विभिन्न जन्तुओं में उत्सर्जन एवं अंग| Excretion in animal
विभिन्न जन्तुओं में उत्सर्जन (Excretion in animal )
विभिन्न जन्तुओं में उत्सर्जन
अलग-अलग जन्तुओं में उनके आवास तथा प्रकृति के आधार पर अलग-अलग प्रकार का उत्सर्जन पाया जाता है। विकसित जन्तुओं में उत्सर्जन के लिये एक विकसित तंत्र होता है। चूँकि उत्सर्जन की क्रिया मुख्यतः अमोनिया और उसके अन्य उत्पादों से सम्बन्धित होती है और इसे तथा इससे बने अन्य उत्सर्जी पदार्थों को जल के साथ मूत्र के रूप में बाहर किया जाता है, इस कारण विकसित जन्तुओं के उत्सर्जन तन्त्र को मूत्र तन्त्र (Urinary system) भी कहते हैं और यह तन्त्र नाइट्रोजनी उत्सर्जी पदार्थों के संश्लेषण, विलगीकरण (Separation) तथा कुछ अन्य पदार्थों के साथ बहिष्करण करता है। अल्पविकसित जन्तुओं में विकसित जन्तुओं की अपेक्षा कम विकसित उत्सर्जी अंग पाये जाते हैं। जन्तुओं में होने वाले उत्सर्जन की प्रमुख विधियाँ निम्न हैं -
(A) अकशेरुकी जन्तुओं में उत्सर्जन (Excretion in Invertebrates)
अकशेरुकी या कम विकसित जन्तुओं में उत्सर्जन निम्न प्रकारों से होता है-
- 1. एककोशिकीय जन्तु समान जीवों में उत्सर्जन विसरण के द्वारा होता है। इनमें बने नाइट्रोजनी उत्सर्जी पदार्थ जैसे— यूरिया, यूरिक अम्ल और अमोनिया शरीर में उपस्थित जल में घुलकर सामान्य विसरण के द्वारा कोशिका (शरीर) से बाहर निकल आते हैं। इसके श्वसनीय उत्पाद भी विसरण के ही द्वारा शरीर से बाहर निकलते हैं। इसके अलावा इनके शरीर में कुछ विशिष्ट प्रकार की रिक्तिकाएँ, कुंचनशील धानियाँ (Contractile vacuoles) बनती हैं जो उत्सर्जन का कार्य करती हैं। इसके निर्माण के समय जीवद्रव्य में उपस्थित जल तथा उत्सर्जी पदार्थ आपस में मिलकर एक रिक्तिका बना हैं, इसी रिक्तिका को कुंचनशील धानी कहते हैं। यह धीरे-धीरे कोशिका (शरीर) की बाहरी सतह के पास आकर फट जाती है और उत्सर्जी पदार्थों को शरीर से बाहर कर देती है।
- 2. स्पन्जों अर्थात् संघ पोरीफेरा के जन्तुओं में उत्सर्जन एक विशिष्ट नलिका तन्त्र (Canal system) के द्वारा होता है। यह नाल तन्त्र शरीर से बाहर खुलता है और उत्सर्जी पदार्थों को शरीर से बाहर कर देता है।
- 3. हाइड्रा तथा दूसरे सीलेण्ट्रेट्स में उत्सर्जन के लिये कोई विशिष्ट अंग नहीं होता। इनके शरीर की सभी कोशिकाएँ जल के सीधे सम्पर्क में रहती हैं, इस कारण ये अपने अन्दर बने उत्सर्जी पदार्थों को सीधे बाह्य वातावरण में विसरित कर देती हैं।
- 4. प्लैनेरिया और दूसरे चपटे कृमियों (Flat worms) में उत्सर्जन के लिये कुछ विशिष्ट कोशिकाएँ पायी जाती हैं। इन कोशिकाओं को ज्वाला कोशिकाएँ (Flame cells) कहते हैं। ये शरीर की पृष्ठ तथा प्रतिपृष्ठ सतह पर स्थित नलियों में खुलती हैं। ये कोशिकाएँ शरीर में बने उत्सर्जी पदार्थों को इन नलियों में एकत्र करती हैं और ये नलियाँ इन पदार्थों को शरीर से बाहर छिद्रों के द्वारा पहुँचा देती हैं।
- 5 निमैटोडा (Nematoda) के परजीवी सदस्यों में लम्बी नलिकाकार संरचनाएँ पायी जाती हैं, जो उत्सर्जी अंग के रूप में कार्य करती हैं। परन्तु स्वतंत्र रूप से पाये जाने वाले निमैटोड्स (Nematodes) में ग्रसनी (Oesophagus) के नीचे पायी जाने वाली रेनेट कोशिकाएँ (Renette cells) अथवा कॉब कोशिकाएँ (Cob cells) उत्सर्जन का कार्य करती हैं।
- 6. नेरिस, केंचुए तथा दूसरे एनेलिड्स में उत्सर्जन की क्रिया एक विशेष प्रकार की पतली लम्बी कुण्डलित नली के समान रचना के द्वारा होती है, जिन्हें नेफ्रीडिया (Nephridia) कहते हैं। ये पूरे शरीर में फैले होते हैं। इनका एक सिरा स्वतन्त्र होता है जो उत्सर्जी पदार्थों को एकत्र करके आहारनाल में या शरीर के बाहर कर देता है।
- 7 अधिकांश आर्थोपोडा जन्तुओं जैसे-कीटों, कॉकरोच, सहस्रपादियों और बिच्छुओं में उत्सर्जन कुछ विशिष्ट नलिकाओं द्वारा होता है जो आहारनाल से सम्बन्धित होती हैं। इन नलिकाओं को मैल्पीघियन नलिकाएँ (Malpighian tubules) कहते हैं। ये 60-70 की संख्या में मध्यान्त्र (Midgut) के पिछले सिरे से जुड़ी होती हैं और इसी में खुलती हैं। इनका स्वतन्त्र सिरा बन्द होता है। ये नलिकाएँ देहगुहा में स्वतन्त्र रूप से तैरती रहती हैं और नाइट्रोजनी उत्सर्जी पदार्थों को अवशोषित करके आहारनाल में छोड़ देती हैं जहाँ से इन्हें मल के साथ बाहर कर दिया जाता है। कुछ आर्थ्रोपोड्स जैसे - झींगों में ग्रीन ग्लैण्ड (Green gland) नामक उत्सर्जी अंग पाया जाता है। ये संख्या में एक जोड़ी होती हैं और एण्टेना के पास स्थित होती हैं तथा कशेरुकी जन्तुओं के वृक्क के समान कार्य करती हैं। इनसे मूत्रकोष (Renal sac), मूत्राशय (Urinary bladder) तथा मूत्र वाहिनियाँ (Ureters) जुड़ी होती हैं। ये वाहिनियाँ मूत्र छिद्रों द्वारा एण्टेना के पास शरीर से बाहर खुलती हैं। प्रत्येक ग्रीन ग्लैण्ड अन्त्यकोष (End sac), लेबिरिन्थ (Labyrinth) तथा आशय (Bladder) की बनी होती है।
- 8. मोलस्का तथा दूसरे जन्तुओं में उत्सर्जन वृक्क या मूत्र अंग (Renal organ) के द्वारा होता है।
- 9.इकाइनोडर्मेटा (Echinodermata) के विभिन्न सदस्यों में विशिष्ट प्रकार के उत्सर्जन अंग का अभाव होता है। इनमें उत्सर्जन की क्रिया सीलोमिक द्रव (Coelomic fluid) में पाये जाने वाले अमीबोसाइट्स (Amoebocytes) नामक कोशिकाओं द्वारा संपन्न होती है।
कशेरुकी जन्तुओं में उत्सर्जन
- मनुष्य सहित सभी कशेरुकियों में उत्सर्जन या मूत्र निर्माण का कार्य वृक्कों द्वारा किया जाता है अर्थात् वृक्क ही कशेरुकियों के मुख्य उत्सर्जी अंग हैं लेकिन शरीर के कुछ और अंग मूत्र के निष्कासन में सहायता करते हैं। वृक्क तथा इसकी सहायता करने वाले अंगों को ही एक साथ उत्सर्जन तन्त्र कहते हैं। सभी जन्तुओं में मनुष्य का उत्सर्जन तन्त्र सबसे विकसित होता है।
कशेरुकियों के विभिन्न उत्सर्जी अंग एवं इनके कार्य निम्नानुसार हैं-
1. वृक्क (Kidney)—(i) नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थ, (ii) जल की अतिरिक्त मात्रा एवं (ii) टॉक्सिन्स को बाहर करता है।
2. यकृत (Liver) - यह अमोनिया को यूरिया में बदलता है।
3. त्वचा (i) जल, (ii) स्वेद, (iii) खनिज लवण, (iv) कुछ मात्रा में नाइट्रोजनी अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से
4. फेफडा (Lungs)- यह (i) CO2 एवं (ii) जल को जल वाष्प के रूप में बाहर करते हैं।
5. आंत (Intestine) - (i) अनपचे भोजन एवं (ii) कुछ उपचय उत्सर्जी पदार्थों को मल के रूप में बाहर करती है।
विभिन्न जन्तुओं में उत्सर्जन अंग
1. प्रोटोजोआ (अमीबा, पैरामीशियम आदि)
- संकुचनशील धानियाँ- कोशिका झिल्ली के माध्यम से।
2. पोरीफेरा (स्पंज आदि)
- कोशिका झिल्ली से होने वाले विसरण प्रक्रिया द्वारा।
3. सीलेन्ट्रेटा (हाइड्रा आदि)
- कोशिका झिल्ली से होने वाले विसरण प्रक्रिया द्वारा।
4. प्लेटीहेल्मिन्थिस (प्लेनेरिया, फैसिओला, टीनिया आदि ।)
- फ्लैम कोशिकाएँ।
5. निमैटोड्स (एस्केरिस आदि)
- रेनेट अथवा कॉब कोशिका ।
6. एनेलिड्स (केंचुआ, लीच, नेरीज आदि)
- नेफ्रीडिया, क्लोरोगोगन कोशिकाएँ
7. मोलस्का (पाइला, यूनिओ आदि) ।
- रीनल अंग अथवा वृक्क ।
8. आर्थ्रोपोड्स (झींगा मछली आदि)
- ग्रीन ग्रंथि अथवा एन्टेनरी ग्रन्थि ।
9.आर्थ्रोपोड्स (तिलचट्टा आदि)
- मैल्पीघियन नलिकाएँ
10. इकाइनोडर्मस (स्टारफिश आदि)
- अमीबोसाइट्स, ट्यूब फीट ।
11. हेमीकॉर्डेट्स (बैलेनोग्लोसस)
- ग्लोमेरुलस
12. (यूरोकॉर्डेट्स-हर्डमानिया) (सिफैलोकॉर्डेट्स-एम्फिऑक्सस)
- न्यूरल ग्रन्थि, फ्लैम कोशिकाएँ, फेरिन्जियल नेफ्रीडिया ।
13. कशेरुकी (मछली, उभयचर, सरीसृप, स्तनधारी)
- एक जोड़ी वृक्क, फेफड़े, वृक्क, त्वचा, तथा आँत ।
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