वृहत् अणु अर्थ प्रकार वर्गीकरण | कार्बोहाइड्रेट वर्गीकरण कार्य |Macromolecules in Hindi
वृहत् अणु अर्थ प्रकार वर्गीकरण, कार्बोहाइड्रेट वर्गीकरण कार्य
जैव अणु के प्रकार
जैव अणु दो
प्रकार के होते हैं। एक वे हैं जिनका अणुभार एक हजार डॉल्टन से कम होता है तथा
अम्ल घुलनशील भाग में पाये जाते हैं, इन्हें प्रायः सूक्ष्म अणु या जैव अणु कहते हैं जबकि जो
अम्ल अविलेय अंश में पाये जाते हैं, उन्हें वृहत् अणु या वृहत् जैव अणु कहते हैं।
कार्बनिक पदार्थ
कार्बनिक पदार्थ
कार्बनिक यौगिकों के बने होते हैं। कार्बनिक अणु सूक्ष्म तथा सरल हो सकते हैं
परन्तु अधिकांशतः ये सरल अणु एकत्र होकर विशाल और जटिल अणु बनाते हैं जिन्हें
वृहत् अणु (Macromolecules)
कहते है। यह
मुख्यतः चार प्रकार के 1.
कार्बोहाइड्रेट, 2. लिपिड 3. प्रोटीन, 4, न्यूक्लिक अम्ल ।
1. कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates)
कार्बोहाइड्रेट कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मिलने से बने योगिक हैं।इनका सामान्य सूत्र Cx (H2O) होता है अतः इन पदार्थों की कार्बन के हाइड्रेट्स (Hydrates of carbon) भी कहते हैं। इनमें और पानी में मिलने वाले हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का अनुपात (2:1) एकसमान होता है। कार्बोहाइड्रेट में एक एल्डिहाइड (-CHO) अथवा -कीटोन (-C=O) समूह तथा दो अथवा अधिक हाइड्रॉक्सिल समूह (-OH) पाये जाते हैं अर्थात् कार्बोहाइड्रेट पालीहाइड्रॉक्सो एल्डिहाइड या पॉलीहाइड्रॉक्सी कोटोन है। आजकल कार्बोहाइड्रेट को सेकेराइड (Saccharide) कहा जाता है। सेकेराइन (Saccharine) का अर्थ शर्करा (Sugar) होता है।
कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण (Classification of carbohydrates)
रासायनिक गुण एवं अणु संरचना के आधार पर कार्बोहाइड्रेट को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है-
(1) मोनोसेकेराइड (Monosaccharides),
(2) ओलिगोसेकेराइड (Oligosaccharides).
(3) पॉलीसैकेराइड (Polysaccharides)-
पॉलीसैकेराइड क्या होते हैं (Polysaccharides)-
ये सबसे जटिल
कार्बोहाइड्रेट हैं तथा दस से अधिक मोनोसैकेराइड इकाइयों के संघनन से इनका निर्माण
होता है। इनका सामान्य सूत्र (C6H10O5)n होता है। ये जल में अघुलनशील होते हैं, अतः स्वादहीन
होते हैं। इनके नामकरण में प्रत्यय (Suffix)-'an' का उपयोग होता है। पेन्टोजेज इकाइयों से
निर्मित होने पर इन्हें पेन्टोसन्स (Pantosans) व हेक्सोजेज इकाइयों से निर्मित होने पर इन्हें
हेक्सोसन्स (Hexosans) कहते हैं।
रासायनिक संरचना के आधार पर पॉलीसैकेराइड दो प्रकार के होते हैं-
(i) होमोपॉलीसैकेराइड (Homopolysaccharides)
(ii) हेटेरोपॉलीसैकेराइड (Heteropolysaccharides)
(i) होमोपॉलीसेकेराइड (Homopolysaccha- rides) -
इनका निर्माण एकसमान मोनोसैकेराइड इकाइयों से होता है। कुछ प्रमुख होमोपॉलीसेकेराइड निम्नलिखित हैं-
(a) स्टार्च (Starch) -
यह पौधों का संग्रहित भोज्य पदार्थ है। स्टार्च की सबसे अधिक मात्रा (70%) चावल के दानों में पायी जाती है।
(b) ग्लाइकोजन (Glycogen) –
इसे जन्तु मण्ड (Animal starch) भी कहते हैं। यह जन्तुओं एवं कवकों का संग्रहित भोज्य पदार्थ हैं। यह मुख्यतया यकृत व पेशियों में पाया जाता है। यह ग्लूकोज का बहुलक होता है।
(c) इन्यूलिन (Inulin) -
यह घुलनशील कार्बोहाइड्रेट है। आवश्यकतानुसार यह शर्करा में बदल जाता है।
(d) सेल्यूलोज (Cellulose) -
यह अघुलनशील होता
है तथा सभी पादपों की कोशिका भित्ति में पाया जाता है। यह प्रकृति में सर्वाधिक
पाया जाने वाला अशाखित होमोपॉलीसैकेराइड है जो ग्लूकोज की अनेक इकाइयों का बना
होता है। कपास, बाँस, जूट आदि
सेल्यूलोज के प्रमुख स्रोत हैं।
यह ग्लूकोज इकाइयों द्वारा निर्मित शाखान्वित पॉलीसेकेराइड है तथा जीवाणुओं एवं यीस्ट में पाया जाता है।
(ii) हेटेरोपॉलीसैकेराइड (Heteropolysaccharides) –
इनका निर्माण
मोनोसैकेराइड तथा दूसरे कार्बनिक या अकार्बनिक समूह से होता है। कुछ प्रमुख
हेटेरोपॉलीसैकेराइड निम्नलिखित हैं-
(a) काइटिन (Chitin) -
- यह नाइट्रोजन युक्त पॉलीसैकेराइड है तथा एसिटाइल ग्लूकोसैमाइन (Acetyl glucosamine) का व्युत्पन्न (Derivative) होता है। यह कीटों के बाह्यकंकाल व क्रस्टेशियन के कवचों का निर्माण करता है। यह कवकों की कोशिका भित्तियों में भी पाया जाता है।
- काइटिन को कार्बोमिथाइल काइटोसन (Carbomethyl chitosan) में परिवर्तित किया जा सकता है जो एक अविषाक्त (Non-toxic) व जैवनिम्नीकरणीय (Biodegradable) पदार्थ है जिसका उपयोग दूषित जल से भारी धातुओं को दूर करने में किया जाता है।
(b) हेमी-सेल्यूलोज (Hemi-cellulose ) -
- इसमें एक से अधिक प्रकार की शर्करा पायी जाती हैं। यह मुख्यत: कोशिका भित्ति में पाया जाता है परन्तु इसकी सर्वाधिक मात्रा खजूर (Date palm) के बीजों में पायी जाती है।
(c) पेक्टिन (Pectins) -
- यह गैलेक्ट्यूरॉनिक अम्ल (Galacturonic acid), गैलेक्टोज (Galactose) तथा ऐरेबिनोज (Arabinose) द्वारा निर्मित होता है। कोशिका भित्ति की मध्य पटलिका पेक्टिन की बनी होती है।
कार्बोहाइड्रेट का कार्य (Functions of carbohydrates) -
बृहत् कार्बोहाइड्रेट अणु जैविक तन्त्र में निम्नलिखित भूमिका निभाते हैं-
- (1) संचित ऊर्जा के रूप में पादप एवं जन्तुओं में पाये जाते हैं; जैसे- पादपों में स्टार्च तथा जन्तुओं के यकृत तथा पेशी कोशिकाओं में ग्लाइकोजन के रूप में संचित रहते हैं।
- (2) पादपों में कोशिका भित्ति सेल्यूलोज की बनी होती है।
- (3) विभिन्न जीव-जन्तुओं में बाह्यकंकाल (Exoskeleton) का निर्माण करते हैं, जैसे-काइटिन (Chitin)
- (4) रुधिर प्रतिस्कंदक (Anticoagulant) बनाते हैं; जैसे-हिपेरिन (Heparin)।
- (5) रुधिर प्रतिजन (Antigen) निर्मित करते हैं।
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