मध्यप्रदेश में छत्रसाल के समय की इमारतें | Chatrasaal Famous Architecture
मध्यप्रदेश में छत्रसाल के समय की इमारतें
मध्यप्रदेश में छत्रसाल के समय की इमारतें
छत्रसाल बुन्देला का लक्ष्य एक विस्तृत राज्य निर्माण का था, स्थापत्य कला की ओर उनका विशेष ध्यान नहीं रहा था। छत्रसाल के डंगाई राज्य के क्षेत्र में चंदेल शासकों और गौड़ शासकों के अनेक महत्वपूर्ण दुर्ग पहले से ही विद्यमान थे। संक्षेप में छत्रसाल के काल की इमारतों का विवरण इस प्रकार है-
1. मऊ - सहानियाँ, मऊ-महेबा :-
- यह स्थान झाँसी छतरपुर मार्ग पर नौगाँव से 7 किलोमीटर दूर है। मऊ - सहानियाँ के दक्षिण में 3-4 कि.मी. दूर महेबा है। यह पूरा परिक्षेत्र तालाबों, पहाड़ी श्रृंगों, पर्वत टोहों से युक्त प्राकृतिक स्थान है। छत्रसाल के समय के नगर और महल के भग्न अवशेष इस पूरे परिक्षेत्र में दूर-दूर तक देखे जा सकते हैं। यहाँ के धुबेला महल में पुरातत्व विभाग का संग्रहालय है, जिसमें छत्रसाल से संबंधित शस्त्र और कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गई है, इस संग्रहालय में एक अनुपम पुस्तकालय भी है। छत्रसाल का स्मारक, रानी कलावती का स्मारक, मस्तानी का महल और महेबा का भग्न दरवाजा आदि स्थापत्य की कहानी कहते हैं। दीवान प्रतिपाल सिंह ने लिखा है, "छत्रसाल ने मऊ से दो मील दक्षिण में मऊ-महेबा फाटा पहाड़ की खोह में बादल महल के नाम से महल बनवाया था तथा कुछ बस्ती बसाकर अपनी जन्मभूमि की यादगार में उसका नाम महेबा रखा था। सब ठाठ-बाट मऊ में ही रहता था। उस समय डंगाही बुन्देलखण्ड की राजधानी मऊ - महेबा थी।"
2. छतरपुर नगर :-
- सन् 1707 ई. में छत्रसाल ने छतरपुर नगर की नींव रखी थी। छत्रसाल के चबूतरे नाम से प्रसिद्ध यहाँ एक भवन था, इसमें बैठकर छत्रसाल गाँव वालों की समस्याओं का निवारण करते थे। इस भवन के विषय में लिखा गया है, "चबूतरे की बनावट इस तरह की थी, कि भूतल पर कमरे, ऊपर एक छोटा सा दरबार हाल, पश्चिम की ओर एक लम्बी-चौड़ी चबूतरानुमा छत, और हाल के ऊपर बारहदरी।" अब इस भवन का पुर्ननिर्माण हो चुका है और यह छत्रसाल स्मारक नाम से जाना जाता है।
3. प्राणनाथ मंदिर :-
- छत्रसाल ने पन्ना की किलकिला नदी के समीप स्वामी प्राणनाथ का मंदिर बनवाया था। इसका मुख्य दरवाजा भव्य है, मंदिर का शिखर सुशोभित है, इसका मुख्य द्वार महल के दरवाजे जैसा लगता है। इस मंदिर में स्वामी प्राणनाथ की वाणियों की पुस्तक "कुलजम" तथा सेज की पूजा होती है। धामी सम्प्रदाय के मानने वालों का यह मंदिर और पन्ना में धाम तीर्थ के रूप में है।
4. जैतपुर का दुर्ग झाँसी-
- मानिकपुर रेल लाइन पर यह स्थान बेलाताल स्टेशन के नाम से, उत्तरप्रदेश के महोबा जिले में है। जैतपुर दुर्ग का निर्माण छत्रसाल के पुत्र जगतराज ने करवाया था। यह पहाड़ी दुर्ग है, चारों कोणों पर बुर्ज बने हैं, दुर्ग में प्रांगण और आवासीय परिसर एवं कुआँ है। सन् 1729 ई. में छत्रसाल और मुहम्मद बंगस के बीच का प्रसिद्ध युद्ध का गवाह यही दुर्ग है। इसलिए यह दुर्ग स्वतंत्रता प्रिय और देशभक्त लोगों के लिए एक आदर्श प्रतीक के रूप में है।
5. ईशानगर -
- रामपुर दुर्ग ये स्थान छतरपुर से पश्चिम में धसान नदी के समीपवर्ती हैं। :- ईशानगर को छत्रसाल ने बसाया था और रामपुर में दुर्ग का निर्माण जगतराज ने करवाया था। यह दुर्ग सामरिक दृष्टि से विशेष महत्व का माना जाता था, इसके चारों ओर बुर्ज, दुर्ग में प्रांगण, आवासीय परिसर और जलस्त्रोत हैं। रामपुर दुर्ग का निर्माण जगतराज ने अपने निवास हेतु करवाया था और वे अंतिम समय तक इसी दुर्ग में बने रहे थे ।
6. तालाब का स्थापत्य :-
माना जाता है कि एक बार छत्रसाल के पुत्र जगतराज ने चंदेलों के गड़े हुए खजाने को खोजकर निकाल लिया था। जब इस घटना की जानकारी छत्रसाल को हुई तो उन्होंने खजाने खोदने निकालने की घटना पर असंतोष व्यक्त करते हुए, आदेश दिया कि इस सम्पूर्ण धन का उपयोग वे चंदेलकाल के तालाबों की मरम्मत में व्यय करें और इसके बाद यदि धन बचता है, तो नये तालाब बनवायें। बुन्देलखण्ड में तालाबों का अस्तित्व उसकी जीवनरेखा के रूप में है। स्थापत्य की दृष्टि से ये इसलिए महत्वपूर्ण है, कि इनके किनारे लगातार मंदिर बनवाए जाते रहे थे और तीज-त्यौहार, मेला, उत्सवों आदि ने जीवन की संवेदनाओं से जुड़कर जन्म लिया था ।
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