मानव मूत्र का संघटन एवं प्रकृति | Composition and Nature of Human Urine
मानव मूत्र का संघटन एवं प्रकृति
मानव मूत्र का संघटन एवं प्रकृति
1- रंग एवं वर्णक (Colour and Pigments)
- मूत्र का रंग सामान्यतया हल्का पीला होता है। यह पीला रंग यूरोक्रोम (Uro-. chrome) नामक वर्णक की उपस्थिति के कारण होता है। यह वर्णक यकृत में मृत R.B.Cs. के अपघटन से उत्पन्न होता है। यूरोक्रोम के अलावा मूत्र में अन्य वर्णक, जैसे-यूरोबिलीन (Urobilin) तथा यूरोइरिथ्रीन (Uroerythrin) भी पाए जाते हैं। कुछ रसायन, जैसे- विटामिन B कॉम्प्लेक्स तथा चुकन्दर के अन्तग्रहण के फलस्वरूप भी मूत्र का रंग भी प्रभावित होता है।
2 प्रकृति (Nature)
- मूत्र का pH मान 6-0 होता है। अतः यह हल्का अम्लीय प्रकृति का होता है। वैसे इसका pH 4-5 से 8-0 के बीच हो सकता है।
3 गंध (Smell)
- मूत्र में एक विशेष प्रकार भी गंध पायी जाती है जो यूरीनॉड (Urinod) नामक कार्बनिक पदार्थ की उपस्थिति के कारण होती है। कुछ समय तक छोड़ देने के पश्चात् मूत्र में उपस्थित यूरिया अमोनिया में अपघटित हो जाती है, अतः इसमें अमोनिया गैस की गंध आने लगती है।
4 आयतन (Volume)
- एक सामान्य वयस्क व्यक्ति में 24 घण्टे में लगभग 1000 से 1800 मिली मूत्र बनता है। सामान्यतः मूत्र को मात्रा मनुष्य द्वारा ग्रहण किये गये जल को मात्रा, भोग्य पदार्थों की प्रकृति, वातावरणीय ताप और उसकी शारीरिक तथा मानसिक स्थिति पर निर्भर करती है। कुछ पदार्थ ऐसे भी हैं जो मूत्र की मात्रा को बढ़ा देते हैं, ऐसे पदार्थों को डाइयूरेटिक्स (Diuretics) कहते हैं। चाय, कॉफी और कोको ऐसे हो पदार्थों के उदाहरण हैं।
5. घनत्व (Density) -
- मूत्र का घनत्व 1.025 से 1-025 के मध्य होता है, परन्तु अत्यधिक मात्रा में जल ग्रहण की स्थिति में इसका घनत्व कम होकर 1.003 तक भी हो जाता है। इसी प्रकार शरीर में जल की कमी होने पर मूत्र का घनत्व 1.040 तक हो सकता है।
6. संघटन (Composition ) -
- मूत्र में 95% जल पाया जाता है। शेष 5% भाग के रूप में अनेक प्रकार के कार्बनिक एवं अकार्बनिक घटक उपस्थित होते हैं। कार्बनिक घटक के रूप में यूरिया, क्रिएटीन, क्रिएटिनीन, अमोनिया, यूरिक अम्ल, ऑक्जेलिक अम्ल, हाइपुरिक अम्ल, अमीनो अम्ल, एलेन्टॉयन, विटामिन्स, हॉर्मोन्स, एन्जाइम्स आदि पाये जाते हैं। इसी प्रकार, अकार्बनिक घटक क्लोराइड, फॉस्फेट, सल्फेट, पोटैशियम, सोडियम, कैल्सियम, मैग्नीशियम, आयोडीन, आर्सेनिक अम्ल तथा लेड आदि के रूप में होते हैं।
कभी-कभी मूत्र में कुछ असामान्य पदार्थ भी पाये जाते हैं
जैसे-1. मूत्र में ग्लूकोज अथवा शर्करा को उपस्थिति ग्लाइकोसूरिया (Glycosuria) रोग का सूचक है।
2. डायबिटीज मेलोटस (Diabetes mellitus) में मूत्र के साथ ऐल्ब्युमिन (Albumin) प्रोटीन पाया जाता है। यह एल्ब्युमिनूरिया (Albuminuria) रोग का लक्षण है।
3. मूत्र में कीटोन बॉडोज (Ketone bodies) का पाया जाना कीटोनूरिया (Ketonuria) का सूचक है।
4. जॉन्डिस (Jaundice) अथवा पीलिया रोग में मूत्र में पित्त वर्णक (Bile pigments) पाये जाते हैं।
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