कोणार्क सूर्य
मंदिर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
कोणार्क सूर्य मंदिर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
कोणार्क सूर्य
मंदिर भारत के ओडिशा राज्य के पुरी ज़िले में समुद्र तट पर स्थित कोणार्क में 13वीं सदी का सूर्य
मंदिर है।
कोणार्क सूर्य मंदिर के
निर्माण का श्रेय लगभग 1250 ई.पू. पूर्वी
गंग राजवंश के राजा नरसिम्हादेव प्रथम को दिया जाता है।
हिंदू भगवान
सूर्य को समर्पित यह मंदिर 100 फुट ऊँचे रथ की तरह दिखता है, जिसमें विशाल
चक्र और घोड़े हैं, जो सभी पत्थर से
बनाए गए हैं।
यह मंदिर यूनेस्को
(UNESCO) के विश्व धरोहर
स्थल के साथ ही हिंदुओं के लिये एक प्रमुख तीर्थ स्थल भी है तथा इसे भारतीय 10 रुपए के नोट के
पीछे की तरफ दर्शाया गया है।
सूर्य मंदिर
कलिंग मंदिर वास्तुकला की पराकाष्ठा है।
वर्ष 1676 की शुरुआत में
यूरोपीय नाविकों द्वारा मंदिर को "ब्लैक पैगोडा" भी कहा जाता था क्योंकि
यह एक विशाल परस्पर टॉवर जैसा दिखता था और काले पत्थरों से निर्माण के कारणकाला दिखाई देता था। इसी तरह पुरी के जगन्नाथ
मंदिर को "व्हाइट पैगोडा" कहा जाता था।
कोणार्क सूर्य मंदिर की विशेषताएँ:
यह मंदिर सूर्य
देव के रथ का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें सात घोड़ों द्वारा खींचे गए बारह जोड़े चक्र हैं जो
पूरे आकाश में इसकी गति को दर्शाते हैं।
चक्रों में 24 तीलियाँ हैं जो
एक दिन के 24 घंटों का प्रतीक
हैं। चक्र धूपघड़ी (Sundials)
के रूप में भी
कार्य करते हैं, क्योंकि तीलियों
द्वारा डाली गई छाया दिन के समय का संकेत देती है।
मंदिर में कई
विशिष्ट और सुव्यवस्थित त्रिविमीय इकाइयाँ हैं।
विमान (मुख्य
अभयारण्य) के ऊपर एक शिखर (मुकुट आवरण) के साथ ऊँचा टॉवर था, जिसे रेखा देउल
के नाम से भी जाना जाता था,
जिसे 19वीं शताब्दी में
ढहा दिया गया था।
पूर्व की ओर
जहमोगाना (दर्शक कक्ष या मंडप) अपने पिरामिडनुमा आकृति के साथ खंडहरों की प्रभावी
संरचना है।
पूर्व की ओर
सुदूर नटमंदिर (नृत्य कक्ष), जो अब बिना छत के है, एक ऊँचे मंच पर स्थापित है।
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