उत्सर्जी पदार्थ एवं उत्सर्जन |Eexcretion and excretory substances
उत्सर्जी पदार्थ एवं उत्सर्जन
उत्सर्जी पदार्थ एवं उत्सर्जन (excretion and excretory substances)
- शरीर की कोशिकाओं में, उपापचय (metabolism) के फलस्वरूप, कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), अमोनिया (NH3), जल (H2O), यूरिया, यूरिक अम्ल, लवण, रंगाई, आदि कई ऐसे अपशिष्ट पदार्थ बनते रहते हैं, जो शरीर के लिए अनावश्यक होने के साथ-साथ हानिकारक भी होते हैं। अतः कोशिकाएँ इन्हें निरन्तर बाह्य कोशिकीय द्रव्य में विसर्जित करती रहती हैं। फिर इन अपशिष्ट पदार्थों को शरीर के बाहरी वातावरण में विसर्जित कर दिया जाता है। इनमें से CO₂ का विसर्जन मुख्यतया श्वसन-क्रिया के अन्तर्गत, गैसीय विनिमय (gaseous exchange) में हो जाता है। शेष अपशिष्ट पदार्थों में मुख्यतया प्रोटीन-विघटन से व्युत्पन्न पदार्थ होते हैं। ये पदार्थ उत्सर्जी पदार्थ (excretory substances) कहलाते हैं। वातावरण में अपशिष्ट पदार्थों के विसर्जन को उत्सर्जन (excretion) कहते हैं। उत्सर्जी पदार्थों का विसर्जन जल में घुली अवस्था में होता है, इसलिए जल सन्तुलन अर्थात् परासरण-नियन्त्रण (osmoregulation) भी उत्सर्जन का एक महत्त्वपूर्ण पहलू होता है।
उत्सर्जी पदार्थों के प्रकार Types of Excretory Products
- विभिन्न प्रकार के जन्तु, अपने आवास, उपापचय, आदि के आधार पर विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन करते हैं। अमीनो अम्ल, यूरिया, अमोनिया, ग्वानीन, यूरिक अम्ल, आदि प्रोटीन उपापचय के फलस्वरूप बनने वाले अपशिष्ट उत्पाद है। कुछ जन्तु दो तरह के उत्सर्जी पदार्थों का उत्सर्जन करते हैं। उदाहरण केंचुआ, जीनोपस (xenopus), प्रोटीयस (Proteus), मगरमच्छ, आदि। इन जन्तुओं में इनके आस-पास जल की उपलब्धता के आधार पर अमोनो अम्ल उत्सजर्जी (ammonotelic) और यूरिया उत्सर्जी (ureotelic) उत्सर्जन पाया जाता है।
विभिन्न प्रकार के जन्तु, अलग-अलग प्रकार के उत्सर्जी उत्पादों का उत्सर्जन करते हैं, जो निम्न प्रकार से हैं -
प्रोटीन विघटन के उत्सर्जी पदार्थ Excretory Product of Protein Breakdown
अमोनिया Ammonia (NH3)
- अमोनिया अत्यन्त विषैली और जल में घुलनशील होती है। अधिकांश जलीय जन्तु, जल की काफी मात्रा के साथ, अमोनिया का शीघ्रतापूर्वक उत्सर्जन करते रहते हैं। ऐसे उत्सर्जन को अमोनिया उत्सर्जन (ammonotelism) कहते हैं।
- उदाहरण प्रोटोजोआ, पोरीफेरा, निडेरिया, पोलीकीटा (Polychaeta) वर्ग के एनीलिड्स (annelids), अनेक मोलस्का, जलीय आथ्रोपोडा, अस्थिल एवं अलवणीय (freshwater), मछलियों, कछुओं, उभयचरों के भेक शिशुओं (amphibian tadpoles), आदि में ऐसा ही उत्सर्जन होता है।
यूरिया Urea [CO(NH2)2]
- यूरिया, अमोनिया को भाँति, जल में घुलनशील, परन्तु अमोनिया की अपेक्षा बहुत ही कम विषैला होता है। ऐसे स्थलीय जन्तु (वयस्क उभयचर और सभी स्तनी), जो जल का अधिक व्यय नहीं कर सकते, अमोनिया से यूरिया बनाकर इसका उत्सर्जन करते हैं। ऐसे उत्सर्जन को यूरिया उत्सर्जी (ureotelism) कहते हैं।
- उदाहरण वयस्क उभयचर, स्तनी, समुद्री अस्थिल मछलियाँ (elasmobranch fishes), आदि।
अमीनो अम्ल Amino Acid
- प्रोटीन के पाचन के फलस्वरुप अमीनो अम्ल बनते हैं। ये रुधिर द्वारा यकृत मे पहुँचते है। जहाँ डीएमिनेशन द्वारा अमोनिया का निर्माण होता है। अमीनो अम्ल के उत्सर्जन को अमिनोटेलिज्म (aminotelism) कहते हैं उदाहरण कुछ इकाइनोडर्मेटा तथा मोलस्का।
यूरिक अम्ल Uric acid
- शुष्क वातावरण में रहने वाले स्थलीय जन्तु, अमोनिया से यूरिक अम्ल बना लेते हैं। यूरिक अम्ल विषैला नहीं होता और जल में लगभग अघुलनशील होता है। अतः इसे गाढ़ी लेई या पाउडर या ठोस रवों (crystals) के रूप में काफी समय तक शरीर में रखकर किसी भी समय उत्सर्जित किया जा सकता है। इसे यूरिक अम्ल उत्सर्जी (uricotelism) कहते हैं। उदाहरण पक्षी, सरीसृप, कीट, घोंघे, आदि।
अन्य उत्सर्जी पदार्थ Other Excretory Products
ट्राइमिथाइलएमीन ऑक्साइड Trimethylamine Oxide
- अनेक समुद्री जन्तु अमोनिया को, मिथाइलेशन (methylation) द्वारा, ट्राइमिथाइलएमीन (trimethylamine) में बदलकर इसका ऑक्सीकरण (oxidation) कर लेते हैं। और इससे बने ट्राइमिथाइलएमीन ऑक्साइड (TMO) का उत्सर्जन कर दिया जाता है।
- यह पदार्थ जल में घुलनशील होता है, किन्तु विषैला नहीं होता। मानव मूत्र में सिस्टीन्यूरिया एवं एल्कैप्टोन्यूरिया जैसी असाधारण स्थिति में TMA उपस्थित हो सकता है। उदाहरण समुद्री टीलिओस्ट एवं कुछ इलैस्मोब्रेन्क मछलियाँ, कई मोलस्का एवं क्रस्टेशिया, आदि।
ग्वानीन Guanine
- मकड़ियाँ (spiders) अपने नाइट्रोजनी पदार्थों का ग्वानीन के रूप में उत्सर्जन करती हैं। यह बहुत कम घुलनशील होती है। अतः इसके उत्सर्जन में जल की बिल्कुल आवश्यकता नहीं पड़ती।
क्रिएटिन एवं क्रिएटिनिन
- क्रिएटिन मुख्यतया पेशी कोशिकाओं में ATP की भाँति, क्रिएटिन फॉस्फेट के रूप में, एक उच्च ऊर्जा यौगिक होता है। आवश्यकता से अधिक क्रिएटिन को ज्यों-की-त्यों या क्रिएटिनिन में बदलकर उत्सर्जित कर दिया जाता है।
- उदाहरण इस प्रकार का उत्सर्जन भ्रूण (foetus) और गर्भवती स्त्री में पाया जाता है।
हिप्यूरिक एवं ऑर्निथ्यूरिक अम्ल Hippuric and Ornithuric Acids
- शशक और अन्य स्तनियों और पक्षियों के आहार में, सूक्ष्म मात्रा में, बेन्जोइक अम्ल हो सकता है। यह अत्यन्त विषैला होता है। उत्सर्जन के लिए स्तनियों में यह ग्लाइसीन (glycine) नामक अमीनो अम्ल से मिलकर हिप्यूरिक अम्ल (hippuric acid) में और पक्षियों में ऑर्निथीन (ornithine) नामक अमीनो अम्ल से मिलकर ऑनींथ्यूरिक अम्ल में बदल जाता है।
एलेन्टॉइन Allantoin
- यह अतिरिक्त भ्रूणीय झिल्ली एलेन्टॉइस (allantois) द्वारा उत्सर्जित किया जाता है। यूरिक अम्ल के ऑक्सीकरण के फलस्वरूप एलेन्टॉइन का निर्माण होता है।
- मनुष्य में प्यूरिन्स को यूरिक अम्ल (uric acid) में और पिरीमिडिन्स को एलेनीन (alanine) या अमीनो आइसोब्यूटायरिक अम्ल (amino isobutyric acid) में बदलकर उत्सर्जित किया जाता है।
- क्रिएटिन उत्सर्जन, हिस्टोलाइसिस (मेटोमॉर्फोसिस के समय में कार्बनिक ऊतकों का टूटना) और हिस्टोजेनेसिस (अविभेदित कोशिकाओं से विभिन्न प्रकार के ऊतकों का निर्माण) प्रक्रिया से सम्बन्धित है।
विभिन्न जन्तुओं में उत्सर्जी अंग Excretory Organs in Different Animals
विभिन्न प्रकार के जन्तुओं में उत्सर्जन प्रक्रिया के लिए विभिन्न उत्सर्जी संरचनाएँ होती हैं।
अकशेरुकियों मे उत्सर्जी अंग Excretory Organs in Invertebrates
विभिन्न अकशेरुकी
जन्तुओं मे विशिष्ट उत्सर्जी अंग अनुपस्थित होते हैं और ये जन्तु अपशिष्ट पदार्थों
के उत्सर्जन के लिए सामान्य विधि या विशेष रचना का उपयोग करते हैं।
कुछ जन्तु समूहों
के उत्सर्जी अंग Excretory Organs of some Animal Groups
- प्रोटोजोआ -प्लाज्माझिल्ली
- पोरीफेरा -सामान्य शरीर की सतह
- सीलेन्ट्रेटा -सामान्य शरीर की सतह
- प्लेटी हैल्मिन्थीज -ज्वाला कोशिकाएँ या पूर्ववृक्क या सोलेनोसाइट
- एस्केहैल्मिन्थीज -रैनेट कोशिका
- एनीलिडा -नेफ्रीडिया (वृक्कक)
- जोक -नेफ्रीडिया (वृक्कक)
- आर्थोपोडा -मैल्पीघी नलिकाएँ
- मकड़ी तथा बिच्छू -कॉक्सल ग्रन्थियाँ
- मोलस्का -बोजनेस के अंग या वृक्क
- इकाइनोडर्मेटा-अमीबोसाइट
- यूरोकॉर्डेटा -न्यूरल ग्रन्थि
- सिफैलोकॉर्डेटा -सोलेनोसाइट
Post a Comment