यटन विभाग ने अपनी
बहुप्रतीक्षित 'हॉन्टेड वॉक' शुरू किया है, जिसके लिये यात्रा हेतु पहले गंतव्य के
रूप में मालचा महल को चुना गया। मालचा महल या विलाहट महल तुगलक युग का एक शिकार
लॉज है, जिसे 14वीं शताब्दी में फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था। यह दिल्ली के
चाणक्यपुरी में एक जंगल के अंदर, मुख्य
सड़क से 1.5 किमी. दूर स्थित है। इसका नाम मालचा
मार्ग के नाम पर रखा गया है, जिसमें
राजनयिकों, व्यापारियों और लेखकों सहित शहर के
अभिजात वर्ग रहते हैं। फिरोज शाह तुगलक, जो
कि तुगलक वंश का दिल्ली का एक सुल्तान था, ने 1351 से 1388 तक शासन किया था। वह वास्तुशिल्प आकार की इमारतों की शुरुआत करने
हेतु अधिक प्रसिद्ध है, जिन्हें उसके युग के दौरान अपरंपरागत
के रूप में देखा गया था। देश के एक बड़े हिस्से में नहरों के माध्यम से पानी
उपलब्ध कराने के लिये नदियों को चैनलाइज़ करने हेतु उन्हें अंग्रेज़ों द्वारा भारत
में सिंचाई प्रणाली का जनक भी माना जाता था।
भारतीय वायु सेना विरासत केंद्र
भारत के रक्षा मंत्री ने चंडीगढ़ में
देश के पहले भारतीय वायु सेना विरासत केंद्र का उद्घाटन किया। गवर्नमेंट प्रेस
बिल्डिंग में 17,000 वर्ग फुट में फैले इस केंद्र में पाँच
पुराने विमान हैं, जिनमें पहला IAF-निर्मित पेटेंट विमान, वायु सेना का 'कानपुर-1 विंटेज प्रोटोटाइप एयरक्राफ्ट' शामिल
है। विरासत केंद्र पर्यटकों को कॉकपिट एक्सपोज़र एवं फ्लाइट सिमुलेटर का अनुभव भी
प्रदान करता है। यह केंद्र ऐतिहासिक महत्त्व के साथ पूरे देश में भारतीय वायुसेना
द्वारा किये जा रहे विभिन्न बचाव कार्यों तथा वायु सेना परिवार कल्याण संघ द्वारा
वायु योद्धाओं के परिवारों के लाभ हेतु की गई पहलों को भी प्रदर्शित करेगा।
पारलाखेमुंडी रेलवे स्टेशन
इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड
कल्चरल हेरिटेज (INTACH) ने ओडिशा के सबसे पुराने रेलवे
स्टेशनों में से एक पारलाखेमुंडी (हेरिटेज स्टेशन) को रेल मंत्रालय द्वारा ध्वस्त
कर नए तरीके से निर्माण करने के फैसले का विरोध किया है, इसे वर्ष 1899 में तत्कालीन राजघरानों द्वारा बनाया
गया था। इस स्टेशन के पुनर्विकास और नई इमारत के निर्माण से मौजूदा विरासत संरचना
के महत्त्व में कमी आ सकती है। INTACH ने
पुराने स्टेशन को हेरिटेज टैग देने और इसे यथावत संरक्षित रखने का अनुरोध किया है।
INTACH भारत में स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन
है जिसकी स्थापना वर्ष 1984 में भारत की सांस्कृतिक विरासत के
संरक्षण के उद्देश्य से की गई थी। यह संगठन भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत के
बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने, ऐतिहासिक
इमारतों, स्मारकों तथा पुरातात्त्विक महत्त्व
वाले स्थलों की रक्षा एवं संरक्षण तथा पारंपरिक कला रूपों एवं शिल्प का समर्थन
करता है।
MoHUA व MoR ने
प्रोजेक्ट SMART हेतु JICA के साथ MoU पर हस्ताक्षर किये
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय एवं
रेल मंत्रालय ने जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) के सहयोग से 'मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल के साथ
स्टेशन क्षेत्र विकास' (प्रोजेक्ट-SMART) के लिये एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं। इस परियोजना का
उद्देश्य मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेलवे (HSR) स्टेशनों
के आसपास के क्षेत्रों को विकसित करना है ताकि यात्रियों और अन्य हितधारकों के
लिये पहुँच तथा सुविधा में सुधार हो सके एवं स्टेशन क्षेत्रों के आसपास आर्थिक
गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके। यह परियोजना MAHSR स्टेशनों के आसपास के क्षेत्रों की योजना, विकास और प्रबंधन के लिये राज्य
सरकारों, नगर निगमों तथा शहरी विकास प्राधिकरणों
की संस्थागत क्षमता को बढ़ाएगी। समझौता ज्ञापन में चार HSR शामिल हैं: साबरमती, सूरत, विरार व ठाणे ग्रीनफील्ड
विकास की श्रेणी में आते हैं, जबकि
साबरमती ब्राउनफील्ड विकास की श्रेणी में आता है। MoHUA, गुजरात, महाराष्ट्र और JICA सेमिनार तथा फील्ड विज़िट आयोजित कर रहे
हैं। इसका लक्ष्य स्टेशन क्षेत्र विकास योजना एवं पारगमन उन्मुख विकास के लिये एक
मॉडल हैंडबुक तैयार करना है। हैंडबुक में जापान, भारत और अन्य देशों में अपनाई गई कार्यप्रणालियाँ शामिल होंगी।
FY23 में भारत के कोयला आयात में 30% की वृद्धि
एमजंक्शन सर्विसेज़ लिमिटेड की एक
रिपोर्ट के अनुसार, भारत का कोयला आयात वर्ष 2022-23 वित्तीय वर्ष में पिछले वर्ष के 124.99 मीट्रिक टन से 30% बढ़कर 162.46 मिलियन टन हो गया है। कोकिंग कोल का आयात, जो इस्पात उत्पादन में इस्तेमाल होने
वाला एक प्रमुख कच्चा माल है, वित्त
वर्ष 2022 में 5.44% बढ़कर 54.46 मीट्रिक टन हो गया, जो कि 51.65 मीट्रिक टन था। मार्च में गैर-कोकिंग कोयले का आयात 13.88 मीट्रिक टन रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 9.8% अधिक है। हालाँकि मार्च 2022 में आयातित 4.76 मीट्रिक टन के मुकाबले कोकिंग कोल का
आयात घटकर 3.96 मीट्रिक टन हो गया। यद्यपि भारत विश्व
स्तर पर शीर्ष कोयला उत्पादकों में से एक है, देश
विशेष रूप से कोकिंग कोल के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। भारत में भाप कोयले (Steam Coal) की बढ़ती मांग और समुद्री परिवहन
कीमतों में गिरावट के कारण मार्च में आयात में वृद्धि हुई, जो आने वाले महीनों में जारी रहने की
संभावना है। कोयले के अलावा एन्थ्रेसाइट, चूर्णित
कोयला इंजेक्शन (PCI कोयला), मेट कोक और पेट कोक का आयात वित्त वर्ष 2023 में 24% बढ़कर 249.06 मीट्रिक टन हो गया।
रवींद्रनाथ टैगोर, महाराणा प्रताप और गोपाल कृष्ण गोखले
प्रधानमंत्री ने 9 मई को रवींद्रनाथ टैगोर, महाराणा प्रताप और गोपाल कृष्ण गोखले
को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। रवींद्रनाथ टैगोर, जिन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना
जाता है, एक असाधारण साहित्यकार और बहुज्ञ थे, जिन्हें बंगाली साहित्य एवं संगीत में
योगदान के लिये जाना जाता है। बंगाली कैलेंडर के अनुसार, 'रवींद्रनाथ टैगोर जयंती' बंगाली माह बैशाख के 25वें दिन मनाई जाती है और यह 9 मई, 2023 को मनाई गई। टैगोर द्वारा 2000 से
अधिक गीतों की रचना की गई,
जिसे "रवींद्र संगीत" कहा
जाता है तथा गीतांजलि जैसी उनकी प्रसिद्ध रचनाओं ने एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है।
वर्ष 1913 में साहित्य में पहले गैर-यूरोपीय
नोबेल पुरस्कार विजेता के रूप में वे कलात्मक उत्कृष्टता के प्रतीक बन गए। टैगोर
के दर्शन और विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना पीढ़ियों को प्रेरित करती रही
है।
9 मई,1540 को राजस्थान के कुम्भलगढ़ में जन्मे महाराणा प्रताप मेवाड़ के 13वें राजा थे। उन्हें वर्ष 1576 में मुगल सेना के विरुद्ध लड़े गए
हल्दीघाटी के युद्ध में उनकी बहादुरी के लिये जाना जाता है। हालाँकि वह लड़ाई में
हार गए थे परंतु उनकी बहादुरी को आज भी याद किया जाता है। महाराणा प्रताप के
वफादार घोड़े चेतक को युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने के लिये याद किया
जाता है। हार के बावजूद महाराणा प्रताप ने बाद में मेवाड़ के कुछ हिस्सों को पुनः
प्राप्त किया और इस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। 19 जनवरी, 1597 को उनका निधन हो गया, वे
अपने पीछे साहस की विरासत छोड़ गए।
प्रमुख समाज सुधारक और शिक्षाविद्
गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई, 1866 को वर्तमान महाराष्ट्र में हुआ था।
गोखले ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने
स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिये सामाजिक सशक्तीकरण, शिक्षा और शांतिपूर्ण तरीकों की वकालत की। गोखले भारतीय राष्ट्रीय
कॉन्ग्रेस के उदारवादी समूह से जुड़े थे तथा उन्होंने वर्ष 1909 के मॉर्ले-मिंटो सुधारों को तैयार
करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की
स्थापना की, विभिन्न प्रकाशनों पर काम किया और
महात्मा गांधी को सलाह दी,
जो उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते
थे।
सित्वे बंदरगाह
हाल ही में भारत और म्याँमार ने
संयुक्त रूप से म्याँमार के रखाइन राज्य में सित्वे बंदरगाह का लोकार्पण किया, जो राज्य की स्थानीय अर्थव्यवस्था में
योगदान करते हुए द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ाने में एक महत्त्वपूर्ण
मील का पत्थर साबित हुआ। बंदरगाह के आरंभ होने से अधिक कनेक्टिविटी और रोज़गार के
अवसरों के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास की संभावनाओं को बल मिलने की उम्मीद है।
परियोजना का उद्देश्य म्याँमार में कलादान नदी के माध्यम से भारतीय बंदरगाहों के
साथ मिज़ोरम के लिये एक वैकल्पिक संपर्क मार्ग प्रदान करना है। इसमें हल्दिया से
सित्वे बंदरगाह तक जहाज़रानी, कलादान
नदी के माध्यम से सित्वे से पलेटवा तक अंतर्देशीय जल परिवहन, पलेटवा से भारत-म्याँमार सीमा तक सड़क
परिवहन और भारत में NH 54 के लिये सड़क परिवहन जैसे खंड शामिल
हैं। सित्वे बंदरगाह भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित कलादान मल्टी-मोडल ट्रांज़िट
ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो
भारत के पूर्वी तट को जलमार्ग और सड़कों के माध्यम से उत्तर-पूर्वी राज्यों से
जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
उर्वरक उड़नदस्ते
केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय के
तहत उर्वरक विभाग (Department
of Fertilizers- DoF) ने
भ्रष्टाचार से निपटने और भारत में किसानों हेतु गुणवत्तापूर्ण उर्वरकों की
उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये कई उपायों को लागू किया है। इन पहलों ने देश भर
में उर्वरकों के डायवर्ज़न एवं कालाबाज़ारी को सफलतापूर्वक रोका है। उर्वरक
उड़नदस्ते (Fertilizer
Flying Squads- FFS) नामक
विशेष टीमों का गठन सख्त निगरानी रखने तथा डायवर्ज़न, कालाबाज़ारी,
जमाखोरी एवं घटिया उर्वरकों की आपूर्ति
जैसी गतिविधियों पर नकेल कसने हेतु किया गया है। साथ ही कड़ी कार्रवाई हेतु
राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में औचक निरीक्षण किये गए तथा संदिग्ध यूरिया बैग
जब्त किये गए। इसके अतिरिक्त गैर-कृषि उद्देश्यों के लिये यूरिया के दुरुपयोग को
रोकने हेतु नमूना परीक्षण तेज़ कर दिया गया है। पिछले एक वर्ष में यूरिया के
डायवर्ज़न एवं कालाबाज़ारी के मामले में पहली बार 11 लोगों को कालाबाज़ारी रोकथाम और आपूर्ति रख-रखाव अधिनियम 1980 के तहत जेल भेजा गया है। उर्वरक
नियंत्रण आदेश, 1985 के तहत कई अन्य कानूनी एवं प्रशासनिक
कार्यवाहियाँ भी की जा चुकी है। इन उपायों से न केवल किसानों को लाभ हुआ है बल्कि
भारतीय उर्वरकों हेतु देश भर में मांग भी पैदा हुई है। सीमा पार यूरिया की तस्करी
रुकने से पड़ोसी देशों ने यूरिया आयात हेतु भारत से संपर्क किया है। उर्वरक
गुणवत्ता के बारे में किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने हेतु DoF ने एकीकृत उर्वरक प्रबंधन प्रणाली (Integrated Fertilizer Management
System- IFMS) जैसी
नवीन प्रथाओं को भी प्रोत्साहित किया है।
IBM और NASA ने मिलकर बनाया भू-स्थानिक मॉडल
हाल ही में नासा और IBM ने उपग्रह डेटा को बाढ़, आग और अन्य परिदृश्य में होने वाले
बदलावों को उच्च-रिज़ॉल्यूशन मानचित्रों में बदलने के लिये एक नया भू-स्थानिक मॉडल
पेश किया है ताकि हमारे ग्रह के इतिहास और भविष्य के संबंध में अंतर्दृष्टि प्रदान
करने में मदद मिल सके। इस सहयोग का उद्देश्य इस वर्ष की दूसरी छमाही में
भू-स्थानिक मंच का पूर्वावलोकन प्रदान करना है, जिसमें
संभावित अनुप्रयोगों में जलवायु संबंधी जोखिमों का आकलन करना, कार्बन-ऑफसेट पहल के लिये वनों की
निगरानी करना और जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु भविष्योन्मुखी जानकारी प्रदान
करने वाला मॉडल विकसित करना है। यह इस बात पर ज़ोर देता है कि इस तरह के आधार मॉडल
कृत्रिम बुद्धिमता को व्यवहार्य बनाने की मापनीयता, सामर्थ्य और दक्षता में वृद्धि करता है। भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी में
भौगोलिक मानचित्रण एवं विश्लेषण हेतु भौगोलिक सूचना प्रणाली (Geographic Information System- GIS), ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (Global Positioning System- GPS) और रिमोट सेंसिंग जैसे उपकरणों का
उपयोग किया जाता है। ये उपकरण वस्तुओं, घटनाओं
और परिघटनाओं (पृथ्वी पर उनकी भौगोलिक स्थिति के अनुसार अनुक्रमित जियोटैग) के
बारे में स्थानिक जानकारी प्रदान करते हैं। किसी स्थान का डेटा स्थिर (Static) या गतिशील (Dynamic) हो सकता है। किसी स्थान के स्थिर
डेटा/स्टेटिक लोकेशन डेटा (Static Location Data) में सड़क की स्थिति, भूकंप
की घटना या किसी विशेष क्षेत्र में बच्चों में कुपोषण की स्थिति के बारे में
जानकारी शामिल होती है, जबकि किसी स्थान के गतिशील डेटा
/डायनेमिक लोकेशन डेटा (Dynamic
Location Data) में
संचालित वाहन या पैदल यात्री, संक्रामक
बीमारी के प्रसार आदि से संबंधित डेटा शामिल होता है। बड़ी मात्रा में डेटा में
स्थानिक प्रतिरूप की पहचान के लिये इंटेलिजेंस मैप्स (Intelligent Maps) निर्मित करने हेतु प्रौद्योगिकी का
उपयोग किया जा सकता है। यह प्रौद्योगिकी दुर्लभ संसाधनों के महत्त्व और उनकी
प्राथमिकता के आधार पर निर्णय लेने मंै मददगार हो सकती है।
शांति निकेतन
शांतिनिकेतन, जिसकी स्थापना देबेंद्रनाथ टैगोर
द्वारा वर्ष 1863 में की गई थी और बाद में उनके बेटे
नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्र नाथ टैगोर द्वारा इसका विस्तार किया गया था, जो कि विश्व-भारती विश्वविद्यालय स्थल
भी है, को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में
शामिल करने की सिफारिश की गई है। यह सिफारिश भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत की गई एक
फाइल के आधार पर इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (ICOMOS) द्वारा की गई। ICOMOS एक अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक निकाय है
जिसका मुख्यालय फ्राँस में है, यह
वैश्विक वास्तुकला एवं विरासत परिदृश्य के संरक्षण व प्रचार हेतु समर्पित है। यह
सिफारिश रवींद्रनाथ टैगोर की 162वीं
जयंती (9 मई, 2023) के अवसर पर की गई है जो भारत के लिये अत्यधिक गर्व की बात है।
नामांकन की औपचारिक घोषणा सितंबर 2023
में रियाद, सऊदी अरब में विश्व विरासत समिति की
बैठक में होगी। यदि शांतिनिकेतन का नामांकन स्वीकार कर लिया जाता है तो यह
दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (1999) और
सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान (1987) के
बाद भारत का 41वाँ विश्व धरोहर स्थल एवं बंगाल का
तीसरा स्थान बन जाएगा।
अप्रैल 2023: वैश्विक स्तर पर सबसे गर्म अप्रैल
यूरोपीय संघ के पृथ्वी अवलोकन
कार्यक्रम कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) के
हालिया विश्लेषण के अनुसार,
वर्ष 2023 का अप्रैल महीना विश्व स्तर पर चौथे सबसे गर्म अप्रैल के रूप में
चिह्नित किया गया है। वर्ष 1991-2020 के
औसत तापमान विचलन की तुलना में इस महीने में 0.32
डिग्री सेल्सियस तापमान विचलन देखा गया, जो
यूरोपीय वायु तापमान में एक उल्लेखनीय विपरीतता को प्रदर्शित करता है। showcasing a notable contrast in
European air temperatures.C3S ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भूमध्यरेखीय पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में
औसत से अधिक तापमान पाया गया, जो
अल नीनो स्थितियों की ओर संभावित बदलाव का संकेत देता है, जो आमतौर पर वैश्विक तापमान में वृद्धि
में योगदान देता है। हालाँकि वर्ष 2023 का
अप्रैल महीना वर्ष 2016 के रिकॉर्ड गर्म अप्रैल की तुलना में
थोड़ा ठंडा था, इस वर्ष का अप्रैल 2017 और 2018 के तापमान के समान था। इस विश्लेषण में क्षेत्रीय विविधताओं का भी
पता चला, कुछ क्षेत्रों में औसत से अधिक ठंड का
अनुभव हुआ, जबकि अन्य को असामान्य सूखा अथवा भरी
बारिश का सामना करना पड़ा। स्पेन और पुर्तगाल में अब तक का उच्चतम तापमान वाला
अप्रैल रहा, जबकि यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका और
दक्षिण-पूर्वी एशिया के कुछ हिस्सों में मौसम शुष्क रहा। अधिकांश समुद्री सतह का
भी तापमान औसत से अधिक पाया गया, विशेष
रूप से वेडेल सागर, उत्तरी प्रशांत और भूमध्यरेखीय पूर्वी
प्रशांत क्षेत्र में हम्बोल्ट करंट क्षेत्र उल्लेखनीय है। वैश्विक स्तर पर जलवायु
परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और अनुकूलन रणनीतियों के बारे में सूचित निर्णय
लेने के लिये C3S का डेटा एक महत्त्वपूर्ण आधार के रूप
में कार्य करता है।
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण चरण- II
भारत ने अपने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण
(SBM-G) में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की
है, यहाँ देश के 50% गाँवों ने मिशन के दूसरे चरण-II में ODF प्लस का दर्जा प्राप्त कर लिया है। ODF प्लस गाँवों ने ठोस या तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को लागू करते
हुए खुले में शौच मुक्त (ODF)
स्थिति को बनाए रखा है। 2.96 लाख से अधिक गाँवों ने खुद को ODF प्लस घोषित किया है, जो वर्ष 2024-25 तक SBM-G चरण II के उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा
में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। ODF प्लस
गाँवों के मामले में अग्रणी राज्यों में बड़े राज्य तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश एवं छोटे राज्य गोवा और सिक्किम शामिल हैं।
SBM-G के तहत अपशिष्ट प्रबंधन को संबोधित
करने और स्वच्छता प्रथाओं में सुधार के लिये विभिन्न पहलें की गई हैं। सड़क
निर्माण और ईंधन के उपयोग के लिये प्लास्टिक अपशिष्ट के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने
हेतु प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाइयाँ और अपशिष्ट संग्रह शेड स्थापित किये गए
हैं। जैव-गैस/CBG संयंत्र और सामुदायिक कंपोस्ट पिट
जैविक अपशिष्ट को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने, चक्रीय अर्थव्यवस्था में योगदान देने और स्वच्छ एवं हरित गाँव का
निर्माण करने के लिये स्थापित किये गए हैं। गोबरधन पहल अपशिष्ट को बायोगैस और
बायो-स्लरी जैसे संसाधनों में परिवर्तित करने, उद्यमशीलता
को बढ़ावा देने और हरित ऊर्जा निवेश को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। ग्रे जल
प्रबंधन को सोक पिट्स और लीच पिट्स के निर्माण के माध्यम से संबोधित किया गया है, जबकि मल कीचड़ प्रबंधन में स्वच्छता
प्रणालियों की सफाई एवं उपचार इकाइयों की स्थापना शामिल है। इन व्यापक प्रयासों के
परिणामस्वरूप स्वच्छता में सुधार हुआ है, पर्यावरणीय
प्रभाव में कमी आई है और स्थानीय समुदाय को आर्थिक लाभ हुआ है।
पर्सोना नॉन ग्राटा
कनाडा और चीन के बीच राजनयिक तनाव
बढ़ता जा रहा है, इसके चलते राजनयिकों का निष्कासन किया
गया है, कनाडा ने एक चीनी राजनयिक को निष्कासित
कर दिया तो चीन ने कनाडाई राजनयिक को पर्सोना नॉन ग्राटा घोषित किया है। पर्सोना
नॉन ग्राटा की अवधारणा की जड़ें राजनयिक संबंधों पर वियना अभिसमय में पाई जाती हैं, जो वर्ष 1961 में हस्ताक्षरित एक संधि है, यह देशों के बीच राजनयिक संबंधों को
नियंत्रित करती है। संधि के अनुच्छेद 9 के
अनुसार, किसी देश को "किसी भी समय और अपने
निर्णय की व्याख्या किये बिना" राजनयिक स्टाफ के किसी भी सदस्य को पर्सोना
नॉन ग्राटा घोषित करने का अधिकार है। यह पदनाम राजनयिक महत्त्व रखता है और यह
दर्शाता है कि वह अवांछित व्यक्ति है जिसकी देश में उपस्थिति प्रतिबंधित है।
पर्सोना नॉन ग्राटा का उपयोग केवल राजनयिकों तक ही सीमित नहीं है। यह उन विदेशी
व्यक्तियों पर भी लागू किया जा सकता है जो राजनयिक मिशनों का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन जिनका देश में प्रवेश या
उपस्थिति अवांछनीय मानी जाती है। वियना अभिसमय किसी देश को अन्य देशों के कार्यों
के प्रति असंतोष व्यक्त करने के साधन के रूप में इस अधिकार का प्रयोग करने की
अनुमति देता है। जबकि अभिसमय किसी व्यक्ति को पर्सोना नॉन ग्राटा घोषित करने के
लिये विशिष्ट मानदंड स्थापित नहीं करता है, ऐतिहासिक
तौर पर इसका उपयोग राजनयिक स्वीकृति या प्रतिशोध के रूप में किया जाता है। शीत
युद्ध के दौरान इसे अकसर संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच "जैसे
को तैसा" उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, दोनों पक्षों ने कथित उकसावे की घटना
के जवाब में एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था। कूटनीति के दायरे से
बाहर भी मनोरंजन उद्योग के व्यक्तियों, जैसे
कि हॉलीवुड अभिनेता ब्रैड पिट को राजनीतिक रूप से संवेदनशील समझी जाने वाली
परियोजनाओं में उनकी भागीदारी के कारण कुछ देशों में इस पदनाम का सामना करना पड़ा
है।
शंघाई सहयोग संगठन स्टार्टअप फोरम 2023
हाल ही में भारत के उद्योग और आंतरिक
व्यापार संवर्द्धन विभाग,
वाणिज्य मंत्रालय ने नई दिल्ली में
पहली बार भौतिक रूप से शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization- SCO) स्टार्टअप फोरम का आयोजन किया। इस
आयोजन ने स्टार्टअप इंडिया पहल के तीसरे संस्करण को चिह्नित किया जिसका उद्देश्य SCO सदस्य राज्यों के बीच स्टार्टअप
इंटरैक्शन का विस्तार करना,
नवाचार को बढ़ावा देना, रोज़गार उत्पन्न करना एवं युवा
प्रतिभाओं को अभिनव समाधान विकसित करने हेतु प्रोत्साहित करना है। यह आयोजन सहयोग
तथा उद्यमिता को बढ़ावा देने, सामान्य
मंच बनाने व SCO देशों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं को
साझा करने पर केंद्रित था। 'स्टार्टअप
इकोसिस्टम विकसित करने में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय जुड़ाव की भूमिका' पर कार्यशाला का उद्देश्य इन देशों के
बीच घनिष्ठ संबंध बनाना एवं स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देना है। SCO वर्ष 2001 में स्थापित एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। इसका
उद्देश्य यूरेशियन क्षेत्र में शांति, सुरक्षा
एवं स्थिरता बनाए रखना है। SCO में
नौ सदस्य देश हैं तथा इसे नाटो के प्रतिकार के रूप में देखा जाता है। इसकी
आधिकारिक भाषाएँ रूसी एवं चीनी हैं। SCO की
उत्पत्ति वर्ष 1996 में कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान,
रूस और ताजिकिस्तान के साथ गठित शंघाई
फाइव में देखी जा सकती है। वर्ष 2001
में उज़्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद यह SCO के
रूप में स्थापित हुआ। भारत तथा पाकिस्तान वर्ष 2017 में शामिल हुए, इसके
अलावा ईरान वर्ष 2023 में स्थायी सदस्य बनने हेतु तैयार है।
एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान हेतु आयुष
मंत्रालय और ICMR के बीच सहयोग
आयुष मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा
अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भारत में एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान
को बढ़ावा देने और सहयोग के लिये एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं। यह सहयोग
आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग करते हुए साक्ष्य सृजन हेतु प्रभावी अनुसंधान
को बढ़ावा देने के लिये स्वास्थ्य देखभाल में राष्ट्रीय महत्त्व के चिह्नित
क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह समझौता ज्ञापन आयुष शोधकर्त्ताओं के
प्रशिक्षण के माध्यम से अनुसंधान क्षमता को भी सुदृढ़ बनाएगा। पारंपरिक और आधुनिक
चिकित्सा का एकीकरण सरकार की प्राथमिकता है तथा इसे सहयोग को दिशा में एक
महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। यह समझौता ज्ञापन दोनों पक्षों के
संयुक्त सह-वित्तपोषण के साथ सभी एम्स में समेकित स्वास्थ्य हेतु आयुष- ICMR उन्नत अनुसंधान केंद्रों की स्थापना
करने में सक्षम बनाएगा। इसके अतिरिक्त वे सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान पर कार्य
करने की संभावना तलाशेंगे,
राष्ट्रीय गंभीर रोगों को दूर करने के
लिये पहल करेंगे, राष्ट्रीय महत्त्व के चिह्नित
क्षेत्रों/रोग स्थितियों पर संयुक्त रूप से उच्च गुणवत्तापूर्ण नैदानिक परीक्षण का
संचालन करने की संभावनाओं की खोज करेंगे। दोनों पक्षों ने एक संयुक्त कार्य समूह
की स्थापना करने पर सहमति व्यक्त की है जो सहयोग हेतु आगे की संभावनाओं की खोज तथा
संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं को तैयार करने एवं उसे कार्यान्वित करने के लिये
संयुक्त पर्यवेक्षण की अनुमति देगा।
गंगा एक्सप्रेसवे
उत्तर प्रदेश सरकार का उद्देश्य भारत
की सबसे बड़ी एक्सप्रेसवे परियोजनाओं में से एक, 594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेसवे (NH-334) को तय समय से एक वर्ष पूर्व दिसंबर 2024 तक पूर्ण करना है। इसे शीघ्र समाप्त करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित
करना है कि जनवरी, 2025 में प्रयागराज में होने वाले अगले
महाकुंभ मेले से पूर्व यह एक्सप्रेसवे जनता के लिये खुल जाए। उत्तर प्रदेश का गंगा
एक्सप्रेसवे, भारत में एक महत्त्वपूर्ण एक्सप्रेसवे
परियोजना है। इस परियोजना का निर्माण अडानी एंटरप्राइज़ेज़ और IRB इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स के साथ मिलकर
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP)
मॉडल के रूप में किया जा रहा है। चार
खंडों में विभाजित यह एक्सप्रेसवे 12
ज़िलों से होते हुए मेरठ को प्रयागराज से जोड़ेगा। जिस पर 36,000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
समय से पूर्व परियोजना को पूर्ण करने के लिये विकासकर्त्ताओं को वित्तीय
प्रोत्साहन प्रदान किया गया है। गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना, क्षेत्र में कनेक्टिविटी में सुधार और
परिवहन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
पुरुषों की विश्व मुक्केबाज़ी
चैंपियनशिप
भारत के प्रधानमंत्री ने ताशकंद में
आयोजित पुरुषों की विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप में दीपक भोरिया, हुसामुद्दीन और निशांत देव को उनकी
उल्लेखनीय उपलब्धि के लिये बधाई दी है। इन खिलाड़ियों ने प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में
भारत के अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ तीन पदक सुनिश्चित करके इतिहास रच
दिया है। दीपक भोरिया (51 किग्रा.) ने रजत, हुसामुद्दीन (57 किग्रा.) और निशांत देव (71 किग्रा.) ने सेमीफाइनल में कांस्य पदक
जीते। पुरुषों की विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप, उज़्बेकिस्तान
में (30 अप्रैल से 14 मई, 2023 तक) आयोजित की जा रही है। यह एक प्रमुख आयोजन है जिसमें जीत और
सम्मान का दावा करने के लिये विश्व भर के 400 से
अधिक मुक्केबाज़ 13 भार वर्गों में प्रतिस्पर्द्धा करते
हैं। इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन (IBA) और
बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ उज़्बेकिस्तान द्वारा उज़्बेकिस्तान सरकार के सहयोग से आयोजित
यह टूर्नामेंट न केवल शीर्ष-स्तरीय मुक्केबाज़ी कौशल का प्रदर्शन है, बल्कि जीवंत संस्कृति और आतिथ्य का
उत्सव मनाने के लिये एक मंच के रूप में भी कार्य करता है।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2023
प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली के प्रगति
मैदान में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2023 के
अवसर पर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम के साथ ही 11 से 14 मई, 2023 तक आयोजित होने वाले राष्ट्रीय
प्रौद्योगिकी दिवस के 25वें वर्ष के समारोह भी प्रारंभ हुए। इस
गौरवपूर्ण अवसर पर प्रधानमंत्री ने देश में 5,800
करोड़ रुपए से अधिक की वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति से जुड़ी कई परियोजनाओं की
आधारशिला रखी और इन्हें राष्ट्र को समर्पित किया। जिन परियोजनाओं की आधारशिला रखी
गई उनमें लेज़र इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेव ऑब्ज़र्वेटरी- इंडिया (लिगो-इंडिया), हिंगोली; होमी भाभा कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, जटनी, ओडिशा; टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुंबई का प्लेटिनम जुबली ब्लॉक शामिल
हैं। प्रधानमंत्री ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि 11 मई भारत के इतिहास के सर्वाधिक
प्रतिष्ठित दिनों में से एक है क्योंकि यह वह दिन है जब भारत के वैज्ञानिकों ने
पोखरण परमाणु परीक्षण के रूप में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की। आत्मनिर्भर रक्षा
क्षेत्र के भारत के लक्ष्य का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने रक्षा उत्कृष्टता
के लिये iDEX का उल्लेख किया। उन्होंने अंतरिक्ष
क्षेत्र में नए सुधारों की चर्चा करते हुए कहा कि भारत एक वैश्विक गेम चेंजर के
रूप में उभर रहा है। उन्होंने SSLV तथा
PSLV कक्षीय प्लेटफाॅर्मों जैसी
प्रौद्योगिकियों और युवाओं एवं नए स्टार्टअप्स के लिये संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
जल शक्ति अभियान: कैच द रेन 2023 अभियान
राष्ट्रीय जल मिशन (NWM), जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग (DoWR), जल शक्ति मंत्रालय ने जनपथ, नई दिल्ली स्थित डॉ. अंबेडकर
अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में कार्यशाला-सह-उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया। यह
उन केंद्रीय नोडल अधिकारियों (CNO) और
तकनीकी अधिकारियों (TO) के लिये था, जो 'जल शक्ति अभियान: कैच द रेन'- 2023 (JSA: CTR) का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिये
जल की कमी से जूझ रहे 150 ज़िलों का दौरा करेंगे। JSA: CTR - 2023 वर्ष 2019 से शुरू किये गए जल शक्ति अभियान शृंखला की चौथी कड़ी है और इसका
उद्देश्य पूरे भारत के 150 ज़िलों में जल तनाव या 'वाटर स्ट्रेस' (Water Stress) को दूर करना है तथा जल संरक्षण, जल निकायों के नवीनीकरण, बोर वेल रिचार्ज, वाटरशेड विकास और वनीकरण पर ध्यान
केंद्रित करना है। वर्ष 2023 का यह अभियान 4 मार्च, 2023 से 30 नवंबर, 2023 तक देश के सभी ज़िलों (ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों) में चलाया जा रहा
है। इसका विषय 'पेयजल के लिये स्थिर स्रोत' है। कार्यशाला का प्रभावी कार्यान्वयन
सुनिश्चित करने के लिये GIS
प्रौद्योगिकी, डेटा अपलोडिंग और अन्य उपायों के उपयोग
पर भी चर्चा की गई।
ISSF विश्व कप, बाकू
सरबजोत सिंह और टीएस दिव्या ने
अज़रबैजान के बाकू में आयोजित ISSF विश्व
कप में 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम
स्पर्द्धा में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने सर्बिया के दामिर माइकेक और ज़ोराना
अरुणोविक को हराकर यह पदक प्राप्त किया। ISSF विश्व
कप, अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज़ी खेल महासंघ
(ISSF) द्वारा आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय
निशानेबाज़ी खेल प्रतियोगिता है। ISSF, ओलंपिक
शूटिंग इवेंट्स द्वारा शासित निकाय है, जो
वैश्विक स्तर पर निशानेबाज़ी खेल की देख-रेख के लिये उत्तरदायी है।
राष्ट्रीय MSME परिषद की बैठक
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय MSME परिषद की उद्घाटन बैठक आयोजित की।
परिषद को केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के बीच समन्वय की निगरानी करने, केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच सहयोग
को बढ़ावा देने तथा MSME क्षेत्र में सुधारों की प्रगति की
निगरानी करने हेतु एक प्रशासनिक और कार्यात्मक निकाय के रूप में स्थापित किया गया
है, जिसमें MSME के प्रदर्शन को बेहतर और तेज़ (RAMP) करने हेतु कार्यक्रमों का आयोजन करना शामिल है। जून 2022 में शुरू किये गए RAMP कार्यक्रम का उद्देश्य MSME के लिये बाज़ार पहुँच, ऋण उपलब्धता, शासन और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ाना
है।
मोरक्कन टिड्डे का प्रकोप
अफगानिस्तान के गेहूँ उत्पादक
क्षेत्रों में मोरक्कन टिड्डे का प्रकोप देश की खाद्य सुरक्षा और अर्थव्यवस्था
हेतु गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा है। यह प्रकोप आठ प्रांतों को प्रभावित कर सकता है, साथ ही यह वार्षिक फसल के एक-चौथाई के
बराबर यानी 700,000-1.2 मिलियन टन गेहूँ को नष्ट कर सकता है।
यदि इसका निदान किये बिना छोड़ दिया जाता है, तो
टिड्डियों की आबादी अगले वर्ष सौ गुना बढ़ सकती है, जिससे अफगानिस्तान एवं पड़ोसी देशों में खाद्य सुरक्षा को लेकर संकट
बढ़ सकता है। मोरक्कन टिड्डे को विश्व भर में पौधों के लिये सबसे अधिक हानिकारक
कीटों के रूप में जाना जाता है। इसका प्रभाव गेहूँ की फसल से परे तक फैला हुआ है, क्योंकि मोरक्कन टिड्डे पौधों की 150 से अधिक प्रजातियों का उपभोग करते हैं, जिनमें वृक्ष फसलें, चरागाह तथा अफगानिस्तान में उगाई जाने
वाली विभिन्न खाद्य फसलें शामिल हैं। मोरक्कन टिड्डे, वैज्ञानिक रूप से ‘डोसियोस्टोरस मारोकेनस (Dociostaurus maroccanus)’ के रूप में जाने जाते हैं। वे
एक्रीडीडी (Acrididae) समूह से संबंधित हैं, जिसमें टिड्डे और टिड्डियाँ शामिल हैं।
इन टिड्डियों को झुंड बनाने की उनकी क्षमता हेतु जाना जाता है, जिससे वे प्रभावित क्षेत्रों में गंभीर
कृषि क्षति का कारण बनते हैं। वे मध्यम से बड़े आकार के कीट हैं, सामान्यतः वयस्कों की लंबाई लगभग 4-5 सेंटीमीटर होती है। इन कीटों का शरीर
मज़बूत, सिर पर छोटे एंटीना होते हैं और
शक्तिशाली पिछले पैर इन्हें कूदने में मदद करते हैं। उनके शरीर का भिन्न रंग जैसे
हरे-भूरे से लेकर लाल-भूरे तक हो सकता है।
भोपाल, SDG प्रगति को ट्रैक करने वाला पहला भारतीय शहर
भोपाल ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा
अनिवार्य सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को
स्थानीय बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है। SDG हासिल करने के लिये अपनी प्रतिबद्धता
और क्षमता प्रदर्शित करने हेतु स्वैच्छिक स्थानीय समीक्षा (Voluntary Local Reviews- VLR) को अपनाने वाला यह भारत का पहला शहर बन
गया है। सतत् विकास के वैश्विक एजेंडे के लिये वर्ष 2030 एजेंडा को व्यावहारिक स्थानीय
रणनीतियों में स्थानीयकृत किये जाने से निर्दिष्ट लक्ष्यों की समग्र प्राप्ति में
मदद मिलने की संभावना है। भोपाल का स्वैच्छिक स्थानीय समीक्षा (VLR) भोपाल नगर निगम, यूएन-हैबिटेट और विभिन्न स्थानीय
हितधारकों के बीच सहयोग का परिणाम है, जिसका
उद्देश्य स्थायी तथा समावेशी शहरी परिवर्तन की दिशा में शहर के प्रयासों को
प्रदर्शित करना है। इस समीक्षा में मात्रात्मक और गुणात्मक दोनों दृष्टिकोण शामिल
हैं, जिसमें 56 विकास परियोजनाओं के गुणात्मक मानचित्रण शामिल हैं। वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों ने एजेंडा 2030 को अपनाया, जिसमें 17 SDG और 169 प्रयोजन शामिल हैं। सदस्य राज्य
संयुक्त राष्ट्र के उच्च-स्तरीय राजनीतिक मंच (HLPF) को प्रस्तुत स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षाओं (VNRs) के माध्यम से इन लक्ष्यों की दिशा में
अपनी प्रगति की रिपोर्ट करते हैं। स्थानीय एवं क्षेत्रीय जुड़ाव के महत्त्व को
स्वीकार करते हुए शहरों तथा क्षेत्रों ने तेज़ी से अपनी उप-राष्ट्रीय समीक्षाएँ की
हैं जिन्हें VLR के रूप में जाना जाता है। हालाँकि 2030 एजेंडा अथवा अन्य अंतर-सरकारी समझौते
आधिकारिक तौर पर VLR का समर्थन नहीं करते हैं, फिर भी VLR स्थानीय कार्रवाई को बढ़ावा देने में प्रभावी रहे हैं। न्यूयॉर्क शहर
वर्ष 2018 में HLPF को अपना VLR
प्रस्तुत करने वाला पहला शहर था और
वर्ष 2021 तक 33 देशों ने 114
VLR या फिर इसी तरह
के समीक्षा दस्तावेज़ सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराए थे।
समुद्र शक्ति- 23
भारत और इंडोनेशिया के बीच द्विपक्षीय
नौसैन्य अभ्यास समुद्र शक्ति- 23 का
चौथा संस्करण 14 से 19 मई 2023 तक आयोजित होना निर्धारित है। इस
अभ्यास सत्र में भाग लेने के लिये INS कवारत्ती
इंडोनेशिया के बाटम गया है। इस अभ्यास का उद्देश्य भारतीय और इंडोनेशिया की नौसेनाओं
के बीच अंतर-संचालनीयता, संयुक्तता तथा आपसी सहयोग को बढ़ाना
है। INS कवारत्ती के साथ एक भारतीय नौसेना
डोर्नियर समुद्री गश्ती विमान एवं चेतक हेलीकॉप्टर भी भाग ले रहा है। इंडोनेशियाई
नौसेना का प्रतिनिधित्व KRI
सुल्तान इस्कंदर मुदा, CN 235 समुद्री गश्ती विमान व AS565 पैंथर हेलीकाप्टर द्वारा किया जा रहा
है। भारत और इंडोनेशिया के बीच अन्य अभ्यास गरुड़ शक्ति है, जो एक संयुक्त सैन्य अभ्यास है।
भारत-इंडोनेशिया CORPAT भारत और इंडोनेशिया की नौसेनाओं के बीच
एक समन्वित गश्त है, जिसका उद्देश्य अंडमान सागर एवं मलक्का
जलडमरूमध्य में समुद्री सुरक्षा तथा सहयोग को बढ़ाना है।
मलेशिया का मादक पदार्थ की कम मात्रा
को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का प्रस्ताव
मलेशिया के गृह मामलों के मंत्री के
अनुसार, कम मात्रा में अवैध नशीले पदार्थों के
कब्ज़े और उपयोग को कम करने हेतु विधेयक पेश करके आपराधिक न्याय सुधार की दिशा में
पहल कर रहा है। प्रस्तावित कानून के तहत कम मात्रा में अवैध पदार्थों के साथ पकड़े
जाने वाले व्यक्तियों को अभियोजन का सामना नहीं करना पड़ेगा बल्कि उन्हें इलाज
हेतु मादक पदार्थ पुनर्वास केंद्रों में भेजा जाएगा। इस कदम का उद्देश्य जेल में
भीड़-भाड़ को कम करना और सरकार द्वारा हाल ही में लागू किये गए सुधारों का पालन
करना है। इन सुधारों में अनिवार्य मृत्युदंड एवं अजीवन कारावास की शर्तों को
समाप्त करने के साथ-साथ आत्महत्या की घटनाओं को कम करना है। वर्तमान में मलेशिया
में अपने कई दक्षिण-पूर्व एशियाई पड़ोसियों की तरह नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों
हेतु गंभीर दंड का प्रावधान है, जिसमें
मादक पदार्थों की तस्करी के लिये मृत्युदंड भी शामिल है। हालाँकि हाल के सुधार
न्यायाधीशों को यह निर्णय लेने का अधिकार देते हैं कि यह सज़ा दी जाए या नहीं।
मलेशिया को अवैध नशीले पदार्थों हेतु महत्त्वपूर्ण पारगमन केंद्र के रूप में जाना
जाता है और यहाँ वर्ष 2022 में पुलिस ने लगभग 29,000 व्यक्तियों को विभिन्न नशीली दवाओं के
अपराध में गिरफ्तार किया,
जिनमें से अधिकांश व्यसनी थे।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) का नया निदेशक
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के आदेश के अनुसार, कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रवीण सूद को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो
(CBI) का नया निदेशक नियुक्त किया गया है। इस
नियुक्ति आदेश में दो साल का कार्यकाल निर्दिष्ट किया गया है। CBI के निदेशक को दिल्ली विशेष पुलिस
प्रतिष्ठान अधिनियम, 1946 के तहत नियुक्त किया जाता है। निदेशक
संगठन के प्रशासन के लिये ज़िम्मेदार होता है और दो साल के कार्यकाल के लिये
नियुक्त किया जाता है, जैसा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 में प्रावधान है। निदेशक की नियुक्ति
तीन सदस्यीय समिति द्वारा की जाती है इस समिति में केंद्र सरकार की ओर से
प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), लोकसभा में विपक्ष का नेता और भारत का
मुख्य न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश शामिल होते हैं। वर्ष 2014 में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना
(संशोधन) अधिनियम ने लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को शामिल करने के
लिये समिति की संरचना को संशोधित किया, इससे
पहले विपक्ष का कोई नेता इसमें शामिल नहीं
था।
आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन
हाल ही में संपन्न कर्नाटक विधानसभा
चुनाव में विशेष रूप से भारतीय दंड संहिता की धारा 171(E) और 171(F) के संबंध में आदर्श आचार संहिता का
उल्लंघन देखा गया। ये खंड क्रमशः "रिश्वतखोरी" और "चुनाव में
अनुचित प्रभाव" से संबंधित हैं। इन धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर उम्मीदवार
को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम,
1951 के तहत अयोग्य
घोषित किया जा सकता है। धारा 171(E) रिश्वतखोरी
के लिये सज़ा से संबंधित है,
जो इस तरह के कार्यों की गंभीरता को
उजागर करती है। एक चुनाव में रिश्वतखोरी निष्पक्षता और समानता के सिद्धांतों को
कमज़ोर करती है, क्योंकि यह गैरकानूनी तरीकों से परिणाम
को प्रभावित करती है। इसके अतिरिक्त धारा 171(F) एक चुनाव में अनुचित प्रभाव प्रदर्शन का निपटान करती है। यह प्रावधान
मतदाताओं को अवैध रूप से प्रभावित करने या उनके मतदान के निर्णय को प्रभावित करने
के इरादे से किसी अन्य व्यक्ति को प्रतिरूपित करने के किसी भी प्रयास को
प्रतिबंधित करता है। इस प्रकार के उल्लंघन लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमज़ोर करते
हैं और चुनावी प्रणाली में जनता के विश्वास को खत्म करते हैं। चुनाव की शुचिता
सुनिश्चित करने के लिये आदर्श आचार संहिता के संयोजन में इन धाराओं का प्रवर्तन
महत्त्वपूर्ण है। वे अनैतिक प्रथाओं के खिलाफ निवारक के रूप में काम करते हैं और सभी
उम्मीदवारों के लिये एक समान स्थिति बनाए रखने का प्रयास करते हैं। निर्वाचन आयोग
के लिये यह अनिवार्य है कि वह उल्लंघन के आरोपों जाँच कर कानून के अनुसार उचित
कार्रवाई करे। उम्मीदवारों की अयोग्यता सहित मामले में समय पर पारदर्शी कार्रवाई
करे, जो भविष्य में इस तरह के कदाचार को
हतोत्साहित करने के लिये एक मज़बूत संदेश के रूप में काम करेगी।
धूल-भरी हवाएँ और उच्च PM10 स्तर: दिल्ली के AQI पर प्रभाव
हाल ही में दिल्ली में तीव्र हवाओं के
चलते धूल उड़ने और दृश्यता कम होने के कारण पार्टिकुलेट मैटर (PM) 10 के स्तर में वृद्धि देखी गई। भारतीय
मौसम विज्ञान विभाग (India
Meteorological Department- IMD) के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से कम बारिश, उष्णता और तीव्र हवाओं के कारण धूल भरी
हवाएँ चल रही हैं, जबकि तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना हुआ है। IMD के वैज्ञानिकों ने बताया कि उच्च
तापमान की वजह से शुष्क मृदा तेज़ हवाओं के कारण हवा में निलंबित हो जाती है। PM10 का स्तर 24 घंटे के मानक से 19 गुना अधिक था और PM2.5 के स्तर में भी वृद्धि देखी गई। शहर
में 24
घंटे के औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index- AQI) को अधिकांश निगरानी स्टेशनों पर 'बहुत खराब' या 'खराब' के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वायु
में पार्टिकुलेट मैटर से खाँसी और अस्थमा जैसे श्वसन संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।
गर्मियों में धूल के स्रोत के लिये शुष्क परिस्थितियों और वायु की तीव्र गति को
ज़िम्मेदार ठहराया गया है। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत कार्रवाई शुरू करने हेतु
उप-समिति की बैठक हुई, लेकिन कोई भी कार्रवाई न करने का फैसला
किया गया क्योंकि अगले कुछ दिनों में स्थिति में सुधार होने की संभावना है।
बांग्लादेश ने राजनयिकों को "अतिरिक्त सुरक्षा अनुरक्षण" प्रदान करना बंद किया
बांग्लादेश ने भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और सऊदी अरब के शीर्ष
राजनयिकों को प्रदान की जाने वाली अतिरिक्त सुरक्षा को भेदभावपूर्ण और अनावश्यक
मानते हुए वापस लेने का फैसला किया है, बांग्लादेश
ने इसके पीछे का कारण बताते हुए कहा है कि देश की कानून और व्यवस्था अच्छी तरह से
नियंत्रित है। वर्ष 2016 में एक आतंकवादी हमले के बाद बढ़े हुए
सुरक्षा उपायों के काफी समय बाद यह निर्णय लिया गया है। विदेश मंत्री ने कहा कि
वर्तमान कानून और व्यवस्था की स्थिति विशिष्ट दूतों/राजनयिकों के लिये अतिरिक्त
सुरक्षा का प्रावधान नहीं करती है और साथ ही यह सुझाव दिया कि आवश्यकता पड़ने पर
निजी सुरक्षा सेवाओं की मदद ली जा सकती है। मेज़बान देश अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के
अनुसार राजनयिक मिशनों के लिये मानक सुरक्षा सावधानियों को बनाए रखना जारी रखेगा।
राजनयिक सुरक्षा के संदर्भ में वर्ष 1961 के
राजनयिक संबंधों पर वियना अभिसमय की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। यह संधि स्वतंत्र
देशों के बीच राजनयिक संबंधों की रूपरेखा की स्थापना करती है। यह अभिसमय राजनयिक
एजेंटों और मिशनों को उनके प्रभावी प्रदर्शन तथा मेज़बान राज्य द्वारा अनुचित
हस्तक्षेप से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न विशेषाधिकार एवं प्रतिरक्षा
प्रदान करता है। इसके अनुच्छेद 22
में मिशन परिसर की अनुल्लंघनीयता पर ज़ोर दिया गया है, जिसमें मेज़बान देश का कर्त्तव्य है कि
वह किसी भी घुसपैठ अथवा क्षति के खिलाफ उनकी रक्षा करे। अनुच्छेद 29 एक राजनयिक एजेंट के सहयोगियों की
अनुल्लंघनीयता पर ज़ोर देता है, जिसमें
कहा गया है कि मेज़बान राज्य के लिये उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करना और उनके
सहयोगियों की स्वतंत्रता एवं गरिमा की रक्षा करना अनिवार्य है। यह अभिसमय राजनयिक
एजेंटों को आपराधिक क्षेत्राधिकार से मुक्त करता है। हालाँकि यह भी अनिवार्य है कि
राजनयिक एजेंट मेज़बान राज्य के कानूनों और नियमों का सम्मान करें तथा उस राज्य के
आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से बचें। ये सभी प्रावधान राजनयिक मिशनों और
कर्मियों की सुरक्षा तथा कामकाज को सुनिश्चित करते हैं।
भारत में स्वदेशी डेंगू वैक्सीन
परीक्षण
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और
पैनासिया बायोटेक, दो प्रमुख दवा निर्माता कंपनियों ने
डेंगू के खिलाफ भारत का पहला टीका विकसित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम
उठाया है। उन्होंने स्वदेशी निर्माताओं के लिये सहयोगी चरण- III नैदानिक परीक्षणों हेतु 'रुचि की अभिव्यक्ति' के जवाब में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान
परिषद (ICMR) को आवेदन प्रस्तुत किया है। भारतीय
निर्माताओं द्वारा विकसित टेट्रावेलेंट डेंगू वैक्सीन उम्मीदवार की प्रभावकारिता, सुरक्षा और प्रतिरक्षण क्षमता का
मूल्यांकन करने के लिये चरण- III परीक्षण
आयोजित किये जाते हैं। डेंगू वायरस की बीमारी वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य पर भारी
बोझ डालती है, भारत में वार्षिक तौर पर 2-2.5 लाख मामले सामने आते हैं। विश्व
स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने डेंगू को शीर्ष दस वैश्विक
स्वास्थ्य खतरों में से एक के रूप में मान्यता दी है। वर्तमान में डेंगू के लिये
कोई विशिष्ट उपचार नहीं है,
जो प्रभावी टीकों की तत्काल आवश्यकता
को रेखांकित करता है। डेंगू एक मच्छर जनित उष्णकटिबंधीय बीमारी है जो डेंगू वायरस
(जीनस फ्लेवीवायरस) के कारण होती है, इसका
प्रसार मच्छरों की कई जीनस एडीज़ (Genus Aedes) प्रजातियों मुख्य रूप से एडीज़ इजिप्टी (Aedes aegypti) द्वारा होता है। यह मच्छर चिकनगुनिया, पीत ज्वर और ज़िका संक्रमण का भी प्रसार
करता है।
सिक्किम स्थापना दिवस
सिक्किम के स्थापना दिवस के अवसर पर
प्रधानमंत्री ने सिक्किम वासियों को बधाई दी। 16 मई
को वार्षिक रूप से मनाया जाने वाला यह दिवस भारत के साथ सिक्किम के एकीकरण और वर्ष
1975 में देश के 22वें राज्य के रूप में इसकी स्थापना की
स्वीकृति का प्रतीक है। सिक्किम राज्य का गठन भारतीय संविधान के 36वें संशोधन के तहत हुआ। सिक्किम का एक
समृद्ध इतिहास है। 17वीं शताब्दी में नामग्याल वंश ने
सिक्किम साम्राज्य की स्थापना की थी। यह एक पूर्व ब्रिटिश संरक्षित राज्य है, जिसने चोग्याल शासकों के अधीन अपनी
प्रशासनिक स्वतंत्रता बनाए रखी। भारत की स्वतंत्रता के बाद सिक्किम भारत के विदेश
संबंधों, रक्षा और संचार की देख-रेख के साथ एक
संरक्षित क्षेत्र बना रहा। हालाँकि वर्ष 1973
में सिक्किम वासियों के आंदोलन के कारण शासन में बदलाव आया। चोग्याल एक नाममात्र
का व्यक्तित्व बन कर रह गया और सिक्किम को "संबद्ध राज्य" नामित किया
गया। वर्ष 1975 में सिक्किम को राज्य का दर्जा देकर
इसे भारत में एकीकृत किया गया और 16 मई
को यहाँ राजतंत्र को समाप्त कर दिया गया। सिक्किम की सीमा उत्तर और उत्तर पूर्व
में चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से दक्षिण पूर्व में भूटान, दक्षिण में पश्चिम बंगाल से तथा पश्चिम
में नेपाल से संबद्ध है। भारत की सबसे ऊँची और विश्व की तीसरी सबसे ऊँची पर्वत
चोटी माउंट कंचनजंगा पर्वत सिक्किम में स्थित है। पर्वत चोटी के निकट स्थित
कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान (KNP) (वर्ष
1977 में स्थापित), भारत के सबसे अधिक ऊँचाई वाले संरक्षण
क्षेत्रों में से एक है। KNP
को वर्ष 2016 में 'मिश्रित' श्रेणी (प्राकृतिक और सांस्कृतिक
महत्त्व वाले स्थल) के तहत एक विश्व धरोहर स्थल नामित किया गया था। सिक्किम में
तीस्ता नदी तथा इसकी सहायक नदियाँ जैसे कि रंगित, ल्होनक, तालुंग और लाचुंग प्रवाहित होती हैं।
तीस्ता नदी जल विवाद, भारत और बांग्लादेश के बीच सबसे
विवादास्पद मुद्दों में से एक है। तीस्ता नदी, ब्रह्मपुत्र
नदी की सहायक नदी है।
राष्ट्रीय फेडरेशन कप सीनियर एथलेटिक्स
चैंपियनशिप 2023
नेशनल फेडरेशन कप सीनियर एथलेटिक्स
चैंपियनशिप का 26वाँ संस्करण 15 मई, 2023 से बिरसा मुंडा स्टेडियम, रांची
(झारखंड) में आयोजित किया जा रहा है। प्रतियोगिता का आयोजन दो वर्गों- पुरुष और
महिला वर्ग में किया जा रहा है। यह भारतीय एथलेटिक्स सीज़न का घरेलू टूर्नामेंट है।
इसका आयोजन भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (Athletics Federation of India- AFI) द्वारा किया जाता है। इसमें शामिल कुछ
प्रतियोगिताएँ हैं- जंप; थ्रो- शॉट पुट, डिस्कस थ्रो, भाला फेंक; स्प्रिंटिंग इवेंट्स आदि। AFI भारत में एथलेटिक्स को नियंत्रित और
प्रबंधित करने के लिये शीर्ष संस्था है तथा अंतर्राष्ट्रीय एमेच्योर एथलेटिक
महासंघ (IAAF), एमेच्योर एथलेटिक एसोसिएशन (AAA) एवं भारतीय ओलंपिक संघ से संबद्ध है। AFI में 32 संबद्ध राज्य इकाइयाँ और संस्थागत इकाइयाँ हैं। AFI वर्ष 1946 में अस्तित्त्व में आया था। यह महासंघ राष्ट्रीय चैंपियनशिप का
आयोजन करता है, भारतीय एथलेटिक्स राष्ट्रीय कैंपर्स को
प्रशिक्षित करता है एवं ओलंपिक, एशियाई
खेलों, विश्व चैंपियनशिप, एशियाई चैंपियनशिप तथा अन्य
अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं सहित विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय स्पर्द्धाओं के लिये
भारतीय एथलेटिक्स टीमों का चयन करता है।
ICC ने खेल की परिस्थितियों में बदलाव लागू
किया
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने क्रिकेट मैचों को खेलने की
परिस्थितियों में कुछ बदलाव किये हैं। एक बड़ा बदलाव यह है कि ऑन-फील्ड अधिकारियों
द्वारा 'सॉफ्ट सिग्नल' को खत्म कर दिया गया है।ICC के नियमों के अनुसार एक सॉफ्ट सिग्नल, अंपायर रिव्यू शुरू करने से पहले तीसरे
अंपायर हेतु गेंदबाज़ के अंतिम अंपायर के मूल ऑन-फील्ड निर्णय का दृश्य प्रसारण है।
इस सिग्नल का उपयोग करके पृथ्वी से कुछ इंच ऊपर लिये गए कैच की वैधता निर्धारित की
गई थी। अधिक भ्रम पैदा करने के लिये विशेषज्ञों द्वारा अक्सर इसकी आलोचना की जाती
थी और टीवी अंपायर को इस सिग्नल के आधार पर निर्णय लेने में कठिनाई होती थी। एक और
महत्त्वपूर्ण बदलाव यह है कि हेलमेट अब उच्च जोखिम वाले पोज़ीशन में अनिवार्य होगा, जिसके अंतर्गत शामिल हैं- तेज़
गेंदबाज़ों का सामना करने वाले बल्लेबाज़, स्टंप
के पास खड़े विकेटकीपर और विकेट के सामने बल्लेबाज़ के करीब खड़े क्षेत्ररक्षक।
इसके अतिरिक्त फ्री हिट नियम में एक मामूली संशोधन किया गया है, जिसमें कहा गया है कि जब गेंद स्टंप्स
से टकराती है तो फ्री हिट पर बनाए गए रन मानी नहीं होंगे। ये बदलाव 1 जून, 2023 से प्रभावी होंगे, इंग्लैंड
और आयरलैंड के बीच लॉर्ड्स टेस्ट नए नियमों का पालन करने वाला पहला मैच होगा।
क्रिकेट कार्यकारी समिति द्वारा पुरुष और महिला क्रिकेट समितियों की सिफारिशों को
मंज़ूरी देने के बाद ICC ने ये बदलाव किये हैं।अंतर्राष्ट्रीय
क्रिकेट परिषद (ICC) क्रिकेट जगत में वैश्विक शासी निकाय
है। 104 सदस्यों के प्रतिनिधित्व के साथ ICC खेल को विनियमित और प्रशासित करता है
तथा खेल के विकास के लिये अपने सदस्यों के साथ काम करता है। इसका मुख्यालय दुबई, संयुक्त अरब अमीरात में है।
2023 SAFF चैंपियनशिप
2023 SAFF चैंपियनशिप दक्षिण एशियाई देशों हेतु
एक द्विवार्षिक अंतर्राष्ट्रीय पुरुष फुटबॉल टूर्नामेंट है, जिसका आयोजन दक्षिण एशियाई फुटबॉल
महासंघ (South Asian
Football Federation- SAFF) द्वारा किया जाता है। टूर्नामेंट के 14वें संस्करण की मेज़बानी भारत द्वारा 21 जून से 3 जुलाई, 2023 तक बंगलूरू में की जाएगी। भारत मौजूदा चैंपियन है, जिसने फाइनल में नेपाल को हराकर वर्ष 2021 में अपना आठवाँ खिताब जीता था।
टूर्नामेंट में आठ टीमें शामिल होंगी, जिनमें
संबंधित क्षेत्र के बाहर की दो अतिथि टीमें शामिल हैं: कुवैत और लेबनान। फेडरेशन
इंटरनेशनेल डी फुटबॉल एसोसिएशन (FIFA) द्वारा
निलंबन के कारण श्रीलंका भाग लेने में असमर्थ था, जबकि अफगानिस्तान SAFF से
हट गया एवं मध्य एशियाई फुटबॉल महासंघ में शामिल हो गया है। आठ टीमों को प्रत्येक
चार के दो समूहों में विभाजित किया गया है। भारत ग्रुप A में कुवैत, नेपाल तथा पाकिस्तान के साथ है, जबकि लेबनान ग्रुप B में मालदीव, भूटान एवं बांग्लादेश के साथ है। SAFF का गठन वर्ष 1997 में बांग्लादेश, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के संस्थापक सदस्य संघों द्वारा किया गया था। SAFF का आदर्श वाक्य 'ताकत में एकता' इन सात सदस्य संघों की ताकत और संबंधों
को दर्शाता है, जो अब संगठन के अध्यक्ष द्वारा
अनुकरणीय हैं। SAFF सचिवालय वर्तमान में ढाका, बांग्लादेश से संचालित होता है। SAFF बड़े एशियाई फुटबॉल परिसंघ (Asian Football Confederation- AFC) का एक हिस्सा है।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर घटना
महाराष्ट्र ने एक घटना की जाँच के लिये
विशेष जाँच दल (Special
Investigation Team- SIT) का गठन किया है जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों पर नासिक के
त्र्यंबकेश्वर मंदिर में प्रवेश करने के प्रयास का आरोप लगाया गया था। मंदिर
प्रबंधन के अनुसार, केवल हिंदुओं को मंदिर में प्रवेश करने
की अनुमति है, गैर-हिंदुओं को मंदिर में प्रवेश करने
की अनुमति नहीं है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के त्र्यंबक शहर
में स्थित भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन और पवित्र हिंदू मंदिर है। यह बारह
ज्योतिर्लिंगों में से एक है, यह
शिव का सबसे पवित्र तीर्थस्थल है, जहाँ
उन्हें त्र्यंबकेश्वर के रूप में पूजा जाता है, जो
तीनों लोकों के स्वामी हैं। मंदिर का निर्माण 18वीं
शताब्दी में तीसरे पेशवा बालाजी बाजीराव ने ब्रह्मगिरि पर्वत के निकट एक पुराने
मंदिर के स्थान पर किया था,
जहाँ से गोदावरी नदी का उद्गम होता है।
मंदिर वास्तुकला की नागर शैली में काले पत्थर से बना है।
कीरू जलविद्युत परियोजना
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने जम्मू-कश्मीर (J&K) में किरू जलविद्युत परियोजना में कथित
भ्रष्टाचार की जाँच के सिलसिले में दिल्ली तथा राजस्थान में कई स्थानों पर तलाशी
ली गई। कीरू जलविद्युत परियोजना जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले में स्थित चिनाब
नदी पर प्रस्तावित है। परियोजना की परिकल्पना रन ऑफ रिवर योजना के रूप में की गई
है। रन-ऑफ-रिवर जलविद्युत परियोजनाओं के तहत नदियों के प्राकृतिक अधोमुखी प्रवाह
और सूक्ष्म टर्बाइन जनरेटर का उपयोग करके पानी द्वारा उत्पन्न की जाने वाली गतिज
ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। चिनाब नदी का उद्गम हिमाचल प्रदेश राज्य के लाहौल और
स्पीति ज़िलों में ऊपरी हिमालय से होता है। इस नदी की उत्पत्ति हिमाचल प्रदेश के
टांडी में दो नदियों- चंद्रा और भागा के संगम से होती है। यह सिंधु नदी में मिलने
से पूर्व जम्मू-कश्मीर के जम्मू क्षेत्र से होते हुए पंजाब, पाकिस्तान के मैदानी इलाकों में
प्रवाहित होती है। चिनाब नदी पर कुछ महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं/बाँधों में रतले
जलविद्युत परियोजना, सलाल बाँध जलविद्युत परियोजना, दुल हस्ती जलविद्युत संयंत्र और पकल
दुल बाँध (निर्माणाधीन) हैं।
सहायक प्रौद्योगिकी पर परियोजना सहयोग
समझौता
स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (Department of Health Research- DHR), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) ने उच्च गुणवत्ता वाली सस्ती सहायक
प्रौद्योगिकी तक पहुँच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अनुसंधान, नवाचार और क्षमता निर्माण को
प्रोत्साहन देने के लिये एक परियोजना सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस सहयोग का
उद्देश्य सहायक प्रौद्योगिकी तक पहुँच, अनुसंधान
तथा नवाचार को प्रोत्साहन देना तथा उपयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रमों के विकास एवं
प्रसार की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित करने की दिशा में काम करना है। सहायक
प्रौद्योगिकी एक व्यापक शब्द है जो सहायक उत्पादों और सेवाओं के वितरण से संबंधित
प्रणालियों तथा सेवाओं को शामिल करती है। सहायक उत्पाद किसी व्यक्ति की
कार्यप्रणाली और स्वतंत्रता को बनाए रखते हैं या उसमें सुधार करते हैं, जिससे उनका विकास होता है। उदाहरण के
लिये प्रोस्थेटिक्स, ब्रेसिज़, वॉकर, विशेष स्विच,
विशेष-उद्देश्य वाले कंप्यूटर, स्क्रीन रीडर और विशेष पाठ्यचर्या
सॉफ्टवेयर जैसी प्रौद्योगिकियाँ और उपकरण।
NIA ऑपरेशन ध्वस्त
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने हाल ही में आतंकवादियों, गैंगस्टरों और ड्रग तस्करों के आपस में
जुड़े नेटवर्क को लक्षित करते हुए 'ऑपरेशन
ध्वस्त' नामक एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया
है। पंजाब और हरियाणा में पुलिस के सहयोग से NIA ने
कई राज्यों में 129 स्थानों पर छापे मारे, जिसके परिणामस्वरूप तीन लोगों को
गिरफ्तार किया गया। ऑपरेशन का उद्देश्य आतंकवादी और लक्षित हत्याओं में शामिल अन्य
कुख्यात गैंगस्टर, खालिस्तान समर्थक संगठनों के आतंक, वित्तपोषण, जबरन वसूली तथा ड्रग्स एवं हथियारों की
तस्करी के लिये आतंकवादी गठजोड़ को तोड़ना था। NIA आतंकवाद, उग्रवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा से
संबंधित अपराधों की जाँच व मुकदमा चलाने के लिये भारत सरकार द्वारा वर्ष 2009 में स्थापित एक संघीय एजेंसी है। यह
गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करता है और पूरे देश को प्रभावित करने वाले मामलों पर
इसका अधिकार क्षेत्र है। NIA
का गठन वर्ष 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के जवाब में
किया गया था और यह राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) अधिनियम, 2008 के तहत काम करता है। एजेंसी को
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (संशोधन) अधिनियम, 2019 द्वारा और अधिक सशक्त बनाया गया था। NIA राज्य पुलिस बलों और अन्य एजेंसियों से आतंकवाद से संबंधित मामलों को
अपने अधिकार में लेने के लिये अधिकृत है तथा यह राज्य सरकारों से पूर्व अनुमति के
बिना राज्य की सीमाओं के मामलों की जाँच कर सकती है। इसके कार्यों में आतंकवाद व
राष्ट्रीय सुरक्षा पर खुफिया जानकारी एकत्र करना, विश्लेषण करना तथा उसका प्रसार करना, भारत के अंदर और बाहर कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय करना व
NIA विशेष न्यायालय के समक्ष मुकदमा चलाना
शामिल है। इसे गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) एवं अन्य अनुसूचित अपराधों के तहत
आरोपी व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिये केंद्र सरकार की मंज़ूरी की आवश्यकता
होती है।
जाति-आधारित सर्वेक्षण
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार
में जाति आधारित सर्वेक्षण पर पटना उच्च न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम रोक हटाने
के आदेश को वापस कर दिया है। बिहार राज्य सरकार द्वारा विभिन्न जातियों की
सामाजिक-आर्थिक स्थिति और शैक्षणिक स्तर पर आँकड़े एकत्र करने के लिये सर्वेक्षण
शुरू किया था। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि सरकार को यह निर्धारित करने की
आवश्यकता है कि यह एक सर्वेक्षण जनगणना थी या स्वैच्छिक अभ्यास। जाति-आधारित
सर्वेक्षण एक क्षेत्र या देश में विभिन्न जातियों की जनसंख्या पर जानकारी एकत्र
करने की एक प्रक्रिया है। जाति, जन्म, व्यवसाय और धर्म के आधार पर सामाजिक
स्तरीकरण की एक प्रणाली है। पिछड़े वर्गों की पहचान करने के साथ आरक्षण और
कल्याणकारी योजनाएँ प्रदान करने के लिये सामान्य रूप से जाति-आधारित सर्वेक्षण
किये जाते हैं। हालाँकि जाति-आधारित सर्वेक्षण भी विवादास्पद हैं क्योंकि वे सामाजिक
सद्भाव, राजनीतिक प्रभाव को प्रभावित कर सकते
हैं। प्रतिनिधित्व और व्यक्तिगत गोपनीयता अनुच्छेद 340 सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थितियों की जाँच
करने और सरकारों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों के बारे में सिफारिशें करने के लिये
एक आयोग की नियुक्ति का आदेश देता है।
ई-मालखाना
विशाखापत्तनम पुलिस कमिश्नरेट, आंध्र प्रदेश जून 2023 तक सभी 23 पुलिस थानों में संपत्ति और साक्ष्य
हेतु एक वैज्ञानिक भंडारण प्रणाली ई-मालखाना शुरू करने के लिये तैयार है। पहल का
उद्देश्य बरामद वस्तुओं के भंडारण में दक्षता को बढ़ाना है। पहले संपत्तियों और
सबूतों को पारंपरिक भंडारगृहों में संग्रहीत किया जाता था, जिससे पुनर्प्राप्ति में कठिनाइयाँ
होती थीं। ई-मालखाना के साथ जब्त की गई
संपत्ति और सबूत मानकीकृत गत्ते के बक्से में संग्रहीत किये जाएंगे, प्रत्येक को एक अद्वितीय संख्या और
अतिरिक्त विवरण के साथ लेबल किया जाएगा। एक डायनेमिक QR कोड जनरेट किया जाएगा और बॉक्स में
चिपका दिया जाएगा, जिससे स्कैनिंग के माध्यम से मामले से
संबंधित जानकारी तक आसानी से पहुँचा जा सकेगा। यह तकनीकी उन्नयन भंडारण और
पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है, कानून प्रवर्तन अधिकारियों के लिये अधिक पारदर्शिता और सुविधा
सुनिश्चित करता है।
CCI और ECA के बीच समझौता ज्ञापन
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय
प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI)
और मिस्र के प्रतिस्पर्द्धा प्राधिकरण
(ECA) के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने को मंज़ूरी दे दी है।
समझौता ज्ञापन, सूचना के आदान-प्रदान और सर्वोत्तम
प्रथाओं के साथ-साथ विभिन्न क्षमता निर्माण पहलों के माध्यम से प्रतिस्पर्द्धा
कानून एवं नीति में सहयोग को बढ़ावा देने व इसे मज़बूत करने की परिकल्पना पर आधारित
है। समझौता ज्ञापन का उद्देश्य CCI और ECA के बीच संबंधों को विकसित एवं मज़बूत कर
अनुभव साझा करना, तकनीकी सहयोग के माध्यम से अपने
संबंधित अधिकार क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा कानून के प्रवर्तन में एक-दूसरे के
अनुभवों से सीखना और अनुकरण करना है। प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 की धारा 18 CCI को अधिनियम के तहत अपने कर्त्तव्यों का
निर्वहन करने या अपने कार्यों को करने के उद्देश्य से किसी भी अन्य देश की किसी भी
एजेंसी के साथ किसी भी ज्ञापन या व्यवस्था में प्रवेश करने की अनुमति देती है।
प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम,
2002, भारतीय बाज़ार
में प्रतिस्पर्द्धा को नियंत्रित करता है और गैर-प्रतिस्पर्द्धी प्रथाओं जैसे
कार्टेल, प्रमुख बाज़ार स्थिति का दुरुपयोग और
विलय एवं अधिग्रहण को प्रतिबंधित करता है जो प्रतिस्पर्द्धा पर प्रतिकूल प्रभाव
डाल सकता है। प्रतिस्पर्द्धा (संशोधन) अधिनियम, 2007 द्वारा अधिनियम में संशोधन किया गया है।
उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना
भारत सरकार ने टेस्ला (Tesla) सहित विभिन्न कंपनियों से निवेश
आकर्षित करने के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) और
उन्नत रसायन सेल बैटरी के लिये एक उन्नत उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना की पेशकश की है। यह समायोजन
टेस्ला के लिये विशिष्ट नहीं है, हालाँकि
यह दूरसंचार उपकरणों और IT
हार्डवेयर PLI योजनाओं के साथ प्रयोग की जाने वाली
रणनीति के समान है। संशोधित PLI योजना
को अंतिम रूप देने से साझेदार कंपनियों के लिये प्रोत्साहन और संरचना की बारीकियों
का निर्धारण सुनिश्चित होगा। PLI योजना
'आत्मनिर्भर भारत अभियान' का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। इसका
उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और देश को रणनीतिक क्षेत्रों में वैश्विक
चैंपियन के रूप में स्थापित करना है। इस योजना के तहत कंपनियों को आधार वर्ष की
तुलना में भारत में निर्मित उत्पादों की वृद्धिशील बिक्री के आधार पर प्रोत्साहन
प्राप्त होता है। PLI योजना विदेशी कंपनियों को भारत में
विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित करने के लिये भी प्रोत्साहित करती है। केंद्रीय बजट 2021-22 ने PLI योजनाओं के लिये 1.97
लाख करोड़ रुपए आवंटित किये, जिसमें
मोबाइल निर्माण, चिकित्सा उपकरण, ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स, विशेष इस्पात, दूरसंचार उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, व्हाइट गुड्स, खाद्य उत्पाद, वस्त्र उत्पाद, सौर पीवी मॉड्यूल, उन्नत रसायन सेल बैटरी और ड्रोन जैसे 14 क्षेत्र शामिल हैं। इन क्षेत्रों को
राजस्व तथा रोज़गार पैदा करने की उनकी क्षमता के आधार पर चुना गया था। PLI योजना भारत को वैश्विक विनिर्माण
केंद्र के रूप में स्थापित करने एवं आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण
भूमिका निभाती है।
जलवायु और कोविड-19 के बीच की कड़ी
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के विशेषज्ञ समूह ने निष्कर्ष निकाला
है कि हो सकता है कि ठंडे और शुष्क मौसम ने कोविड-19 के प्रसार में मदद की हो, लेकिन
यह प्रमाण वायरस के प्रसार में मौसम की महत्त्वपूर्ण भूमिका का समर्थन नहीं करता
है। अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है कि "उच्च गुणवत्ता वाले" शोध अध्ययन
तापमान और कोविड-19 संचरण के बीच एक नकारात्मक संबंध
दिखाते हैं, यह सुझाव देते हुए कि कम तापमान वायरस
के प्रसार को बढ़ावा दे सकता है। इसी तरह नमी भी कोविड-19 संचरण के साथ सहसंबद्ध है, जो यह दर्शाता है कि शुष्क
परिस्थितियों में संचरण होता है। WMO 192 सदस्य राज्यों और क्षेत्रों की सदस्यता वाला एक अंतर-सरकारी संगठन
है। इसकी उत्पत्ति अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) से हुई है, जिसे वर्ष 1873 वियना अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान
कॉन्ग्रेस के बाद स्थापित किया गया था। WMO का
मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है। भारत 1949 से WMO का सदस्य है।
हीटवेव
वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन (WWA) के एक अध्ययन में पाया गया कि अप्रैल
में होने वाली तीव्र और आर्द्र गर्मी की लहरें जो पूर्वी और उत्तर भारत, बांग्लादेश, लाओस एवं थाईलैंड जैसे क्षेत्रों को
प्रभावित करती हैं, जलवायु परिवर्तन के कारण बहुत अधिक
होने की संभावना थी। इस तरह की हीटवेव होने की संभावना कम से कम 30 गुना बढ़ जाती है। ह्यूमिड हीटवेव का
विश्लेषण हीट इंडेक्स का उपयोग करके किया जाता है जो बढ़े हुए तापमान और सापेक्ष
आर्द्रता के स्तर का एक संयोजन है। इसके द्वारा मानव शरीर पर हीटवेव के प्रभाव की
बेहतर समझ प्रदान करता है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मानदंड के अनुसार, जब
तक किसी स्टेशन का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों के लिये कम-से-कम 40°C और पहाड़ी क्षेत्रों के लिये कम-से-कम 30°C तक नहीं पहुँच जाता तब तक “लू” पर
विचार करने की आवश्यकता नहीं है। यदि किसी स्टेशन का सामान्य अधिकतम तापमान 40°C से कम या उसके बराबर है तो सामान्य
तापमान से 5°C से 6°C की वृद्धि को हीटवेव स्थिति माना जाता है। इसके अतिरिक्त सामान्य
तापमान से 7 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक की
वृद्धि को गंभीर “लू” की
स्थिति माना जाता है। WWA,
जलवायु वैज्ञानिकों का एक वैश्विक संघ
है जो मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन द्वारा निभाई गई भूमिका का अध्ययन करता है,जैसे गर्मी की लहरों, सूखा, ठंड, अत्यधिक वर्षा, बाढ़ और तूफान जैसी चरम मौसम की घटनाओं
की आवृत्ति और तीव्रता आदि।
सतत् भूमि प्रबंधन हेतु उत्कृष्टता केंद्र
सतत् भूमि प्रबंधन हेतु उत्कृष्टता
केंद्र (CoE-SLM) का औपचारिक उद्घाटन 20 मई, 2023 को भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE), देहरादून में किया गया। इस पहल की
घोषणा भारत के प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2019
में संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेज़र्टिफिकेशन (UNCCD) के 14वें सम्मेलन (COP-14) के
दौरान की गई थी। CoE-SLM का उद्देश्य स्थायी भूमि प्रबंधन
प्रथाओं के माध्यम से भूमि क्षरण के मुद्दों से निपटना, दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देना और
भूमि निम्नीकरण तटस्थता (LDN)
में योगदान करना है। तकनीकी सहायता, क्षमता निर्माण एवं ज्ञान साझा कर CoE-SLM का इरादा खराब भूमि को बहाल करना, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और लक्ष्यों
जैसे कि SDG, जैविक विविधता पर सम्मेलन तथा UNFCCC के साथ संरेखित करना, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जैवविविधता
हानि पर भूमि क्षरण के प्रभावों का समाधान करना है। CoE-SLM की स्थापना पर्यावरण संरक्षण एवं
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
DRI ने एम्बरग्रीस तस्करी गिरोह का
पर्दाफाश किया
राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने एम्बरग्रीस तस्करी गिरोह का
पर्दाफाश करके एक महत्त्वपूर्ण सफलता हासिल की है, जो देश की वनस्पतियों और जीवों के लिये खतरा है। DRI एक भारतीय खुफिया एजेंसी है जो
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC), वित्त मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करती है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
तथा सीमा शुल्क की चोरी से संबंधित तस्करी एवं वाणिज्यिक धोखाधड़ी के खतरे का
मुकाबला करने के लिये वर्ष 1957
में शीर्ष तस्करी विरोधी एजेंसी के रूप में इसका गठन किया गया था। राजस्व खुफिया
निदेशालय (DRI) तस्करी विरोधी राष्ट्रीय समन्वय केंद्र
(SCord) के लिये प्रमुख एजेंसी के रूप में भी
कार्य करता है, जो तस्करी विरोधी गतिविधियों में शामिल
विभिन्न एजेंसियों के प्रयासों का समन्वय करता है। DRI का देश भर में क्षेत्रीय और आंचलिक (ज़ोनल) इकाइयों का नेटवर्क है, साथ ही कुछ देशों में विदेशी संपर्क
कार्यालय भी हैं। एम्बरग्रीस, जिसे
प्रायः व्हेल की उल्टी (Vomit)
के रूप में जाना जाता है। यह एक ठोस और
मोम जैसा पदार्थ है जो स्पर्म व्हेल की आँतों में उत्पन्न होता है। स्पर्म व्हेल
में से केवल 1% ही एम्बरग्रीस का उत्पादन करती हैं।
रासायनिक रूप से एम्बरग्रीस में एल्कलॉइड, एसिड
और एंब्रेन नामक एक विशिष्ट यौगिक होता है, जो
कोलेस्ट्रॉल के समान होता है। यह जल निकाय की सतह के चारों ओर तैरता है तथा
कभी-कभी तट के समीप आकर इकठ्ठा हो जाता है। इसके उच्च मूल्य के कारण इसे तैरता हुआ
सोना कहा जाता है। एम्बरग्रीस का मुख्य उपयोग इत्र उद्योग में होता है, विशेष रूप से कस्तूरी सुगंध बनाने के
लिये। ऐसा माना जाता है कि दुबई जैसे देशों में जहाँ इत्र का एक बड़ा बाज़ार है, इसकी अधिक मांग है। प्राचीन मिस्रवासी
इसका प्रयोग धूप (Incense)
के रूप में करते थे। ऐसा माना जाता है
कि इसका उपयोग कुछ पारंपरिक औषधियों और मसालों के रूप में भी किया जाता है।
हालाँकि अपने उच्च मूल्य के कारण विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में यह तस्करों के
निशाने पर रहा है।
आर्सेनिक एक्सपोज़र
एक अध्ययन ने भारत में बच्चों, किशोरों और युवा वयस्कों पर आर्सेनिक
के निम्न स्तर पर सेवन के संभावित संज्ञानात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला है। शोध
से प्राप्त जानकारी के अनुसार, आर्सेनिक
के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों ने एकाग्रता, कार्य-स्विचिंग और सूचना भंडारण के लिये उत्तरदायी महत्त्वपूर्ण
मस्तिष्क क्षेत्रों में कम ग्रे-पदार्थ और कमज़ोर संपर्क प्रदर्शित किये। यह सुझाव
देता है कि आर्सेनिक का पुराना संपर्क वैश्विक आबादी के एक बड़े भाग को प्रभावित
करने वाली "मौन महामारी" हो सकता है। अनुसंधानकर्त्ताओं ने विश्लेषण
किया कि मुख्य रूप से भोजन के सेवन के माध्यम से आर्सेनिक का संपर्क विशेष रूप से
दक्षिण भारत में चावल की खपत के साथ दृढ़ता से जुड़ा हुआ था। हालाँकि चावल को एक
विशिष्ट तरीके से पकाने से भूरे चावल में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली आर्सेनिक
की मात्रा 50% से अधिक और सफेद चावल में 74% तक चावल की सूक्ष्म पोषक सामग्री से
समझौता किये बिना अधिकतम कम की जा सकती है। यह अनुसंधान “सी-वेद पहल” का एक भाग है, जो औद्योगिकीकरण और औद्योगिक समाजों
में कमज़ोर आबादी सहित संज्ञानात्मक विकास पर विभिन्न जोखिम कारकों के प्रभाव का
आकलन करने के लिये भारत तथा यूनाइटेड किंगडम के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है।
आर्सेनिक एक गंधहीन और स्वादहीन उपधातु है जो पृथ्वी की उपरी सतह में व्यापक रूप से वितरित है। यह स्वाभाविक रूप
से कई देशों की पृथ्वी की उपरी सतह और भू-जल में उच्च स्तर पर मौजूद है। यह अपने
अकार्बनिक रूप में अत्यधिक विषैला होता है। आर्सेनिकोसिस, आर्सेनिक विषाक्तता के लिये चिकित्सीय
शब्द है जो शरीर में बड़ी मात्रा में आर्सेनिक के संचय के कारण होता है।
7 लाख रुपए तक के वार्षिक विदेशी मुद्रा
खर्च पर TCS से छूट
करदाताओं और व्यवसायों के व्यापक विरोध
के बाद भारत सरकार ने विदेशी क्रेडिट कार्ड खर्च पर 20% कर लगाने के अपने निर्णय को उलट दिया
है। वित्त मंत्रालय ने घोषणा की है कि किसी भी प्रक्रियात्मक अनिश्चितता को खत्म
करने हेतु अपने अंतर्राष्ट्रीय डेबिट या क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने वाले
व्यक्तियों को प्रति वित्तीय वर्ष 7
लाख रुपए तक के भुगतान पर लेवी से छूट दी जाएगी। यह निर्णय 1 जुलाई, 2023 से उदारीकृत प्रेषण योजना (LRS) के
तहत छोटे लेन-देन के लिये स्रोत पर कर संग्रह (TCS) के आवेदन के संबंध में उठाई गई चिंताओं के जवाब में आया है। इसने
स्पष्ट किया कि प्रति वर्ष 7
लाख रुपए तक का व्यय न तो LRS
के अंतर्गत आएगा और न ही TCS के अधीन होगा। इस छूट को सुविधाजनक
बनाने के लिये विदेशी मुद्रा प्रबंधन (चालू खाता लेन-देन नियम), 2000 में आवश्यक परिवर्तन अलग से जारी किये
जाएंगे। इसके अतिरिक्त मंत्रालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि शिक्षा और स्वास्थ्य
भुगतान के लिये मौजूदा लाभकारी TCS उपचार
जारी रहेगा, इस तरह के भुगतान के लिये 5% की TCS दर प्रतिवर्ष 7
लाख रुपए तक होगी। इसके अलावा भारतीय रिज़र्व बैंक ने हाल ही में LRS के तहत एक नया प्रावधान पेश किया है, जिससे व्यक्तियों को वार्षिक 2.5 लाख अमेरिकी डॉलर तक का विदेशी मुद्रा
प्रेषण करने की अनुमति मिलती है।
कोविड-19 वैरिएंट की निगरानी और WHO की IPSN प्रणाली
इंडिया SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG), जो कि भारत में कोविड-19
वैरिएंट की निगरानी और अनुक्रमण के लिये ज़िम्मेदार है, ने 27 मार्च,
2023 से साप्ताहिक
बुलेटिन जारी नहीं किया है। जीनोमिक निगरानी में कमी ने नए और संभावित रूप से
खतरनाक रूपों की निगरानी करने एवं प्रतिक्रिया तंत्र के परिप्रेक्ष्य में देश की
क्षमता के संदर्भ चिंताओं को बढ़ाया है। हाँलाकि जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने यह
स्पष्ट किया कि गंभीर चिंता के किसी विशिष्ट वैरिएंट का पता नहीं चला है; किंतु कोविड-19 के खिलाप WHO की चेतावनी ने हाल ही में रोगजनक
जीनोमिक्स में वैश्विक प्रयासों को मज़बूत करने के लिये इंटरनेशनल पैथोजन सर्विलांस
नेटवर्क (IPSN) लॉन्च किया है। IPSN रोगजनक जीनोमिक अभिकर्त्ताओं का एक
वैश्विक नेटवर्क है, जो WHO के हब फॉर पैनडेमिक (विश्वव्यापी महामारी) एंड एपिडेमिक (सीमित
महामारी) इंटेलिजेंस के संरक्षण में कार्यरत है, ताकि रोगजनक जीनोमिक्स की निगरानी पर प्रगति में तेज़ी लाई जा सके एवं
सार्वजनिक स्वास्थ्य हेतु निर्णयन के स्तर पर उचित सुधार हो सके। रोगजनक जीनोमिक
निगरानी पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करके IPSN नवीन रोगजनकों का तेज़ी से पता लगाने और रोगों के
प्रसार तथा विकास की निगरानी को सक्षम बनाता है। जिसका परिणाम बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य
प्रतिक्रियाओं के रूप में सामने आ सकता है। IPSN निरंतर
रोग निगरानी का समर्थन करता है और महामारी के उपरांत या पूर्व नवीन रोगजनक के
खतरों का पता लगाने एवं उन्हें पूरी तरह
से चिह्नित करने में मदद करेगा।
खराब मौसम से संबंधित मौतें
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार, पिछले 51 वर्षों में लगभग 150,000
भारतीयों ने खराब मौसम की घटनाओं के कारण अपना जीवन खोया है। WMO द्वारा किये गए विश्लेषण से पता चला है
कि वर्ष 1970-2021 के बीच भारत ने 573 जलवायु संबंधी आपदाओं का सामना किया
है। इसके परिणामस्वरूप एशिया क्षेत्र में बांग्लादेश के बाद भारत में सबसे अधिक
मौतें हुईं। ये मौतें (138,377)
मौसम से संबंधित खतरों के प्रति
समुदायों की भेद्यता को उजागर करती हैं। यह जानकारी WMO द्वारा जारी किये गए अद्यतन आँकड़ों का
एक भाग है, जो खराब मौसम की घटनाओं के प्रभाव को
कम करने के लिये एक प्रभावी पूर्व चेतावनी प्रणाली और आपदा प्रबंधन की तत्काल
आवश्यकता पर बल देती है। मौसम की अधिकतर घटनाएँ ऐसी हैं जिनमें अप्रत्याशित, असामान्य, गंभीर या बेमौसम वर्षा की स्थितियाँ
शामिल होती हैं जो किसी विशिष्ट स्थान के कारण उत्पन्न होती हैं। बदलती जलवायु के
कारण ये मानव जीवन, पारिस्थितिक तंत्र और अर्थव्यवस्थाओं
पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। खराब मौसम की घटनाओं के कुछ उदाहरणों में हीट वेव, शीत लहर, उष्णकटिबंधीय चक्रवात, सूखा, बाढ़ और वनाग्नि आदि शामिल हैं। IPCC के अनुसार, मानव-प्रेरित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन
के कारण वर्ष 1950 के बाद से कई खराब मौसम की घटनाएँ
अधिक लगातार और तीव्र हो गई हैं जो वैश्विक तापमान को बढ़ाती हैं।
फंडिंग द फ्यूचर: WHO का वित्तीय बजट
WHO ने हाल ही में 76वीं विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly- WHA) में अगले दो वर्षों के लिये 6.83 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बजट पर सहमति
व्यक्त की, जो मूल्यांकन योगदान में ऐतिहासिक 20% की वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है।
मूल्यांकन योगदान, जो कि देशों द्वारा उनकी संपत्ति और
जनसंख्या के आधार पर भुगतान किया जाने वाला सदस्यता शुल्क है, में वर्षों से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वित्तपोषण के अपने हिस्से में
गिरावट देखी गई है। इस गिरावट की भरपाई स्वैच्छिक योगदान से की गई है, जो अब संगठन के वित्तपोषण के तीन-चौथाई
भाग से अधिक है। स्वैच्छिक योगदान पर निर्भरता प्रशासन एवं संगठन की स्थिरता को
लेकर सवाल उठाती है। वर्ष 2020-2021 में WHO में शीर्ष योगदानकर्त्ता जर्मनी, बिल
एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, संयुक्त
राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय आयोग थे।
हालाँकि WHO के लचीलेपन पर निर्धारित योगदान और
उनके संभावित प्रभाव को लेकर चिंता देखी जा रही है। WHO ने कहा है कि निधियों का मौजूदा असमान
वितरण, देशों को प्रभावी ढंग से समर्थन देने
तथा सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज एवं उन क्षेत्रों में स्वस्थ आबादी से संबंधित
अपने ट्रिपल बिलियन टारगेट को प्राप्त करने की क्षमता में बाधा उत्पन्न करता है, जिन्हें ऐतिहासिक रूप से विशिष्ट
योगदान से कम वित्तीय सहायता प्राप्त हुई है।
भारत ने कफ सिरप के निर्यात के लिये
सख्त नियम लागू किये
भारत निर्मित कफ सिरप में संदूषण की
हालिया घटनाओं के उत्तर में भारत ने कफ सिरप के निर्यात के लिये सख्त नियम लागू
किये हैं। विदेश व्यापार महानिदेशालय की एक अधिसूचना में कहा गया है कि 1 जून, 2023 से कफ सिरप का निर्यात सरकारी प्रयोगशाला द्वारा परीक्षण और प्रमाणन
के बाद ही किया जा सकता है। निर्देश के लिये केंद्रीय दवा परीक्षण प्रयोगशालाओं, क्षेत्रीय परीक्षण प्रयोगशालाओं या
परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशालाओं के लिये राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड द्वारा
मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं सहित अनुमोदित प्रयोगशालाओं से विश्लेषण के प्रमाण
पत्र की आवश्यकता होती है। इसके पूर्व निर्यात किये जा रहे उत्पादों की कोई जाँच
नहीं होती थी। विशेष रूप से भारत में बिक्री की जाने वाली दवाओं के सभी बैचों का
पहले से ही अधिकृत प्रयोगशालाओं द्वारा परीक्षण किया जाता है। संदूषण की घटनाओं के
प्रारंभ में ही WHO द्वारा ध्यान आकर्षित किया गया था
जिसमें गाम्बिया, उज़्बेकिस्तान, माइक्रोनेशिया और मार्शल द्वीप समूह
में मौतों से जुड़े संदूषित भारतीय-निर्मित सिरप की पहचान की गई थी। अन्य देशों
द्वारा किये गए परीक्षण के नमूनों में पाया गया कि संदूषित डायथिलीन ग्लाइकॉल और
एथिलीन ग्लाइकॉल का कारण संभवतः विनिर्माण के दौरान उपयोग किये गए संदूषित विलायक
हैं। जबकि विलायक स्वयं हानिकारक नहीं होते हैं, इन ज़हरीले संदूषकों की उपस्थिति गुर्दे की गंभीर हानि सहित विभिन्न
स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
महिला सशक्तीकरण के लिये भारत के
भ्रष्टाचार विरोधी प्रयास
ऋषिकेश में आगामी G20 भ्रष्टाचार विरोधी कार्य समूह की बैठक
में भारत अपने अनुभवों पर प्रकाश डालेगा जहाँ भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों ने महिला
सशक्तीकरण पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। बैठक में महिलाओं पर भ्रष्टाचार के प्रभाव, लेखांकन संस्थानों की भूमिका और आर्थिक
अपराधियों की एक सामान्य परिभाषा की स्थापना सहित कई विषयों को शामिल किया जाएगा।
बैठक के दौरान एक अलग कार्यक्रम में लैंगिक संवेदनशीलता तथा भ्रष्टाचार विरोधी
रणनीतियों के प्रतिच्छेदन का पता लगाने की भारत की पहल पर प्रकाश डाला जाएगा। भारत
का लक्ष्य विश्व स्तर पर भ्रष्टाचार का मुकाबला करने और आर्थिक अपराधियों को उदार
कानूनों वाले देशों में शरण लेने से रोकने में G20 देशों की प्रतिबद्धता को मज़बूती प्रदान करना है। वर्ष 2018 में अर्जेंटीना की G20 प्रेसीडेंसी के दौरान भगोड़े आर्थिक
अपराधों और परिसंपत्ति की वसूली के खिलाफ कार्रवाई के लिये भारतीय प्रधानमंत्री का
नौ सूत्री मसौदा, सभी G20 देशों की चिंताओं के साथ प्रतिध्वनित होता है। भारत सार्वजनिक वित्त
में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व बढ़ाने के लिये सर्वोच्च लेखापरीक्षा प्राधिकरणों
तथा भ्रष्टाचार विरोधी निकायों के बीच सहयोग पर बल देते हुए भ्रष्टाचार का सामना
करने में लेखापरीक्षा की भूमिका के संबंध में उच्च प्रथाओं का एक सार-संग्रह भी
संकलित कर रहा है। यह व्यापक दृष्टिकोण भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई को मज़बूत करने
में भारत की प्राथमिकता को प्रदर्शित करता है।
स्थानीय जनजातियों द्वारा मणिपुर के
पहाड़ी क्षेत्रों को अलग करने की मांग
स्थानीय जनजातीय नेताओं का फोरम (Indigenous Tribal Leaders' Forum-
ITLF) मणिपुर में
जनजातीय नेताओं का मंच है जो खुद को मणिपुर के चुराचाँदपुर में मान्यता प्राप्त
जनजातियों के समूह के रूप में वर्णित करता है। इसने राज्य के अन्य हिस्सों से
मुख्य रूप से कुकी-चिन-ज़ोमी-मिज़ो समूह की स्थानीय जनजातियों द्वारा बसे पहाड़ी
क्षेत्रों को पूरी तरह से अलग करने का आह्वान किया है। मणिपुर के चुराचाँदपुर ज़िले
में मान्यता प्राप्त जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले ITLF ने CRPF के पूर्व प्रमुख को याचिका सौंपी, जिन्हें
हालिया जातीय संघर्षों के बाद मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त
किया गया था। इस मंच ने प्रमुख मैतेई लोगों के साथ सह-अस्तित्व पर असमर्थता व्यक्त
की, उन पर अंतहीन अत्याचार करने और आदिवासी
लोगों के प्रति घृणा प्रदर्शित करने का आरोप लगाया।
असम और मेघालय सीमा विवाद को सुलझाने
के प्रयास
हाल ही में असम और मेघालय के बीच
मुख्यमंत्री स्तर की बैठक में दोनों राज्यों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा
विवाद को हल करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया गया। असम और मेघालय 884 किमी. लंबी सीमा साझा करते हैं, यह बैठक शेष छह विवादित क्षेत्रों के
लिये संकल्प प्रक्रिया की "शुरुआत" थी। जुलाई 2021 से वे विवादों को निपटाने के लिये
चर्चा में लगे हुए हैं और पिछले मार्च, 2022 में उन्होंने बारह विवादित क्षेत्रों में से छह को संबोधित करने के
लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। जिन छह क्षेत्रों में विवाद बना हुआ है, वे लंगपीह, बोरदुआर, नोंगवाह-मावतामुर, देशडूमरिया, ब्लॉक 1 और ब्लॉक II
तथा सियार-खंडुली हैं। इसके अतिरिक्त
बैठक में दोनों राज्यों द्वारा पूर्व में गठित तीन पैनलों द्वारा विवादित
क्षेत्रों का दौरा शुरू करने का निर्णय लिया गया। ये घटनाक्रम सीमा मुद्दों को हल
करने और क्षेत्र में शांति तथा स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये नए सिरे से
प्रतिबद्धता का संकेत देते हैं।
चांगथी परियोजना
मलयालम परीक्षा में प्रवासी श्रमिकों
की उपलब्धि केरल साक्षरता मिशन के तहत चांगथी परियोजना की सफलता पर प्रकाश डालती
है। समाज में प्रवासी मज़दूरों द्वारा सामना किये जाने वाले बहिष्कार को संबोधित
करने हेतु डिज़ाइन किये गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य उन्हें मलयालम तथा हिंदी में
पढ़ना-लिखना सिखाना है। सामाजिक-सांस्कृतिक एकीकरण के महत्त्व को स्वीकार करते हुए
साक्षरता मिशन प्रवासी श्रमिकों को उनके राज्य की बारीकियों को समझने के लिये
आवश्यक कौशल से युक्त करना चाहता है। यह कार्यक्रम पहली बार 15 अगस्त, 2017 को पेरुम्बवूर, केरल
में शुरू किया गया था। चांगथी जैसी पहलों के माध्यम से प्रवासी श्रमिकों को सशक्त
बनाया जा रहा है। यह बाधाओं को तोड़कर और समाज में अधिक समावेशिता को बढ़ावा दे
रहा है।
ईरान ने लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया
ईरान ने अपनी बैलिस्टिक मिसाइल
खोर्रमशहर के नए नवीनतम संस्करण का प्रदर्शन किया। इस खोर्रमशहर-4 (Khorramshahr-4) मिसाइल में 2,000 किलोमीटर (1,240 मील) और 1,500 किलोग्राम (3,300 पाउंड) वारहेड की क्षमता है।
खोर्रामशहर-4 का नाम ईरान-इराक युद्ध के दौरान
युद्ध से जुड़े एक ईरानी शहर से लिया गया है। 7वीं
शताब्दी में मुसलमानों द्वारा एक यहूदी किले पर विजय प्राप्त करने के कारण मिसाइल
को खैबर भी कहा जाता है। जैसा कि ईरान में यूरेनियम संवर्द्धन का कार्य जारी है
तथा हथियार-ग्रेड स्तरों के करीब है, यह
मिसाइल इसकी सीमा को देखते हुए इज़रायल के लिये संभावित खतरे के बारे में चिंता
उत्पन्न करती है। बैलिस्टिक मिसाइल रॉकेट-चालित रणनीतिक हथियार हैं जो निश्चित
लक्ष्यों पर पेलोड पहुँचाने के लिये एक परवलयिक प्रक्षेपवक्र का अनुसरण करती हैं।
भारत ने वर्ष 1999 में एक बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (BMD) प्रणाली विकसित की थी जो मुख्य रूप से
पाकिस्तान से संभावित परमाणु हमलों के विरुद्ध रक्षा बढ़ाने के लिये थी। BMD प्रणाली का उद्देश्य कम ऊँचाई और उच्च
ऊँचाई वाली इंटरसेप्टर मिसाइलों को शामिल करना है तथा इसमें सार्वजनिक एवं निजी
फर्मों के साथ रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) का सहयोग शामिल है। भारत के शस्त्रागार में उल्लेखनीय बैलिस्टिक
मिसाइलों में अग्नि, K-4
(SLBM), पृथ्वी
तथा त्रिशूल शामिल हैं।
भारतीय संरक्षित क्षेत्रों में बढ़ती
वनाग्नि की घटनाएँ
हालिया विश्लेषण दर्शाते हैं कि पिछले दो
माह में हुए अत्यधिक वर्षण के बावजूद भारत में 50% से अधिक वनाग्नि की घटनाएँ नौ राष्ट्रीय उद्यानों एवं वन्यजीव
अभयारण्यों में दर्ज की गई हैं। 17 मई
से 23 मई, 2023 तक कुल 516 वनाग्नि की घटनाएँ सूचित की गईं, जिसमें वनाग्नि की सर्वाधिक घटनाएँ (129) गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में
दर्ज की गईं। वनाग्नि की घटनाएँ मुख्यतः मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में
सर्वाधिक देखने को मिली हैं। हालाँकि वनाग्नि की इन घटनाओं का कारण अज्ञात है फिर
भी यह आश्चर्यजनक है कि अत्यधिक वर्षण के बावजूद इन क्षेत्रों में वनाग्नि की
घटनाएँ हुई हैं। भारतीय वन सर्वेक्षण इंगित करता है कि देश में लगभग 4% वन क्षेत्र वनाग्नि के प्रति अत्यधिक
प्रवण है, जबकि अन्य 6% अत्यंत संवेदनशील है।
वनाग्नि को झाड़ी या वनस्पति की आग या
जंगल की आग भी कहा जाता है,
इसे जंगल, चरागाह, ब्रशलैंड या टुंड्रा जैसे प्राकृतिक स्थल में किसी भी अनियंत्रित और
गैर-निर्धारित दहन या पौधों को जलाने के रूप में वर्णित किया जा सकता है, जो प्राकृतिक ईंधन का उपयोग करती है
एवं पर्यावरणीय कारकों (जैसे- हवा, स्थलाकृति)
के आधार पर फैलती है। वनाग्नि की घटना प्राकृतिक कारणों से हो सकती है जैसे कि
विद्युत या मानवजनित कारण यथा- भूमि की सफाई, कृषि
गतिविधियाँ एवं औद्योगिक विकास। जलवायु परिवर्तन तथा खराब भूमि प्रबंधन के कारण
गर्म व शुष्क मौसम व्यापक और उच्च तीव्रता वाली वनाग्नि हेतु अनुकूल स्थिति
उत्पन्न करता है। पर्यावरण एवं वन्य जीवन पर वनाग्नि के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
वनाग्नि अक्सर घातक होती है, हालाँकि
यह प्राकृतिक घटना है जो मृत कार्बनिक पदार्थों को साफ करके पारिस्थितिक तंत्र
हेतु फायदेमंद हो सकती है।
खीर भवानी मेला
कश्मीरी पंडित जम्मू-कश्मीर के गांदरबल
में माता खीर भवानी मंदिर की वार्षिक तीर्थयात्रा पर जाते हैं। हालाँकि हाल के
वर्षों में कश्मीरी पंडितों को लक्ष्य कर किये जा रहे आतंकवादी हमलों में वृद्धि
के कारण तीर्थयात्रा में लोगों की भागीदारी में गिरावट आई है। वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को
रद्द करने के बाद से कई कश्मीरी पंडित क्षेत्र में इस तरह के हमलों का शिकार हुए
हैं। खीर भवानी मेले का इतिहास सदियों पुराना है, जो दिव्य माँ रागनी देवी के प्रति लोगों की श्रद्धा एवं भक्ति का
प्रतीक है। यह ज्येष्ठ माह (जून-जुलाई) में शुक्ल पक्ष या चंद्रमा के बढ़ते चरण के
दौरान अष्टमी के दिन मनाया जाता है। यह जीवंत उत्सव इस क्षेत्र में प्रचलित
सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्त्व एवं सांप्रदायिक सद्भाव को प्रदर्शित करता है, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता
है, साथ ही कश्मीर की समृद्ध साझा विरासत
की सराहना करता है। यह आतंकवादी हमलों की चुनौती के बावजूद कश्मीरी पंडित समुदाय
का मेले के प्रति अटूट विश्वास और परंपराओं को बनाए रखने के दृढ़ संकल्प प्रदर्शित
करता है। यह सहिष्णुता व लचीलेपन के शक्तिशाली प्रतीक के रूप में है, क्योंकि यह त्योहार एकजुटता बनाए रखता
है एवं विपरीत परिस्थितियों में आशा की ओर प्रेरित करता है।
75 रुपए मूल्यवर्ग के स्मारक सिक्के का अनावरण
नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर एक
महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 75 रुपए मूल्यवर्ग के एक स्मारक सिक्के
का अनावरण किया। भारत द्वारा वर्ष 1960 के
दशक से विभिन्न उद्देश्यों के लिये स्मारक सिक्के जारी किये गए हैं, जैसे- उल्लेखनीय व्यक्तित्वों का
सम्मान, सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता
उत्पन्न करना या महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं का स्मरण करना। इस नए 75 रुपए के सिक्के की आकृति 44 मिमी. व्यास के साथ गोलाकार है। यह
चार मिश्र धातुओं से बना है, जिसमें
50% चाँदी, 40% ताँबा, 5% निकल और 5% जस्ता शामिल है। जारी किये गए इस नए
सिक्के के शीर्ष पर अशोक स्तंभ को दर्शाया गया है, जिसके नीचे सत्यमेव जयते अंकित किया गया है। देवनागरी लिपि में 'भारत' शब्द बाईं परिधि पर अंकित है, जबकि
अंग्रेज़ी में "इंडिया" दाईं परिधि पर अंकित है। इस सिक्के के दूसरी तरफ
नए संसद भवन की छवि चित्रित की गई है, जिसमें
ऊपरी परिधि पर देवनागरी लिपि में "संसद संकुल" और निचली परिधि पर
अंग्रेज़ी में "संसद परिसर" अंकित किया गया है। यह स्मारक सिक्का
सिक्योरिटीज़ ऑफ प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SPMCIL) की वेबसाइट से प्राप्त किया जा सकता
है। ये सिक्के संग्रहणीय मूल्य रखते हैं, जिससे
इनका वास्तविक मूल्य इनके अंकित मूल्य के अनुरूप नहीं हो सकता है, क्योंकि इनमें सामान्यतः चाँदी या सोने
जैसी कीमती धातुएँ होती हैं। वर्ष 2011 के
सिक्का अधिनियम के अनुसार,
केंद्र सरकार के पास सिक्कों को डिज़ाइन
और ढालने का अधिकार है, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) इनके वितरण में सीमित भूमिका निभा रहा
है। सभी सिक्के मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता और नोएडा में स्थित सरकारी
टकसालों में ढाले जाते हैं। भारत में प्रथम स्मारक सिक्का वर्ष 1964 में जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद
उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने के रूप में जारी किया गया था।
बाल विवाह मुक्त अभियान, उदयपुर
उदयपुर, राजस्थान में ज़िला प्रशासन ने गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से ज़िले
में बाल विवाह को रोकने के लिये एक सक्रिय अभियान प्रारंभ किया है। सूचना देने में
सुविधा हेतु कॉल करने वालों की पहचान की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिये एक
हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है तथा बाल विवाह के मामलों की सूचना देने वाले
व्यक्तियों को प्रोत्साहन के रूप में 2,100
रुपए का नकद पुरस्कार भी दिया जाएगा। बाल विवाह में शामिल परिवारों के विरुद्ध
निषेधाज्ञा जारी करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए ज़िला प्रशासन ने अभियान के लिये
समर्पित टीमों का गठन किया है। ये आदेश विवाह को प्रारंभ से ही शून्य घोषित कर
देते हैं, जिससे दूल्हा और दुल्हन पर कानूनी
कार्रवाई करने के लिये वयस्क होने तक प्रतीक्षा करने की आवश्यकता समाप्त हो जाती
है।
उल्लेखनीय है कि उदयपुर में बाल विवाह प्रतिषेध
अधिनियम, 2006 की धारा 13(1) के अंतर्गत निषेधाज्ञा जारी किया जाना
एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
CAG प्रमुख का WHO के बाह्य लेखा परीक्षक के रूप में
दूसरी बार चयन
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG), गिरीश चंद्र मुर्मू को वर्ष 2024 से 2027 तक चार वर्ष की अवधि के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के बाह्य लेखा परीक्षक के रूप में
दूसरे कार्यकाल के लिये चुना गया है। जिनेवा में 76वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में मार्च 2023 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के बाह्य लेखा परीक्षक के रूप में चयन के बाद यह उनका दूसरा प्रमुख
अंतर्राष्ट्रीय लेखा परीक्षा कार्य है। खाद्य और कृषि संगठन (FAO), अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEI) और अंतर-संसदीय संघ (IPU),WHO के बाह्य लेखा परीक्षक के रूप में CAG का प्रमुख फिर से चुना जाना अंतर्राष्ट्रीय
लेखा परीक्षा और शासन निकायों में भारत की मज़बूत उपस्थिति और प्रभाव को दर्शाता
है। WHO के बाह्य लेखा परीक्षक का कार्य
स्वतंत्र लेखा परीक्षा करना और संगठन के भीतर वित्तीय विवरणों, विनियमों के अनुपालन, संचालन की प्रभावशीलता तथा जोखिम
प्रबंधन पर आश्वासन प्रदान करना है।
चीन द्वारा अंतरिक्ष में भेजा गया पहला नागरिक
चीन ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत
लॉन्ग मार्च 2F रॉकेट का उपयोग करके 3 अंतरिक्ष यात्रियों के साथ शेनझोउ 16 अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक लॉन्च कर
महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह नागरिक अंतरिक्ष यात्री को शामिल करने वाला
देश का पहला मिशन है। संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के साथ जुड़ने की
महत्त्वाकांक्षाओं के साथ चीन ने अपने सैन्य संचालित अंतरिक्ष कार्यक्रम में अरबों
डॉलर का निवेश किया है। यह उपलब्धि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से केवल अंतरिक्ष
यात्रियों को भेजने की पूर्व प्रथा से अलग है। बीजिंग यूनिवर्सिटी ऑफ एरोनॉटिक्स
एंड एस्ट्रोनॉटिक्स के पेलोड विशेषज्ञ, नागरिक
अंतरिक्ष यात्री, गुई हाइचाओ, अंतरिक्ष विज्ञान प्रयोगात्मक पेलोड के
लिये ज़िम्मेदार होंगे। चीन के अंतरिक्ष सपने में वर्ष 2029 तक चंद्र आधार और चालक दल के चंद्र
मिशन की योजना शामिल है, जबकि तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन
वैज्ञानिक प्रयोगों तथा नई प्रौद्योगिकियों के परीक्षण की सुविधा प्रदान करेगा।
यूनानी चिकित्सा को बढ़ावा देना
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के
मंत्रालय ने पारंपरिक उपचार प्रणाली यूनानी चिकित्सा के अनुसंधान और विकास को
बढ़ावा देने के लिये 45.34 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं। सेंट्रल
काउंसिल ऑफ रिसर्च इन यूनानी मेडिसिन (CCRUM) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन (NIUM) बंगलूरू को हैदराबाद, चेन्नई, लखनऊ, सिलचर एवं बंगलूरू में यूनानी सुविधाओं
को बढ़ाने के लिये क्रमशः 35.52 करोड़ रुपए तथा 9.81 करोड़ रुपये मिले हैं। ब्रिक्स एचपीसी
और आईसीटी वर्किंग ग्रुप केवल ब्रिक्स देशों के शोधकर्त्ताओं को साझीदार बनाने के
लिये पारस्परिक हित के क्षेत्रों पर चर्चा करने हेतु एक मंच प्रदान करता है। यूनानी चिकित्सा की
उन्नति और जनता तक इसकी पहुँच को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्रीय प्रायोजित
योजना प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत अनुदानों का वितरण किया गया है।
उच्च तापमान के बावजूद चिल्का झील में
पक्षियों के प्रवासन में वृद्धि
ओडिशा की चिल्का झील, एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की लैगून
में पिछले वर्षों की तुलना में इस गर्मी में प्रवासी पक्षियों की अधिक वृद्धि देखी
गई जो 39 से 41 डिग्री सेल्सियस के तापमान में एक चुनौती के रूप में है। टांगी रेंज
में पक्षियों की संख्या सबसे अधिक दर्ज की गई, इसके
बाद बालुगाँव, सतपदा, चिलिका और रंभा का स्थान है। विशेष रूप से ग्रे-हेडेड स्वैम्फेन या
पर्पल स्वैम्फेन सबसे अधिक देखी जाने वाली प्रजातियाँ थीं, इसके बाद एशियन ओपनबिल स्टार्क, व्हिस्कर्ड टर्न, लिटिल कॉर्मोरेंट और लिटिल एग्रेट थे।
निवास स्थान में सुधार, भोजन की उपलब्धता तथा झील से झींगों के
बाड़ों को हटाने जैसे कारक पक्षी प्रवासन की वृद्धि में योगदान करते हैं। पक्षी
प्रत्येक सर्दियों में चिल्का का दौरा करते हैं और गर्मियों की शुरुआत से पहले
अपने घर की ओर वापसी शुरू करते हैं जिसमें अधिकतर उत्तरी यूरेशिया में हिमालय
क्षेत्र से, कैस्पियन क्षेत्र, साइबेरिया, कज़ाखस्तान, बैकाल झील और रूस तथा पड़ोसी देशों के
दूरदराज़ के इलाके शामिल हैं। कुछ प्रवासी पक्षियों ने अत्यधिक गर्मी के बावजूद
अपने मूल स्थानों पर जाने के बजाय झील में ही रहना पसंद किया। फ्लेमिंगो एवं
पेलिकन सामान्यतः चिल्का में देरी से प्रवास करते हैं। हालाँकि पेलिकन मानसून की
शुरुआत के साथ प्रवासन हेतु अपनी यात्रा शुरू करते हैं, साथ ही कुछ फ्लेमिंगो वर्षों तक झील
में रहना पसंद करते हैं।
ओडिशा की पलूर नहर में ‘ईल’ की नई प्रजाति की खोज की गई
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI) के वैज्ञानिकों ने ओडिशा के गंजम ज़िले
के पलूर नहर में ईल की एक नई प्रजाति की पहचान की है। प्राचीन ओडिशा के नाम पर इसे
पिसोडोनोफिस कलिंगा नाम दिया गया, यह
ईल परिवार ओफिचथिडे और ऑर्डर एंगुइलिफोर्मेस से संबंधित है। यह दिखने में सांप
जैसा है और इसकी लंबाई 560 मिलीमीटर से 7 मीटर तक हो सकती है। यह खोज एशिया के
सबसे बड़े खारे पानी के लैगून चिल्का लैगून और आसपास के पलूर नहर में की गई।
सितंबर से नवंबर तक मानसून के मौसम के दौरान इस क्षेत्र में नई प्रजाति, पिसोडोनोफिस कलिंग प्रचुर मात्रा में
पाई जाती है। डीएनए विश्लेषण ने पहले ग्रहण किये गए पिसोडोनोफिस बोरो (चावल-धान
ईल) से इसके भिन्न होने की पुष्टि की। इस खोज से भारतीय जल में पिसोडोनोफिस
प्रजातियों की कुल संख्या बढ़कर तीन हो गई है।
मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई
ट्रांस हार्बर लिंक (MTHL)
पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की और लोगों
के लिये "ईजी ऑफ लिविंग" के महत्त्व को बढ़ाने पर बल दिया। MTHL एक उल्लेखनीय बुनियादी ढाँचा परियोजना
है जो मुंबई महानगर क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बदलने की क्षमता रखती है जिसे
सेवरी-न्हावा शेवा ट्रांस हार्बर लिंक के रूप में भी जाना जाता है। इसके निर्माण
के साथ MTHL का लक्ष्य 21.8 किलोमीटर का 6-लेन एक्सेस-कंट्रोल एक्सप्रेसवे ग्रेड
रोड ब्रिज बनाना है जिससे यह भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल बन जाएगा। MTHL का निर्माण कार्य पूरा होने से यातायात
की बारहमासी समस्या दूर हो जाएगी तथा सेवरी और चिर्ले के बीच यात्रा का समय केवल 15 से 20 मिनट का हो जाएगा जिससे यात्रियों को दैनिक जीवन के कार्यों में
बहुत राहत होगी। ओपन रोड टोलिंग सिस्टम के साथ MTHL पर बिना वाहनों को रोके या धीमा कर टोल एकत्र करने की विधि अपनाने
वाली देश की पहली परियोजना बन गई है। यह नवीन दृष्टिकोण यातायात प्रवाह को
व्यवस्थित करता है और इलेक्ट्रॉनिक सेंसर तथा कैमरों का उपयोग करके पुल की दक्षता
बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त MTHL
ऑर्थोट्रॉपिक स्टील डेक प्रौद्योगिकी
का उपयोग करता है। यह एक निर्माण विधि है जो पुल की संरचना को ताकत और लचीलापन
प्रदान करती है। यह स्टील डेक तकनीक पुल के हल्के ढाँचे को बनाए रखते हुए भारी
वाहनों का अधिक भार उठाने की क्षमता प्रदान करती है।
भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में
गिरावट
वित्त वर्ष 2022-23 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह में गिरावट देखी गई, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) द्वारा इसके वैश्विक कारकों की पहचान की गई है। उदार FDI नीतियों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के बावजूद कठोर ब्याज दरों और बिगड़ती भू-राजनीतिक स्थिति के संयुक्त प्रभाव ने देश में निवेश करने के लिये निवेशकों के विश्वास एवं गरीबी में गिरावट की संभावना को कम कर दिया है। पाँच महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों- कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, निर्माण, शिक्षा, ऑटोमोबाइल तथा धातुकर्म उद्योगों में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। पिछले वित्तीय वर्ष में कुल FDI में 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से के संकुचन के पीछे के विशिष्ट कारणों को उजागर करने के लिये एक व्यापक विश्लेषण की आवश्यकता है। FDI प्रवाह में गिरावट के परिणाम अधिक गंभीर हैं, क्योंकि FDI इक्विटी प्रवाह में 22% की गिरावट आई है जो वित्तीय वर्ष 2022-23 में 46 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। विशेष रूप से पहली तिमाही जनवरी-मार्च के दौरान निवेश में 40.5% की भारी गिरावट आई, यह कुल 9.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। FDI प्रवाह में इस तरह की गिरावट भारत के आर्थिक विकास, रोज़गार के अवसरों और तकनीकी प्रगति में बढ़ा उत्पन्न करती है। इस स्थिति से निपटने के लिये नीति निर्माताओं और हितधारकों को वैश्विक एवं क्षेत्र-विशिष्ट दोनों चुनौतियों पर विचार करते हुए FDI प्रवाह को प्रभावित करने वाले कारकों का व्यापक विश्लेषण करना चाहिये।
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