हृदयी पेशियाँ क्या होती हैं | Cardiac Muscles Details in Hindi
हृदयी पेशियाँ क्या होती हैं (Cardiac Muscles Details in Hindi)
हृदयी पेशियाँ (Cardiac Muscles)
- हृदय में पायी जाती हैं। ये पेशियाँ अनियमित, शाखान्वित तथा विकृत बाह्य रेखा वाली होती हैं। इनकी शाखान्वित पेशी कोशिकाएँ एक-दूसरे से मिलकर जाल बना लेती हैं। पेशी तन्तुओं के सन्धि स्थल को अन्तर्विष्ट पट्टी (Intercalated disc) कहते हैं। ये अन्तर्विष्ट पट्टियाँ गहरी अनुप्रस्थ रेखाओं के रूप में दिखायी देती हैं।
- हृदयी पेशियों की सार्कोलेमा कंकालीय पेशियों के समान होती है परन्तु इनमें सार्कोप्लाज्म की मात्रा अधिक होती है तथा माइटोकॉण्ड्रिया प्रचुर संख्या में पाये जाते हैं। हृदयी पेशियों में कंकालीय पेशियों की भाँति धारियाँ दिखायी देती हैं परन्तु ये क्रियात्मक रूप से अनैच्छिक होती हैं। इनमें संकुचन कंकालीय पेशियों की तरह होता है परन्तु ये संकुचन में अधिक समय लेती हैं।
पेशी प्रोटीन (Muscle Protein)
पेशियों का 20% भाग पेशी प्रोटीन बनाती हैं। ये पेशी प्रोटीन अग्रलिखित प्रकार की होती हैं-
मायोसिन (Myosin) -
- मायोसिन छड़ (Myofilaments) बनाने वाली ग्लोब्यूलिन प्रोटीन है जिसका अणुभार 4,20,000 होता है। इसमें 2 वृहद एवं 4 लघु श्रृंखलाएँ होती हैं। मायोसिन प्रोटीन का अणु टैडपोल की तरह होता है जो दो भागों का बना होता है। शीर्ष भाग (Head) भारी मीरोमायोसिन (Heavy meromyosin या HMM) तथा पुच्छ भाग (Tail) हल्के मीरोमायोसिन (Light meromyosin या LMM) का बना होता है।
- अणुभार वाली ग्लोब्यूलर तथा 60,000 अणुभार वाली हेलिकल (Helical या HMM-S2)। ग्लोब्यूलर उप-इकाई में एक अन्य प्रोटीन होती है जिसे एल एम पी (LMP) कहते हैं जिसका अणुभार 20,000 होता है। यह प्रोटीन वास्तव में एटीपेज एन्जाइम (ATPase) का कार्य करती है।
- मायोसिन प्रोटीन अणु का शीर्ष भाग सेतु बन्धनों (Cross bridges) का कार्य करता है। ये सेतु बन्धन एक्टिन छड़ों के विपरीत व्यवस्थित होते हैं।
(ii) एक्टिन (Actin) -
- एक्टिन छड़ (Myofilament) बनाने वाली एक्टिन प्रोटीन का अणु द्विकुण्डलनी (Double helix) होता है जिसका अणुभार 60,000 होता है एक्टिन दो रूपों में पायी जाती है-ग्लोब्यूलर जी-एक्टिन (Globular G-actin) तथा फाइब्रस एफ-एक्टिन (Fibrous F-actin).
- जी-एक्टिन के अणु ATP की सहायता से आपस में जुड़कर एफ-एक्टिन बनाते हैं।
- इस प्रकार से बनी G-ऐक्टिन की दो श्रृंखलाएँ (अर्थात् दो एफ-एक्टिन) आपस में कुण्डलित होकर एक्टिन अणु का निर्माण करते हैं जिसके प्रत्येक चक्र में 13 जी-एक्टिन अणु पाये जाते हैं।
(iii) ट्रोपोमायोसिन (Tropomyosin) -
- यह भी एक द्विकुण्डलिनी प्रोटीन है जो एक्टिन प्रोटीन की दोनों एफ-एक्टिन धागों (Strands) के मध्य पायी जाती है। इसका अणुभार 70,000 होता है। इसके दोनों धागे ट्रोपोमायोसिन प्रोटीन के बहुलक होते हैं।
(iv) ट्रोपोनीन (Troponin) -
- एक्टिन प्रोटीन अणु पर 30.5 nm की दूरी पर 80,000 अणुभार वाली एक अन्य प्रोटीन सम्बद्ध होती है जिसे ट्रोपोनीन कहते हैं। वास्तव में यह प्रोटीन तीन पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाओं की बनी होती है जिन्हें TPI (अणुभार 24,000), TNC (अणुभार 18,000) तथा TNT (अणुभार 37,000) के नाम से जाना जाता है। TPI निरोधक का, TNC कैल्शियम बन्धन का तथा INT ट्रोपोमायोसिन बन्धन का कार्य करती है। ट्रोपोनीन तथा ट्रोपोमायोसिन का एक कॉम्प्लेक्स सात एक्टिन एकलकों (Monomers) के क्रियाकलापों का नियमन करता है।
रासायनिक संघटन (Chemical composition) -
- 20% प्रोटीन्स के अतिरिक्त पेशियों में 75% जल तथा 5% ग्लाइकोजेन, Ca, Mg, ATP तथा फॉस्फाजेन्स पाये जाते हैं।
फॉस्फाजेन्स (Phosphagens) -
- ऊर्जा प्रचुर यौगिक (Energy rich compounds) होते हैं जिनकी ऊर्जा का उपयोग ADP को ATP में बदलने में किया जाता है। कशेरुकी जन्तुओं में फॉस्फोक्रियेटिन (Phosphocreatine) तथा अकशेरुकी जन्तुओं में फॉस्फोअर्जिनीन (Phosphoarginine) के रूप में फॉस्फाजेन्स पाये जाते हैं।
- क्रिएटिन फॉस्फोकाइनेज (Creatine phosphokinase) या CPK एन्जाइम उच्च ऊर्जा वाले फॉस्फेट (High energy PO4) को क्रिएटिन फॉस्फेट से ADP को स्थानान्तरित करने में उत्प्रेरक का कार्य करता है।
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