पक्ष्म और कशाभिका | CILIA AND FLAGELLA in Hindi

 पक्ष्म और कशाभिका  

पक्ष्म और कशाभिका



पक्ष्म और कशाभिका (CILIA AND FLAGELLA) 

  • कुछ कोशिकाओं की सतह पर बाहर की ओर पतलीरोम के समानचल वृद्धियाँ या रचनाएँ पायी जाती हैं। जब ये लम्बाई में छोटी और संख्या में अधिक होती है तब सिलियालेकिन जब लम्बाई में बड़ी (लगभग 150 ) और संख्या में कम (1-2) होती हैंतब ये कशाभिका कहलाती हैं। सिलिया की औसत लम्बाई 5-10 माइक्रोमीटर  होती है। दोनों का ही व्यास 0-5 से कम होता है। 
  • ये दोनों रचनाएँ कोशिकाद्रव्य में स्थित एक सेण्ट्रिओल के समान रचना से निकलती हैंजिसे आधारीय कॉय या कण (Basal bodies or Granule) कहते हैं। 
  • सिलिया और फ्लैजेला दोनों के चारों तरफ प्लाज्मा झिल्ली के समान ही एक आवरण पाया जाता हैजो प्लाज्मा झिल्ली के विस्तार का ही बना होता है। 
  • सिलिया और कशाभिका अनुप्रस्थ काट के अनुसार 9 जोड़ो परिधि पर तथा दो इकहरी केन्द्र में स्थित सूक्ष्म नलियों के बने होते हैं अर्थात् ये 9+2 के रूप में स्थित सूक्ष्मनलियों के बने होते हैंऔर इन नलियों के चारों तरफ प्लाज्मा झिल्ली का आवरण पाया जाता हैजिसके अन्दर एक कणिकामय आधारद्रव्य आधात्री (Matrix) भरा होता है।
  • आधारीय कण संरचनात्मक दृष्टि से नौ परिधीय ट्रिप्लेट (Triplate) सूक्ष्मनलिकाओं का बना होता है और सेण्ट्रि ओल के समान इसके केन्द्र में सूक्ष्मनलियाँ नहीं पायी जाती अर्थात् इनमें 9 +0 व्यवस्था में सूक्ष्मनलियाँ व्यवस्थित होती हैं। 
  • सिलिया और फ्लैजेला आधार कार्य (Basal body) से ही प्रारम्भ होते हैं। सिलिया और पजेला की गति उनमें स्थित के एक-दूसरे पर फिसलने के कारण होती है। सिलिया और कशाभिकाएँ कोशिकीय प्रचलन में भाग लेते हैं। सिलिया में प्रचलन के लिए दो आघात (Strokes) लगाये जाते हैं। पहले आघात के अन्दर सिलिया बलपूर्वक माध्यम के वित गति करता है। इसके कारण माध्यम आघात की दिशा में और कोशिका इसके विपरीत दिशा में गति करती हैलेकिन पतिपूर्ति (Recovery stroke) में सिलिया लचीलेपन के कारण बिना बल लगाये अपनी पुरानी स्थिति में लौट आती है। इस क्रियाविधि की तुलना नाव और पतवार से की जा सकती हैजिसमें प्रभावी आपात के कारण नाव आगे बढ़ती है और क्षतिपूर्ति आयात में पटवार की पानी की सतह से ऊपर उठाकर पुरानी स्थिति में लाया जाता है। 
  • बहुकोशिकीय जन्तु सिलिया की गति के कारण द्रव पदार्थ या सिलिया से लगे कण प्रभावी स्ट्रोक (आघात) की दिशा में गति करते हैं। जैसे— पैरामीशियम (Paramoecium) की गति । 
  • कशाभिकीय प्रचलन के लिए कशाभिका में आधार से शीर्ष की और तरंग गति होती हैजिसके कारण जीव कशाभिका की विपरीत दिशा में गति करता है। शुक्राणुओं में कशाभिका की तरंग गति के कारण ये (शुक्राणु) सिर की तरफ मादा की प्रजनन नली के द्रव में गति करते हैं। जैसेयुग्लीना (Euglena) और क्लैमाइडो- मोनास (Chlamydomonas ) की गतियाँ।

 

पक्ष्मों एवं कशाभिका के कार्य (Functions of Cilia and Flagella) 

1. इनका मुख्य कार्य जीवों को गति प्रदान करने में सहायता करना हैजैसे कि क्लैमाइडोमोनास तथा यूग्लीना में फ्लैजिला गति प्रदान करते हैं। और पैरामीशियम में सिलिया गति प्रदान करते हैं। 

2. विभिन्न जीवों में जैसे कि पैरामीशियम मेंसिलिया जल धाराएँ (Water currents) उत्पन्न कर खाद्य कणों को प्राप्त करने के लिए मदद करते हैं। 

3. गुर्दों तथा अण्डवाहिनी में द्रव्यों के आन्तरिक परिसंचरण (Internal circulation) में सहायता करते हैं। 

4. आन्तरिक कानस्वाद ग्रंथिकाओं (Taste buds), घ्राण पालि में सिलिया संवेदी (Sensory) कार्य करती हैं।


 पक्ष्म और कशाभिका  में अंतर 

पक्ष्माभिका (Cilia) 

1. इनकी संख्या कोशिका में 300-1400 तक होती हैं। 

2. ये अपेक्षाकृत छोटे (5-10um) होते हैं। 

3. पक्ष्माभिका कम्पन (Vibrational) गति दर्शाते 

4. पक्ष्माभिकाओं में सामूहिक लयबद्ध गति पायी जाती है। 

5. ये कोशिका की सम्पूर्ण सतह पर पाये जाते हैं।

 

कशाभिका (Flagella) 

1. ये कोशिका में कम संख्या (1-2) में होते हैं। 

2. इनकी लम्बाई 150um तक होती हैं। 

3. ये तरंगी (Wavy) गति दर्शाते हैं। 

4. विभिन्न कशाभिकाओं की गति अलग-अलग होती है। 

5. ये कोशिका के विशेष क्षेत्र (प्रायः एक सिरे) पर पाये जाते हैं।

 

पक्ष्माभ एवं कशाभ में अन्तर 

1. पक्ष्म छोटे (5-10u) लेकिन कशाभ लम्बे (लगभग 150p) होते हैं। 

2. पक्ष्मों की संख्या अधिक लेकिन कशाभों की संख्या 1,2 या 5 होती है। 

3. पक्ष्म सम्पूर्ण सतह पर लेकिन कशाभ कोशिकाओं के सिरों पर पाये जाते हैं। 

4. पक्ष्म तुल्यकालिक और अनुक्रमिक लेकिन कशाभ तरंगित गति करते हैं। 

5. पक्ष्म समन्वित जबकि कशाभ स्वतन्त्र गति करते हैं।


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