पादप वृद्धि दर एवं वृद्धि वक्र | Plant Growth and Curve in Hindi
पादप वृद्धि दर एवं वृद्धि वक्र
वृद्धि दर एवं वृद्धि वक्र
वृद्धि दर (Growth Rates)
प्रति इकाई समय में होने वाली वृद्धि को वृद्धि दर कहते हैं। वृद्धि दर को गणितीय रूप में व्यक्त किया जा सकता है। कोई जीव या उसका कोई भाग विभिन्न प्रकार से नई कोशिकाएँ बना सकता है। वृद्धि दर को अंकगणितीय अथवा ज्यामितीय रूप में दर्शाय जा सकता है।
अंकगणितीय वृद्धि
अंकगणितीय वृद्धि में, समसूत्री विभाजन करने वाली कोशिकाओं में केवल एक संतति कोशिका विभाजन को जारी (Continue) रखती है। अन्य भिन्नित होकर स्थायी ऊतक बना लेती है। मूल की स्थिर वृद्धि दर अंकगणितीय वृद्धि का एक सरल उदाहरण है। चित्रानुसार, अंग की लंबाई एवं समय के बीच ग्राफ खींचने पर एक सरल रेखा (Linear curve) प्राप्त होता है।
अंकगणितीय वृद्धि |
ज्यामितीय वृद्धि
ज्यामितीय वृद्धि में अधिकांशतः प्रारंभिक वृद्धि अत्यन्त धीमी (लैग प्रावस्था) होती है और उसके पश्चात् तेजी से बढ़ती है (लॉग या एक्सपोनेन्शियल प्रावस्था) इसमें सभी संतति कोशिकाएँ विभाजनशील होती हैं। लॉग प्रावस्था के पश्चात् वृद्धि दर धीमी हो जाती है और स्थिर प्रावस्था (Stationary phase) प्राप्त होती है। यदि वृद्धि दर व समय के मध्य ग्राफ खींचा जाए तो वह 'S' आकार (सिग्मॉयड) का प्राप्त होता है जिसे वृद्धि वक्र या सिग्मॉयड वक्र (Sigmoid curve) कहते हैं यह प्राकृतिक वातावरण में रहने वाले जीवों की विशेषता है सिग्मॉयड वक्र (Sigmoid curve) यह सभी कोशिका ऊतकों व पादप अंगों के लिए विशिष्ट (Typical) होता है। एक्सपोनेन्शियल वृद्धि को निम्न प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं-
परम (निरपेक्ष) वृद्धि दर साक्षेप वृद्धि दर
- वृद्धि दर का मापन परम (निरपेक्ष) वृद्धि दर (Absolute Growth Rate, AGR) एवं साक्षेप वृद्धि दर (Relative Growth Rate, RGR) के रूप में किया जाता है।
- समय की प्रति इकाई में पौधे या अंग में हुई कुल वृद्धि को परम वृद्धि दर कहते हैं। जबकि दी गई प्रणाली की प्रति इकाई समय पर वृद्धि को सामान्य आधार पर प्रकट करना, उदाहरणार्थ- प्रति इकाई प्रारम्भिक मापदंड या पैमाइश को साक्षेप वृद्धि दर कहते हैं।
विभेदन, विविभेदन एवं पुनर्विभेदन
विभेदन (Differentiation)
- मूल शिखा विभज्योतक तथा प्ररोह शिखा विभज्योतक से आने वाली कोशिकाएं विशिष्ट क्रियाकलाप को संपन्न करने के लिए परिपक्व होती है। यह परिपक्वता की ओर अग्रसर होने वाली कार्यवाही विभेदन कहलाती है। वे अपनी कोशिकाभिति एवं जीवद्रव्य दोनों में ही या कुछ व्यापक संरचनात्मक बदलावों से गुजरती है।
निर्विभेदन
- जीवित विभेदित कोशिकाएं कुछ खास परिस्थितियों में विभाजन की क्षमता पुनः प्राप्त कर सकती है। इस क्षमता को निर्विभेदन कहते हैं।
- उदाहरण के तौर पर अंतरापूलय वाहिकी कैवियम एव कार्क कॅबियम ।
पुनर्विभेदन
- निर्विभेदित कोशिकाओं/ ऊतकों के द्वारा उत्पादित कोशिका बाद में फिर से विभाजन की क्षमता खो देती है ताकि विशिष्ट कार्यों को संपादित किया जा सके अर्थात पुनर्विभेदित हो जाती।
परिवर्द्धन (Development)
परिवर्द्धन (Development) के अन्तर्गत पौधे के जीवन चक्र में आने वाले सभी परिवर्तन सम्मिलित है, जी बीजांकुरण से लेकर जीर्णता (Senescence) के मध्य आते हैं।
- पौधे के जीवन इतिहास में होने वाली सभी घटनाएँ, जैसे- बीज अंकुरण, वृद्धि, विभेदन, परिपक्वन, पुष्पन, बीज निर्माण एवं जीर्णता आदि परिवर्द्धन के अन्तर्गत आती हैं। उपकोशिकीय स्तर पर भी परिवर्द्धन होता है, जैसे-प्रकाश से उद्भासित करने पर में हरितलवकों का प्रकटन होना परिवर्द्धन की अन्तिम अवस्था जीर्णता है। जीर्णता मृत्यु की तरफ ले जाती है।
सुघट्यता या प्लास्टिसिटी
पौधों में विभिन्न प्रकार को संरचनाओं का विकास, वृद्धि की विभिन्न अवस्थाओं या वातावरण की प्रतिक्रिया द्वारा होता है। इस क्षमता को सुघट्यता कहते हैं।
दूसरे शब्दों में
पौधे पर्यावरण के प्रभाव के कारण या जीवन के विभिन्न चरणों में भिन्न पक्षों का अनुसरण करते हैं, ताकि विभिन्न तरह की संरचनाओं का गठन कर सकें। इस क्षमता को प्लास्टिसिटी कहते हैं।
उदाहरण के तौर पर कपास, धनिया एवं लार्कस्पर में विभिन्न आकार की पत्तियाँ इन पौधों में पत्तियों का आकार किशोरावस्था एवं परिपक्व अवस्था में भिन्न होते हैं।
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