सर्वप्रथम मीश्चर
(Miescher, 1889) ने कोशिकाओं से
नाभिकीय अम्लों को पृथक किया उसे न्यूक्लीन (Nuclein) नाम दिया। आल्टमैन ने अम्लीय गुणों के कारण
इसका नाम न्यूक्लिक अम्ल रखा।
नाभिकीय अम्ल दो
प्रकार के होते हैं— (i)
DNA एवं (ii) RNA.
डी-ऑक्सीराइबोज
शर्करा की उपस्थिति के कारण DNA का नामकरण किया गया।
DNA की संरचना को
समझाने के लिए वाटसन एवं क्रिक ने DNA मॉडल प्रस्तुत
किया।
वाटसन एवं क्रिक
(Watson and Crick) ने ही DNA की पुनरावृत्ति
की क्रिया - विधि को समझाने के लिए अर्द्धसंरक्षी विधि प्रस्तावित की।
जे. केरेन्स एवं
मेसेल्सन तथा स्टॉल ने DNA
पुनरावृत्ति की
अर्द्धसंरक्षी विधि का प्रायोगिक सत्यापन किया।
DNA में प्यूरीन - A एवं C नामक तथा पिरिमिडीन्स - T या C
नामक पाये जाते हैं।
न्यूक्लियोटाइड्स महत्वपूर्ण तथ्य
ये C, H, O, N व P से बने यौगिक हैं, जो नाभिकीय
अम्लों के रचक घटक के रूप में कार्य करते हैं।
इनका एक अणु एक
चक्रीय नाइट्रोजनी क्षार,
एक पेण्टोज
शर्करा तथा एक फॉस्फेट समूह का बना है।
ऐडीनोसीन
(न्यूक्लियोसाइड) के साथ एक फॉस्फेट जुड़कर ऐडीनोसीन मोनोफॉस्फेट (A.M.P.), दो फॉस्फेट
जुड़कर ऐडीनोसीन डाइफॉस्फेट (A.D.P.) तथा तीन फॉस्फेट जुड़कर ऐडीनोसीन ट्राइफॉस्फेट (A.T.P.) का निर्माण करते
हैं।
A.M.P., A.D.P. तथा A.T.P. ऊर्जा को संचित
करते हैं, इनमें फॉस्फेट
समूह अलग होकर ऊर्जा मुक्त करते. हैं।
जैव अणु से संबन्धित महवपूर्ण जानकारी
न्यूक्लिक अम्लों खासकर DNA को छोड़कर और किसी भी
ज्ञात जैव अणुओं में स्व-द्विगुणन की क्षमता नहीं पायी जाती।
DNA को आनुवांशिक सूचनाओं का (Bank of genetic informations) के रूप में जाना
जाता है।
समस्त जीवों का
शरीर तत्वों का बना होता है ये तत्व स्वतंत्र रूप में अथवा यौगिक के रूप में जीवों
के शरीर में पाये जाते हैं।
अपेक्षाकृत छोटे आकार एवं कम अणुभार वाले यौगिकों को
सूक्ष्म अणु एवं बड़े आकार वाले अणुओं को वृहत् अणु कहते हैं।
जल, खनिज लवण, अमीनो अम्ल, शर्कराएँ एवं
न्यूक्लियोटाइड्स सूक्ष्म अणु को श्रेणी में आते हैं।
प्रोटोन, पॉलीसेकेराइड्स, लिपिड्स एवं न्यूक्लिक अम्ल कोशिकाओं में पाये जाने वाले
वृहत् अणुओं की श्रेणी में आते हैं।
श्वसन क्रिया में
उपयोग होने वाला प्रमुखतम सब्स्ट्रेट कार्बोहाइड्रेट है।
मोनोसेकेराइड्स में
कार्बन, हाइड्रोजन एवं
ऑक्सीजन का अनुपात हमेशा 1:2:1 होता है।
कार्बोहाइड्रेट
का सामान्य सूत्र Cx(H2O)y होता है।
प्रोटीन अमीनो
अम्लों की श्रृंखला होते हैं।
प्रोटीन अणुओं में 20 प्रकार के अमीनो
अम्ल पाये जाते हैं।
अनेक खनिज लवण, जैसे- Fe, Cu, Mn, Co, Mg, Ca आदि हमारे शरीर
में उपापचयी क्रियाओं के लिए आवश्यक होते हैं।
अनेक प्रोटीन
कोशिकाओं में एन्जाइम की तरह कार्य करते हैं। ये विभिन्न जैव-रासायनिक क्रियाओं
में उत्प्रेरक की तरह कार्य करते हैं। एन्जाइम के बिना जीवित कोशिकाओं की कल्पना
नहीं की जा सकती।
लिपिड्स के प्रत्येक अणु में एक अणु ग्लिसरॉल अथवा लम्बी
श्रृंखला के ऐल्कोहॉल (Long
chain alcohol) एवं एक अणु वसीय अम्ल पाये जाते
हैं।
संतृप्त वसीय अम्लयुक्त वसा हमारे शरीर के लिए अधिक हानिकारक होते हैं।
प्राकृतिक रूप से पायी जाने वाली शर्कराओं में फ्रक्टोज सबसे मीठी शर्करा है।
दूध में लैक्टोज
नामक डाइसकेराइड प्रकार का शर्करा पाया जाता है। दूध से दही बनने के क्रम में यहाँ
लैक्टोज जीवाणुओं द्वारा लैक्टिक अन्त में बदल जाता है।
शरीर में आयोडीन की कमी
होने से घेंघा (Goitre) नामक रोग हो सकता
है।
आयरन अथवा लौह
तत्व की कमी होने पर एनीमिया (Anaemia) नामक रोग होता है।
DNA में डी-ऑक्सीराइबोज प्रकार का शर्करा पाया जाता
है, जबकि RNA में राइबोज
प्रकार का शर्करा पाया जाता है।
नाखून, बाल,
सींग आदि में
किरैटिन नामक प्रोटीन पाया जाता है। इसे स्क्लेरोप्रोटीन भी कहते हैं।
एक ग्राम ग्लूकोज के दहन से 4.2 किलो कैलोरी, वसा से 9.3 किलो कैलोरी एवं
प्रोटीन से 5.6 किलो कैलोरी
ऊर्जा प्राप्त होती है।
प्रतिदिन हमारे शरीर को शरीर के कुल भार 2% जल चाहिए।
न्यूक्लिक अम्लों में चार प्रकार के न्यूक्लियोटाइड्स पाये जाते हैं।
प्यूरीन
(एडीनीन, ग्वानीन) प्रकार
के नाइट्रोजीनस क्षार में दो रिंग (Ring) पाये जाते हैं जबकि पिरिमिडीन (सायटोसीन एवं
थाइमीन)धारक में एक ही
रिंग पाये जाते हैं।
जन्तुओं के शरीर
में एण्टीबॉडी (Antibody)
अथवा
इम्यूनोग्लोब्युलिन्स (Immunoglobulins)
नामक विशेष
प्रकार के प्रोटीन अणु पाये जाते हैं जो शरीर में प्रवेश करने वाले एण्टीजन (Antigen) को निष्प्रभावी
करते हैं।
पहले ऐसा माना जाता था कि प्रोटीन अणुओं में 20 प्रकार के अमीनो
अम्ल पाये जाते हैं परन्तु आधुनिक शोध निष्कर्षो ने साबित किया है कि प्रोटीन्स
में 28 प्रकार के अमीनो
अम्ल होते हैं।
वृहद अणु कोशिका झिल्ली से आर-पार नहीं जा सकते। इनके जल अपघटन
से प्राप्त सूक्ष्म अणु जैसे- मोनोसेकेराइड्स, अमीनो अम्ल, वसीय अम्ल, न्यूक्लियोटाइड्स
आदि कोशिका झिल्ली को पार कर जाते हैं।
कोशिकाओं में पायी जाने वाली कोशिका भित्ति
मुख्य रूप से सेल्युलोज की बनी होती है।
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