मनुष्य के अन्य उत्सर्जी अंग | Excretory Organs of Man
मनुष्य के अन्य उत्सर्जी अंग (Excretory Organs of Man)
मनुष्य के अन्य उत्सर्जी अंग (Excretory Organs of Man)
वृक्क हमारे शरीर का मुख्य उत्सर्जी अंग है जो उत्सर्जन तन्त्र से सम्बन्धित होता है। इसके अलावा हमारे शरीर में कुछ अंग और होते हैं जो उत्सर्जन तन्त्र से सीधे नहीं जुड़े होते फिर भी उत्सर्जन का काम सरलतापूर्वक करते हैं। ये अंग निम्नलिखित हैं-
फेफड़े (Lungs)—
वैसे तो फेफड़ा श्वसन तंन्त्र से सम्बन्धित अंग है लेकिन यह श्वसन के साथ उत्सर्जन का भी कार्य करता है। श्वसन की क्रिया में होने वाला गैसीय आदान-प्रदान जब फेफड़े को आन्तरिक सतह पर होता है उस समय यह रुधिर की CO2 जो कि एक प्रमुख उत्सर्जी पदार्थ है, को रुधिर से बाहर श्वासोच्छ्वास के दौरान करता है। फेफड़े की हवा के साथ CO, और कुछ जलवाष्प के कणों को भी बाहर कर दिया जाता है। इस प्रकार फेफड़ा दो प्रमुख गैसीय उत्सर्जी पदार्थों कार्बन डाइ ऑक्साइड और जलवाष्प का बहिष्करण करता है।
त्वचा (Skin)-
- अपने सामान्य कार्यों के साथ त्वचा कुछ उत्सर्जन का कार्य भी करती है। स्तनियों जैसे बच्च वर्ग के जन्तुओं की त्वचा में दो प्रमुख ग्रन्थियाँ-तैलीय ग्रन्थियाँ (Sebaceous glands) तथा स्वेद ग्रन्थियाँ (Sweat glands) पायी जाती हैं। तैलीय ग्रन्थियाँ शाखित और नालाकार होती हैं तथा बाल की पुटिका (Hair follicle) के अगले सिरे पर खुलती हैं। ये एक प्रकार के तैलीय पदार्थ का स्राव करती हैं जिसे सीबम (Sebum) कहते हैं। यह बाल तथा त्वचा को तैलीय और जलरोधी (Waterproof) बनाये रखता है। यह अपने तैलीय पदार्थ के साथ कुछ उत्सर्जी पदार्थों जैसे—मोम, स्टीरॉल्स, वसीय अम्ल और कुछ हाइड्रोकार्बन्स को भी शरीर के ऊतकों से विसरण द्वारा ग्रहण करके बाहर कर देती है। स्वेद ग्रन्थियाँ (Sweat glands) लम्बी, नलिकाकार तथा कुण्डलित होती हैं। इनका कुण्डलित भाग त्वचा की आन्तरिक सतह डर्मिस में स्थित होता है। ये ग्रन्थियाँ एक जलीय पदार्थ, जिसे पसीना कहते हैं, का स्राव क्रती हैं जो स्वाद में नमकीन होता है। वैसे तो पसीने (Sweat) का मुख्य कार्य शरीर के ताप को नियन्त्रित करना है लेकिन ये ग्रन्थियाँ अपने स्राव के साथ कुछ उत्सर्जी पदार्थों जैसे-लवण, लैक्टिक अम्ल, यूरिया, अमीनो अम्लों को भी शरीर से बाहर कर देती हैं। मनुष्य के सम्पूर्ण शरीर की त्वचा में लगभग 2.5 लाख स्वेद ग्रन्थियाँ पायी जाती हैं।
- बहुत से निम्न श्रेणी के जलीय जन्तुओं में विशिष्ट उत्सर्जी अंगों का अभाव होता है। ये अपने उत्सर्जी पदार्थों (नाइट्रोजनी पदार्थों सहित) को त्वचा के माध्यम से ही परासरण द्वारा बाहर करते हैं। इसके अलावा त्वचा की सबसे बाहरी स्तर, जिसे स्ट्रेटम कॉर्नियम (Stratum corneum) कहते हैं, की कोशिकाओं में किरैटिन नामक प्रोटीन का अभाव होता रहता है जिसके कारण ये कोशिकाएँ मृत हो जाती हैं और त्वचा से छूटकर अलग होती रहती हैं। इस प्रकार ये कोशिकाएँ किरैटिन के रूप में उत्सर्जी पदार्थों को शरीर से बाहर निकालती हैं।
3. यकृत, प्लीहा एवं आँत (Liver, Spleen and Intestine),
- यकृत की कोशिकाएँ आवश्यकता से अधिक अमीनो अम्लों तथा रुधिर की अमोनिया को यूरिया में बदलकर उत्सर्जन में मुख्य भूमिका निभाती हैं। इसके अलावा यकृत तथा प्लीहा कोशिकाएँ टूटी- फूटी रुधिर कोशिकाओं का विखण्डन करके इन्हें रक्त प्रवाह से अलग करती हैं। यकृत कोशिकाएँ हीमोग्लोबिन का भी विखण्डन करके रक्त प्रवाह से अलग करती हैं और विखण्डन से बने इन पदार्थों को पित्त के रूप में उपयोगी बनाकर शरीर से आहारनाल की सहायता से बाहर कर देती हैं। आँत की दीवार में रुधिर केशिकाओं का जाल होता है, इन केशिकाओं के रुधिर में उपस्थित उत्सर्जी पदार्थों की कुछ मात्रा को आँत की कोशिकाएँ वि की गुहा में पहुँचा देती हैं जहाँ से ये मल के साथ बाहर कर दिये जाते हैं।
- हमारे शरीर को भी पाचन के बाद बचे अनपचे पदार्थों को शरीर से बाहर करके उत्सर्जन में मदद करती है।
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