नॉर्मन ई. बोरलॉग पुरस्कार 2023 Norman E. Borlaug Award 2023 )
नॉर्मन ई. बोरलॉग पुरस्कार 2023 (Norman E. Borlaug Award 2023 )
भारतीय कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वाति नायक, जिन्हें ओडिशा
में स्थानीय समुदायों द्वारा प्यार से "बिहाना दीदी" या "सीड
लेडी" के नाम से जाना जाता है, को वर्ष 2023 के नॉर्मन ई. बोरलॉग पुरस्कार (Norman E. Borlaug Award) से सम्मानित किया
गया है।
अदिति मुखर्जी (वर्ष 2012) और महालिंगम गोविंदराज (वर्ष 2022) के बाद यह
प्रतिष्ठित पुरस्कार पाने वाली वह तीसरी भारतीय हैं, यह पुरस्कार उन्हें कृषि क्षेत्र, विशेष रूप से
सूखा-सहिष्णु चावल की किस्मों के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान हेतु दिया गया
है।
नॉर्मन ई. बोरलॉग पुरस्कार क्या होता है ?
नॉर्मन ई. बोरलॉग पुरस्कार रॉकफेलर फाउंडेशन (Rockefeller Foundation) द्वारा समर्थित
है तथा प्रत्येक वर्ष अक्तूबर माह में डेस मोइनेस, आयोवा, अमेरिका में विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन द्वारा 40 वर्ष से कम आयु
के व्यक्तियों, जिन्होंने
अंतर्राष्ट्रीय कृषि और भोजन उत्पादन में उल्लेखनीय, विज्ञान-आधारित उपलब्धियाँ हासिल की हैं, को सम्मानित करने
हेतु दिया जाता है।
इस पुरस्कार का नाम हरित क्रांति के जनक और वर्ष 1970 के नोबेल शांति
पुरस्कार विजेता नॉर्मन ई. बोरलॉग के नाम पर रखा गया है।
पुरस्कार डिप्लोमा में मेक्सिको के खेतों में काम करते हुए
डॉ. नॉर्मन ई. बोरलॉग की छवि और 10,000 अमेरिकी डॉलर का नकद पुरस्कार सम्मिलित है।
नॉर्मन ई. बोरलॉग पुरस्कार 2023 विजेता स्वाति नायक का योगदान:
डॉ. स्वाति नायक ने ओडिशा में सूखा-सहिष्णु शाहभागी धान
चावल की किस्म पेश की। इससे वर्षा आधारित क्षेत्रों में बड़ा बदलाव आया। यह किस्म
प्रत्येक किसान परिवार के आहार और फसल चक्र का एक अभिन्न अंग बन गई है।
उनकी सतत् रणनीति, साझेदारी और अद्वितीय पोजिशनिंग मॉडल के माध्यम से भारत, बांग्लादेश और
नेपाल में चावल की कई जलवायु-प्रत्यास्थ किस्मों को सफलतापूर्वक उगाया गया है।
उन्हें मांग-संचालित चावल बीज प्रणालियों में छोटे किसानों
को शामिल करने, परीक्षण और
तैनाती से लेकर जलवायु-प्रत्यास्थ और पौष्टिक चावल किस्मों की समान पहुँच तथा इसकी
कृषि करने तक उनके अभिनव दृष्टिकोण के लिये पहचाना जाता है।
इन्होंने महिला किसानों के लिये समर्पित भारत सरकार की
प्रथम पहल के लिये एक व्यापक रूपरेखा को तैयार करने में अग्रणी भूमिका निभाई है, जिससे लगभग 40 लाख महिला
किसानों को लाभ हुआ।
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