Current Affairs Fact February 2024 in Hindi | फरवरी 2024 समसमयिकी प्रमुख तथ्य
Current Affairs Fact February 2024 in Hindi
फरवरी 2024 समसमयिकी प्रमुख तथ्य
डेज़र्ट नाइट अभ्यास
- भारतीय वायु सेना (Indian Air Force -IAF) ने फ्राँसीसी वायु और अंतरिक्ष बल (French Air and Space Force - FASF) और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) वायु सेना के साथ अभ्यास डेज़र्ट नाइट में सहयोगात्मक हवाई संचालन का प्रदर्शन किया तथा राजनयिक संबंधों को मज़बूत किया।
- अभ्यास डेज़र्ट नाइट भारत, फ्राँस और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच एक संयुक्त सैन्य अभ्यास है।
- यह अभ्यास अरब सागर के ऊपर हुआ, जिसमें भारतीय वायुसेना भारत में अपने अड्डे से संचालन कर रही थी।
- इस अभ्यास का उद्देश्य तीनों वायु सेनाओं के बीच सहयोग और अंतरसंचालनीयता में सुधार करना था।
ECOWAS क्या है?
- ECOWAS एक क्षेत्रीय समूह है जिसका उद्देश्य पश्चिम अफ्रीकी उप-क्षेत्र के आर्थिक एकीकरण और साझा विकास को बढ़ावा देना है।
- इसकी स्थापना मई 1975 में 15 पश्चिम अफ्रीकी देशों द्वारा नाइजीरिया के लागोस में की गई थी।
- संस्थापक सदस्य राष्ट्र: बेनिन, बुर्किना फासो, कोटे डी'आइवर, गाम्बिया, घाना, गिनी, गिनी बिसाऊ, लाइबेरिया, माली, मॉरिटानिया, नाइजर, नाइजीरिया, सियेरा लियोन, सेनेगल और टोगो।
- मुख्यालय: अबुजा, नाइजीरिया
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भारत में हिम तेंदुए की
आबादी का आकलन (SPAI) कार्यक्रम क्या
है?
- SPAI कार्यक्रम भारत में हिम तेंदुओं की आबादी का आकलन करने वाला पहला व्यापक वैज्ञानिक अभ्यास है।
- भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India- WII) ने हिम तेंदुआ श्रेणी के राज्यों तथा संरक्षण भागीदारों, नेचर कंज़र्वेशन फाउंडेशन, मैसूर और विश्व वन्यजीव कोष (World Wildlife Fund- WWF) भारत के समर्थन से SPAI के लिये राष्ट्रीय समन्वयक के रूप में कार्य किया।
- SPAI ने व्यवस्थित रूप से ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र में संभावित हिम तेंदुए की 70 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र को शामिल किया, जिसमें केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख और जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम एवं अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं।
- यह कार्यक्रम वर्ष 2019 से वर्ष 2023 तक दो चरणों में आयोजित किया गया था, जिसमें हिम तेंदुए के स्थानिक वितरण का मूल्यांकन करना तथा कैमरा ट्रैप का उपयोग करके हिम तेंदुए की बहुतायत का अनुमान लगाना शामिल था।
इंडियन ग्रे वुल्फ
- हाल ही में भारतीय ग्रे वुल्फ को हाल ही में उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (NCS) की सीमा में देखा गया है।
- चंबल में कुत्तों के पदचिह्नों को मैप करने के लिये वर्ष 1997 से 2000 के बीच चलाए गए 'ऑपरेशन भेड़िया' के दौरान आखिरी बार देखे जाने की सूचना मिली थी।
- वैज्ञानिक नाम: कैनिस ल्यूपस पल्लिप्स
- संरक्षण की स्थिति
- IUCN: कम चिंतनीय
- वन्यजीव (संरक्षण)
अधिनियम 1972: अनुसूची 1
- CITES : परिशिष्ट 1
- राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य, राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य के रूप में भी जाना जाता है।
- NCS राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के त्रि-बिंदु पर चंबल नदी के समीप स्थित है।
हैश फंक्शन की क्या
भूमिका है?
- विभिन्न तरीकों से सन्देश को एन्क्रिप्ट करने के लिये विभिन्न सममित तथा असममित प्रणालियों द्वारा विभिन्न हैश फंक्शन का उपयोग किया जाता है।
- हैश फंक्शन की भूमिका कुछ गुणों को सुनिश्चित करते हुए एक संदेश को एन्क्रिप्ट करना है:
- संदेश छिपाना: हैश फंक्शन किसी इनपुट संदेश का एन्क्रिप्टेड संस्करण तैयार करता है जिसे डाइजेस्ट के रूप में जाना जाता है। डाइजेस्ट शब्द को सार्थकता प्रदान करते हुए यह मूल संदेश की गोपनीयता को बनाए रखता है।
- फिक्स्ड लेंथ आउटपुट: फंक्शन विभिन्न आकार के संदेशों को एक प्रभावी डाइजेस्ट में परिवर्तित करता है। इस कारण मूल संदेश की लंबाई का डाइजेस्ट लेंथ की तुलना में लंबाई का अनुमान लगाना कठिन हो जाता है।
- विशिष्ट डाइजेस्ट: हैश फंक्शन का कार्य अद्वितीय संदेशों के लिये अद्वितीय डाइजेस्ट का उत्पादन करना है, यह सुनिश्चित करते हुए कि विभिन्न संदेशों का परिणाम एक ही हैश में न हो।
सी-केयर्स वेब पोर्टल
- हाल ही में कोयला मंत्रालय (MoC) ने कोयला खदान भविष्य निधि संगठन (CMPFO) का C-CARES वेब पोर्टल लॉन्च किया।
- C-CARES वेब पोर्टल को सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC) द्वारा विकसित किया गया है, जो MeitY के अंर्तगत एक अनुसंधान और विकास संगठन है, यह पोर्टल CMPFO ग्राहकों तथा पेंशनभोगियों के अभिलेखों के रखरखाव के साथ ही सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं के लिये प्रतिबद्ध है।
- CMPFO कोयला क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा के लिये भविष्य निधि एवं पेंशन योजनाओं के प्रशासन के लिये MoC के अंर्तगत एक स्वायत्त संगठन है।
- संगठन वर्तमान में कोयला क्षेत्र के लगभग 3.3 लाख भविष्य निधि ग्राहकों और 6.1 लाख पेंशनभोगियों को सेवाएँ प्रदान कर रहा है।
- सी-केयर्स CMPF ग्राहकों और कोयला कंपनियों को उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप विभिन्न कार्य करने में सक्षम बनाएगा, जिसमें दावों का ऑनलाइन निपटान, कागज़ रहित कामकाज, दावों का समय पर तथा सटीक निपटान, प्रसंस्करण समय में कमी एवं शिकायत निवारण शामिल है।
- यह डिजिटल परिवर्तन डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
डिजिटल डिटॉक्स पहल
- कर्नाटक सरकार, ऑल इंडिया गेम डेवलपर्स फोरम (AIGDF) के सहयोग से गेमिंग और सोशल मीडिया पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक डिजिटल डिटॉक्स पहल शुरू करने के लिये तैयार है।
- संपूर्ण कर्नाटक में डिजिटल डिटॉक्स केंद्र स्थापित किये जाएँगे, जो स्क्रीन समय को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिये व्यक्तिगत मार्गदर्शन, परामर्श के साथ व्यावहारिक उपकरण भी प्रदान करेंगे।
- AIGDF अखिल भारतीय गेमिंग फेडरेशन (AIGF) के तत्त्वावधान में एक गैर-लाभकारी समूह है।
- भारतीय गेमिंग बाज़ार के वर्ष 2022 में 2.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2025 में 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की आशा है।
संध्याक
- भारतीय नौसेना विशाखापट्टनम में नौसेना डॉकयार्ड में अपने सबसे नए सर्वे बेसल संध्याक (Y-3025 को कमीशन करने के लिये पूरी तरह तैयार है।
- जहाज़ की प्राथमिक भूमिका सुरक्षित समुद्री नेविगेशन को सक्षम करने की दिशा में बंदरगाहों, नौवहन चैनलों/मार्गों, तटीय क्षेत्रों एवं गहरे समुद्रों का पूर्ण पैमाने पर हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करना है।
- अपनी अन्य भूमिका में, जहाज़ कई प्रकार के नौसैनिक अभियानों को पूरा करने में सक्षम होगा।
- संध्याक गहरे और उथले पानी के मल्टी-बीम इको-साउंडर्स, ऑटोनॉमस अंडरवाटर वाहन, दूर से संचालित वाहन, साइड स्कैन सोनार, डेटा अधिग्रहण और प्रसंस्करण प्रणाली सहित अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक उपकरणों, सैटेलाइट बेस्ड पोजिशनिंग सिस्टम तथा स्थलीय सर्वेक्षण उपकरण से सुसज्जित है।
- संधायक आत्मनिर्भर भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में भारत की बढ़ती जहाज़ निर्माण क्षमता का एक वास्तविक प्रमाण है।
भारत में रामसर स्थल
नीतीश (NITISH) डिवाइस
- बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Bihar State Disaster Management Authority) ने नीतीश (Novel Initiative Technological Intervention for Safety of Humanlives - NITISH) डिवाइस लॉन्च किया है, जो किसानों और जनता को समय पर अलर्ट प्रदान करने के लिये अभिकल्पित एक अभिनव लॉकेट/पेंडेंट-आकार की तकनीक है। यह तकनीक विशेष रूप से तड़ित (lightning), बाढ़, ग्रीष्म लहर (Heatwaves) और शीतलहर (Coldwaves) को लक्षित करती है।
- यह पहल आकाशीय बिजली गिरने और फ्लैश फ्लड यानी अचानक आई बाढ़ के कारण होने वाली किसानों की मौतों को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई थी, जिसमें जीवन बचाने में डिवाइस की भूमिका पर ज़ोर दिया गया था।
- NITISH डिवाइस को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology- IIT), पटना के सहयोग से प्रस्तुत किया गया है।
- यह उपकरण बिहार मौसम विज्ञान सेवा केंद्र (Bihar Meteorological Service Centre) से संबद्ध है, जो वास्तविक समय/रियल टाइम और सटीक मौसम संबंधी अलर्ट सुनिश्चित करता है।
- NITISH डिवाइस आकाशीय बिजली गिरने या बाढ़ आने से आधे घंटे पहले अपने उपयोगकर्त्ताओं को अलर्ट देगा।
- पेंडेंट शरीर की ऊष्मा से चार्ज होगा। यह डिवाइस तीन तरह से अलर्ट जारी करेगा: सबसे पहले यह ध्वनि संदेश भेजेगा; तत्पश्चात इसका रंग हरे से लाल हो जाएगा; और अंत में यह डिवाइस तब तक गर्म होता रहेगा जब तक उसका उपयोगकर्त्ता इसे बंद नहीं कर देता।
- किसानों के समक्ष आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, इस उपकरण को वाटरप्रूफ बनाया गया है, ताकि यह मौसम की विभिन्न स्थितियों में सुचारू ढंग से कार्य कर सके।
कलरीपयट्टू
- हरियाणा के युवाओं ने कलरीपयट्टू/कलारीपयट्टू (Kalaripayattu) को अपनाने में महत्त्वपूर्ण प्रगति दर्शाते हुए खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2023 में केरल के बाद दूसरा स्थान हासिल किया।
- कलारी पयट्ट (कलारीपयट्टु) का अर्थ है 'युद्ध का मैदान' या 'व्यायामशाला' - (कलारी), 'विधि' या 'कला' - (पयट्ट), जिसे कलारी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक भारतीय मार्शल आर्ट है जिसकी उत्पत्ति तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी ई.पू. के दौरान केरल में हुई थी। अब यह केरल और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में प्रचलित है।
- इसे विश्व की सबसे प्राचीन और सर्वाधिक कुशल मार्शल आर्ट में से एक माना जाता है, जिसका इतिहास 3,000 वर्ष से भी अधिक पुराना है।
- कलारीपयट्टू, व्यक्तिगत युद्ध प्रशिक्षण की एक प्रणाली है, जिसमें निहत्थे युद्ध के लिये त्वरित सजगता विकसित करने तथा लाठी, खंजर, चाकू, भाले, तलवार, ढाल आदि जैसे विभिन्न हथियारों पर कुशल महारत हासिल करने के उद्देश्य से परिकल्पित अभ्यास शामिल हैं।
अभ्यास वायुशक्ति - 2024
- भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) 17 फरवरी, 2024 को जैसलमेर के निकट पोखरण के एयर-टू-ग्राउंड रेंज में अभ्यास वायु शक्ति-2024 (Vayu Shakti-24) का आयोजन करेगी।
- अभ्यास वायु शक्ति में भारतीय वायुसेना की दिन और रात के समय संचालित की जाने वाली आक्रामक एवं रक्षात्मक क्षमताओं का प्रदर्शन किया जाएगा।
- इस अभ्यास में भारतीय सेना (Indian Army) के साथ भी संयुक्त अभियानों का संचालन किया जाएगा।
- अभ्यास के दौरान लंबी दूरी व सटीक मारक क्षमता के साथ-साथ पारंपरिक हथियारों को सही ढंग से तथा समय पर पहुँचाने और शत्रु का विनाश करने के मामले में वायुसेना की क्षमता किया को प्रदर्शित किया जाएगा। भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान और हेलीकॉप्टर बेड़े द्वारा विशेष अभियान संचालित किया जाएगा, जिसमें गरुड़ तथा भारतीय सेना के अन्य विमान भी शामिल होंगे।
- इस वर्ष, अभ्यास में स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस, प्रचंड, ध्रुव, राफेल, मिराज-2000, सुखोई-30 MKI, जगुआर, हॉक, C-130J, चिनूक, अपाचे और Mi-17 सहित 121 विमान शामिल होंगे। स्वदेशी रूप से निर्मित सतह से हवा में मार करने वाली हथियार प्रणालियाँ आकाश और समर घुसपैठ करने वाले शत्रुओं के विमान को ट्रैक करने तथा उसे मार गिराने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करेंगे।
डस्टेड अपोलो तितली
- हाल ही में डस्टेड अपोलो (Parnassius stenosemus), को हिमाचल प्रदेश के चंबा में पहली बार देखा गया और उसकी तस्वीरें ली गईं।
- डस्टेड अपोलो तितली की खोज वर्ष 1890 में की गई थी और इसका वितरण क्षेत्र लद्दाख से पश्चिम नेपाल तक विस्तारित है। यह आंतरिक हिमालय में 3,500 से 4,800 मीटर के बीच उड़ान भरने में सक्षम होती है।
- यह स्वेलोटेल परिवार के स्नो अपोलो वर्ग (Parnassius) से संबंधित है।
- हालाँकि लद्दाख बैंडेड अपोलो (Parnnasius stoliczkanus) तथा डस्टेड अपोलो प्रजातियाँ समान हैं लेकिन लद्दाख बैंडेड अपोलो का डिस्कल बैंड केवल चार शिरों तक पहुँचता है, जबकि डस्टेड अपोलो का डिस्कल बैंड पूर्ण होता है साथ ही उसका ऊपरी अग्र पंख पर कोस्टा से शिराओं एक तक फैला हुआ होता है।
- हिंडविंग में डिस्कल बैंड होता है जो लगभग गोल होता है, और चमकीले लाल रंग के अर्धचंद्राकार धब्बों की सीमांत पंक्तियाँ होती हैं।
- इसमें एक अन्य दुर्लभ प्रजाति रीगल अपोलो (Parnnasius charltonius) भी शामिल है, जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची II के तहत संरक्षित है।
हम्बोल्ट का रहस्य क्या
है?
- हम्बोल्ट का रहस्य: अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट की टिप्पणियों से प्रेरित, यह पारंपरिक धारणा पर सवाल उठाता है कि उष्णकटिबंधीय क्षेत्र, जो पर्याप्त सूर्य के प्रकाश से प्रेरित हैं, पृथ्वी पर जैवविविधता के प्राथमिक केंद्र हैं।
- इसमें बताया गया है कि कम धूप प्राप्त करने और ठंडे तापमान को सहन करने के बावजूद, पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र असाधारण जैवविविधता का प्रदर्शन करके इस धारणा को खारिज करते हैं, जिससे पारंपरिक पारिस्थितिक सिद्धांतों को चुनौती मिलती है तथा इस विसंगति की जाँच को बढ़ावा मिलता है।
- हम्बोल्ट का अवलोकन: हम्बोल्ट ने सुझाव दिया कि एक ओर तापमान, ऊँचाई और आर्द्रता तथा दूसरी ओर प्रजातियों की घटना पैटर्न या उनकी जैवविविधता के बीच एक संबंध था।
- उनकी पसंद का उदाहरण इक्वाडोर में चिम्बोराजो पर्वत (Chimborazo Mountain) था, जो आज पर्वतीय विविधता का एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण बन गया है।
- पर्वतीय जैवविविधता में योगदान देने वाले कारक:
- विविध स्थलाकृति: पहाड़ बर्फ से ढकी चोटियों से लेकर आश्रय घाटियों तक सूक्ष्म जलवायु की एक मोज़ेक (Mosaic) प्रस्तुत करते हैं।
- यह विविधता विशिष्ट पारिस्थितिक स्थान बनाती है, जो प्रजातियों की एक विस्तृत शृंखला के लिये उपयुक्त है।
- अलगाव: पर्वत आकाश में पृथक "द्वीप" के रूप में कार्य करते हैं, अद्वितीय विकासवादी मार्गों और स्थानिक प्रजातियों को बढ़ावा देते हैं, जो कहीं और नहीं पाए जाते हैं।
- उदाहरण के लिये हवाई द्वीप पौधों और जानवरों की कई स्थानिक प्रजातियों का घर है, जो मुख्य भूमि से अलग-थलग विकसित हुए हैं।
- गतिशील परिदृश्य: भूस्खलन और हिमनदों के पीछे हटने जैसी भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएँ लगातार पहाड़ी परिदृश्यों को नया आकार देती हैं, जिससे नई प्रजातियों को उपनिवेश बनाने और विकसित होने के अवसर मिलते हैं।
- भारत के रहस्यमय पर्वत: भारत की विविध पर्वत शृंखलाएँ, जिनमें हिमालय विशेषकर पूर्वी हिमालय शामिल है, हम्बोल्ट की पहेली की जाँच के लिये आदर्श सेटिंग्स के रूप में काम करती हैं।
- विश्व वन्यजीव कोष के अनुसार, पूर्वी हिमालय में हजारों विभिन्न प्रजातियाँ हैं, जिनमें 10,000 से अधिक पौधे, पक्षियों की 900 प्रजातियाँ और स्तनधारियों की 300 प्रजातियाँ शामिल हैं। जिनमें से कई लुप्तप्राय या गंभीर रूप से संकटग्रस्त हैं।
- इसके घास के मैदान बंगाल बाघों, एशियाई हाथियों और एक सींग वाले गैंडे की सबसे घनी आबादी का घर हैं।
- इसके पहाड़ हिम तेंदुओं, लाल पांडा, टाकिन्स, हिमालयी काले भालू और सुनहरे लंगूरों को आश्रय प्रदान करते हैं तथा इसकी नदियों में दुनिया की सबसे दुर्लभ डॉल्फिन (गंगा) पाई जाती हैं।
लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न
- हाल ही में सरकार ने घोषणा की है कि वयोवृद्ध नेता श्री लाल कृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।
- उन्होंने वर्ष 2002 से वर्ष 2004 तक भारत के 7वें उप प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने गृह मंत्री, सूचना और प्रसारण मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
- 8 नवंबर 1927 को कराची (वर्तमान पाकिस्तान) में जन्मे, वह वर्ष 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हुए और वर्ष 1947 में विभाजन के दौरान सिंध से दिल्ली आ गए।
- वर्ष 1954 में स्थापित, भारत रत्न जाति, व्यवसाय, स्थिति या लिंग के भेदभाव के बिना, उच्चतम क्रम की असाधारण सेवा/प्रदर्शन की मान्यता में प्रदान किया जाता है।
व्योममित्र
- हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने घोषणा की कि महिला रोबोट अंतरिक्ष यात्री "व्योममित्र" (Vyommitra) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) के महत्त्वाकांक्षी "गगनयान" मिशन से पहले अंतरिक्ष में उड़ान भरेगी जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाने वाली भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान होगी।
- मानवरहित "व्योममित्र" मिशन इस वर्ष की तीसरी तिमाही के लिये निर्धारित है, जबकि मानवयुक्त मिशन "गगनयान" अगले वर्ष अर्थात् 2025 में प्रक्षेपित किया जाना है।
- "व्योममित्र" नाम संस्कृत के दो शब्दों "व्योम" (जिसका अर्थ है अंतरिक्ष) और "मित्र" से मिलकर बना है। यह महिला रोबोट अंतरिक्ष यात्री मॉड्यूल के मानकों की निगरानी करने, चेतावनी जारी करने और जीवन रक्षक कार्यों को निष्पादित करने की क्षमता से युक्त है।
- यह छह पैनलों को संचालित करने और प्रश्नों का उत्तर देने जैसे कार्य करने में सक्षम है।
- "व्योममित्र" को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि यह अंतरिक्ष के वातावरण में मानव कार्यों का अनुकरण कर सके और इसके लाइफ सपोर्ट सिस्टम के साथ सामंजस्य स्थापित कर सके।
- गगनयान परियोजना में अंतरिक्ष यात्रियों के एक दल को 400 किलोमीटर की कक्षा में भेज कर और पुनः उन्हें भारत के समुद्री जल में उतारकर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष क्षमताओं के प्रदर्शन की परिकल्पना की गई है।
भारत ऊर्जा सप्ताह 2024
- भारत के प्रधानमंत्री ने गोवा में भारत ऊर्जा सप्ताह (India Energy Week- IEW) 2024 तथा तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड सी सर्वाइवल सेंटर का उद्घाटन किया और विकसित भारत, विकसित गोवा 2047 कार्यक्रम में भाग लिया।
- भारत ऊर्जा सप्ताह 2024 का आयोजन 6 से 9 फरवरी तक गोवा में किया जा रहा है। यह देश की ऐसी एकमात्र ऊर्जा प्रदर्शनी और सम्मेलन है, जो संपूर्ण ऊर्जा मूल्य शृंखला को एक मंच प्रदान करती है तथा भारत के ऊर्जा पारगमन लक्ष्यों के लिये उत्प्रेरक के रूप में काम करेगी।
- IEW वर्ष 2024 में मुख्य रूप से ऊर्जा मूल्य शृंखला में स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने, बढ़ावा देने और उन्हें एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- IEW में विश्व के तीसरे सबसे बड़े ऊर्जा, तेल और तरल पेट्रोलियम गैस (LPG) उपभोक्ता के साथ-साथ चौथे सबसे बड़े तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) आयातक व रिफाइनर के रूप में भारत की स्थिति को प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया है।
- यह आयोजन सतत् ऊर्जा विकास में सहयोग और ज्ञान साझाकरण पर ध्यान देने के साथ, ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक सहयोग के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- ONGC सी सर्वाइवल सेंटर भारतीय समुद्री सर्वाइवल प्रशिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र को वैश्विक मानकों के अनुरूप आगे बढ़ाने के लिये एक एकीकृत समुद्री सर्वाइवल प्रशिक्षण केंद्र है।
- इसमें 10,000 से 15,000 कर्मियों को वार्षिक प्रशिक्षण दिया जा सकेगा। इससे खराब मौसम की स्थिति में नियंत्रित अभ्यास से प्रशिक्षुओं के समुद्री जीवन कौशल में वृद्धि होगी और संभावित आपदाओं से सुरक्षित रहने की संभावना बढ़ जाएगी।
ग्रैमी अवॉर्ड 2024
- तबला वादक ज़ाकिर हुसैन और गायक शंकर महादेवन के फ्यूज़न म्यूज़िक ग्रुप शक्ति ने "दिस मोमेंट" के लिये सर्वश्रेष्ठ ग्लोबल म्यूज़िक एल्बम का 66वाँ ग्रैमी अवार्ड (2024) जीता है।
- ‘शक्ति’ का तीसरा स्टूडियो एल्बम "दिस मोमेंट" 23 जून 2023 को इसी नाम से 46 वर्ष बाद पुनः रिलीज़ किया गया था।
ग्रैमी अवॉर्ड क्या है?
- ग्रैमी अवार्ड (मूल नाम ग्रामोफोन अवार्ड ) अमेरिका में नेशनल एकेडमी ऑफ रिकॉर्डिंग आर्ट्स एंड साइंसेज (NARAS) या लैटिन एकेडमी ऑफ रिकॉर्डिंग आर्ट्स एंड साइंसेज (LARAS केवल स्पेनिश/पुर्तगाली भाषाओं में रिकॉर्डिंग के लिये) द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किये जाने वाले पुरस्कारों की एक शृंखला है।
- संगीत संबंधी उपलब्धियों को मान्यता देने का यह वार्षिक आयोजन वर्ष 1958 के कलाकारों का सम्मान करने के लिये वर्ष 1959 में शुरू किया गया था और इससे सम्मानित होने वालों को ग्रामोफोन की एक स्वर्ण प्रतिमा प्राप्त होती है।
ग्रैमी अवार्ड 2024 में भारत का प्रदर्शन:
- शक्ति, में ज़ाकिर हुसैन, शंकर महादेवन, जॉन मैक्लॉघलिन, गणेश राजगोपालन और सेल्वगणेश विनायकराम शामिल हैं, जिन्होंने अपने एल्बम "दिस मोमेंट" के लिये 2024 ग्रैमी जीता।
- "अभूतपूर्व अंतरमहाद्वीपीय सहकार्य" के रूप में वर्णित ‘शक्ति’ पूर्वी और पश्चिमी दोनों परंपराओं के संगीतकारों को एकजुट करता है,जिसे अब ग्लोबल म्यूज़िक के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- ज़ाकिर हुसैन ने इस समारोह में दो और ग्रैमी हासिल करते हुए अतिरिक्त जीत हासिल की।
- पहला उन्होंने 'पश्तो' के साथ सर्वश्रेष्ठ ग्लोबल म्यूज़िक के लिये और दूसरा सर्वश्रेष्ठ समकालीन वाद्य एल्बम 'एज़ वी स्पीक' के लिये पुरस्कार जीता।
- एल्बम में भारतीय बांसुरी वादक राकेश चौरसिया भी हैं, जो प्रसिद्ध बांसुरीवादक हरिप्रसाद चौरसिया के भतीजे हैं।
कैमरून ने नागोया प्रोटोकॉल को अपनाया
- पौधों, जानवरों और सूक्ष्मजीवों की लगभग 11,000 प्रजातियों के साथ समृद्ध जैवविविधता का दावा करने वाले मध्य अफ्रीकी देश कैमरून ने हाल ही में जैवविविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCBD) के तहत एक समझौते, पहुँच और लाभ साझाकरण पर नागोया प्रोटोकॉल को अपनाया है।
- नागोया प्रोटोकॉल का उद्देश्य आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों के उचित और न्यायसंगत बंटवारे को बढ़ावा देना है।
- कैमरून को नागोया
प्रोटोकॉल अपनाने की क्या आवश्यकता थी?
पारंपरिक ज्ञान का
संरक्षण:
- दवाओं के निर्माण अथवा फसल उत्पादन के लिये विभिन्न प्रकार के पौधों, जानवरों और रोगाणुओं में पाए जाने वाले कई आनुवंशिक संसाधनों अथवा आनुवंशिक जानकारी को पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण माना जाता हैं। पारंपरिक ज्ञान से तात्पर्य उस समझ, आविष्कार तथा तरीकों से है जो स्वदेशी एवं स्थानीय समुदायों ने इन संसाधनों के संबंध में विकसित की है।
बायोपाइरेसी को रोकना और
संसाधनों को समान रूप से साझा करना:
- बायोप्रोस्पेक्टिंग (जैव-संभावना) हेतु दवाओं, भोजन या अन्य उत्पादों के नए स्रोतों के लिये जैविक सामग्री की खोज आनुवंशिक संसाधन तथा पारंपरिक ज्ञान दोनों के लिये लाभदायक हैं। जैवविविधता के सतत् उपयोग और संरक्षण को बायोप्रोस्पेक्टिंग द्वारा भी सहायता प्रदान की जा सकती है। उदाहरण के लिये:
- प्रूनस अफ्रीकाना, जो कि कैमरून का स्थानीय पौधा है, का उपयोग प्रोस्टेट कैंसर की दवाएँ बनाने के लिये किया जाता है, लेकिन विदेशी कंपनियाँ इसका एक किलोग्राम 2.11 अमेरिकी डॉलर में खरीदती हैं और इससे बनी दवाएँ 405 अमेरिकी डॉलर में बेचती हैं।
- कैमरून का बुश मैंगो औषधीय गुणों से भरपूर है। जिसकी पत्तियों, जड़ों एवं छाल का उपयोग दर्दनिवारक के रूप में किया जाता है। इस फल ने यूरोपीय फार्मास्युटिकल और कॉस्मेटिक कंपनियों का ध्यान आकर्षित किया है।
स्थानीय समुदायों को लाभ
पहुँचाना:
- जिन कस्बों में पौधे एकत्रित किये गए थे, उन्हें फर्मों के राजस्व से कुछ भी लाभ प्राप्त नहीं हुआ।
- नागोया प्रोटोकॉल को अपनाने से जैवविविधता पर आधारित नवाचार और विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्वदेशी तथा स्थानीय समुदायों के अधिकारों एवं हितों की रक्षा करने में सहायता प्राप्त होती है।
ग्रेप्स-3 एक्सपेरिमेंट
- टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थासन (Tata Institute of Fundamental Research- TIFR) द्वारा भारत के ऊटी में संचालित ग्रेप्स-3 (GRAPES-3) एक्सपेरिमेंट ने कॉस्मिक-रे प्रोटॉन स्पेक्ट्रम में एक नई विशेषता की खोज की है।
- इस विशेषता का अवलोकन 50 TeV से 1 पेटा-इलेक्ट्रॉन-वोल्ट (PeV) से कुछ अधिक तक विस्तार वाले स्पेक्ट्रम को मापते समय लगभग 166 टेरा-इलेक्ट्रॉन-वोल्ट (TeV) ऊर्जा पर किया गया।
- "GRAPES-3 एक्सपेरिमेंट ने 100 TeV से ऊपर लेकिन कॉस्मिक-रे प्रोटॉन "नी" के नीचे नई विशेषता की खोज की, जो सिंगल पावर-लॉ स्पेक्ट्रम से विचलन का संकेत देता है।"
- अवलोकित विशेषता कॉस्मिक-रे स्रोतों, त्वरण प्रक्रियाओं और आकाशगंगा के भीतर उनके प्रसार के बारे में हमारे ज्ञान के संभावित पुनर्मूल्यांकन का सुझाव देती है।
- सदियों पुरानी खोज के अनुसार, ब्रह्मांडीय/कॉस्मिक किरणें ब्रह्मांड का सबसे ऊर्जावान कण हैं, जो सभी दिशाओं से समान रूप से पृथ्वी पर बमबारी करते हैं, जिससे इलेक्ट्रॉन, फोटॉन, म्यूऑन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन आदि तेज़ी से गति करने वाले कणों की बौछार होती है।
- कॉस्मिक किरणें शक्ति के नियम के आधार पर तेज़ी से घटते प्रवाह के साथ एक व्यापक ऊर्जा सीमा (10^8 से 10^20 eV) प्रदर्शित करती हैं।
माँ कामाख्या दिव्य लोक परियोजना
- भारतीय प्रधानमंत्री ने माँ कामाख्या दिव्य लोक परियोजना की आधारशिला रखी।
- इस परियोजना को पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये प्रधानमंत्री की विकास पहल (Prime Minister’s Development Initiative for North Eastern Region: PM-DevINE) योजना के तहत स्वीकृति दी गई है।
- असम के गुवाहाटी में नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित कामाख्या मंदिर एक महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थल है।
- यह मंदिर माँ शक्ति के विभिन्न रूपों सुंदरी, त्रिपुरा, तारा, भुवनेश्वरी, बगलामुखी और छिन्नमस्ता को समर्पित है।
- अंबुबाची मेला इस मंदिर के प्रमुख उत्सवों में से एक है। यह त्यौहार देवी कामाख्या के वार्षिक मासिक धर्म के उपलक्ष्य में प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है।
एफिल टावर से हुआ UPI का लॉन्च
- हाल ही में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को औपचारिक रूप से पेरिस, फ्राँस में प्रतिष्ठित एफिल टॉवर में भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के समय लॉन्च किया गया था।
- यह आयोजन UPI के वैश्वीकरण और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- वर्ष 2016 में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली (National Payment Corporation of India- NPCI) द्वारा विकसित, UPI एक त्वरित भुगतान प्रणाली है जो कई बैंक खातों को एक ही मोबाइल एप्लीकेशन में एकीकृत करती है, जो विभिन्न बैंकिंग कार्यों, फंड ट्रांसफर और व्यापारी भुगतान को सरल बनाती है।
- NPCI की सहायक कंपनी, NPCI इंटरनेशनल पेमेंट्स और फ्राँस की लाइरा कलेक्ट (Lyra Collect) के बीच साझेदारी से फ्राँस तथा यूरोप में UPI शुरू करने के लिये एक समझौता हुआ है।
लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये पुरस्कार, 2023
- लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार, 2023 के लिये योजना तथा वेब-पोर्टल हाल ही में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (Department of Administrative Reforms & Public Grievances) द्वारा लॉन्च किया गया था।
- व्यक्तिगत लाभार्थियों को लक्षित करके तथा कार्यान्वयन में परिपूर्ण दृष्टिकोण को नियोजित करके ज़िला कलेक्टर के प्रदर्शन को उजागर करने के लिये पुरस्कार योजना को पुनर्गठित किया गया है।
- इसका उद्देश्य दो श्रेणियों के तहत सिविल सेवकों के योगदान को मान्यता देना है जिनमें 12 प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ज़िलों के समग्र विकास के लिये 10 पुरस्कार तथा केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों तथा विभिन्न राज्यों एवं ज़िलों में नवाचारों के लिये 6 पुरस्कार शामिल हैं।
- इस योजना का लक्ष्य रचनात्मक प्रतिस्पर्द्धा, नवाचार, प्रतिकृति तथा सर्वोत्तम प्रथाओं की स्थापना को बढ़ावा देना है।
- यह केवल मात्रात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने के बजाय सुशासन, गुणात्मक उपलब्धियों और अंतिम मील कनेक्टिविटी को बढ़ाने को के लिये प्राथमिकता देता है।
- भारत-म्याँमार मुक्त संचरण व्यवस्था समाप्त होने की संभावना
- भारत सरकार म्याँमार के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर मुक्त संचरण व्यवस्था (Free Movement Regime) को समाप्त करने और संपूर्ण क्षेत्र में एक व्यापक स्मार्ट बाड़ लगाने की व्यवस्था शुरू करने की योजना बना रही है।
- 2018 में लागू की गई मुक्त संचरण व्यवस्था (Free Movement Regime- FMR), भारत-म्याँमार सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोगों को बिना वीज़ा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किमी. तक जाने की अनुमति देती है।
- वे एक साल की वैधता वाला बॉर्डर पास दिखाकर सीमा पार कर सकते हैं और दो सप्ताह तक यहाँ रह सकते हैं।
- भारत और म्याँमार के बीच 1,643 किलोमीटर (मिज़ोरम 510 किलोमीटर, मणिपुर 398 किलोमीटर, अरुणाचल प्रदेश 520 किलोमीटर व नगालैंड 215 किलोमीटर) की सीमा है तथा दोनों तरफ के लोगों के बीच घनिष्ठ संबंध है।
उच्च न्यायालय की मंज़ूरी: यक्षगान मेला पूरी रात हेतु फिर से शुरू
- एक सदी से भी अधिक पुराना यक्षगान मेला, कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के पालन के अधीन अनुमति दिये जाने के बाद, दक्षिण कन्नड़ में कतील दुर्गापरमेश्वरी प्रसादिता यक्षगान मंडली 14 जनवरी, 2024 से पूरी रात का शो फिर से शुरू हो जाएगा।
- यक्षगान कर्नाटक का एक अनोखा नृत्य-नाट्य प्रदर्शन है। इसमें परंपरागत रूप से पुरुषों को सभी भूमिकाएँ निभाते हुए दिखाया गया है। लेकिन, महिलाएँ अब इन मंडलियों का हिस्सा हैं।
- मुख्य तत्त्वों में रामायण या महाभारत जैसे हिंदू महाकाव्यों की प्रासंगिक कहानियाँ शामिल हैं।
- चंदे, हारमोनियम, मैडेल, ताल और बाँसुरी जैसे संगीत वाद्ययंत्र इन प्रदर्शनों के साथ होते हैं।
- सालिग्राम मेला, धर्मस्थल मेला और मंदारथी मेला जैसे विभिन्न प्रसिद्ध मंडल पूरे वर्ष यक्षगान का प्रदर्शन करते हैं।
इंडियन ऑफ द ईयर अवार्ड, 2023
- हाल ही में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) 'उत्कृष्ट उपलब्धि' की श्रेणी में को वर्ष 2023 के लिये "इंडियन ऑफ द ईयर अवार्ड" प्रदान किया।
- इस पुरस्कार ने विशेष रूप से चंद्रमा के अज्ञात दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र पर चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सॉफ्ट लैंडिंग को उजागर करते हुए अंतरिक्ष अन्वेषण में ISRO के योगदान को मान्यता दी।
- इस कार्यक्रम में निजी अंतरिक्ष क्षेत्र की उल्लेखनीय वृद्धि पर भी प्रकाश डाला गया जिसमें 190 स्टार्टअप्सऐ द्वारा 1,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया गया है।
गंगीरेड्डू मेलम
- गंगीरेड्डू मेलम, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में संक्रांति फसल उत्सव से जुड़ा एक पारंपरिक लोक प्रदर्शन है।
- रंग-बिरंगे फूलों एवं परिधानों से सुसज्जित बैल नृत्य का केंद्रीय विषय है। प्रदर्शन में स्थानीय लोककथाओं के साथ कहानी कहने के तत्त्वों को भी शामिल किया जाता है, जो क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करते हैं।
- फसल उत्सव 'संक्रांति' आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भोगी, संक्रांति तथा कनुमा के रूप में तीन दिनों तक मनाया जाता है।
- संक्रांति, सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के पहले दिन को दर्शाती है, जो शीत अयनांत की समाप्ति एवं लंबे दिनों की शुरुआत का प्रतीक है।
- संक्रांति देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग नामों से मनाई जाती है:
स्पेसटाइम: ब्रह्मांड की ज्यामिति
- स्पेसटाइम एक गणितीय मॉडल है जो अंतरिक्ष के तीन आयामों और समय के आयामों को एक इकाई में जोड़ता है।
- ब्रह्मांड की ज्यामिति के कारण सबसे बड़े पैमाने पर ब्रह्मांड मानव अनुभव के पैमाने से भिन्न दिखता था।
- मानव पैमाने पर, अंतरिक्ष-समय सपाट प्रतीत होता है, लेज़र से प्रकाश की किरण एक सीधी रेखा में यात्रा करेगी।
- लेकिन सबसे बड़े पैमाने पर, हमारा स्पेसटाइम वास्तव में एक गोलाकार स्थान घेर सकता है।
- यदि आप अपने सामने एक शक्तिशाली लेज़र चमकाते हैं और अविश्वसनीय रूप से लंबे समय तक प्रतीक्षा करते हैं, तो लेज़र से प्रकाश तकनीकी रूप से आपके पास वापस आ सकता है।
- अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के विशेष सिद्धांत में कहा गया है कि यदि दो पर्यवेक्षक A और B हैं, प्रत्येक के पास एक घड़ी है, जैसे कि A, B की तुलना में तेज़ी से चल रहा है (लेकिन तेज़ नहीं हो रहा है), तो A की घड़ी B की घड़ी की तुलना में कम समय मापेगी।
वडनगर: भारत का प्राचीनतम जीवंत शहर
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (खड़गपुर) तथा भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI) के एक संयुक्त अध्ययन किया जिसके अनुसार हड़प्पा के पतन के बाद भी गुजरात स्थित वडनगर में सांस्कृतिक निरंतरता के पुरातात्त्विक प्रमाण प्राप्त हुए हैं।
- यह अध्ययन हड़प्पा सभ्यता के पतन के बाद भी वडनगर में सांस्कृतिक निरंतरता का पुरातात्त्विक प्रमाण प्रदान करके "अंधकार युग" की धारणा को चुनौती देता है।
वडनगर में उत्खनन से
संबंधित मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
बस्ती की समयावधि:
अध्ययन से वडनगर में 800 ईसा पूर्व
प्राचीन मानव बस्ती के साक्ष्य का पता चलता है।
जिसके परिणामस्वरूप इसे
उत्तर-वैदिक/पूर्व-बौद्ध महाजनपद अथवा कुलीन गणराज्य काल के समय का माना जा रहा
है।
जलवायु प्रभाव:
3,000 वर्ष की अवधि में विभिन्न राज्यों के उत्थान तथा पतन के
साथ-साथ मध्य एशियाई कारकों द्वारा निरंतर आक्रमण किये गए जिसका कारक जलवायु में
हुए गंभीर परिवर्तनों, जैसे वर्षा अथवा
सूखे की स्थिति में परिवर्तन को माना जाता है।
बहुसांस्कृतिक एवं
बहुधार्मिक बस्ती:
वडनगर को एक
बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक बस्ती के रूप में वर्णित किया गया है जिसमें बौद्ध, हिंदू, जैन तथा इस्लामी
प्रभाव शामिल हैं।
उत्खनन से सात सांस्कृतिक
चरणों (अवधि) का पता चला,
जिनमें मौर्य, इंडो-ग्रीक, इंडो-सीथियन, हिंदू-सोलंकी, सल्तनत-मुगल एवं
गायकवाड़-ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन शामिल हैं, जो आज तक विद्यमान हैं।
पुरातात्त्विक
कलाकृतियाँ:
खुदाई के दौरान विभिन्न
पुरातात्त्विक कलाकृतियों की खोज की गई, जिनमें मिट्टी के बर्तन, ताँबा, सोना, चाँदी और लोहे की वस्तुएँ शामिल थीं।
निष्कर्षों में इंडो-ग्रीक
शासन काल की जटिल रूप से डिज़ाइन की गई चूड़ियाँ तथा सिक्कों के साँचे भी शामिल
हैं।
बौद्ध विहार:
महत्त्वपूर्ण खोजों में
से एक वडनगर में सबसे पुराने बौद्ध मठों में से एक की उपस्थिति है, जो इस बस्ती की
ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ाती है।
रेडियोकार्बन तिथियाँ:
अप्रकाशित रेडियोकार्बन
तिथियों से पता चलता है कि यह बस्ती 1400 ईसा पूर्व की हो सकती है, जो अंधयुग की धारणा को चुनौती देती है।
"अंधयुग" सिंधु घाटी सभ्यता के पतन और
भारतीय इतिहास में लौह युग एवं गांधार, कोशल तथा अवंती जैसे शहरों के उद्भव के बीच की अवधि को
संदर्भित करता है।
यदि यह सच है, तो इसका तात्पर्य
भारत में पिछले 5500 वर्षों से
सांस्कृतिक निरंतरता है।
भारतीय पुरातत्त्व
सर्वेक्षण (ASI):
भारतीय पुरातत्त्व
सर्वेक्षण (ASI) संस्कृति
मंत्रालय के तहत देश की सांस्कृतिक विरासत के पुरातात्त्विक अनुसंधान और संरक्षण
के लिये प्रमुख संगठन है।
इसके कार्यों में
पुरातात्त्विक अवशेषों का सर्वेक्षण, पुरातात्त्विक स्थलों की खोज एवं उत्खनन, संरक्षित
स्मारकों का संरक्षण और रखरखाव करना आदि शामिल हैं।
यह 3650 से अधिक प्राचीन
स्मारकों, पुरातात्त्विक
स्थलों और राष्ट्रीय महत्त्व के अवशेषों का प्रबंधन करता है।
इसके अलावा यह प्राचीन
स्मारक एवं पुरातत्त्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार देश में सभी
पुरातात्त्विक गतिविधियों को विनियमित करता है। यह पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972 को भी नियंत्रित
करता है।
इसकी स्थापना वर्ष 1861 में ASI के पहले
महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी। अलेक्जेंडर कनिंघम को "भारतीय
पुरातत्त्व के जनक" के रूप में भी जाना जाता है।
DRDO ने लॉन्च की स्वदेशी असॉल्ट राइफल 'उग्रम'
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) ने 'उग्रम' (Ugram) नाम से एक स्वदेशी असॉल्ट राइफल लॉन्च की है, जिसका उद्देश्य सशस्त्र बलों, अर्द्धसैनिक तथा राज्य पुलिस इकाइयों की परिचालन आवश्यकताओं को पूर्ण करना है।
- इसे DRDO की इकाई आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) तथा हैदराबाद स्थित निजी फर्म द्विपा आर्मर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है।
- उग्रम का उद्देश्य वर्तमान में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा उपयोग की जाने वाली पुरानी INSAS राइफल को प्रतिस्थापित करना है।
- इसे सेना की जनरल स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट्स (GSQR) को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है।
- GQSR पूंजी खरीद की प्रारंभिक प्रक्रियाओं में से एक है। यह उपकरण की आवश्यकता, इसके भौतिक तथा परिचालन विवरण और साथ ही रखरखाव एवं गुणवत्ता की आवश्यकताओं का वर्णन भी करता है।
विशेषताएँ:
- 7.62 x 51 मिमी. कैलिबर की इस राइफल को एक निजी उद्योग भागीदार के सहयोग से डिज़ाइन, विकसित तथा निर्मित किया गया है।
- इसकी प्रभावी रेंज 500 मीटर है और इसका भार चार किलोग्राम से भी कम है।
अभ्यास-अयुत्थाया और इंडो-थाई कॉर्पेट का 36वां संस्करण
- भारतीय नौसेना और रॉयल थाई नौसेना (Royal Thai Navy - RTN) ने 'अभ्यास-अयुत्थाया (Ex-Ayutthaya)' नामक पहला द्विपक्षीय अभ्यास आयोजित किया और द्विपक्षीय अभ्यास के साथ भारत-थाईलैंड समन्वित गश्ती दल (Indo-Thai CORPAT) का 36वाँ संस्करण भी आयोजित किया गया।
- ‘अभ्यास-अयुत्थाया' का अनुवाद 'अजेय वन' या 'अपराजेय' है, और यह दो सबसे पुराने शहरों, भारत में अयोध्या व थाईलैंड में अयुत्या, ऐतिहासिक विरासतों, समृद्ध सांस्कृतिक संबंधों एवं कई सदियों तक साझा ऐतिहासिक कथाओं के महत्त्व का प्रतीक है।
- इस अभ्यास के उद्घाटन संस्करण में स्वदेश निर्मित भारतीय नौसेना के जहाज़ कुलिश और INLCU 56 ने भाग लिया। RTN पक्ष का प्रतिनिधित्त्व हिज़ थाई मेजेस्टीज़ शिप (HTMS) प्रचुआप खिरी खान ने किया।
- अभ्यास के समुद्री चरण में दोनों नौसेनाओं के समुद्री गश्ती विमानों ने भाग लिया.
राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस
2024
- भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम की सराहना करने और उसे बढ़ावा देने के लिये प्रत्येक वर्ष 16 जनवरी को राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस मनाया जाता है।
- स्टार्टअप इंडिया पहल 16 जनवरी, 2016 को नवाचार को बढ़ावा देने, स्टार्टअप का समर्थन करने और निवेश को प्रोत्साहित करने के दृष्टिकोण से शुरू की गई थी।
- वर्ष 2024 में आठवीं वर्षगाँठ महत्त्वपूर्ण वृद्धि का प्रतीक है, जिसमें यह कार्यक्रम वर्ष 2016 में 400 स्टार्टअप से बढ़कर 1.18 लाख से अधिक स्टार्टअप तक पहुँच गया है।
- मान्यता प्राप्त संस्थाएँ विभिन्न सरकारी लाभ उठाती हैं, जैसे अनुपालन स्व-प्रमाणन, पेटेंट आवेदन सहायता तथा करों में छूट ।
- विशेष रूप से, SIDBI फंड ऑफ फंड्स योजना ने वित्तीय सहायता पर ज़ोर देते हुए 2,977 आयकर छूट दी है और 3,658 स्टार्टअप को वित्त पोषित किया है।
- स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम में सीड फंड योजना और क्रेडिट गारंटी योजना जैसी पहल शामिल हैं, जो स्टार्टअप को और सहायता प्रदान करती हैं।
सोलिगा और येरावा जनजातियों की चारागाह परंपराएँ
- कर्नाटक में सोलिगा जनजाति, कावेरी बेसिन का हिस्सा, लताओं और बाँस की रस्सियों के साथ पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके प्राचीन शहद संग्रह का अभ्यास करती है।
- वे, पश्चिमी घाट में येरवा के साथ, हज़ारों वर्षों से इस क्षेत्र में रह रहे हैं, अपने आहार में पश्चिमी घाट के शहद पर काफी निर्भर हैं।
- पुस्तक "फॉरगॉटन ट्रेल्स: फोर्जिंग वाइल्ड एडिबल्स" यह बताती है कि कैसे पारंपरिक फोर्जिंग ज्ञान को संरक्षित करने के महत्त्व पर ज़ोर देते हुए, दोनों जनजातियों के आहार में फोर्ज किये गए खाद्य पदार्थ एक बड़ा हिस्सा बनते हैं।
- फोर्जिंग न केवल अस्तित्व सुनिश्चित करता है बल्कि सामुदायिक बंधनों को भी मज़बूत करता है, युवा पीढ़ी को आवश्यक कौशल प्रदान करता है और एकता तथा सह-अस्तित्व को बढ़ावा देता है।
ट्यूबलेस पहेली
- ट्यूबलेस टायर वे टायर होते हैं जिनमें भीतरी ट्यूब नहीं होती तथा वायु टायर के भीतर ही रुक जाती है। ट्यूबलेस टायर ट्यूब वाले टायर जैसा प्रतीत होता है।
- पारंपरिक ट्यूब वाले टायरों की तुलना में ट्यूबलेस टायरों के विभिन्न लाभ हैं जिनमें सुरक्षित हैंडलिंग, कम डाउनटाइम तथा अधिक आरामदायक गति शामिल हैं।
- रिम्स में जंग लगना तथा मरम्मत के लिये विशेष उपकरणों की आवश्यकता के कारण ये भारत में इनकी लोकप्रियता नहीं हैं।
- रिम्स में जंग लगने से वायु का रिसाव होता है तथा ट्यूबलेस टायरों की सीलिंग कम हो जाती है। ट्यूबलेस टायरों को फिट करने तथा हटाने के लिये विशेष उपकरण और दाब की आवश्यकता होती है जो सड़क किनारे स्थित दुकानों में उपलब्ध नहीं होते हैं
कर्नाटक के पश्चिमी घाट में आक्रामक प्रजातियाँ और खाद्य संकट
- आक्रामक प्रजाति एक गैर-स्थानीय प्रजाति को संदर्भित करती है, जो जब एक नए वातावरण में पेश की जाती है, तो आक्रामक विकास प्रदर्शित करती है और तेज़ी से फैलती है तथा प्रायः मूल पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाती है।
- लैंटाना, प्रोसोपिस और क्रोमोलाएना जैसे आक्रामक पौधों ने शाकाहारी जीवों के लिये भोजन तथा आवास की उपलब्धता को कम कर दिया है, जो बदले में कर्नाटक के पश्चिमी घाट में उन पर निर्भर मांसाहारी जीव-जंतुओं को प्रभावित करता है।
- आक्रामक पौधे मूल वनस्पतियों के अस्तित्व को समाप्त कर सकते हैं और उन्हें विस्थापित कर सकते हैं, पारिस्थितिक संतुलन एवं जीव-जंतुओं की संचरण तथा प्रवासन को बाधित कर सकते हैं।
- नागरहोल, अंशी राष्ट्रीय उद्यान, कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान और भीमगढ़ वन्यजीव अभयारण्य सहित कई वर्षावन परिसर आक्रामक प्रजातियों से पीड़ित हैं।
तिरुवल्लुवर दिवस
- साहित्य में तमिल संत तिरुवल्लुवर के योगदान को याद करने के लिये पोंगल के हिस्से के रूप में 16 जनवरी को तिरुवल्लुवर दिवस मनाया जाता था।
- माना जाता है कि संत तिरुवल्लुवर, जिन्हें वल्लुवर के नाम से भी जाना जाता है, मायलापुर (अब चेन्नई, तमिलनाडु का हिस्सा) में रहते थे। कहा जाता है कि वह पेशे से बुनकर और धर्म से जैन थे।
- उन्हें नैतिकता पर दोहों के संग्रह तिरुक्कुरल के लेखक के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है कि वह पेशे से बुनकर और धर्म से जैन थे।
रोडोडेंड्रोन (Rhododendron)
- रोडोडेंड्रन, वृहत् काष्ठ पौधों की एक बड़ी प्रजाति है जिसमें लगभग 1,000 प्रजातियाँ शामिल हैं। इन पौधों की विशेषता उनके आकर्षक फूल हैं जो विभिन्न रंगों, जैसे- सफेद, गुलाबी, लाल, नारंगी और बैंगनी में खिलते हैं।
- भारतीय हिमालय क्षेत्र में रोडोडेंड्रन की कुल 87 प्रजातियाँ, 12 उप-प्रजातियाँ और 8 किस्में दर्ज की गई हैं।
- रोडोडेंड्रन आर्बोरियम (Rhododendron arboreum) नगालैंड का राजकीय पुष्प है। राज्य में पारंपरिक मान्यता यह है कि रोडोडेंड्रन की पंखुड़ियाँ खाने से किसी के गले में फँसी मछली की हड्डियाँ निकालने में मदद मिलती है।
- हालाँकि वृहत् स्तर पर निर्वनीकरण, प्राकृतिक आवास का विनाश और कीट-प्रजातियों पर आए संकट ने कई प्रजातियों को सुभेद्य स्थिति में ला दिया है
अनुभव पुरस्कार योजना 2024
- भारत सरकार ने अनुभव (ANUBHAV) पुरस्कार योजना 2024 अधिसूचित की है। इस योजना में भाग लेने के लिये केंद्र सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारियों/पेंशनभोगियों को सेवानिवृत्ति से 8 महीने पूर्व और सेवानिवृत्ति के 1 वर्ष बाद तक अपना अनुभव लेख प्रस्तुत करना आवश्यक है।
- प्रकाशित लेखों को अनुभव पुरस्कार और ज्यूररी प्रमाण-पत्र के लिये चुना जाएगा।
- पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने वर्ष 2015 में अनुभव पोर्टल लॉन्च किया, जिससे केंद्र सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अपने अनुभव ऑनलाइन साझा करने में सहायता मिली।
जल्लीकट्टू
- हाल ही में तमिलनाडु के मदुरै ज़िले में अलंगनल्लूर जल्लीकट्टू खेल का उद्घाटन किया गया।
- जल्लीकट्टू सांड को वश में करने का एक खेल है जिसमें प्रतियोगी पुरस्कार प्राप्त करने के लिये सांड को वश में करने का प्रयास करते हैं, यदि वे असफल होते हैं तो सांड का मालिक पुरस्कार जीतता है।
- यह पोंगल (फसल) त्योहार के एक भाग के रूप में मनाया जाता है और तमिलनाडु के मदुरै, तिरुचिरापल्ली, थेनी, पुदुक्कोट्टई और डिंडीगुल ज़िलों में प्रमुख रूप से मनाया जाता है, जिन्हें जल्लीकट्टू बेल्ट के रूप में जाना जाता है।
- मई 2023 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने जल्लीकट्टू की वैधता को बरकरार रखा।
लिथियम ब्लॉक के लिये भारत-अर्जेंटीना समझौता
- हाल ही में भारत ने खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) के माध्यम से अर्जेंटीना में पाँच लिथियम ब्राइन ब्लॉकों की खोज एवं विकास के लिये अर्जेंटीना के स्वामित्त्व वाली CAMYEN के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
- इस समझौता से KABIL को इन ब्लाॅकों मूल्यांकन, अन्वेषण करने में मदद मिलेगी। साथ ही, लिथियम खनिजों की खोज किये जाने के बाद इनके वाणिज्यिक उत्पादन के लिये दोहन संबंधी अधिकार भी प्रदान किये गए हैं।
- यह भारत में किसी सरकारी कंपनी द्वारा शुरू की गई पहली लिथियम अन्वेषण और खनन परियोजना है।
- लिथियम को 'वाइट गोल्ड’' भी कहा जाता है, यह देश के हरित ऊर्जा विकल्पों की ओर संक्रमण का आधार हो सकता है।
- इसका उपयोग ऊर्जा भंडारण, मोबाइल फोन की बैटरी और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) जैसे विभिन्न श्रेणियों में किया जाता है।
- चिली, बोलीविया और अर्जेंटीना विश्व के "लिथियम त्रिकोण" का हिस्सा हैं।
- तीनों देशों के पास पूरे विश्व के कुल लिथियम संसाधनों का आधे से अधिक हिस्सा है।
- अर्जेंटीना के पास विश्व का दूसरा सबसे बड़ा लिथियम संसाधन संपन्न होने, तीसरा सबसे बड़ा लिथियम भंडार धारक होने तथा चौथा सबसे बड़ा लिथियम उत्पादक होने का गौरव प्राप्त है।
- ऑपरेशन सर्वशक्ति: जम्मू-कश्मीर में गहन आतंकवाद-रोधी अभियान
- भारतीय सेना ने हाल ही में एक रणनीतिक पहल के तौर पर ऑपरेशन सर्वशक्ति की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य जम्मू और कश्मीर के राजौरी एवं पुंछ क्षेत्रों में भारतीय सैनिकों पर किये गए हमलों के लिये ज़िम्मेदार आतंकवादियों को मार गिराना है।
- इस पहल के तहत श्रीनगर में चिनार कोर और नगरोटा में व्हाइट नाइट कोर एक साथ ऑपरेशन करेंगे।
- यह ऑपरेशन वर्ष 2003 में पीर पंजाल रेंज के दक्षिण में आतंकवादियों के खिलाफ शुरू किये गए ऑपरेशन सर्पविनाश के समान ही है, यह ऑपरेशन तीन माह तक चला था जिसमें लगभग 100 आतंकवादियों को मार गिराया गया था।
भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री
- भारत सरकार ने सभी विद्यालयों तथा उच्च शिक्षण नियामकों और शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुखों को अगले तीन वर्षों के भीतर भारतीय भाषाओं में प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिये अध्ययन सामग्री डिजिटल रूप में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
- विद्यालय और उच्च शिक्षा के अंतर्गत सभी पाठ्यक्रमों के लिये अध्ययन सामग्री संविधान की 8वीं अनुसूची में सम्मिलित भारतीय भाषाओं में डिजिटल रूप से उपलब्ध कराई जाएगी।
- यह निर्णय हर स्तर पर शिक्षा में बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy- NEP), 2020 की सिफारिशों के अनुरूप है।
- स्थानीय भाषाओं में सामग्री निर्माण से इस बहुभाषी संपत्ति को प्रोत्साहन मिलेगा तथा वर्ष 2047 तक हमारे देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिये 'विकसित भारत' में इसके बेहतर योगदान का मार्ग प्रशस्त होगा।
- सरकार विगत दो वर्षों से इस दिशा में कार्य कर रही है जिसमें अनुवादिनी कृत्रिम बुद्धिमत्ता-आधारित एप के माध्यम से विभिन्न शैक्षणिक सामग्रियों का अनुवाद किया जा रहा है।
- स्कूली शिक्षा इकोसिस्टम में भी दीक्षा (DIKSHA) पर 30 से अधिक भाषाओं सहित कई भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री उपलब्ध है।
- JEE, NEET और CUET जैसी प्रतियोगी परीक्षाएँ 13 भारतीय भाषाओं में आयोजित की जा रही हैं।
वेमना जयंती
- भारतीय प्रधानमंत्री ने 19 जनवरी, 2024 को वेमना जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
- महायोगी वेमना, जिन्हें योगी वेमना के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय दार्शनिक और तेलुगू भाषा के कवि थे।
- उनकी कविताएँ सरल भाषा और देशी मुहावरों के उपयोग के लिये जानी जाती हैं।
- इन कविताओं में योग, ज्ञान और नैतिकता के विषय पर चर्चा की गई है।
- उनकी कई कविताएँ विश्वदाभि राम विनुरा वेमा की हस्ताक्षर पंक्ति के साथ समाप्त होती हैं।
भारत-मिस्र संयुक्त विशेष बल अभ्यास साइक्लोन
- भारतीय सेना की टुकड़ी भारत-मिस्र संयुक्त विशेष बल अभ्यास साइक्लोन (CYCLONE) के दूसरे संस्करण में भाग ले रही है।
- यह अभ्यास मिस्र के अंशास में आयोजित किया जा रहा है। अभ्यास का पहला संस्करण वर्ष 2023 में भारत में आयोजित किया गया था।
- इस युद्धाभ्यास में, भारतीय दल का प्रतिनिधित्व पैराशूट रेजिमेंट (विशेष बल) के सैनिकों द्वारा किया जा रहा है और 25 कर्मियों वाले मिस्र के दल का प्रतिनिधित्व मिस्र के कमांडो स्क्वाड्रन तथा मिस्र के एयरबोर्न प्लाटून द्वारा किया जा रहा है।
- युद्धाभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अध्याय VII के तहत रेगिस्तानी/अर्द्ध रेगिस्तानी इलाकों में विशेष अभियानों की पृष्ठभूमि में दोनों पक्षों को एक-दूसरे की संचालन प्रक्रियाओं से परिचित कराना है।
भारत-किर्गिज़स्तान संयुक्त विशेष बल अभ्यास खंजर
- भारत-किर्गिस्तान का 11वाँ संयुक्त विशेष बल अभ्यास खंजर हिमाचल प्रदेश के बकलोह स्थित विशेष बल प्रशिक्षण स्कूल में प्रारंभ हो गया है।
- यह अभ्यास 22 जनवरी से 3 फरवरी 2024 तक आयोजित किया जाना है।
- 20 कर्मियों वाले भारतीय सेना के दल का प्रतिनिधित्व पैराशूट रेजिमेंट (विशेष बल) के सैनिकों द्वारा किया जा रहा है और किर्गिज़स्तान दल में 20 कर्मियों का प्रतिनिधित्व स्कॉर्पियन ब्रिगेड द्वारा किया जाता है।
- इस अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय-VII के अंतर्गत निर्मित क्षेत्र तथा पर्वतीय इलाकों में आतंकवाद विरोधी और विशेष बलों के संचालन में अनुभवों एवं श्रेष्ठ व्यवहारों का आदान-प्रदान करना है।
- यह अभ्यास अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद तथा चरमपंथ की साझी समस्याओं का समाधान करते हुए दोनों पक्षों को रक्षा संबंधों को मज़बूत बनाने का अवसर प्रदान करेगा।
रोहन बोपन्ना: पुरुष युगल में विश्व के सबसे उम्रदराज़ नंबर 1 खिलाड़ी
- रोहन बोपन्ना पुरुष युगल में विश्व नंबर 1 रैंकिंग हासिल करने वाले सबसे उम्रदराज़ टेनिस खिलाड़ी (43 वर्ष की उम्र में) बनने से एक कदम दूर हैं। वह अपने साथी मैथ्यू एबडेन के साथ ऑस्ट्रेलियन ओपन के सेमीफाइनल में पहुँचे।
- बोपन्ना और एबडेन ने क्वार्टर फाइनल में छठी वरीयता प्राप्त अर्जेंटीना की मैक्सिमो गोंजालेज तथा आंद्रेस मोल्टेनी की जोड़ी को हराया।
- बोपन्ना विश्व नंबर 1 रैंकिंग हासिल करने वाले सबसे उम्रदराज़ खिलाड़ी बनकर यू.एस.ए. के राजीव राम द्वारा स्थापित रिकॉर्ड को तोड़ने से एक कदम दूर हैं।
- बोपन्ना लिएंडर पेस, महेश भूपति और सानिया मिर्ज़ा की तरह ही विश्व युगल रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल करने वाले चौथे भारतीय हैं।
- वह मास्टर्स 1000 इवेंट में पुरुष युगल खिताब जीतने वाले सबसे उम्रदराज़ खिलाड़ी भी हैं, उन्होंने 43 साल की उम्र में इंडियन वेल्स टूर्नामेंट में एबडेन के साथ यह उपलब्धि हासिल की।
प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना
- हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने 'प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना' शुरू की, जो एक नवाचारी सरकारी पहल है जिसका उद्देश्य देश में एक करोड़ घरों की छत पर सौर ऊर्जा प्रणाली या रूफटॉप सोलर पैनल स्थापित करना है।
रूफटॉप सोलर पैनल क्या है?
परिचय: रूफटॉप सोलर एक
फोटोवोल्टिक प्रणाली है जिसमें विद्युत उत्पादन करने वाले सौर पैनल आवासीय या
व्यावसायिक भवन या संरचना की छत पर लगे होते हैं।
लाभ: यह ग्रिड से जुड़ी
विद्युत की खपत को कम करता है और उपभोक्ता के लिये विद्युत की लागत बचाता है।
रूफटॉप सोलर प्लांट से
उत्पन्न अधिशेष सौर ऊर्जा इकाइयों को मीटरिंग प्रावधानों के अनुसार ग्रिड में
निर्यात किया जा सकता है।
उपभोक्ता प्रचलित नियमों
के अनुसार अधिशेष निर्यातित विद्युत के लिये मौद्रिक लाभ प्राप्त कर सकता है।
संबंधित सरकारी पहल:
सरकार ने वर्ष 2014 में रूफटॉप सोलर
प्रोग्राम लॉन्च किया, जिसका लक्ष्य
वर्ष 2022 तक 40,000 मेगावाट (MW) या 40 गीगावाट (GW) की संचयी
संस्थापित क्षमता हासिल करना था।
हालाँकि यह लक्ष्य हासिल
नहीं किया जा सका। परिणामस्वरूप, सरकार ने समय-सीमा वर्ष 2022 से बढ़ाकर वर्ष 2026 कर दी।
कुछ रिपोर्टों के अनुसार, प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना 40 गीगावॉट रूफटॉप सोलर क्षमता के लक्ष्य तक पहुँचने में मदद करने का एक बड़ा प्रयास है।
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