कोशिका से संबन्धित महत्वपूर्ण जानकारी | Cell Important Fact in Hindi
कोशिका से संबन्धित महत्वपूर्ण जानकारी
कोशिका से संबन्धित महत्वपूर्ण जानकारी (Cell Important Fact in Hindi)
- रॉबर्ट हुक ने सर्वप्रथम कोशिका शब्द का प्रयोग किया।
- रॉबर्ट ब्राउन ने केन्द्रक की खोज ऑर्किड मूल की कोशिकाओं में की।
- कोशिका सिद्धान्त का प्रतिपादन श्लीडेन एवं श्वान नामक वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत किया गया।
- कोशिका का निर्माण पूर्व निर्मित कोशिकाओं से होता है। अवधारणा रॉबर्ट विकों द्वारा प्रस्तुत की गयी।
- कोशिका के अंदर पाये जाने वाले प्लाज्मा झिल्ली से घिरे अनेक प्रकोष्ठ कोशिकांग कहलाते हैं।
- प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में कोई भी कोशिकांग नहीं पाये जाते।
- कोशिका भिति मुख्य रूप से सेल्युलोज एवं कोशिका झिल्ली लाइपोप्रोटीन की बनी होती है।
- बहुकोशिकीय जीव अधिक समय तक अस्तित्व में रहने की क्षमता रखते हैं।
- P.P.L.O. (Pleuro Pneumonia Like Organism) सबसे छोटे कोशिकीय जीव हैं।
- राइबोसोम, सेन्ट्रोसोम, सेन्ट्रीओल, न्यूक्लिओलस झिल्ली रहित कोशिकांग हैं।
- एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम, गॉल्गीकाम, रिक्तिका, लाइसोसोम, स्फेरोसोम, परऑक्सीसोम, ग्लाइऑक्सोसोम थायलेकॉइड अथवा लै मिली आदि एकल झिल्ली से घिरे कोशिकांग हैं।
- माइटोकॉन्ड्रिया एवं लवक (क्लोरोप्लास्ट क्रोमोप्लास्ट, ल्यूकोप्लास्ट) दोहरी झिल्ली से थिरे कोशिकांग है।
- केन्द्रक, कोशिका में पाया जाने वाला सबसे बड़ा कोशिकांग है।
- राइबोसोम एवं सूक्ष्म तन्तु कोशिका में पाये जाने वाले सबसे छोटे कोशिकांग है।
- एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम को इरगेस्टोप्लाज्म भी कहा जाता है।
- सर्वप्रथम ल्यूवेनहॉक ने केन्द्रक एवं क्लोरोप्लास्ट को कोशिकाओं के अन्दर देखा, परन्तु इनके खोज का श्रेय उन्हें नहीं दिया जाता।
- कोशिका के अंदर जीवित वस्तुओं को कोशिकांग एवं मृत वस्तुओं को कोशिका अंतस्थ कहते हैं।
- कोशिका झिल्ली के बाहर पाया जाने वाला आवरण ग्लाइकोकैलिक्स कहलाता है। यह कोशिका को इम्यूनोआइडेंटिटी प्रदान करता है।
- कोशिका के अंदर जीवद्रव्य हमेशा गतिशील होता है। इसे जीवद्रव्य भ्रमण (Cyclosis) कहते हैं। लकड़ी (Wood) वानस्पतिक रूप से द्वितीयक जाइलम होती है। इनकी कोशिका भित्ति पर लिग्निन का अत्यधिक जमाव हो जाता है।
- यहाँ तक कि पूर्ण परिपक्व लकड़ी कोशिकाओं के जीवद्रव्य पूर्ण रूपेण नष्ट हो जाते हैं।
- एक माइटोकॉण्ड्रिया का जीवन काल 5-10 दिन का होता है।
- क्लोरोप्लास्ट एवं माइटोकॉण्ड्रिया में DNA, RNA एवं राइबोसोम्स पाये जाते हैं। अतः इन्हें अर्द्धस्वाशासित कोशिकांग कहा जाता. है। ये अपने लिए आवश्यक प्रोटीन स्वयं बनाते हैं।
- कोशिका के अन्दर पाये जाने वाले समस्त कार्बनिक एवं अकार्बनिक अजीवित पदार्थों को कोशिका अंतस्थ कहा जाता है।
- पादप कोशिकाओं में जन्तु कोशिकाओं की अपेक्षा कम माइटोकॉण्ड्रिया पाये जाते हैं।
- गुणसूत्र रासायनिक रूप से न्यूक्लिओप्रोटीन के बने होते हैं।
- क्रोमॅटिन जालिका की इकाई को न्यूक्लिओसोम कहते हैं। गुणसूत्र आनुवशिक गुणों के वाहक होते हैं।
- प्रोकैरियोट्स में न्यूक्लिओप्रोटीन के बने क्रोमैटिन जालिका अथवा क्रोमोसोम नहीं पाये जाते हैं।
- इन विवो अध्ययन (In vivo study) - कोशिका या जीव का उसके प्राकृतिक पर्यावरण में अध्ययन।
- इन विट्रो स्टडी (In vitro study) कोशिका या जीव का कृत्रिम संवर्धन माध्यम या कृत्रिम वातावरण में अध्ययन ।
- टोटीपोटेन्सी (Totipotency) एक पौधे को कायिक कोशिका को वह क्षमता जिसके कारण वह नये पौधे को उत्पन्न करने में सक्षम होती है।
- सक्रिय अभिगमन (Active transport) – सान्द्रण प्रवणता के विपरीत अणुओं या आयनों का झिल्ली से अभिगमन जिसमें ऊर्जा व्यय होती है।
- बायोप्लाज्म (Bioplasm) – प्रोटोप्लाज्म को बायोप्लाज्म के नाम से भी जाना जाता है।
- बायोप्लास्ट (Bioplast) - माइटोकॉण्ड्रिया का दूसरा नाम
- सायक्लॉसिस (Cyclosis) – कोशिकाद्रव्य का परिभ्रमण होना।
- सीनोसिटिक (Coenocytic) – बहुनाभिकीय कोशिका
- प्लास्टिडोम (Plastidome) प्लास्टिड्स में उपस्थित DNA
- GERL तंत्र— गॉल्गीकॉय, एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम तथा लायसोसोम सम्मिलित रूप से GERL तंत्र बनाते हैं।
झिल्ली की उपस्थिति के अनुसार कोशिकांग
1. झिल्लीरहित अंगक (Non-membranous organelles) (i) राइबोसोम, (ii) सेन्ट्रोसोम, (iii) सेन्ट्रीओल, (iv) केन्द्रक के अन्दर केन्द्रिका, (v) साइटोस्केलेटॉन ।
2. एकस्तरीय अंगक (Single membranous organelles) (i) अन्त: प्रद्रव्यी जालिका, (ii) गॉल्जीकाय, (iii) रिक्तिका, (iv) लाइसोसोम, (v) स्फेरोसोम, (vi) परॉक्सीसोम, (vii) ग्लाइऑक्सीसोम,(viii) थायलेकॉइड।
3. द्विस्तरीय अंगक
(Double membranous
organelles) (i) माइटोकॉन्ड्रिया, (ii) लवक, (iii) केन्द्रक।
माइटोकॉण्ड्रिया स्मरणीय तथ्य
1. माइटोकॉण्ड्रिया को सर्वप्रथम कोलिकर (1850) ने देखा। फ्लेमिंग (1882) ने इसे फिलिया (Filia) नाम से सम्बोधित किया।
2. अल्ट्मान (1890) ने इसे बायोप्लास्ट नाम दिया, जबकि बेन्डा (1898) ने इसे माइटोकॉण्ड्रिया कहा।
3. माइटोकॉण्ड्रिया का अभिरंजन जेनस ग्रीन-B (Janus green-B से किया जाता है।
4. माइटोकॉण्ड्रिया दो कलाओं वाला कोशिकांग है, जिसका अपना आनुवंशिक तन्त्र होता है अर्थात् इसमें DNA, RNA. 70S प्रकार के राइबोसोम पाये जाते हैं।
5. क्रेव्स चक्र से संबंधित समस्त एन्जाइम माइटोकॉण्ड्रिया के अन्दर पाये हैं।
6. माइटोकॉण्ड्रिया
के F कणों या
ऑक्सीसोम्स में E.T.S. पाये जाते हैं।
यहीं पर ऑक्सीडेटिव फॉस्फोरिलेशन क्रिया द्वारा ATP का निर्माण होता है और कोशिकीय कार्यों के लिए
ऊर्जा प्राप्त होती है। इसी कारण माइटो कॉण्ड्रिया को 'कोशिका का ऊर्जा 'गृह' (Power house of the cell) कहते हैं।
प्लास्टिड्स स्मरणीय तथ्य
1. प्लास्टिड्स दो कला वाले कोशिकांग होते हैं, जिनकी खोज शिम्पर (1885) ने की थी।
2. क्लोरोप्लास्ट एक स्वशासित, दो कला वाला कोशिकांग है, जिसका अपना आनुवंशिक तंत्र होता है इसमें DNA, RNA एवं राइबोसोम 70S प्रकार का तथा RNA पाया जाता है। 3. क्लोरोप्लास्ट के ग्रैना में प्रकाश-संश्लेषण की प्रकाश अभिक्रिया (Light reaction) तथा स्ट्रोमा में अन्ध-कार अभिक्रिया (Dark reaction) होती है।
4. स्टार्च का संग्रहण करने वाले प्लास्टिड्स को ऐल्यूरोप्लास्टिड्स (Aleuroplastids) कहते हैं।
5. प्रोटीन संग्राहक प्लास्टिड्स को ऐमाइलोप्ला- स्टिड्स (Amyloplastids ) कहते हैं।
6. लिपिड एवं वसा का संग्रह करने वाले प्लास्टिड्स इलायोप्लास्टिड (Elaioplastid) कहलाते हैं।
E.R. स्मरणीय तथ्य
1. E.R. यूकैरियॉटिक कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक कला युक्त कोशिकांग है।
2. E.R. को सर्वप्रथम पोर्टर, क्लाउड एवं फुलमैन ने देखा तथा पोर्टर एवं कालमैन (1952) ने इसे नाम दिया।
3. E.R. दो प्रकार की होती है-
(i) खुरदुरी भित्ति वाली - इनकी बाह्य सतह पर राइबोसोम पाये जाते हैं।
(ii) चिकनी भित्ति वाली - इनकी बाह्य सतह राइबोसोम रहित होती है।
4. खुरदुरी भित्ति वाली E.R. प्रोटीन निर्माण करने वाली कोशिकाओं में अधिकता में पायी जाती है।
5. चिकनी भित्ति वाली E.R. लिपिड (स्टीरॉल) का निर्माण करने वाली कोशिकाओं में पायी जाती है।
6.
E.R. का मुख्य कार्य कोशिका को यांत्रिक सहारा प्रदान करना, कोशिकीय पदार्थों
का विनिमय, प्रोटीन निर्माण
आदि होता है।
गॉल्जीकॉय स्मरणीय तथ्य
1. G.B.को सर्वप्रथम सेंट जार्ज (1867) ने देखा। कैमिलो गॉल्जी (1890) नाम पर इसे गॉल्जीकॉय दिया गया।
2. G.B. एक कला वाला कोशिकांग है, जो कि सिस्टर्नी, आशय एवं धानियों से मिलकर बना होता है।
3. G.B. का अभिरंजन सूडान ब्लैक नामक अभिरंजक द्वारा किया जाता है।
4. G.B. में ग्लाइकोसिल ट्रांसफरेज नामक एन्जाइम पाया जाता है, जो कि ग्लाइको प्रोटीन्स के निर्माण की क्रिया को उत्प्रेरित करता हैं।
5. लिपिड्स का
संग्रहण, लाइसोसोम का
निर्माण, शुक्रजनन
(जन्तुओं में) के समय एक्रोसोम का निर्माण, कोशिका विभाजन के समय कोशिका पट्टी का निर्माण, उत्सर्जी
पदार्थों को बाहर निकालना आदि G. B. के प्रमुख कार्य हैं।
राइबोसोम स्मरणीय तथ्य
1. राइबोसोम राइबोन्यूक्लियो प्रोटीन (Ribo- nucleoprotein) से बना कोशिकाकला रहित कोशिकांग है।
2. राइबोसोम को सर्वप्रथम ब्राउन एवं रॉबिन्सन (1953) ने पादप कोशिकाओं में देखा तथा पैलेड (1955) ने इसे राइबोसोम नाम दिया।
3. राइबोसोम दो उप- -इकाइयों (Sub-units) से मिलकर बना होता है- (i) प्रोकैरियॉट्स में - 30S + 50 = 70 S एवं (ii) यूकैरियॉट्स में - 405 + 60S = 80S
4. राइबोसोम मुख्यत: एवं प्रोटीन्स का बना होता है। इसमें Mg+ आयन भी पाये जाते हैं, जो कि दोनों उप-इकाइयों के बन्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
5. राइबोसोम का
मुख्य कार्य m- RNA के साथ मिलकर
प्रोटीन का निर्माण करना होता है।
लाइसोसोम स्मरणीय तथ्य
1. लाइसोसोम एक कला वाला पाचक एन्जाइमों भरा कोशिकांग है, जिसे आत्महत्या की थैली (of suicidal bag) के नाम से जाना जाता है।
2. लाइसोसोम की खोज एवं नामकरण डी डुवे (1955) ने किया था।
3. लाइसोसोम के अन्दर लगभग 24 प्रकार के पाचक एन्जाइम पाये जाते हैं।
4. लाइसोसोम को स्वभक्षी कोशिकांग (Auto- phagic cell organelle) भी कहते हैं।
5. लाइसोसोम
बाह्यकोशिकीय एवं कोशिकीय पाचन में सहायक होते हैं। ये मृत कोशिकाओं का भी पाचन
करके कोशिका से अलग करने का कार्य करते हैं।
प्रकाशीय श्वसन
1. वह श्वसन, जो हरित कोशिकाओं द्वारा प्रकाशीय अवस्था में होता है, प्रकाशीय श्वसन कहलाता है ।
2. यह पादपों में होने वाली विशिष्ट क्रिया है, जिसमें हरितलवक, माइटोकॉण्ड्रिया तथा परॉक्सीसोम भाग लेते हैं।
3. यह O, अधिक तथा CO, की कम सान्द्रता की स्थिति में होती है ।
4. हरित लवक द्वारा निर्मित ग्लाइकोलिक अम्ल के अणुओं का ऑक्सीकरण परॉक्सीसोम द्वारा होता है। इस कारण प्रकाशीय श्वसन की स्थिति में अर्थात् दिन में पादपों में श्वसन दर बढ़ जाती है।
केन्द्रक स्मरणीय तथ्य
1. केन्द्रक की खोज रॉबर्ट ब्राउन ने की थी। यह दो कला वाला सबसे महत्वपूर्ण कोशि- कांग है, जो कि समस्त जैविक क्रियाओं पर नियंत्रण रखता है।
2. केन्द्रिका (Nucleolus) केन्द्रक के अन्दर उपस्थित कला रहित संरचना है।
3. प्रत्येक कोशिका में केन्द्रिकाओं की संख्या केन्द्रक में उपस्थित गुणसूत्रों की अगुणित संख्या के बराबर होती है।
4. केन्द्रिका की खोज फोन्टाना (1781) ने की
5. केन्द्रिका मुख्यत: DNA, RNA एवं प्रोटीन की बनी होती है।
6. केन्द्रिका का
प्रमुख कार्य प्रोटीन निर्माण के लिए आवश्यक सभी प्रकार के RNA का निर्माण करना
है।
गुणसूत्र स्मरणीय तथ्य
1. स्ट्रॉसबर्गर (1875) ने सर्वप्रथम गुणसूत्रों को देखा। वाल्डेयर (1888) ने इन्हें क्रोमोसोम नाम दिया ।
2. गुणसूत्रों का अभिरंजन ऐसीटोआर्सिन, ऐसीटोकार्मिन एवं फ्यूलजेन अभिकर्मक द्वारा किया जाता है।
3. पौधों में सबसे कम गुणसूत्र हेप्लोपैपस ग्रैसिलिस 12 n = 4 तथा ऑफियोग्लॉसम रेटिकुलेटम में सबसे अधिक गुणसूत्र 2n = 1260 पाये जाते हैं।
4. गुणसूत्र आनुवंशिकता या के वाहक होते हैं तथा यह DNA एवं हिस्टोन प्रोटीन के बने होते. हैं ।
5. मेटाफेज गुणसूत्र में दो क्रोमैटिड्स होते हैं।
6. पादप कोशिकाओं में सेन्ट्रोमियर का मुख्य कार्य तर्क तन्तुओं का निर्माण करना है।
7. द्वितीयक
संकीर्णन से न्यूक्लियोलस का निर्माण होता है इसलिए इसे न्यूक्लियोलर ऑर्गेनाइजर
भी कहते हैं।
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