प्रकाश संश्लेषण महत्त्वपूर्ण जानकारी | Photosynthesis important information
प्रकाश संश्लेषण महत्त्वपूर्ण जानकारी (Photosynthesis important information)
प्रकाश संश्लेषण महत्त्वपूर्ण जानकारी
- प्रकाश संश्लेषण वह आधारभूत एवं महत्त्वपूर्ण क्रिया है जिस पर पृथ्वी पर उपस्थित जीवन निर्भर होता है। प्रकाश संश्लेषण वह क्रिया है जिसमें हरे पादप कोशिकाओं के द्वारा प्रकाश की उपस्थिति में CO2 एवं H2O को सहायता से भोज्य पदार्थों का निर्माण किया जाता है।
- प्रकाश संश्लेषण क्रिया में दो अवस्थायें होती हैं- प्रकाश रासायनिक (प्रकाश पर निर्भर) एवं रासायनिक या अन्धकार अभिक्रिया ।
- सम्पूर्ण प्रकाश संश्लेषण क्रिया दो वर्णक तंत्रों के द्वारा नियंत्रित होती है- (i) प्रथम वर्णक तंत्र या PS-I एवं (ii) द्वितीय वर्णक तंत्र या PS-II
- प्रकाश संश्लेषण की फोटोफॉस्फोरिलेशन क्रिया दो प्रकार की होती है-चक्रीय एवं अचक्रीय.
- प्रकाश संश्लेषण को अंधकार अभिक्रिया को केल्विन चक्र कहते हैं। यह प्रक्रिया बहुत से एन्जाइमों के नियंत्रण में स्ट्रोमा में होती है।
- C3 चक्र का CO2 ग्राही पदार्थ RuDP तथा प्रथम स्थायी यौगिक PGA होता है।
- C4 चक्र को हैच एव स्लैक चक्र भी कहते हैं यह क्रिया बहुत सी घासों एवं द्विबीजपत्री पौधों में पायी जाती है। इस क्रिया में CO2 ग्राही यौगिक PEP तथा प्रथम स्थायी यौगिक OAA होता है।
- आरनन एवं उनके सहयोगियों ने प्रकाश संश्लेषण की प्रकाश एवं अन्यकार अभिक्रियाओं की खोज की थी।
- सबसे कम का सिद्धान्त (Law of minimum) लीविंग ने प्रस्तुत किया था।
- सीमाकारकों का सिद्धान्त (Law of limiting factor) ब्लैकमैन ने 1905 में प्रस्तुत किया था।
- मेल्विन केल्विन एवं एन्ड्रयूज वेन्सन ने प्रकाश संश्लेषण के C3 चक्र की खोज की थी।
- डेनियल आरनन ने प्रदर्शित किया कि प्रकाश संश्लेषण की प्रकाश अभिक्रिया ग्रैना में तथा अन्धकार अभिक्रिया स्ट्रोमा में होती है।
- रुहानी एवं सहयोगियों ने सन् 1973 सीडम नामक मांसल पौधे में CAM चक्र की खोज की थी।
- क्लेटन में Chl-a 700 (P-700) की खोज की थी जो कि PS-I का अभिक्रिया केन्द्र होता है।
- राबर्ट इमर्सन ने रेड ड्राप एवं इमरसन ने वृद्धिकारी प्रभाव तथा दो वर्णक तंत्रों की खोज की थी।
- प्रकाश अभिक्रिया का अन्तिम उत्पाद ATP, NADPH2 तथा O2 होता है।
- RuDP कॉबॉस्सीलेज एन्जाइम C3 चक्र में कार्बोक्सीलेशन अभिक्रिया को उत्प्रेरित करता है। यह एन्ज़ाइम CO2 की पर्याप्त सान्द्रता होने पर हो सक्रिय होता है।
- PEP. कार्बोक्सीलेज एन्जाइम C4 चक्र में कार्बोक्सीलेशन अभिक्रिया में भाग लेता है। यह एन्जाइम CO2 की सान्द्रता कम होने पर भी क्रियाशील रहता है।
- C4 पौधों में कैन्ज प्रकार की एनाटॉमी पाई जाती है।
- C4 पौधों में PEP-C एन्जाइम मीजोफिल क्लोरोप्लास्ट में तथा RuDP-C एन्जाइम बण्डल शोध क्लोरोप्लास्ट में पाया जाता है।
- C4 पौधों में कार्बोहाइड्रेट्स का संश्लेषण बण्डल - शीघ्र कोशिकाओं में होता है।
- पौधों में क्लोरोफिल की मात्रा का मापन कलरोमीटर की सहायता से किया जाता है।
- प्रकाश संश्लेषी पौधों में प्रकाश-संश्लेषण के समय H2O हाइड्रोजन दाता होता है जबकि जीवाण्विक प्रकाश संश्लेषण में हाइड्रोजन दाता का कार्य H2S करता है।
- प्रकाश के प्रत्येक क्वाण्टम के उपयोग के पश्चात् मुक्त O2 के अणुओं की संख्या को क्वाण्टम उत्पादन कहते हैं।
- किसी विशिष्ट क्रिया में भाग लेने वाले विशिष्ट वर्णक का निर्धारण एक्शन स्पेक्ट्रम को सहायता से किया जाता है।
- किसी वर्णक द्वारा विभिन्न विभिन्न तरंगदैर्ध्य वाले प्रकाश के अवशोषण का निर्धारण अवशोषण स्पेक्ट्रम की सहायता से किया जाता है।
- क्लोरोफिल a नीले एवं हरे प्रकाश में सर्वाधिक अवशोषण प्रदर्शित करता है।
- प्रकाश संश्ले वर्णक क्लोरोप्लास्ट के ग्रेना में पाये जाते हैं।
- प्रकाश संश्लेषण को प्रकाश अभिक्रिया में O2 के एक अणु के उत्पादन हेतु प्रकाश के कुल 8 क्वाण्टमों की आवश्यकता पड़ती है।
- सर्वाधिक प्रकाश संश्लेषण लाल एवं नीले प्रकाश में होता है।
- प्रकाश अभिक्रिया में 3ATP एवं 2NADPH2 के अणुओं का उत्पादन होता है।
- क्लोरोफिल a में मेथिल समूह (-CH3) पाया जाता है जबकि Chi-b में इसके स्थान पर एल्डिहाइड समूह (-CHO) पाया जाता है।
- विभिन्न तरंगदेयधर्य वाले प्रकाश में होने वाले प्रकाश संश्लेषण की दर का ग्राफिकल निरूपण एक्शन स्पेक्ट्रम कहलाता है।
- किसी वर्ष द्वारा विभिन्न तरंगदेयधर्य वाले प्रकाश को अवशोषित करना उसका अवशोषण स्पेक्ट्रम कहलाता है।
- रॉबर्ट हिल ने अपने प्रयोग में स्टीलेरिया मेडिया नामक पौधे का उपयोग किया था।
उच्च पादपों में प्रकाश संश्लेषण प्रमुख जानकारी
अवशोषण स्पेक्ट्रम (Absorption spectrum) –
किसी अणु (जैसे- क्लोरोफिल) के द्वारा अवशोषित प्रकाश के तरंग- दैर्ध्य को प्रदर्शित करने के लिये खींचा गया ग्राफ
एक्शन स्पेक्ट्रम (Action spectrum) –
दृश्य प्रकाश के एक विशिष्ट तरंगदैर्ध्य में होने वाली जैविक क्रिया को प्रदर्शित करने वाला स्पेक्ट्रम ।
रसायन संश्लेषण (Chemosynthesis)
विभिन्न प्रकार के अकार्बनिक यौगिकों के ऑक्सीकरण से मुक्त ऊर्जा का उपयोग तथा CO2 का अपचयन करके कार्बोहाइड्रेट्स का संश्लेषण।
सायटोक्रोम (Cytochrome)
लौह युक्त रंगीन पोरफाइरिन।
स्फुरदीप्तिता (Fluorescence)
विकिरण ऊर्जा का अवशोषण करके किसी पदार्थ के द्वारा उच्च तरंगदैर्घ्य वाले विकिरणों का विसर्जन करना।
सीमाकारक (Limiting factors)—
वह कारक जो किसी क्रिया की दर पर सीधा नियंत्रण रखता है।
फोटोसेन्टर या अभिक्रिया केन्द्र (Photocentre or Reaction centre)
अभिक्रिया का केन्द्र, जहाँ किसी रासायनिक अभिक्रिया को चालित करने के लिये किसी वर्णक तंत्र के सहायक वर्णकों के ऊर्जा का अवशोषण किया जाता है।
फोटॉन (Photon)—
एक प्रकाश कण, जिसे प्रकाश ऊर्जा की इकाई माना जाता है।
प्रकाश तंत्र (Photosystem)
वर्णकों का वह समूह जो कि प्रकाश ऊर्जा को ग्रहण करने का कार्य करता है।
फोटोफॉस्फोरिलेशन (Photophosphorylation)
प्रकाश को उपस्थिति में ADP एवं Pi द्वारा ATP का निर्माण करना।
प्रकाश श्वसन (Photorespiration)—
पौधे के हरे भागों द्वारा प्रकाश की उपस्थिति में होने वाला श्वसन।
प्रकाश संश्लेषक इकाई या क्वाण्टासोम (Photosynthetic unit or Quantusome)
वर्णकों की वह कम से कम संख्या जो कि प्रकाश संश्लेषण क्रिया के दौरान CO2 के एक अणु के उपयोग के लिये आवश्यक होता है।
सिंक (Sink)
वह स्थान जहाँ पर प्रकाश संश्लेषी उत्पाद का संग्रह किया जाता है अथवा उसका उपयोग किया जाता है।
स्थानान्तरण (Translocation)
पदार्थों का एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रवाहित होना।
प्रथम स्थायी यौगिक (First stable compound)
प्रकाश संश्लेषण की अंधकार अभिक्रियाओं के दौरान निर्मित प्रथम यौगिक।
कैन्ज एनाटॉमी (Kranz anatomy) —
कुछ पौधों की पत्तियों में संवहन पूलों के चारों ओर बण्डल शोध कोशिकाओं का दोहरा स्तर होता है तथा कोशिकाओं में मीजोफिल कोशिकाएँ सामान्य रूप से पाई जाती हैं। इन दोनों कोशिकाओं में क्लोरोप्लास्ट पाया जाता है। ऐसी संरचना को ही क्रेन्ज एनाटॉमी कहते हैं।
प्रकाश सन्तुलन बिन्दु (Light compensation point)
किसी प्रकाश तीव्रता का वह बिन्दु जिस पर हरे पौधों एवं वातावरण के मध्य गैसीय आदान-प्रदान नहीं होता है।
सोलेराइजेशन (Solarization)—
अत्यधिक प्रकाश तीव्रता में वर्णकों का ऑक्सीकरण होने लगता है तथा अन्त में इसके कारण प्रकाश संश्लेषी उपकरण नष्ट हो जाता है, इस प्रक्रिया को सोलेराइजेशन कहते हैं।
वलयन ( Ringing or Girdling)—
तने से छाल की वलय को काटकर हटा देना।
वारवर्ग प्रभाव (Warburg effect)
O2 की अत्यधिक
सान्द्रता होने पर प्रकाश संश्लेषण की दर में कमी आ जाती है। इसे वारवर्ग प्रभाव
कहते हैं।
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