राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की जानकारी |NRF Details in Hindi
राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की जानकारी (NRF Details in Hindi)
राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF) क्या है ?
NRF एक प्रस्तावित
निकाय है जो विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (Science
and Engineering Research Board of India- SERB) को प्रतिस्थापित
करेगा और प्रभावशील ज्ञान सृजन एवं अंतरण के माध्यम से भारत के महत्त्वाकांक्षी
विकास एजेंडे में तेज़ी लाने के लिये अंतःविषय अनुसंधान को उत्प्रेरित एवं
मार्ग-निर्देशित करेगा।
NRF के लक्ष्य:
- अंतःविषय अनुसंधान को बढ़ावा देना जो भारत की सबसे गंभीर विकास चुनौतियों को संबोधित कर सकेगा।
- अनुसंधान प्रयासों के दोहराव को न्यूनतम करना।
- नीति और व्यवहार में अनुसंधान के अंतरण को बढ़ावा देना।
NRF की मुख्य बातें:
- NRF की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे और इसमें 10 प्रमुख निदेशालय शामिल होंगे, जो विज्ञान, कला, मानविकी, नवाचार और उद्यमिता जैसे विभिन्न क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
- NRF में एक 18 सदस्यीय बोर्ड होगा जिसमें प्रख्यात भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और उद्योग जगत के नेतृत्वकर्त्ता शामिल होंगे।
- NRF एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत होगा और इसका एक स्वतंत्र सचिवालय होगा।
NRF से अपेक्षाएँ:
- वर्ष 2030 तक अनुसंधान एवं विकास में भारत के निवेश को सकल घरेलू उत्पाद के 0.7% से बढ़ाकर 2% करना
- वैश्विक वैज्ञानिक प्रकाशनों में भारत की हिस्सेदारी को लगभग 5% से बढ़ाकर 7% करना
- विभिन्न विषयों और क्षेत्रों में प्रतिभाशाली शोधकर्त्ताओं के एक पूल का निर्माण करना
- भारत की विकास संबंधी चुनौतियों के लिये नवीन समाधान विकसित करना
- वैज्ञानिक ज्ञान को सामाजिक और आर्थिक लाभ में अंतरित करना
NRF की आवश्यकता
क्यों है?
घटता अनुसंधान निवेश:
भारत के अनुसंधान
एवं विकास व्यय और जीडीपी का अनुपात महज 0.7% है, जो अन्य प्रमुख
अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में पर्याप्त कम है तथा वैश्विक औसत 1.8% से पर्याप्त
नीचे है। अमेरिका (2.8%), चीन (2.1%), इज़राइल (4.3%) और दक्षिण
अफ़्रीका (4.2%) जैसे देशों में यह अनुपात पर्याप्त उच्च है।
निम्न अनुसंधान आउटपुट और प्रभाव:
पेटेंट और
प्रकाशनों की संख्या के मामले में भारत बहुत पीछे है।
WIPO के अनुसार, चीन ने 1.538 मिलियन पेटेंट
आवेदन फाइल किये (जिसमें केवल 10% अनिवासी चीनी नागरिक थे), अमेरिका ने 605,571 आवेदन फाइल किये, जबकि भारत ने
मात्र 45,057 आवेदन फाइल किये (जिनमें से 70% से अधिक अनिवासी
भारतीयों की ओर से थे)।
सीमित अनुसंधान अवसर:
अनुसंधान के लिये
धन प्रायः उच्च-प्रतिष्ठित संस्थानों और अनुसंधानकर्त्ताओं तक सीमित रहता है और वे
वंचित रह जाते हैं जो हाशिये पर स्थित क्षेत्रों में होते हैं।
उदाहरण के लिये, डीएसटी
अधिकारियों के अनुसार SERB से लगभग 65% निधि विभिन्न
आईआईटी को जाता है और केवल 11% ही राज्य
विश्वविद्यालयों को प्राप्त होता है।
अनुसंधान का खंडीकरण:
भारत में
अनुसंधान बड़े पैमाने पर विभिन्न संस्थानों द्वारा अलग-अलग आंतरिक स्तर पर किये
जाते हैं, जिससे संसाधनों की बर्बादी एवं दोहराव की स्थिति बनती है।
निजी क्षेत्र की
कम भागीदारी:
R&D व्यय का लगभग 56% सरकार की ओर से
और 35% निजी क्षेत्र से प्राप्त होता है।
इसके विपरीत, तकनीकी रूप से
उन्नत देशों में निजी क्षेत्र अनुसंधान एवं विकास में अग्रणी भूमिका रखते हैं।
उदाहरण के लिये इजराइल में निजी क्षेत्र का योगदान 88% तक है।
सामाजिक विज्ञान और मानविकी पर फोकस का अभाव:
अधिकांश अनुसंधान
निधि प्राकृतिक विज्ञान एवं इंजीनियरिंग क्षेत्र की ओर जाती है, जबकि सामाजिक
विज्ञान एवं मानविकी को प्रायः उपेक्षित किया जाता है।
NRF अंतर-विषयक और
समस्या-समाधानकर्त्ता अनुसंधान को कैसे बढ़ावा देगा?
मंच प्रदान करने के रूप में:
NRF बहु-विषयक और
बहु-संस्थागत सहयोगात्मक अनुसंधान के लिये एकीकृत मंच प्रदान करेगा जो उन जटिल
चुनौतियों का समाधान कर सकता है जिनके लिये विभिन्न विषयों एवं क्षेत्रों की ओर से
समाधान की आवश्यकता होती है।
उदाहरण के लिये, सार्वजनिक
स्वास्थ्य नीति, बाल पोषण, वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन ऐसे कुछ
क्षेत्र हैं जिनके लिये अंतःविषयक (inter-disciplinary और बहि-विषयक (trans-disciplinary)
अनुसंधान की
आवश्यकता है जो साक्ष्य संपन्न, संदर्भ के लिये प्रासंगिक, संसाधन के लिये
इष्टतम, सांस्कृतिक रूप से अनुरूप और समता को बढ़ावा देने वाले
समाधान प्रदान कर सकते हैं।
NRF भारत के विकास के
प्राथमिकता क्षेत्रों में कमीशन किये गए कार्यबल अनुसंधान और अन्वेषक द्वारा शुरू
किये जाते सहयोगात्मक अनुसंधान, दोनों का समर्थन करेगा।
NRF विभिन्न ज्ञान
क्षेत्रों के युवा शोधकर्त्ताओं को समस्या समाधान अनुसंधान पर सहयोग करने के लिये
आमंत्रित कर वैज्ञानिक करियर के आरंभ में ही बहु-विषयक (multi-disciplinary)
अनुसंधान से
संलग्न होने की मानसिकता भी तैयार करेगा।
सहकार्यता को बढ़ावा:
NRF वैज्ञानिक उद्यम
में निजी क्षेत्र, राज्य सरकारों, राज्य स्तरीय
संस्थानों और नागरिक समाज संगठनों जैसे विभिन्न हितधारकों को शामिल करने का प्रयास
करेगा।
निजी क्षेत्र को
कॉर्पोरेट और परोपकारी फंडिंग को बढ़ावा देने के लिये (जो सरकार के स्वयं के
प्रतिबद्ध योगदान को बढ़ा सकता है) और नए विचारों एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने
के लिये प्रमुख भागीदार के रूप में देखा जाता है।
स्थानीय स्तर पर
प्रासंगिक वैज्ञानिक अनुसंधान के संचालन के लिये भारत की क्षमता बढ़ाने हेतु राज्य
सरकारें और राज्यस्तरीय संस्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।
अनुसंधान एजेंडे
के लिये लोगों की प्रासंगिक प्राथमिकताओं की पहचान करने, सहभागी अनुसंधान
में संलग्न होने, कार्यान्वयन और इसके प्रभाव की निगरानी एवं
मूल्यांकन करने के साथ-साथ सामुदायिक गतिशीलता के माध्यम से कार्यान्वयन का समर्थन
करने के लिये सामुदायिक भागीदारी आवश्यक है ।
तभी वैज्ञानिक उद्यम ‘जन आंदोलन’ में परिणत हो सकता है।
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