केन्द्रक केन्द्रिका परासंरचना कार्य | Nucleus Nucleolus Details in Hindi

 केन्द्रक केन्द्रिका परासंरचना कार्य  (Nucleus Nucleolus Details in Hindi)

केन्द्रक केन्द्रिका परासंरचना कार्य | Nucleus Nucleolus Details in Hindi

केन्द्रक से संबन्धित महत्वपूर्ण जानकारी 

केन्द्रक की खोज रॉबर्ट ब्राउन ने की थी। यह दो कला वाला सबसे महत्वपूर्ण कोशि- कांग है, जो कि समस्त जैविक क्रियाओं पर नियंत्रण रखता है। 

केन्द्रिका (Nucleolus) केन्द्रक के अन्दर उपस्थित कला रहित संरचना है।

प्रत्येक कोशिका में केन्द्रिकाओं की संख्या केन्द्रक में उपस्थित गुणसूत्रों की अगुणित संख्या के बराबर होती है।

केन्द्रिका की खोज फोन्टाना (1781) ने की थी। 

केन्द्रिका मुख्यत: DNA, RNA एवं प्रोटीन की बनी होती है। 

केन्द्रिका का प्रमुख कार्य प्रोटीन निर्माण के लिए आवश्यक सभी प्रकार के RNA का निर्माण करना है। 


केन्द्रक क्या होता है संरचना कार्य 

केन्द्रक (NUCLEUS) (L., nucleus = kernel) 

  • कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) में दबी हुई गोल, वृत्ताकार, अण्डाकार, तस्तरीनुमा या लम्बी, चपटी एक संरचना पायी जाती है, जिसे केन्द्रक (Nucleus) कहते हैं। यह कोशिका का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जिसके द्वारा कोशिका में होने वाली समस्त जैविक क्रियाओं का नियन्त्रण किया जाता हैइसी कारण इसे कोशिका का 'नियन्त्रण कक्ष' (Control room) कहते हैं। 
  • साधारणतः एक कोशिका में केवल एक केन्द्रक पाया जाता है, लेकिन कुछ कोशिकाओं में दो या दो से अधिक केन्द्रक भी पाये जाते हैं। 
  • कुछ जीवित कोशिकाओं [स्तनधारियों की लाल रुधिर कणिकाएँ, (R.B.Cs.)] में केन्द्रक पूर्णत: अनुपस्थित होता है, ऐसी कोशिकाएँ अकेन्द्रकीय (Enucleated) कहलाती हैं।


केन्द्रक की परिभाषा 

कोशिका में केन्द्रक की सर्वप्रथम खोज रॉबर्ट ब्राउन (Robert Brown) ने सन् 1831 में की तथा बेलर ने केन्द्रक को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया- कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) से घिरी एक ऐसी रचना होती है, जिसमें कोशिका विभाजन के समय गुणसूत्रों (Chromosomes) का उदय होता है ।"

 

केन्द्रक आमाप (Size) 

केन्द्रक के आकार के बारे में कुछ निश्चित नहीं बताया जा सकता है क्योंकि इनका आकार कोशिकाद्रव्य के बढ़ने पर बढ़ता है, जबकि कोशिकाद्रव्य का आयतन घटने पर घटता है। लेकिन एक अनुमान के अनुसार केन्द्रक का आकार 1/1000 मिमी से 12 मिमी तक हो सकता है।

 

केन्द्रक की संरचना (Structure of Nucleus) 

प्रत्येक कोशिका की दो प्रावस्थाएँ (Phases) होती हैं-

 

1. अन्तरावस्था (Interphase) एवं 

2. कोशिका विभाजन की प्रावस्था (Period of cell division)

 

अन्तरावस्था दो क्रमिक विभाजनों के मध्य की प्रावस्था होती है। यह कोशिका की सर्वाधिक लम्बी प्रावस्था होती है। केन्द्रक की संरचना का अध्ययन इसी अन्तरावस्था में किया जाता है । अन्तरावस्था में केन्द्रक का इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से अध्ययन करने पर यह निम्नलिखित चार भागों से बना हुआ दिखाई देता है-

 

केन्द्रक की संरचना (Structure of Nucleus)

(1) नाभिकीय झिल्ली (Nuclear membrane)—– 

  • यह केन्द्रक के चारों ओर पतली दोहरी झिल्ली के रूप में होती है, इसे कैरियोथीका (Karyotheca) भी कहते हैं। प्रत्येक झिल्ली लगभग 75 से 90 À मोटी इकाई झिल्ली के रूप में होती हैं। दोनों के बीच 100 से 300 Å खाली स्थान होता है, जिसे परिकेन्द्रीय अवकाश (Perinuclear space) कहते हैं। नाभिकीय झिल्ली में जगह-जगह पर लगभग 400Å के छिद्र पाये जाते हैं, जिसे नाभिकीय छिद्र (Nuclear pore) कहते हैं । 

  • नाभिकीय झिल्ली विभेदकीय पारगम्य (Differentially permeable) होती है, जिससे कोशिकाद्रव्य और नाभिकीय द्रव्य के बीच महत्वपूर्ण अणुओं का आदान-प्रदान होता रहता है। बाह्य झिल्ली पर कणों के रूप में राइबोसोम्स भी लगे होते हैं, लेकिन आन्तरिक झिल्ली हमेशा चिकनी होती है। बाह्य झिल्ली से E.R. तथा गॉल्जी कॉम्प्लेक्स भी जुड़े होते हैं।

 

(2) नाभिकीय द्रव्य (Nucleoplasm ) – 

  • यह नाभिकीय झिल्ली के अन्दर पारदर्शी अर्धतरल कणिका युक्त पदार्थ के रूप में पाया जाता है, इसे कैरियोलिम्फ (Karyolymph) भी कहते हैं। यह प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्लों, फॉस्फोरस, एन्जाइम्स और खनिज लवणों इत्यादि का बना होता है और कोशिका विभाजन में भाग लेता है।

 

(3) क्रोमैटिन जाल (Chromatin net or thread ) 

  • अभिरंजित कोशिका को इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में देखने पर केन्द्रकीयद्रव्य में अल्परंजित, टेढ़ी-मेढ़ी धागे के समान रचनाओं का बना एक जाल दिखाई देता है, जिसे क्रोमैटिन जाल या केन्द्रक जालिका (Chromatin net or Nuclear Reticulum) कहते हैं। 
  • कोशिका विभाजन के समय इस जाल की धागेनुमा या तन्तुमय रचनाएँ छड़ (Rod) के समान रचनाओं में संघनित हो जाती हैं, जिन्हें गुणसूत्र (Chromosome) कहते हैं। ये केन्द्रकों के विभाजन के समय भी अपनी वैयक्तिता को बनाये रखते हैं। 
  • क्रोमैटिन जाल के रूप में पायी जाने वाली धागे के समान रचनाएँ वास्तव में क्रोमैटिन (Chromatin) होती हैं। क्रोमैटिन रासायनिक दृष्टि से एक प्रकार की न्यूक्लियोप्रोटीन है, जो न्यूक्लिक अम्लों तथा क्षारीय प्रोटीन (Base protein) के मिश्रण से बनता है। क्षारीय प्रोटीन विशेष रूप से हिस्टोन है, जो क्षारीय अमीनो अम्ल से बनता है। यही क्रोमैटिन कोशिका विभाजन के समय गुणसूत्रों में रूपान्तरित होता है। 
  • प्रसिद्ध वैज्ञानिक कोन (Cohn, 1964) के अनुसार - "क्रोमैटिन केन्द्रक की विश्रामावस्था में दिखने वाली एक रचना है, जो कोशिका विभाजन के समय क्रोमोसोम में बदल जाती है।"


 (4) केन्द्रिका (Nucleolus)—

  • प्रत्येक केन्द्रक के अन्दर एक बड़ा एवं गोलाकार कण पाया जाता है, जिसे केन्द्रिका (Nucleolus) कहते हैं । इसकी खोज फोन्टाना (Fontana, 1781) ने की थी। जिन कोशिकाओं में प्रोटीन का निर्माण होता है, उनमें केन्द्रिका बड़ी होती है, परन्तु अन्य कोशिकाओं में यह आकार में छोटी या अनुपस्थित होती है । केन्द्रिका की स्थिति प्रायः निश्चित होती है। यह प्रायः गुणसूत्र के न्यूक्लिओलर संगठक (Nucleolar organizer) से सम्बन्धित रहता है। इनकी संख्या प्रजाति (Species) एवं गुणसूत्रों की संख्या (Number of chromosome) पर होती है। सामान्यतः गुणसूत्र के प्रत्येक अगुणित (Haploid) सेट के लिये एक केन्द्रिका (Nucleolus) होती है। कुछ जीवों में गुणसूत्र के प्रत्येक अगुणित सेट के लिये दो या अधिक केन्द्रिका भी हो सकती है। मनुष्य में प्रत्येक द्विगुणित केन्द्रक में दो जोड़ी केन्द्रिकाएँ पायी जाती हैं।

 

केन्द्रिका की परासंरचना (Ultra structure of nucleolus) 

इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा अध्ययनों के आधार पर डिराबर्टीज एवं सहयोगियों (Derobertis et al., 1971) ने बताया कि प्रत्येक केन्द्रिका निम्नलिखित चार भागों से मिलकर बनी होती है- 

(a) रेशेदार भाग (Fibrillar region ) 

यह भाग राइबोन्यूक्लियोप्रोटीन के तन्तुओं का बना होता है। इसे न्यूक्लियोलेमा (Nucleolemma) भी कहते हैं। प्रत्येक तन्तु की लम्बाई 50-80A तक होती है।

 

(4) केन्द्रिका (Nucleolus)—

(b) दानेदार भाग (Granular region ) 

यह भाग 150 से 200Å व्यास के कणों का बना होता है और ये कण रेशेदार भाग के टूटने से बनते हैं यह भाग भी राइबोन्यूक्लियोप्रोटीन्स का बना होता है।

 

(e) प्रोटीन भाग (Protein region)

यह भाग प्रोटीन का बना होता है तथा यह केन्द्रिका के तरल भाग को सूचित करता है, जिसमें केन्द्रिका के अन्य भाग स्थित होते हैं।

 

(d) क्रोमैटिन भाग (Chromatin region ) 

यह क्रोमैटिन के तन्तुओं से निर्मित भाग होता है, जिसमें DNA पाया जाता है । यह DNA, RNA निर्माण के लिए टेम्पलेट (Template) की भाँति कार्य करता है। प्रत्येक न्यूक्लियोलस के चारों ओर क्रोमैटिन का एक आवरण पाया जाता है, जिसे पेरिन्यूक्लियोलर क्रोमैटिन (Perinucleolar chromatin) कहते हैं। पेरिन्यूक्लियोलर क्रोमैटिन से कुछ पट्ट के समान ट्रेबेकुली (Septa like trabaculae) निकले रहते हैं, जिन्हें इन्ट्रान्यूक्लियोलर क्रोमैटिन (Intranucleolar chromatim) कहते हैं।

 

केन्द्रिका के कार्य (Functions of nucleolus) 

1. यह r- RNA का संग्रहण तथा राइबोसोम का निर्माण करती है। 

2. यह समसूत्री कोशिका विभाजन में मुख्य भूमिका निभाती है। 

3. केन्द्रिका एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में आनुवंशिक सूचनाओं को भेजने में मध्यस्थ का कार्य करती है।

 

केन्द्रक के कार्य (Functions of Nucleus) 

1. यह कोशिका में पायी जाने वाली समस्त क्रियाओं को नियन्त्रितं करता है। 

2. यह सभी कोशिकीय RNA का उत्पादन करता है, जो प्रोटीन संश्लेषण हेतु आवश्यक होते हैं। 

3. केन्द्रक कोशिका विभाजन का महत्वपूर्ण कार्य करता है। 

5. आनुवंशिक गुणों को वहन करने वाले गुणसूत्र तथा जीन इसी में पाये जाते हैं, जो इन गुणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाते हैं।

 

केन्द्रक और केन्द्रिका में अंतर  

केन्द्रक (Nucleus) 

1. यह समूची यूकैरियोटिक कॉम्प्लेक्स का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें जीन संबंधी सूचना रहती है। 

2. यह दो झिल्लियों वाले एनवेलप से ढँका रहता है। 

3. यह कोशिका की संरचना व कार्यों को नियंत्रित करता है।

 

केन्द्रिका (Nucleolus) 

1. यह केन्द्रक का एक घटक है। 

2. इसमें कोई ढँकने वाली झिल्ली नहीं होती है। 

3. यह राइबोसोमल उप-इकाइयों का संश्लेषण करता है।

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